मंडला आर्ट

  1. मंडला आर्ट की सामग्री जो हर Beginner के पास होनी ही चाहिये
  2. भारतीय कला में क्या है मंडला आर्ट की जगह, जानें बौद्ध धर्म से इसका संबंध:What is the place of Mandala art in Indian art, know its relation to Buddhism
  3. Event Detail
  4. क्या है मंडाला आर्ट ? – CBSE Notes
  5. जाणून घ्या मंडला आर्ट मुळे होणारे फायदे….
  6. 21 साल की अथिरा ने बनाई 100 मंडला आर्ट पर आधारित पेंटिंग, एशिया बुक और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ इसका नाम
  7. 21 साल की अथिरा ने बनाई 100 मंडला आर्ट पर आधारित पेंटिंग, एशिया बुक और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ इसका नाम
  8. क्या है मंडाला आर्ट ? – CBSE Notes
  9. भारतीय कला में क्या है मंडला आर्ट की जगह, जानें बौद्ध धर्म से इसका संबंध:What is the place of Mandala art in Indian art, know its relation to Buddhism
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मंडला आर्ट की सामग्री जो हर Beginner के पास होनी ही चाहिये

कुछ समय से मंडला आर्ट की लोकप्रियता बढ़ रही है। इससे बहुत से लोग ये जाने में रुची रखने लगे है कि मंडला आर्ट की सामग्री में क्या – क्या वस्तुएं शामिल हैं। कला के रूप में मंडला नियमों से बंधी नहीं है। अपने कौशल और रुचि के स्तर के आधार पर, आप मंडला में इस्तेमाल होने वाली चीजों को चुन सकते हैं। इस ब्लॉग में, मैं मंडला आर्ट की सामग्री का व्याख्यान करुँगी। इसमें ये सभी वस्तुएं शामिल हैं जो आपको मंडला कला बनाने में काम आएगी। मंडला आर्ट की सामग्री में क्या- क्या शामिल है ? अगर आप मंडला कला क्या है इसमें रूचि रखते हैं और आप स्वयं इसे बनाना चाहते हैं, तो आपको कुछ बुनियादी वस्तुओं की आवश्यकता होगी। अलग-अलग सामग्री और माध्यमों से मडला बनाया जा सकता है। हालांकि, यदि आप मंडल बनाना शुरू ही कर रहे हैं , तो आप सरल मंडल से शुरुआत कर सकते हैं। इससे पहले कि मैं और विस्तार में आपको मंडला आर्ट की सामग्री के बारे में बताऊँ, नीचे मैंने इसका संक्षेप उल्लेख किया है। आधार / माध्यम कागज, लकड़ी के ब्लॉक, कपड़ा, पत्थर आदि मार्किंग बनाने के लिए पेंसिल, इरेज़र, पेन उपकरण कम्पास, प्रोट्रैक्टर रंग अपनी पसंद के कोई भी रंग मंडला आर्ट बनाने के लिए आवश्यक सामग्री मंडला आर्ट की सामग्री, बनाने वाले की प्राथमिकताओं पर निर्भर करती है। आप अपने इच्छा से मंडला के लिए माध्यम, कलम और रंगों के बीच चयन कर सकते हैं। बुनियादी मंडला कला बनाने के लिए आपको बहुत अधिक वस्तुओं की आवश्यकता नहीं है। आप मंडला आर्ट की सामग्री चीजों को नजदीकी स्टेशनरी की दुकान पर आसानी से पा सकते हैं या आप इन्हें ऑनलाइन भी आसानी से खरीद सकते हैं। 1. मंडला आर्ट के लिए कागज़ या किसी और तरह का आधार मंडलों को विभिन्न प्रकार की सतहों पर बनाया जा सकता है। इ...

भारतीय कला में क्या है मंडला आर्ट की जगह, जानें बौद्ध धर्म से इसका संबंध:What is the place of Mandala art in Indian art, know its relation to Buddhism

highlights • बौद्ध भिक्षुओं द्वारा धार्मिक उद्देश्यों के लिए मंडल बनाए जाते थे • मंडल के भीतर विभिन्न तत्व शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अर्थ है • मंडल पैटर्न अनिवार्य रूप से परस्पर जुड़ा हुआ है नई दिल्ली: बौद्ध धर्म ने भारतीय समाज, संस्कृति, दर्शन और कला को गहरे प्रभावित किया है. भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वालों के जीवन को लंबे समय तक बौद्ध धर्म का प्रभाव रहा है. यह बात अलग है कि आज भारत में बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या कम है, लेकिन कई क्षेत्रों पर आज भी उसका असर कायम है. मंडला आर्ट कला एक रूप है, जिसपर बौद्ध धर्म का प्रभाव साफ देखा जा सकता है. मंडला कला का भारत से लेकर विदेशों तक के कई विद्वानों ने अलग-अलग तरह से व्याख्या किया है. कला में मंडला क्या है मंडला आर्ट कला का एक रूप है जहां रचनाकार आमतौर पर एक गोलाकार रूप में जटिल डिजाइन तैयार करता है.मंडला आर्ट में एक केंद्र बिंदु होता है, जिसमें से प्रतीकों, आकृतियों और रूपों की एक सरणी निकलती है. इस डिजाइन में आमतौर पर कई परतें होती हैं और इसे रंगों से रंगा जाता है. मंडला आर्ट आकार और प्रकृति के संदर्भ में विकसित हुए है. मंडला आर्ट बनाते समय बारीक पैटर्न को समरूपता में बनाया जाता है. मंडला आर्ट में सबसे महत्वपूर्ण है कि हर पैटर्न अंत में एक विशाल चक्र या किसी दुसरे आकर का हिस्सा बनता है. बौद्ध भिक्षु और मंडला आर्ट का संबंध पुराने समय में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा धार्मिक उद्देश्यों के लिए मंडल बनाए जाते थे.लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, बहुत से लोगों ने विभिन्न प्रकार के मंडला बनाना शुरू कर दिए. संस्कृत में शाब्दिक अर्थ "सर्कल" या "केंद्र", मंडला को एक ज्यामितीय विन्यास द्वारा परिभाषित किया जाता है जो आमतौर पर कि...

Event Detail

आजादी का अमृत महोत्सव की श्रृंखला में स्पेशल होम के बच्चों के लिए वेबीनार के माध्यम से मंडला आर्ट का प्रशिक्षण दिया गया। जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड की प्रिंसीपल मैजिस्ट्रेट मानविका यादव के विशेष सहयोग से जिला बाल संरक्षण कार्यालय के तत्वावधान में सफल आयोजन हुआ, जिसमें मंडला आर्ट विशेषज्ञ अथर्व, केएन राव और प्रतिभा ने बच्चों को प्रशिक्षण प्रदान किया। वेबीनार में स्पेशल होम के बच्चों के साथ जिला बाल संरक्षण अधिकारी डा. रितु गिल, संरक्षण अधिकारी संस्थानिक ममता शर्मा, स्पेशल होम के अधीक्षक अमरजीत, एसओएस यूथ होम के प्रभारी अमित, एजुकेटर नितिन व रोहित ने हिस्सा लिया। मंडला आर्ट विशेषज्ञ अथर्व ने बच्चों को प्रायोगिक रूप में मंडला आर्ट का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने मंडला आर्ट का आधारभूत प्रशिक्षण देते हुए बारीकियों से अवगत करवाया। बच्चों ने भी पूर्ण रूचि के साथ प्रशिक्षण लेते हुए अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। कला विशेषज्ञों ने कहा कि मंडला आर्ट के प्रशिक्षण से बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा। बच्चे मानसिक रूप से स्वस्थ व मजबूत बनेंगे।

क्या है मंडाला आर्ट ? – CBSE Notes

क्या है मंडाला आर्ट ? ये कला बहुत ही पुरानी है और सदियों से लोग मंडाला बनाते आए हैं। मंडला शब्द संस्कृत से लिया गया है और इसका अर्थ है “चक्र” और यह एक डिजाइन या पैटर्न है । मंडाला आर्ट की उत्पत्ति आज से 3000 वर्ष पूर्व हिंदू और बाद में बौद्ध धर्म में हुयी ऐसा माना जाता है | मंडल का डिज़ाइन एक तरह से ब्रह्माण्ड‍ को दर्शाता है | ब्रह्माण्ड‍ में मौजूद संतुलन को चिन्हित करता है । जिस तरह ब्रह्माण्ड‍ अपने में सभी वस्तुओं को समा लेता है, उसी तरह मंडल में चिन्हित सभी आकर उसके केंद्र में समा जाते हैं । इस तरह मंडाला हमारे आंतरिक दुनिया और बाहरी वास्तविकता के बीच संबंध का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्राचीन समय में, प्रशिक्षित भिक्षुओं द्वारा धार्मिक उद्देश्यों के लिए मंडल बनाए जाते थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, बहुत से लोगों को इस कला के रूप में दिलचस्पी आ गई | उन्होंने भी विभिन्न प्रकार के मंडाला बनाना शुरू कर दिए। यदि आप इस कला में नए हैं तो आप इन् टिप्स की मदद ले सकते हैं मंडल कला को निखारने के लिए। मंडला आर्ट कला का एक रूप है जहां रचनाकार आमतौर पर एक गोलाकार रूप में जटिल डिजाइन तैयार करता है । इस डिजाइन में आमतौर पर कई परतें होती हैं | और इसे रंगों से रंगा जाता है । वर्षों से मंडाला आर्ट आकार और प्रकृति के संदर्भ में विकसित हुए है । इसके फलस्वरूप आप आजकल विभिन्न प्रकार के मंडल देख सकते हैं। इसके बावजूद सभी मंडलों में कुछ ऐसी समानताएं होती हैं | जिससे देखकर आप कह सकते हैं कि वह एक मंडला आर्ट है। मंडाला आर्ट की पहचान मंडाला आर्ट बनाते समय बारीक पैटर्न को समरूपता में बनाया जाता है। जिनमें आम तौर पर एक केंद्र बिंदु होता है | यही एक मंडाला आर्ट की सबसे बड़ी पहचान है। एक मंडला को आम...

जाणून घ्या मंडला आर्ट मुळे होणारे फायदे….

आता शीर्षक वाचून अंदाज आलाच असेल कि आर्ट ( art) म्हणजे कला. तर बघुयात या कलेचा उगम आणि फायदा.. मंडल हा संस्कृत भाषेतून घेतलेला शब्द आहे. मंडल चा मराठी अर्थ आहे वर्तुळ. म्हणजेच गोलाकार नक्षीकाम असे आपण सोप्या भाषेत म्हणू शकतो. ही कला सामान्य नाही – जशी चित्रकला किंवा हस्तकला असते. याचे वैज्ञानिक स्पष्टीकरण आहे; जे आपण पुढे याच लेखात पाहणार आहोत. त्या आधी जाणून घेऊया मंडला आर्ट बद्दल थोडीशी माहिती.. मंडला आर्ट मध्ये सुबक पण सममिती प्रकारचे नक्षीकाम केलेले असते. याचे खास वैशिष्ट्य म्हणजे एका बिंदूपासून सुरुवात करून शेवटी गोलाकारच आकार पूर्ण होतो. बिंदू म्हणजे टिंब. याचाच अर्थ तुम्ही कोणत्याही बिंदूपासून सुरुवात केली असता ही कला तेव्हाच पूर्ण होणार जेव्हा याचा शेवट संपूर्ण वर्तुळकार अथवा गोलाकार अशी परिपूर्ण कला रेखाटून होईल. म्हणजे ही कला स्वतः मध्ये एक परिपूर्ण अशी कला आहे असे म्हणायला हरकत नाही. सर्वप्रथम मंडला आर्ट – एक कला या दृष्टीने बघितले गेले; ते बौद्ध धर्मीय कले मध्ये जी पहिल्या इसवी सन पूर्व शताब्दी मध्ये भारतात निर्माण केली गेली. भारतीय घराघरांत या कलेचे दर्शन होते, कसे..? अहो आपण दरवाजासमोर सणांना सुंदर रांगोळी रेखाटतो त्यातून. आता आपण पाहणार आहोत; मंडला आर्ट चा संबंध कुठे, कसा आणि त्याचा काय अर्थ आहे.. हिंदू धर्मात श्रीयंत्र सारखे यंत्र वापरले जाते तिथे आपल्याला मंडला आर्ट पाहायला मिळेल. नवग्रह मंडल देखिल याच प्रकारात मोडते. ब्रह्मांड देखील गोलाकार असते. प्रत्येक जीवित व्यक्तीचा प्रत्येक सूक्ष्म गोष्ट आणि त्या व्यक्तीशी संबंधित सर्व पार्श्वभागांशी संबंध असतो, हे मंडल सुचवते. बौद्ध धर्मानुसार बुद्धी आणि नश्वर जग या कलेतून मांडण्याचा प्रयत्न केला आहे. आधुनिक विज्ञा...

21 साल की अथिरा ने बनाई 100 मंडला आर्ट पर आधारित पेंटिंग, एशिया बुक और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ इसका नाम

ऐसे कई आर्टिस्ट हैं जो एक्रिलिक, म्यूरल और मधुबनी पेंटिंग बनाना पसंद करते हैं। लेकिन 21 साल की अलपुज्जा के मन्नार क्षेत्र में रहने वाली आर्टिस्ट मंडला आर्ट से नाम कमा रही हैं। इस लड़की का नाम अथिरा सासी है। वह मंडला आर्ट पर आधारित 100 पेंटिंग बना चुकी हैं। अथिरा की इस उपलब्धि की वजह से उनका नाम एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और कलाम वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। अथिरा ने खुद मंडला पेंटिंग करना सीखा। कला का यह रूप सबसे ज्यादा साउथ और साउथ इस्ट एशिया में प्रचलित है। इसमें तिब्बत, भूटान, म्यांमार जैसे वे स्थान शामिल हैं जहां गौतम बुद्ध की संस्कृति की जड़ें गहराई तक फैली हुई हैं। अथिरा कहती हैं मेरा बचपन गुजरात में बीता जहां मेरे पापा काम करते थे। मंडला आर्ट का इस्तेमाल मध्यप्रदेश, गुजरात और अन्य भारतीय राज्यों में टेक्सटाइल प्रिंटिंग में किया जाता है। वहां मैंने यह आर्ट देखा। फिर मन्नार आकर मंडला पेंटिंग बनाने की शुरुआत की। लॉकडाउन के दौरान अथिरा का समय अपनी 100 पेंटिंग्स को कंप्लीट करने में बीता। इस आर्टिस्ट ने कोट्‌टायम के गिरीडिपम इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस लर्निंग से कॉमर्स में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है।

21 साल की अथिरा ने बनाई 100 मंडला आर्ट पर आधारित पेंटिंग, एशिया बुक और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ इसका नाम

ऐसे कई आर्टिस्ट हैं जो एक्रिलिक, म्यूरल और मधुबनी पेंटिंग बनाना पसंद करते हैं। लेकिन 21 साल की अलपुज्जा के मन्नार क्षेत्र में रहने वाली आर्टिस्ट मंडला आर्ट से नाम कमा रही हैं। इस लड़की का नाम अथिरा सासी है। वह मंडला आर्ट पर आधारित 100 पेंटिंग बना चुकी हैं। अथिरा की इस उपलब्धि की वजह से उनका नाम एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और कलाम वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। अथिरा ने खुद मंडला पेंटिंग करना सीखा। कला का यह रूप सबसे ज्यादा साउथ और साउथ इस्ट एशिया में प्रचलित है। इसमें तिब्बत, भूटान, म्यांमार जैसे वे स्थान शामिल हैं जहां गौतम बुद्ध की संस्कृति की जड़ें गहराई तक फैली हुई हैं। अथिरा कहती हैं मेरा बचपन गुजरात में बीता जहां मेरे पापा काम करते थे। मंडला आर्ट का इस्तेमाल मध्यप्रदेश, गुजरात और अन्य भारतीय राज्यों में टेक्सटाइल प्रिंटिंग में किया जाता है। वहां मैंने यह आर्ट देखा। फिर मन्नार आकर मंडला पेंटिंग बनाने की शुरुआत की। लॉकडाउन के दौरान अथिरा का समय अपनी 100 पेंटिंग्स को कंप्लीट करने में बीता। इस आर्टिस्ट ने कोट्‌टायम के गिरीडिपम इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस लर्निंग से कॉमर्स में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है।

क्या है मंडाला आर्ट ? – CBSE Notes

क्या है मंडाला आर्ट ? ये कला बहुत ही पुरानी है और सदियों से लोग मंडाला बनाते आए हैं। मंडला शब्द संस्कृत से लिया गया है और इसका अर्थ है “चक्र” और यह एक डिजाइन या पैटर्न है । मंडाला आर्ट की उत्पत्ति आज से 3000 वर्ष पूर्व हिंदू और बाद में बौद्ध धर्म में हुयी ऐसा माना जाता है | मंडल का डिज़ाइन एक तरह से ब्रह्माण्ड‍ को दर्शाता है | ब्रह्माण्ड‍ में मौजूद संतुलन को चिन्हित करता है । जिस तरह ब्रह्माण्ड‍ अपने में सभी वस्तुओं को समा लेता है, उसी तरह मंडल में चिन्हित सभी आकर उसके केंद्र में समा जाते हैं । इस तरह मंडाला हमारे आंतरिक दुनिया और बाहरी वास्तविकता के बीच संबंध का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्राचीन समय में, प्रशिक्षित भिक्षुओं द्वारा धार्मिक उद्देश्यों के लिए मंडल बनाए जाते थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, बहुत से लोगों को इस कला के रूप में दिलचस्पी आ गई | उन्होंने भी विभिन्न प्रकार के मंडाला बनाना शुरू कर दिए। यदि आप इस कला में नए हैं तो आप इन् टिप्स की मदद ले सकते हैं मंडल कला को निखारने के लिए। मंडला आर्ट कला का एक रूप है जहां रचनाकार आमतौर पर एक गोलाकार रूप में जटिल डिजाइन तैयार करता है । इस डिजाइन में आमतौर पर कई परतें होती हैं | और इसे रंगों से रंगा जाता है । वर्षों से मंडाला आर्ट आकार और प्रकृति के संदर्भ में विकसित हुए है । इसके फलस्वरूप आप आजकल विभिन्न प्रकार के मंडल देख सकते हैं। इसके बावजूद सभी मंडलों में कुछ ऐसी समानताएं होती हैं | जिससे देखकर आप कह सकते हैं कि वह एक मंडला आर्ट है। मंडाला आर्ट की पहचान मंडाला आर्ट बनाते समय बारीक पैटर्न को समरूपता में बनाया जाता है। जिनमें आम तौर पर एक केंद्र बिंदु होता है | यही एक मंडाला आर्ट की सबसे बड़ी पहचान है। एक मंडला को आम...

भारतीय कला में क्या है मंडला आर्ट की जगह, जानें बौद्ध धर्म से इसका संबंध:What is the place of Mandala art in Indian art, know its relation to Buddhism

highlights • बौद्ध भिक्षुओं द्वारा धार्मिक उद्देश्यों के लिए मंडल बनाए जाते थे • मंडल के भीतर विभिन्न तत्व शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अर्थ है • मंडल पैटर्न अनिवार्य रूप से परस्पर जुड़ा हुआ है नई दिल्ली: बौद्ध धर्म ने भारतीय समाज, संस्कृति, दर्शन और कला को गहरे प्रभावित किया है. भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वालों के जीवन को लंबे समय तक बौद्ध धर्म का प्रभाव रहा है. यह बात अलग है कि आज भारत में बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या कम है, लेकिन कई क्षेत्रों पर आज भी उसका असर कायम है. मंडला आर्ट कला एक रूप है, जिसपर बौद्ध धर्म का प्रभाव साफ देखा जा सकता है. मंडला कला का भारत से लेकर विदेशों तक के कई विद्वानों ने अलग-अलग तरह से व्याख्या किया है. कला में मंडला क्या है मंडला आर्ट कला का एक रूप है जहां रचनाकार आमतौर पर एक गोलाकार रूप में जटिल डिजाइन तैयार करता है.मंडला आर्ट में एक केंद्र बिंदु होता है, जिसमें से प्रतीकों, आकृतियों और रूपों की एक सरणी निकलती है. इस डिजाइन में आमतौर पर कई परतें होती हैं और इसे रंगों से रंगा जाता है. मंडला आर्ट आकार और प्रकृति के संदर्भ में विकसित हुए है. मंडला आर्ट बनाते समय बारीक पैटर्न को समरूपता में बनाया जाता है. मंडला आर्ट में सबसे महत्वपूर्ण है कि हर पैटर्न अंत में एक विशाल चक्र या किसी दुसरे आकर का हिस्सा बनता है. बौद्ध भिक्षु और मंडला आर्ट का संबंध पुराने समय में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा धार्मिक उद्देश्यों के लिए मंडल बनाए जाते थे.लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, बहुत से लोगों ने विभिन्न प्रकार के मंडला बनाना शुरू कर दिए. संस्कृत में शाब्दिक अर्थ "सर्कल" या "केंद्र", मंडला को एक ज्यामितीय विन्यास द्वारा परिभाषित किया जाता है जो आमतौर पर कि...

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आजादी का अमृत महोत्सव की श्रृंखला में स्पेशल होम के बच्चों के लिए वेबीनार के माध्यम से मंडला आर्ट का प्रशिक्षण दिया गया। जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड की प्रिंसीपल मैजिस्ट्रेट मानविका यादव के विशेष सहयोग से जिला बाल संरक्षण कार्यालय के तत्वावधान में सफल आयोजन हुआ, जिसमें मंडला आर्ट विशेषज्ञ अथर्व, केएन राव और प्रतिभा ने बच्चों को प्रशिक्षण प्रदान किया। वेबीनार में स्पेशल होम के बच्चों के साथ जिला बाल संरक्षण अधिकारी डा. रितु गिल, संरक्षण अधिकारी संस्थानिक ममता शर्मा, स्पेशल होम के अधीक्षक अमरजीत, एसओएस यूथ होम के प्रभारी अमित, एजुकेटर नितिन व रोहित ने हिस्सा लिया। मंडला आर्ट विशेषज्ञ अथर्व ने बच्चों को प्रायोगिक रूप में मंडला आर्ट का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने मंडला आर्ट का आधारभूत प्रशिक्षण देते हुए बारीकियों से अवगत करवाया। बच्चों ने भी पूर्ण रूचि के साथ प्रशिक्षण लेते हुए अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। कला विशेषज्ञों ने कहा कि मंडला आर्ट के प्रशिक्षण से बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा। बच्चे मानसिक रूप से स्वस्थ व मजबूत बनेंगे।