कर्नाटक चुनाव का परिणाम

  1. कर्नाटक चुनाव परिणाम 2023: कांग्रेस को ऑक्सीजन, बीजेपी को तगड़ा झटका
  2. कर्नाटक चुनाव:यह परिणाम अनैतिक ढंग से सत्ता प्राप्ति फार्मूले का खारिज होना भी है
  3. कर्नाटक चुनाव परिणाम 2023: कांग्रेस को ऑक्सीजन, बीजेपी को तगड़ा झटका
  4. कर्नाटक चुनाव:यह परिणाम अनैतिक ढंग से सत्ता प्राप्ति फार्मूले का खारिज होना भी है
  5. कर्नाटक चुनाव:यह परिणाम अनैतिक ढंग से सत्ता प्राप्ति फार्मूले का खारिज होना भी है
  6. MSN UK: Latest news, weather, Hotmail sign in, Outlook email, Bing
  7. कर्नाटक चुनाव:यह परिणाम अनैतिक ढंग से सत्ता प्राप्ति फार्मूले का खारिज होना भी है
  8. कर्नाटक चुनाव परिणाम 2023: कांग्रेस को ऑक्सीजन, बीजेपी को तगड़ा झटका


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कर्नाटक चुनाव परिणाम 2023: कांग्रेस को ऑक्सीजन, बीजेपी को तगड़ा झटका

जैसा प्री पोल सर्वे और एक्जिट पोल बता रहे थे, कर्नाटक के चुनाव नतीजे वैसे ही आए। हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक ने भी कांग्रेस को जोरदार विजय शक्ति से भर दिया है। पांच साल पहले भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, पर जनादेश नहीं मिला था। इस बार भी वोट प्रतिशत बना रहने के बावजूद बीजेपी दूसरे नंबर पर खिसक गईय और कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है। बजरंग दल को पीएफआई के बराबर बताकर कांग्रेस ने जो दांव खेला, उससे पार्टी को जेडीएस के मुस्लिम वोट में सेंधमारी का लाभ मिला। दूसरी तरफ बजरंग दल की खिलाफत को हिंदुत्व का अपमान साबित करने के बीजेपी के अभियान का कोई फायदा नहीं हुआ। 40 प्रतिशत भ्रष्टाचार का मुद्दा बीजेपी पर भारी पड़ा। इसी साल मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के चुनाव में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने पर बीजेपी इंकार करेगी तो यह माना जाएगा कि कर्नाटक से सबक नहीं लिया, क्योंकि अभी सच को स्वीकारने और सुधार करने का समय है। भाजपा ने नहीं लिया हिमाचल की हार से सबक हिमाचल में हारने के बाद बीजेपी ने शायद सबक नहीं लिया, कांग्रेस ने हिमाचल की जीत को कर्नाटक में जारी रखा। महाराष्ट्र-कर्नाटक विवाद का हल दोनों राज्यों और केंद्र में भी बीजेपी सरकार होने के बावजूद नहीं करना बीजेपी की कर्नाटक में पराजय की बड़ी वजह बनी। मुंबई कर्नाटक और महाराष्ट्र कर्नाटक कहे जाने वाले क्षेत्रों में बीजेपी को इस बार काफी नुकसान हुआ। कर्नाटक में कांग्रेस को राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' का लाभ मिला और पार्टी में आज तक एकजुटता भी बनी रही, इसे बरकरार रखने की चुनौती अब कांग्रेस के सामने होगी। मुख्यमंत्री तय करना आसान नहीं कर्नाटक में अब मुख्यमंत्री तय करना आसान नहीं होगा। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन ख...

कर्नाटक चुनाव:यह परिणाम अनैतिक ढंग से सत्ता प्राप्ति फार्मूले का खारिज होना भी है

कर्नाटक चुनाव: यह परिणाम अनैतिक ढंग से सत्ता प्राप्ति फार्मूले का खारिज होना भी है लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें इस चुनाव का अर्थ कांग्रेस अगर यह लगाने लगे कि देश में मोदी का जादू अब उतार पर है तो यह भी गलत होगा। इतना सच है कि पीएम मोदी का देश को ‘कांग्रेसमुक्त’ करने का नारा अब पलटवार करने लगा है। लोकतंत्र में कम से कम दो राष्ट्रीय पार्टियों, जिनमें बुनियादी वैचारिक भेद हों, का होना अनिवार्य है। इस दृष्टि से कर्नाटक की जीत को कांग्रेस के पुनरुज्जीवन को सकारात्मक अर्थ में लिया जाना चाहिए। विस्तार कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बंपर जीत और सत्तारूढ़ भाजपा की करारी हार इस बात का सबक है कि दल-बदल कर सरकार गिराने के खेल को जनता अब ज्यादा झेलना नहीं चाहती। इस दृष्टि से ये नतीजे मप्र में भी भाजपा के लिए खतरे की घंटी हैं, क्योंकि जो खेल खेलकर 2019 में भाजपा ने कर्नाटक में सत्ता पाई थी, वही खेल सफलतापूर्वक 2020 में मध्यप्रदेश में भी दोहराया गया था और शिवराज सरकार चौथी बार अस्तित्व में आई थी। लेकिन लगता है विधानसभा चुनाव में यही खेल कर्नाटक में भाजपा की गले ही हड्डी बन गया। ‘आयाराम -गयाराम संस्कृति' यूं जनप्रतिनिधियों के दलबदल का इतिहास आजाद भारत में 56 साल पहले हरियाणा से शुरू हुआ था, जहां एक निर्दलीय विधायक गयालाल चुनाव जीतकर सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हो गए। बाद में उन्होंने 15 दिनों में तीन बार पार्टियां बदली। परिणामस्वरूप इस तरह राजनीतिक दल और निष्ठाएं बदलने के लिए नया मुहावरा चलन में आया ‘आयाराम -गयाराम संस्कृति।‘ इस आयाराम गयाराम संस्कृति से भारत में शायद ही कोई दल अछूता हो। यह दल-बदल अमूमन सत्ता में भागीदारी के लिए किया जाता है और चुनाव के पहले इसमें खास उफान आ...

कर्नाटक चुनाव परिणाम 2023: कांग्रेस को ऑक्सीजन, बीजेपी को तगड़ा झटका

जैसा प्री पोल सर्वे और एक्जिट पोल बता रहे थे, कर्नाटक के चुनाव नतीजे वैसे ही आए। हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक ने भी कांग्रेस को जोरदार विजय शक्ति से भर दिया है। पांच साल पहले भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, पर जनादेश नहीं मिला था। इस बार भी वोट प्रतिशत बना रहने के बावजूद बीजेपी दूसरे नंबर पर खिसक गईय और कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है। बजरंग दल को पीएफआई के बराबर बताकर कांग्रेस ने जो दांव खेला, उससे पार्टी को जेडीएस के मुस्लिम वोट में सेंधमारी का लाभ मिला। दूसरी तरफ बजरंग दल की खिलाफत को हिंदुत्व का अपमान साबित करने के बीजेपी के अभियान का कोई फायदा नहीं हुआ। 40 प्रतिशत भ्रष्टाचार का मुद्दा बीजेपी पर भारी पड़ा। इसी साल मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के चुनाव में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने पर बीजेपी इंकार करेगी तो यह माना जाएगा कि कर्नाटक से सबक नहीं लिया, क्योंकि अभी सच को स्वीकारने और सुधार करने का समय है। भाजपा ने नहीं लिया हिमाचल की हार से सबक हिमाचल में हारने के बाद बीजेपी ने शायद सबक नहीं लिया, कांग्रेस ने हिमाचल की जीत को कर्नाटक में जारी रखा। महाराष्ट्र-कर्नाटक विवाद का हल दोनों राज्यों और केंद्र में भी बीजेपी सरकार होने के बावजूद नहीं करना बीजेपी की कर्नाटक में पराजय की बड़ी वजह बनी। मुंबई कर्नाटक और महाराष्ट्र कर्नाटक कहे जाने वाले क्षेत्रों में बीजेपी को इस बार काफी नुकसान हुआ। कर्नाटक में कांग्रेस को राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' का लाभ मिला और पार्टी में आज तक एकजुटता भी बनी रही, इसे बरकरार रखने की चुनौती अब कांग्रेस के सामने होगी। मुख्यमंत्री तय करना आसान नहीं कर्नाटक में अब मुख्यमंत्री तय करना आसान नहीं होगा। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन ख...

कर्नाटक चुनाव:यह परिणाम अनैतिक ढंग से सत्ता प्राप्ति फार्मूले का खारिज होना भी है

कर्नाटक चुनाव: यह परिणाम अनैतिक ढंग से सत्ता प्राप्ति फार्मूले का खारिज होना भी है लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें इस चुनाव का अर्थ कांग्रेस अगर यह लगाने लगे कि देश में मोदी का जादू अब उतार पर है तो यह भी गलत होगा। इतना सच है कि पीएम मोदी का देश को ‘कांग्रेसमुक्त’ करने का नारा अब पलटवार करने लगा है। लोकतंत्र में कम से कम दो राष्ट्रीय पार्टियों, जिनमें बुनियादी वैचारिक भेद हों, का होना अनिवार्य है। इस दृष्टि से कर्नाटक की जीत को कांग्रेस के पुनरुज्जीवन को सकारात्मक अर्थ में लिया जाना चाहिए। विस्तार कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बंपर जीत और सत्तारूढ़ भाजपा की करारी हार इस बात का सबक है कि दल-बदल कर सरकार गिराने के खेल को जनता अब ज्यादा झेलना नहीं चाहती। इस दृष्टि से ये नतीजे मप्र में भी भाजपा के लिए खतरे की घंटी हैं, क्योंकि जो खेल खेलकर 2019 में भाजपा ने कर्नाटक में सत्ता पाई थी, वही खेल सफलतापूर्वक 2020 में मध्यप्रदेश में भी दोहराया गया था और शिवराज सरकार चौथी बार अस्तित्व में आई थी। लेकिन लगता है विधानसभा चुनाव में यही खेल कर्नाटक में भाजपा की गले ही हड्डी बन गया। ‘आयाराम -गयाराम संस्कृति' यूं जनप्रतिनिधियों के दलबदल का इतिहास आजाद भारत में 56 साल पहले हरियाणा से शुरू हुआ था, जहां एक निर्दलीय विधायक गयालाल चुनाव जीतकर सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हो गए। बाद में उन्होंने 15 दिनों में तीन बार पार्टियां बदली। परिणामस्वरूप इस तरह राजनीतिक दल और निष्ठाएं बदलने के लिए नया मुहावरा चलन में आया ‘आयाराम -गयाराम संस्कृति।‘ इस आयाराम गयाराम संस्कृति से भारत में शायद ही कोई दल अछूता हो। यह दल-बदल अमूमन सत्ता में भागीदारी के लिए किया जाता है और चुनाव के पहले इसमें खास उफान आ...

कर्नाटक चुनाव:यह परिणाम अनैतिक ढंग से सत्ता प्राप्ति फार्मूले का खारिज होना भी है

कर्नाटक चुनाव: यह परिणाम अनैतिक ढंग से सत्ता प्राप्ति फार्मूले का खारिज होना भी है लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें इस चुनाव का अर्थ कांग्रेस अगर यह लगाने लगे कि देश में मोदी का जादू अब उतार पर है तो यह भी गलत होगा। इतना सच है कि पीएम मोदी का देश को ‘कांग्रेसमुक्त’ करने का नारा अब पलटवार करने लगा है। लोकतंत्र में कम से कम दो राष्ट्रीय पार्टियों, जिनमें बुनियादी वैचारिक भेद हों, का होना अनिवार्य है। इस दृष्टि से कर्नाटक की जीत को कांग्रेस के पुनरुज्जीवन को सकारात्मक अर्थ में लिया जाना चाहिए। विस्तार कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बंपर जीत और सत्तारूढ़ भाजपा की करारी हार इस बात का सबक है कि दल-बदल कर सरकार गिराने के खेल को जनता अब ज्यादा झेलना नहीं चाहती। इस दृष्टि से ये नतीजे मप्र में भी भाजपा के लिए खतरे की घंटी हैं, क्योंकि जो खेल खेलकर 2019 में भाजपा ने कर्नाटक में सत्ता पाई थी, वही खेल सफलतापूर्वक 2020 में मध्यप्रदेश में भी दोहराया गया था और शिवराज सरकार चौथी बार अस्तित्व में आई थी। लेकिन लगता है विधानसभा चुनाव में यही खेल कर्नाटक में भाजपा की गले ही हड्डी बन गया। ‘आयाराम -गयाराम संस्कृति' यूं जनप्रतिनिधियों के दलबदल का इतिहास आजाद भारत में 56 साल पहले हरियाणा से शुरू हुआ था, जहां एक निर्दलीय विधायक गयालाल चुनाव जीतकर सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हो गए। बाद में उन्होंने 15 दिनों में तीन बार पार्टियां बदली। परिणामस्वरूप इस तरह राजनीतिक दल और निष्ठाएं बदलने के लिए नया मुहावरा चलन में आया ‘आयाराम -गयाराम संस्कृति।‘ इस आयाराम गयाराम संस्कृति से भारत में शायद ही कोई दल अछूता हो। यह दल-बदल अमूमन सत्ता में भागीदारी के लिए किया जाता है और चुनाव के पहले इसमें खास उफान आ...

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कर्नाटक चुनाव परिणाम 2023: कांग्रेस को ऑक्सीजन, बीजेपी को तगड़ा झटका

जैसा प्री पोल सर्वे और एक्जिट पोल बता रहे थे, कर्नाटक के चुनाव नतीजे वैसे ही आए। हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक ने भी कांग्रेस को जोरदार विजय शक्ति से भर दिया है। पांच साल पहले भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, पर जनादेश नहीं मिला था। इस बार भी वोट प्रतिशत बना रहने के बावजूद बीजेपी दूसरे नंबर पर खिसक गईय और कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है। बजरंग दल को पीएफआई के बराबर बताकर कांग्रेस ने जो दांव खेला, उससे पार्टी को जेडीएस के मुस्लिम वोट में सेंधमारी का लाभ मिला। दूसरी तरफ बजरंग दल की खिलाफत को हिंदुत्व का अपमान साबित करने के बीजेपी के अभियान का कोई फायदा नहीं हुआ। 40 प्रतिशत भ्रष्टाचार का मुद्दा बीजेपी पर भारी पड़ा। इसी साल मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के चुनाव में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने पर बीजेपी इंकार करेगी तो यह माना जाएगा कि कर्नाटक से सबक नहीं लिया, क्योंकि अभी सच को स्वीकारने और सुधार करने का समय है। भाजपा ने नहीं लिया हिमाचल की हार से सबक हिमाचल में हारने के बाद बीजेपी ने शायद सबक नहीं लिया, कांग्रेस ने हिमाचल की जीत को कर्नाटक में जारी रखा। महाराष्ट्र-कर्नाटक विवाद का हल दोनों राज्यों और केंद्र में भी बीजेपी सरकार होने के बावजूद नहीं करना बीजेपी की कर्नाटक में पराजय की बड़ी वजह बनी। मुंबई कर्नाटक और महाराष्ट्र कर्नाटक कहे जाने वाले क्षेत्रों में बीजेपी को इस बार काफी नुकसान हुआ। कर्नाटक में कांग्रेस को राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' का लाभ मिला और पार्टी में आज तक एकजुटता भी बनी रही, इसे बरकरार रखने की चुनौती अब कांग्रेस के सामने होगी। मुख्यमंत्री तय करना आसान नहीं कर्नाटक में अब मुख्यमंत्री तय करना आसान नहीं होगा। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन ख...