Kundli bhagya mein

  1. Kundli ke Yog
  2. Kundli in Hindi


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Kundli ke Yog

कुंडली में योग होना जातक के लिये बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाता है। वैसे तो योग शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के माने जाते हैं लेकिन अशुभ योगों को दोष की संज्ञा दी जाती है। इसलिये योग से तात्पर्य यहां शुभ फलदायी संयोगों से है। किसी भी जातक की कुंडली में जन्म के समय ग्रहों की जो स्थिति होती है। उनमें भावानुसार ग्रहों की स्थिति, ग्रहों की युति, एक दूसरे के भावों पर पड़ने वाली दृष्टि से योगों का सृजन होता है। जातक की जन्मकुंडली में योगों को भाग्योदय का कारण माना जाता है। आप अपने आस पास देखते होंगे, महसूस भी करते होंगे कि कोई अचानक रातों रात ख्याति प्राप्त कर लेता है। कोई अचानक से धनवान बन जाता है, किसी को उम्मीद नहीं होती लेकिन वह व्यक्ति सत्ता पर काबिज़ हो जाता है। कोई अपनी एक साहित्यिक कृति से साहित्य जगत में अमर हो जाता है तो कोई सिनेमाई पर्दे पर अपनी एक झलक से भी लोगों को अपना मुरीद बना लेता है और रातों रात एक बड़ा सितारा बन जाता है। यह सब जातक की कुंडली में बनने वाले योगों व कारक ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। कुंडली में प्रचलित योगों के नाम जातक की कुंडली में अनेक योग बन सकते हैं वैसे तो प्रत्येक ग्रह की दशा, स्थिति, गोचर, ग्रहों की युति एक प्रकार से योग का निर्माण करती है लेकिन कुछ योग जो काफी प्रचलित हैं उनमें से प्रमुख योगों के नाम इस प्रकार हैं। गजकेसरी योग - यह योग चंद्रमा व गुरु से बनता है। जब चंद्रमा और गुरु किसी जातक की कुंडली में केंद्र में हो तो गजकेसरी योग का निर्माण करते हैं। चंद्रमा और शुक्र के केंद्र में होने पर भी कुछ विद्वान गेजकेसरी योग बताते हैं। यह बहुत ही शुभ योग माना जाता है। बुधादित्य योग - यह योग सूर्य और बुध की युति पर बनता है जो कि सूर्य व बुध के...

Kundli in Hindi

जन्म कुंडली ( Janam Kundli in Hindi ) जन्म कुंडली (Janam Kundli in Hindi) या जन्मपत्री जैसा की इन शब्दों में ही इसका अर्थ भी नीहित है। यह किसी भी जातक के जन्म के ब्यौरे को प्रदर्शित करती है। मसलन जातक का जन्म किस तिथि, किस समय, किस स्थान पर हुआ? जन्मपत्री वर्तमान में बच्चे के जन्म के समय अस्पताल में भी बनती है यहां उस जन्मपत्री की बात नहीं हो रही है। हालांकि जातक की जन्म तिथि, समय व स्थान की जानकारी के लिये इसकी मदद ली जा सकती है लेकिन ज्योतिषीय जन्मपत्री या कुंडली इससे अलग चीज़ है। कुंडली में जातक के जन्म की तिथि, समय व स्थान को आधार बनाकर ग्रह नक्षत्रों की गणना की जाती है। जैसे कि जातक का जन्म किस नक्षत्र में हुआ, किस लग्न में हुआ किस राशि में हुआ। लग्न व राशि से नवग्रहों की स्थिति कुंडली के किन भावों में है। जन्म कुंडली में ग्रह कौनसे योग बना रहे हैं। कुंडली में कौनसे दोष मौजूद हैं आदि अनेक विचार कुंडली बनाकर किये जाते हैं। कुल मिलाकर कह सकते हैं कुंडली जातक के जन्म के समय ग्रहों की दशा व दिशा को बताने वाली एक पत्रिका होती है जिसके आधार पर जातक के भविष्य की कल्पना की जाती है। कुंडली के लाभ क्या हैं? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक के जीवन में जो कुछ घटित होता है वह ग्रहों की दशा व दिशा के प्रभावानुसार ही होता है। कोई देखते ही देखते रंक से राजा बन जाता है तो कोई राजा से रंक। किसी से खुशियां समेटी नहीं जाती तो किसी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। ऐसे में यदि जातक को ऐसे संकेत भी मिल जायें निकट भविष्य में उसके लिये समय कैसा रहेगा? उसे आने वाले समय में क्या करना चाहिये क्या नहीं करना चाहिये? तो निश्चित तौर पर वह आगे की सुध लेगा। कुंडली से यह पता लगाना संभव है कि जातक के लिये...