कवि नागार्जुन के अनुसार फसल क्या है

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नागार्जुन

नागार्जुन जन्म वैद्यनाथ मिश्र 11 जून 1911 गाँव सतलखा, मृत्यु 5 नवम्बर 1998 ( 1998-11-05) (उम्र87) ख्वाजा सराय, उपनाम नागार्जुन (हिन्दी) तथा यात्री (मैथिली) व्यवसाय कवि,(poet) लेखक भाषा राष्ट्रीयता अवधि/काल आधुनिक काल विधा विषय साहित्यिक आन्दोलन उल्लेखनीय कार्य उल्लेखनीय सम्मान साहित्य अकादमी (1969),भारत भारती,राजेंद्र प्रसाद पुरसकार नागार्जुन (11जून 1911 यात्री उपनाम से लिखा तथा यह उपनाम उनके मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र के साथ मिलकर एकमेक हो गया। अनुक्रम • 1 जीवन-परिचय • 2 लेखन-कार्य एवं प्रकाशन • 2.1 प्रकाशित कृतियाँ • 3 नागार्जुन पर केंद्रित विशिष्ट साहित्य • 4 पुरस्कार • 5 समालोचना • 6 टिप्पणियाँ • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ • 9 बाहरी कड़ियाँ जीवन-परिचय [ ] नागार्जुन का जन्म १९११ ई० की ज्येष्ठ पूर्णिमा गोकुल मिश्र की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रह गयी थी। वे काम-धाम कुछ करते नहीं थे। सारी जमीन बटाई पर दे रखी थी और जब उपज कम हो जाने से कठिनाइयाँ उत्पन्न हुईं तो उन्हें जमीन बेचने का चस्का लग गया। जमीन बेचकर कई प्रकार की गलत आदतें पाल रखी थीं। जीवन के अंतिम समय में गोकुल मिश्र अपने उत्तराधिकारी (वैद्यनाथ मिश्र) के लिए मात्र तीन कट्ठा उपजाऊ भूमि और प्रायः उतनी ही वास-भूमि छोड़ गये, वह भी सूद-भरना लगाकर। बहुत बाद में नागार्जुन दंपति ने उसे छुड़ाया। ऐसी पारिवारिक स्थिति में बालक वैद्यनाथ मिश्र पलने-बढ़ने लगे। छह वर्ष की आयु में ही उनकी माता का देहांत हो गया। इनके पिता (गोकुल मिश्र) अपने एक मात्र मातृहीन पुत्र को कंधे पर बैठाकर अपने संबंधियों के यहाँ, इस गाँव--उस गाँव आया-जाया करते थे। इस प्रकार बचपन में ही इन्हें पिता की लाचारी के कारण घूमने की आदत पड़ गयी और बड़े होकर यह घूमना उन...

फसल कविता/नागार्जुन की फसल कविता/Fasal kavita ka saar/Nagarjun ki kavita fasal/Fasal kavita ka bhavarth/Nagarjun ki bhasha shaili

प्रसंग: प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ' क्षितिज (भाग 2)' में संकलित कविता ‘ फसल से ली गई है। इन पंक्तियों के रचयिता हिंदी के जनवादी कवि ‘ नागार्जुन ’ है। इस कविता में कवि ने यह बताया है कि प्रकृति और मानव के सहयोग से ही फसलों का सृजन होता है। भावार्थ :जिस फसल को हम किसी अनाज या सब्जी या फल के रूप में देखते हैं , वह और कुछ नहीं बल्कि नदियों के पानी का जादू है। वह हाथों के स्पर्श की महिमा है। वह कई प्रकार की मिट्टी का गुण धर्म अपने में संजोए हुए है। वह सूरज की किरणों का रूपांतर है। आपने जीव विज्ञान के पाठ में पढ़ा होगा कि किस तरह सूरज की किरणों की ऊर्जा अपना रूप बदलकर पादपों में भोजन के रूप में जमा होती है। कवि को यह भी लगता है कि फसल में हवा की थिरकन का सिमटा हुआ संकोच भी भरा हुआ है। नागार्जुन की भाषा सहज सरल तथा प्रवाहमयीखड़ी बोली का प्रयोग किया है।शब्द चयन सर्वथा उचित और सटीक है। पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है। तत्सम व तद्भव शब्दावली का प्रयोग देखने को मिलता है एवं प्रसाद गुण सर्वत्र व्याप्त है।नागार्जुन के काव्य में दृश्य बिंब का सफल प्रयोग हुआ है। वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है। अभ्यास के प्रश्न :

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NCERT Solutions Class 10 Hindi Chapter 6 – नागार्जुन काव्य खंड : नागार्जुन NCERT Solutions Class 10 Hindi Chapter 6 – नागार्जुन – यह दंतुरित मुस्कान कक्षा 10 हिंदी अध्याय 6 नागार्जुन नाग राजा के जीवन के बारे में है। यह इस कहानी का वर्णन करता है कि कैसे राजा शुक ने प्राचीन दिनों में भारत पर शासन किया और जम्भा और नाग राजा के साथ युद्ध किया। कक्षा 10 हिंदी अध्याय 6 के समाधान यहां चरण-दर-चरण स्पष्टीकरण के साथ दिए गए हैं Page No 41 : प्रश्न और अभ्यास Free NCERT Solutions Class 10 Hindi Chapter 6 – नागार्जुन Question 1: बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? Answer: बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर अत्यंत गहरा प्रभाव पड़ता है। कवि को बच्चे की मुसकान बहुत मनमोहक लगती है जो मृत शरीर में भी प्राण डाल देती है। Question 2: बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है? Answer: बच्चे तथा बड़े व्यक्ति की मुसकान में निम्नलिखित अंतर होते हैं – (1) बच्चे मुस्कुराते समय किसी खास मौके की प्रतीक्षा नहीं करते हैं जबकि बड़ों के मुसकुराने की खास वजह होती है। (2) बच्चों का मुस्कुराना सभी को प्रभावित करता है परन्तु बड़ों का मुस्कुराना लोगों को प्रभावित नहीं करता है। (3) बच्चों की हँसी में निश्छलता होती है लेकिन बड़ों की मुस्कुराहट कृत्रिम भी होती है। Question 3: कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है? Answer: कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को निम्नलिखित बिंबो के माध्यम से व्यक्त किया है – (1) बच्चे की मुसकान इतनी सुंदर है कि मृतक में भी जान डाल दे। “मृतक में भी डाल देगा जान।” (2) कवि ने बालक के मुसकान की तुल...

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

(पाठ्यपुस्तक से) 1. यह दंतुरित मुस्कान प्रश्न 1. बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभा पड़ता है? उत्तर कवि अपने शिशु की मधुर-मुसकान को देखता है तो इतना प्रफुल्लित होता है कि उसके उदासीन, गंभीर चेहरे पर प्रसन्नता आ जाती है। उसे ऐसा लगता है कि यह मुसकान तो मृतक में जान फेंक सकती है। यह शिशु तो ऐसा है मानो तालाब को छोड़कर कमल मेरी झोंपड़ी में खिल रहा हो। कवि के निष्ठुर, पाषाणवत हृदय में स्नेह की धारा फूट पड़ी है। इस प्रकार कवि के हृदय में अप्रत्याशित परिवर्तन आ गया है। प्रश्न 2. बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है? उत्तर बच्चे की मुसकान में स्वाभाविकता होती है, निश्छलता होती है, सहजता होती है, हृदय की प्रफुल्लता होती है तथा मधुरता होती है। वह स्नेहसिक्त होकर प्रस्फुटित हो उठती है। बड़े व्यक्ति की मुसकान में कृत्रिमता होती है, बलात् मुसकान होंठों पर बिखेरी जाती है, इस कारण उसमें सहजता नहीं होती है। उसमें स्वार्थ की गंध आती है। अपनत्व का अभाव होता है। अवसर देख, व्यक्ति मुस्कराता है। बड़ों की मुसकान में उनकी रुचि समाहित होती है। प्रश्न 3. कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है? उत्तर कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को निम्न बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है– • बच्चे की मुसकान इतनी मधुर होती है कि मृतक में प्राण फेंक देती है।। • बच्चे की मुसकान देखकर ऐसा लगता है कि कमल-पुष्प तालाब को छोड़कर झोंपड़ी में खिल रहे हों। • पाषाण पिघलकर जल रूप में बदल गया हो। • बबूल और बाँस से भी शेफालिका के फूल झरने लगे हों। इस प्रकार कवि ने बिंबों का प्रयोग कर शिशु की मुसकान को अति आकर्षक रूप में प्रस्तुत किया है। प्रश्...

RBSE Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

प्रश्न 1. बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर : बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर यह प्रभाव पड़ता है कि वह उसे देखकर प्रसन्न हो उठता है। उसका उदास मन सुन्दर कल्पनाओं में डूब जाता है। उसे लगता है कि मानो उसकी झोंपड़ी में कमल के फूल खिल उठे हों। मानो पत्थर जैसे दिल में प्यार की धारा उमड़ पड़ी हो या बाँस और बबूल के पेड़ जैसे नीरस जीवन में प्रफुल्लता और कोमलता रूपी शेफालिका के फूल झरने लगे हों। प्रश्न 3. कवि ने बच्चे की मुस्कान के सौन्दर्य को किन-किन बिम्बों के माध्यम से व्यक्त किया है? उत्तर : कवि ने बच्चे की मुसकान के सौन्दर्य को निम्नलिखित बिम्बों के माध्यम से व्यक्त किया है • बच्चे की मुस्कान से मृतक में भी जान आ जाती है। • यों लगता है-मानो झोपड़ी में कमल के फूल खिल उठे हों। • मुस्कराते शिश का स्पर्श पाकर पत्थर-हृदय व्यक्ति भी द्रवित हो जाता है। • यों लगता है-मानो बबूल और बांस से शेफालिका के फूल झरने लगे हों। प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए (क) छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात। (ख) छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल? उत्तर : भाव - (क) भाव यह है कि दाँत निकलते हुए शिशु की निश्छल मधुर मुस्कान देख कर कवि का मन प्रसन्न हो उठता है। उसे ऐसा लगने लगता है कि मानो उसकी झोंपड़ी में ही कमल खिल उठे हों। आशय यह है कि उस नन्हे से बच्चे को देखकर कवि का मन उल्लास से भर जाता है। प्रश्न 5. मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इनकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए। उत्तर : मुसकान और क्रोध एक-दूसरे से विपरीत भिन्न-भिन्न भाव हैं। मुसकान मन की आन्तरिक प्रसन्नता को प्रकट करने वाला भाव है। इसमें स्वयं ही नहीं...

Class 10

फसल -नागार्जन इस कविता में कवि नागार्जुन फसल के बारे में बताया है, उसे पैदा करने कि लिए जो तत्व योगदान देते है। कवि कहते है कि एक नहीं बल्कि बहुत सी नदियों का पानी चाहिए एक फसल में। पानी के सहारे फसल उगती है और यदि पानी न लगे तो फसल होने सम्भव नहीं है। फसल के लिए लाखों लोगों के परिश्रम की आवश्यकता होती है। हर प्रकार के फसल के लिए उसी प्रकार की मिट्टी चाहिए होती है। फसल के लिए उपयुक्त विभिन्न प्रकार की मिट्टियों की आवश्यकता होती है। जिस प्रकार की मिट्टी होगी, उसी प्रकार की फसल होगी। कुछ खास नहीं पर बहुत कुछ चाहिए एक फसल के लिए। फसल के लिए पानी चाहिए होता है जिससे बीज उगते हैं; मिट्टी चाहिए होती है जिसके बिना फसल होना असंभव होता है और धूप (सूर्य की किरणे) जिससे बीज अपना भोजन तैयार करते है। हवा के सहारे(माध्यम) से फसल के दाने सिकुड़ और सिमट जाते है। इनका भोजन सूर्य की किरणों के माध्यम से बनता है। हवा से बीज फसल बनकर तैयार हो जाती है। जब इन चीजों का मिश्रण होता है, तब फसल तैयार होती है। इन सबके अलावा मनुष्य के परिश्रम का फसल में भी बहुत महत्व होता है। (धूप, पानी, मिट्टी) इन प्राकृतिक उपादानों के साथ-साथ मनुष्य का परिश्रम भी बहुत आवश्यक है। इसके बिना कुछ भी सम्भव नहीं होगा इसलिए यह अत्याधिक जरूरी है। परिश्रम ही फसल की गरिमा होती है। इसके बिना फसल प्राप्त करना संभव नही होता। पेड़-पौधों से हमें फल-फूल प्राप्त होते है परंतु फसल से हमें अन्न की प्राप्ती होती है। और परिश्रम से प्राप्त किया अन्न ही फसल कहलाता है। फसल कविता के माध्यम से कवि ने मनुष्य के परिश्रम को बहुत महत्व दिया है और यह दर्शाया है कि प्रत्येक फसल किसान की महत्व को दर्शाती है। प्रश्न 1.: कवि के अनुसार फसल क्या है? उत...