माघ पूर्णिमा 2023

  1. Magh Purnima 2023 Kab Hai: जानिए कब है माघ पूर्णिमा, गंगा
  2. magh purnima 2023 know date tithi shubh muhurat puja vidhi and significance
  3. गुरू पूर्णिमा 2023: क्यों मनाई जाती है गुरू पूर्णिमा जानिए तिथि, तारीख और इतिहास
  4. magha purnima 2023 date and time shubh muhurat puja vidhi significance and more things in hindi bml


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Magh Purnima 2023 Kab Hai: जानिए कब है माघ पूर्णिमा, गंगा

हिंदू परंपरा के अनुसार, पूर्णिमा धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है. चंद्रमा मन, शांति, शीतलता, आध्यात्मिकता आदि का प्रतीक है. माघ पूर्णिमा का हिंदू धर्म में अत्याधिक महत्व बताया गया है. इस दिन नदी, त्रिवेणी संगम, तीर्थ आदि में पवित्र स्नान करने से पहले देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा और दान करना चाहिए. माघ पूर्णिमा 2023: तिथि, दिन और समय हिंदू कैलेंडर 2023 के अनुसार, माघ पूर्णिमा इस साल 5 फरवरी को है. तिथि 4 फरवरी, 2023 को रात 09:29 बजे शुरू होगी और 5 फरवरी, 2023 को रात 11:58 बजे समाप्त होगी. माघ पूर्णिमा का महत्व माघ मास हिंदू कैलेंडर के महत्वपूर्ण महीनों में से एक है. लोग माघी पूर्णिमा का व्रत रखते हैं, पवित्र जलमार्गों में स्नान करते हैं, मानवीय संगठनों को दान देते हैं, और विष्णु और हनुमान जैसे देवताओं से प्रार्थना करते हैं. इस दिन गंगा, यमुना, कावेरी और अन्य नदियों में पवित्र स्नान किया जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु इस दिन गंगा नदी में निवास करते हैं. कई अनुयायियों का मानना ​​है कि इस दिन प्रार्थना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस मौके पर माघ मेला भी लगता है जो एक बड़ा धार्मिक त्योहार है. यह मेला गंगा, यमुना, और उत्तर भारत (इलाहाबाद और प्रयाग जैसे शहरों) में प्रसिद्ध सरस्वती नदी के संगम के पास सालाना आयोजित किया जाता है. ऐसे करें व्रत-पूजा माघ पूर्णिमा पर पहला और सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान सूर्योदय के समय पवित्र नदी में पवित्र स्नान करना है. पवित्र नदी में डुबकी लगाने के बाद अपने इष्ट देवता के साथ-साथ भगवान विष्णु और भगवान हनुमान की पूजा की जाती है. भगवान विष्णु के उपासक "सत्यनारायण" व्रत रखते हैं. व्रत कर...

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Magh Purnima 2023: शास्त्रों में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। आपको बता दें कि लोग माघी पूर्णिमा पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम स्थल प्रयाग में पवित्र स्नान करते हैं। साथ ही इस दिन दान का भी विशेष महत्व है। इस पूर्णिमा को माघिन पूर्णिमा और माघी पूर्णिमा (Maghi Purnima) भी कहते हैं। इस साल माघ पूर्णिमा 5 फरवरी को पड़ रही है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवतागण पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने आते हैं और जो लोग दान- स्नान करते हैं उनको आशीर्वाद देते हैं। आइए जानते हैं तिथि और शुभ मुहूर्त… माघ पूर्णिमा तिथि (Magh Purnima 2023 Tithi) पंचांग के मुताबिक माघ पूर्णिमा का आरंभ 04 फरवरी 2023 शनिवार को रात 09 बजकर 28 मिनट पर हो रहा है और इसका अंत अगले दिन 05 फरवरी, रविवार को रात 11 बजकर 57 मिनट पर होगा। इसलिए उदयातिथि को आधार मानते हुए माघ पूर्णिमा 5 फरवरी को मनाई जाएगी। माघ पूर्णिमा पूजन विधि (Magh Purnima 2023 Pujan Vidhi) माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियोंं में स्नान करने का विधान है। वहीं अगर नदियोंं में स्नान नहीं कर पाएं तो गंगाजल डालकर घर पर ही स्नान करें। वहीं इसके बाद सूर्य देव तांबे के पात्र में अर्घ्य दें। साथ ही पात्र में पिसी हुई हल्दी डाल कर अर्घ्य दें। साथ ही आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करें। इसलिए सबसे पहले भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति और तस्वीर को एक चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद पूजा प्रारंभ करें और भोग में चरणामृत, पान, तिल, मौली, रोली, फल, फूल, कुमकुम, पंचगव्य, सुपारी, दुर्वा आदि चीजें अर्पित करें। अंत में आरती करें और भोग को सभी सदस्यों को वितरित करें।

गुरू पूर्णिमा 2023: क्यों मनाई जाती है गुरू पूर्णिमा जानिए तिथि, तारीख और इतिहास

गुरू पूर्णिमा 2023: क्यों मनाई जाती है गुरू पूर्णिमा जानिए तिथि, तारीख और इतिहास आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा दिवस के रूप में जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा का त्योहार भारत सहित नेपाल और भूटान जैसे कई उपमहाद्वपीय देषों में भी मनाया जाता है। यह त्योहार गौतम बुद्ध द्वारा उत्तर प्रदेश के सारनाथ में अपने पहले पांच शिष्यों को दिए गये पहले उपदेश की याद में मनाया जाता है। हिंदू और जैन धर्मावलंबियों द्वारा इस त्योहार को गुरू को सम्मान देने और उनके समर्पण के लिए आभार के रूप में मनाया जाता है। गुरू पूर्णिमा 2023 के पावन पर्व पर हम गुरू पूर्णिमा का अर्थ और इसे मनाए जाने के पीछे की कहानी को जानेगें। इस वर्ष साल 2023 में गुरू पूर्णिमा का त्योहार 3 जुलाई 2023 को मनाया जायेगा। ​ गुरू पूर्णिमा कब है साल 2023 में गुरू पूर्णिमा का त्योहार 3 जुलाई 2023 को संपूर्ण भारत सहित पड़ोसी देषों में मनाया जायेगा। परंपरागत रूप से यह दिन गुरु पूजा या गुरु प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता रहा है। इस दिन शिष्य अपने गुरूओं की पूजा करते हैं या अपने गुरुओं को सम्मान देते हैं। आइए गुरू पूर्णिमा की तिथि के बारे में जानें। गुरू पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 8ः21 पीएम, 2 जुलाई 2023 गुरू पूर्णिमा तिथि समाप्त – 5ः08 पीएम 3 जुलाई 2023 गुरु पूर्णिमा का अर्थ गुरु पूर्णिमा एक पारंपरिक हिंदू उत्सव है, जो प्रबुद्ध आध्यात्मिक गुरुओं को समर्पित है,। यह शुभ दिन आषाढ़ (जुलाई से अगस्त) के हिंदू महीने में ग्रीष्म संक्रांति के बाद पहली पूर्णिमा पर पड़ता है। यह भारत, नेपाल और भूटान में हिंदुओं, जैनियों और बौद्धों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन साधक अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता और भक्ति अर्पित करते हैं और उनका आशीर्वाद प्...

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Magha Purnima 2023: माघ पूर्णिमा एक प्रमुख हिंदू त्योहार है. धार्मिक शास्त्रों में माघ मास में किए जाने वाले पवित्र स्नान और तपस्या का वर्णन मिलता है. माघ के महीने में हर दिन पुण्य कार्यों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है. माघ पूर्णिमा, जिसे माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, माघ का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन है. माघी पूर्णिमा के दिन लोग गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम, प्रयाग में पवित्र स्नान, दान, गाय और गृह दान जैसे अनुष्ठान करते हैं. माघ के पूरे महीने लोग सुबह गंगा या यमुना में स्नान करते हैं. • माघ मास की पूर्णिमा 4 फरवरी 2023 को रात 09 बजकर 29 मिनट से शुरू हो गई है. • माघ मास की पूर्णिमा का समापन 5 फरवरी 2023 को रात 11 बजकर 58 मिनट पर होगा. • माघ पूर्णिमा 5 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी. • आयुष्मान योग: सुबह 7:00 बजे से दोपहर 02:41 बजे तक • सौभाग्य योग 6 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट से अपराह्न 3:25 बजे तक • माघी पूर्णिमा पर भोर से पहले एक पवित्र नदी में स्नान करने की प्रथा है. • स्नान के बाद सूर्य मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें. • स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण का सम्मान करने के लिए उपवास करना चाहिए. • गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन और दान देना चाहिए. • तिल और काले तिल का दान विशेष रूप से करना चाहिए. • माघ मास में काले तिल से हवन करना चाहिए तथा पितरों को काले तिल का भोग लगाना चाहिए. • गायत्री मंत्र, जिसे 'ओम नमो नारायण' मंत्र के रूप में भी जाना जाता है, को लगातार 108 बार दोहराया जाना चाहिए. माघी पूर्णिमा का दिन ज्योतिष और धर्म दोनों ही दृष्टि से महत्वपूर्ण है. इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में प्रवेश करता है. नतीजतन, यह माना जाता है क...