लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त 2022

  1. Diwali 2022: जानें आज किस शुभ मुहूर्त में होगा लक्ष्मी पूजन
  2. Kojagari Puja 2022: कोजागरी पूजा कब और कैसे करें, शुभ मुहूर्त, व्रत करने से मां लक्ष्मी की बरसेगी कृपा
  3. Laxmi Pujan 2022 Date: यंदा लक्ष्मी पूजन कधी? जाणून घ्या शुभ मुहूर्त आणि पूजा विधी
  4. Mahalaxmi Vrat 2022:महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
  5. Mahalaxmi Vrat 2022: जान लें महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त और क्या है पूजन विधि?
  6. योगिनी एकादशी 2023 : शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि, व्रत कथा, उपाय, पारण समय और मंत्र एक साथ


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Diwali 2022: जानें आज किस शुभ मुहूर्त में होगा लक्ष्मी पूजन

diwali laxmi pujan muhurat 2022 • आईएन ब्यूरो • Published: October 24, 2022 1:04 pm • 2 min read प्रकाश का पर्व दिवाली (Diwali) हर बार दिवाली शुभ मुहूर्त इस साल अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्टूबर दोनों दिन ही है लेकिन 25 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष काल से पहले ही समाप्त हो जाएगी इसलिए दीपावली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर अमावस्या शुरू होगी जो मंगलवार शाम को 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। 24 अक्टूबर को दिवाली का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक है। दिवाली लक्ष्मी-गणेश पूजा शुभ मुहूर्त- 24 अक्टूबर लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त– शाम 06:54 से 08:16 मिनट तक लक्ष्मी पूजन की अवधि- 1 घंटा 21 मिनट प्रदोष काल– शाम 05:42 से रात 08:16 मिनट तक वृषभ काल– शाम 06: 54 से रात 08: 50 मिनट तक दिवाली लक्ष्मी पूजा महानिशीथ काल मुहूर्त लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त– रात 11: 40 से 12: 31 मिनट तक अवधि– 50 मिनट तक दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त 2022 सायंकाल मुहूर्त्त (अमृत,चर) : 17:29 से 19:18 मिनट तक रात्रि मुहूर्त्त (लाभ) : 22:29 से 24:05 मिनट तक रात्रि मुहूर्त्त (शुभ,अमृत,चर ) : 25:41 से 30:27 मिनट तक ये भी पढ़े: दिवाली लक्ष्मी-गणेश पूजाविधि -इस दिन प्रदोष वेला से लेकर पिशाच वेला के आरंभ से पहले तक ही महालक्ष्मी पूजा का विधान है। यह पिशाच वेला रात्रि 02 बजे से आरंभ होती है। -पूजा के लिए लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और इस पर साबुत अक्षत की एक परत बिछा दें। -अब श्री लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को विराजमान करें एवं यथाशक्ति पूजन सामग्री लेकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। -उत्तर दिशा को वास्तु में धन की दिशा माना गया है,इसलिए दीपावली पर यह क्षेत्र यक्ष साधना,ल...

Kojagari Puja 2022: कोजागरी पूजा कब और कैसे करें, शुभ मुहूर्त, व्रत करने से मां लक्ष्मी की बरसेगी कृपा

डीएनए हिंदी: Kojagar Puja Vidhi, Shubh Muhurat And Vrat Katha-हिंदू धर्म में कोजागरी पूजा (Kojagari Puja) को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. इसे कोजागर व्रत रखा जाता है. इस दिन यानि आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है. बिहार, बंगाल, ओडिशा में महिलाएं यह व्रत रखती हैं. देशभर में यह दिन शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2022) के नाम से जाना जाता है. आईए जानते हैं कब है यह पूजा, विधि,महत्व और व्रत कथा क्या है. महत्व बंगाल में इसे लक्ष्मी पूजा भी कहते हैं, इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा होती है और कहते हैं मां की कृपा से कभी धन की कमी नहीं होती है. मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के समय प्रकट हुई थीं,इसलिए शरद पूर्णिमा का त्योहार मां लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है.कहते हैं कि इस दिन रात में जागरण कर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने धन-धान्य की कोई कमी नहीं आती. कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात अमृत बरसता है, इसलिए रात में चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाती है फिर माता लक्ष्मी को भोग लगाया जाता है. ऐसा करने पर घर में सदा बरकत बने रहने का आशीर्वाद मिलता है. यह भी पढे़ं- Kojagar Puja Shubh Muhurat कोजागर व्रत 9 अक्टूबर 2022 यानि रविवार के दिन मनाया जाएगा. निशिता काल समय 23:44 से 24:33 तक पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 08 अक्टूबर, 2022 को 27:42 पूर्णिमा तिथि समाप्त - 09 अक्टूबर, 2022 को 26:25 कोजागर व्रत पूजन विधि (Kojagar Pujan Vidhi in Hindi) कोजागिरी व्रत वाले दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए.स्‍नान करने के बाद साफ स्‍वच्‍छ वस्‍त्र पहनने चाहिए.दिन भर व्रत का संकल्‍प लेन चाहिए. मंदिर या पूजा स्‍...

Laxmi Pujan 2022 Date: यंदा लक्ष्मी पूजन कधी? जाणून घ्या शुभ मुहूर्त आणि पूजा विधी

Laxmi Pujan 2022 Date: यंदा लक्ष्मी पूजन कधी? जाणून घ्या शुभ मुहूर्त आणि पूजा विधी हिंदू धर्मातील मुख्य सणांपैकी एक म्हणजे दीपावली आहे. हा सण केवळ भारतातच नाही तर जगभरात साजरा केला जातो. दिवाळीला शुभ मुहूर्तावर लक्ष्मीची पूजा करण्याची परंपरा आहे. असे मानले जाते की या दिवशी माँ लक्ष्मी आपल्या भक्तांच्या घरी जाते आणि त्यांना सुख आणि समृद्धीचा आशीर्वाद देते. चला तर मग जाणून घेऊया, लक्ष्मीपूजनाचा शुभ मुहूर्त आणि पूजा विधी, पाहा Laxmi Pujan 2022 Date: सनातन धर्मातील मुख्य सणांपैकी एक म्हणजे दीपावली आहे. हा सण केवळ भारतातच नाही तर जगभरात साजरा केला जातो. दिवाळीला शुभ मुहूर्तावर लक्ष्मीची पूजा करण्याची परंपरा आहे. असे मानले जाते की या दिवशी माँ लक्ष्मी आपल्या भक्तांच्या घरी जाते आणि त्यांना सुख आणि समृद्धीचा आशीर्वाद देते. हिंदू धर्मानुसार, दीपावली साजरी करण्यामागचे एक कारण हे आहे की, 14 वर्षांचा वनवास भोगल्यानंतर भगवान श्रीराम अयोध्येला राक्षस राजा रावणाचा वध करून परतले होते. तेव्हा लोकांनी दिवा लावून हा आनंद साजरा केला. तेव्हा पासून दीपोत्सव करून दिवाळी साजरी केली जाते. चला तर मग जाणून घेऊया, लक्ष्मीपूजनाचा शुभ मुहूर्त आणि पूजा विधी, पाहा लक्ष्मीपूजनाचा शुभ मुहूर्त (Laxmi Puja Shubh Muhurat) लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: संध्याकाळी 06.53 ते रात्री 08.16 (24 ऑक्टोबर 2022. सोमवार) अमृत ​​काल मुहूर्त: सकाळी 08.40 ते सकाळी 10.16 (24 ऑक्टोबर 2022, सोमवार) अमृत ​​काल मुहूर्त: सकाळी 08.40 ते सकाळी 10.16 (24 ऑक्टोबर 2022, सोमवार) लक्ष्मी पूजन विधी दिवाळी हा महत्वाच्या सणांपैकी एक आहे. दिवलीमध्ये लक्ष्मीपूजनला विशेष महत्व असत. दरम्यान, लक्ष्मी पूजन करण्याची विधी अनेकांना माहित नसते. लक्ष्मी पूज...

Mahalaxmi Vrat 2022:महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Mahalaxmi Vrat 2022: धन की देवी लक्ष्मी को समर्पित महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हो चुकी है। 16 दिनों तक मनाया जाने वाला महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद की अष्टमी तिथि से आरंभ होता है। साथ ही ये व्रत अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलते हैं। इस साल ये व्रत 3 सितंबर 2022 से शुरू होकर 17 सितंबर को संपन्न होंगे। इस व्रत में मां लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजा की जाती है। महालक्ष्मी व्रत मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान किए गए व्रत, पूजा और उपाय बहुत जल्दी असर दिखाते हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से जातक को बेशुमार धन-दौलत मिलती है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को कभी धन की कमी नहीं होती है। साथ ही यश, कीर्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए 17 सितंबर तक रोजाना पूजा करें। चलिए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि... महालक्ष्मी व्रत 2022 पूजा विधि महालक्ष्मी व्रत 16 दिन के होते हैं। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। 16वें दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन करते हैं। महालक्ष्मी व्रत के इन दिनों में रोजाना सूर्योदय से पूर्व जाग जाएं और स्नान के बाद 16 व्रत का संकल्प लें। यदि आप 16 दिन का व्रत नहीं रख सकते हैं तो शुरू के 3 व्रत या आखिरी के 3 व्रत भी रख सकते हैं।

Mahalaxmi Vrat 2022: जान लें महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त और क्या है पूजन विधि?

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योगिनी एकादशी 2023 : शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि, व्रत कथा, उपाय, पारण समय और मंत्र एक साथ

Kalava in hindi : कई लोग हाथ की कलाई पर काला या लाल धागा बांधते हैं। पीला धागा अक्सर मांगलिक कार्य के दौरान बांधा जाता है लेकिन काला या सफेद धागा ज्योतिष की मान्यता या लोकमान्यता के अनुसार कलाई पर बांधा जाता है। कहते हैं कि 2 राशियों के लोगों को काला और अन्य 2 राशियों के जातकों को काला धागा या नाड़ा नहीं बांधना चाहिए। Akhand Samarajya Rajyog 2023 : अगले हफ्ते ग्रहों के परिवर्तन से महत्वपूर्ण योग और राजयोग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष मान्यता के अनुसार इस बार अखंड साम्राज्य योग के साथ ही नव पंचम राजयोग का निर्माण भी हो रहा है जिसके चलते 4 राशियों को वर्षों तक लाभ होता रहेगा। बस उन्हें एककाम करना है तो फायदा ही फायदा होगा। Chanakya niti about woman : चाणक्य नीति में महिला और पुरुषों के गुण और व्यवहार को लेकर बहुत कुछ लिखा है। आम धारणा यह है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं कमजोर होती हैं परंतु यह मात्र धारणा हैं। ऐसी कई बातें हैं जिनमें महिलाएं पुरुषों पर भारी पड़ती है। इन बातों से से जानिए कि कौनी सी ऐसी 5 खास बाते हैं जिनमें औरतें हरा सकती हैं आदमियों को? Vastu tips for positive energy : घर के सदस्य आए दिन एक दूसरे से किसी न किसी बात पर लड़ते झगड़ते रहते हैं तो इससे परिवार की सेहत के साथ ही आर्थिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। यह पारिवारिक विघटन का कारण है। गृह कलह से जीवन में घटना-दुर्घटना के योग भी बनते हैं और व्यक्ति में आत्महत्या की इच्छा भी बलवती होती है। ऐसे में वास्तु शास्त्र के अनुसार करें मात्र 3 उपाय। Vidur Niti : भारत में कई महान नीतिज्ञ हुए। जैसे भीष्म, विदुर, मनु, चर्वाक, शुक्राचार्य, बृहस्पति, परशुराम, गर्ग, चाणक्य, भर्तृहरि, हर्षवर्धन, बाणभट्ट आदि अनेकों ...