माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत pdf

  1. उत्पत्ति ह्रास नियम
  2. आर्थिक विकास के माल्थस सिद्धांत
  3. माल्थुसियन जनसंख्या का सिद्धांत: आलोचना और प्रयोज्यता
  4. माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत और नवमाल्थसवाद
  5. Malthusius theory of population माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत
  6. जनसंख्या से संबंधित 4 सबसे प्रमुख सिद्धांत: माल्थस, मार्क्स, संक्रमण और अनुकूलतम
  7. जनसंख्या वृद्धि के सिद्धांत: शीर्ष 4 सिद्धांत


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उत्पत्ति ह्रास नियम

• • • • • • • • • उत्पत्ति ह्रास नियम से आप क्या समझते हैं? उत्पत्ति ह्रास नियम यह जानकारी देता है कि यदि किसी एक उत्पत्ति के साधन की मात्रा को स्थिर रख दिया जाए एवं अन्य साधनों की मात्रा में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी की जाए तो एक निश्चित बिंदु के बाद उत्पादन में घटती दर से वृद्धि होती है। यह उपर्युक्त परिभाषा जॉन रॉबिंसन के शब्दों में दिया गया है। उत्पत्ति ह्रास नियम अल्पकालीन उत्पादन फलन का तृतीय नियम है लेकिन आज के अर्थशास्त्री अल्पकालीन फलन के इन तीनों नियमों को उत्पत्ति का एक ही नियम मानते हैं। जिससे ‘परिवर्तनशील अनुपात’ के नाम से भी जाना जाता हैं। नियम की परिभाषा तथा व्याख्या जिस प्रकार उपभोग में उपयोगिता का क्रमागत ह्रास नियम एक आधारभूत नियम है उसी प्रकार उत्पत्ति के क्षेत्र में उत्पत्ति का क्रमागत ह्रास नियम भी एक आधारभूत नियम हैं। जो प्रत्येक प्रकार की उत्पत्ति पर लागू होता है। अर्थशास्त्र में इस नियम का सबसे अधिक महत्व कृषि, उद्योग, खान खोदने अथवा अन्य किसी प्रकार की उत्पत्ति क्यों ना हो, उत्पत्ति की मात्रा को बढ़ाने का प्रश्न आता हैं। उस समय व्यवस्थापक उत्पत्ति के विभिन्न साधनों की अतिरिक्त इकाइयों प्रयोग में लाता हैं। इस प्रकार विभिन्न साधनों की मात्रा में वृद्धि करने से कुल उत्पत्ति की मात्रा में भी वृद्धि होती हैं। वह सदैव समान अनुपात में नहीं होती हैं। साधारणतया उत्पत्ति की मात्रा घटती हुई दर से वृद्धि होती है। मार्शल के शब्दों के अनुसार– यदि कृषि के तरीकों के साथ उन्नति नहीं हो तो भूमि पर उपयोग की गई पूंजी और श्रम की मात्रा में वृद्धि होने से सामान्यतया कुल उपज में अनुपात से कम वृद्धि होती है। • • माल्थस के अनुसार – माल्थस ने अपने जनसंख्या के सिद्धांत का प्रतिपादन...

आर्थिक विकास के माल्थस सिद्धांत

आर्थिक विकास के माल्थस सिद्धांत | Malthus’s Theory of Economic Development in Hindi. थामस रोबर्ट माल्थस ने Principles of Political Economy (1820) के दूसरे भाग The Progress of Wealth में आर्थिक विकास से सम्बन्धित विचारों को प्रस्तुत किया । वस्तुत: माल्थस का विश्लेषण जनसंख्या के सिद्धान्त के कारण बहुचर्चित रहा । उनकी समर्थ माँग सम्बन्धी व्याख्या पर आधारित रहकर कीन्ज एवं केलेकी ने अपनी व्याख्या प्रस्तुत की । माल्थस के अनुसार- विकास की प्रक्रिया स्वचालित नहीं होती बल्कि इसके लिए व्यक्तियों के निरन्तर प्रयास आवश्यक हैं । माल्थस के अनुसार- विकास की समस्या केवल जनसंख्या वृद्धि से ही सम्बन्धित नहीं है बल्कि इसके लिए यह आवश्यक है कि पूँजी की मात्रा में वृद्धि हो । जनशक्ति के द्वारा आर्थिक विकास केवल तब गतिशील हो सकता है, जबकि साथ ही साथ प्रभावपूर्ण माँग में भी वृद्धि हो । माल्थस ने विकास हेतु धन एवं मूल्य में होने वाली वृद्धि को महत्वपूर्ण माना । विकास मात्र उत्पादन के साधनों एवं उनकी क्षमता पर ही निर्भर नहीं करता बल्कि इनके अनुकूल वितरण से भी प्रभावित होता है । ADVERTISEMENTS: 1. पूँजी संचय ( Capital Accumulation): माल्थस ने आर्थिक विकास हेतु पूंजी की भूमिका को महत्वपूर्ण माना । यदि पूँजी में एक नियमित वृद्धि नहीं होती तो सम्पत्ति में एक स्थायी व नियमित वृद्धि हो पाना सम्भव नहीं होगा । माल्थस के अनुसार- जब तक अभिव्यक्ति वस्तुओं की पूर्ति होती रहती है तब तक पूँजी संचय सामान्यत: स्वत: ही होता रहता है । पूँजी संचय के कारण एक ओर वस्तुओं के उत्पादन की मात्रा बढ़ती है तो दूसरी ओर व्यक्ति रोजगार प्राप्त करते है । माल्थस के अनुसार- पूंजी संचय एक स्थायी प्रकृति नहीं रख पाता, क्योंकि यह आवश्...

माल्थुसियन जनसंख्या का सिद्धांत: आलोचना और प्रयोज्यता

माल्थुसियन जनसंख्या का सिद्धांत: आलोचना और प्रयोज्यता जनसंख्या के Malthusian सिद्धांत के बारे में जानने के लिए इस लेख को पढ़ें: आलोचना और प्रयोज्यता! थॉमस रॉबर्ट माल्थस ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक, जनसंख्या के सिद्धांत पर निबंध के बारे में अपने विचारों को स्वीकार किया क्योंकि यह 1798 में प्रकाशित सोसायटी के भविष्य में सुधार को प्रभावित करता है। माल्थस ने अपने पिता और गॉडविन द्वारा साझा प्रचलित आशावाद के खिलाफ विद्रोह किया कि एक आदर्श राज्य हो सकता है यदि मानव प्रतिबंधों को हटाया जा सकता है। माल्थस की आपत्ति थी कि खाद्य आपूर्ति पर बढ़ती आबादी का दबाव पूर्णता को नष्ट कर देगा और दुनिया में दुख होगा। अपने निराशावादी विचारों के लिए माल्थस की कड़ी आलोचना की गई जिसके कारण उन्हें अपने शोध के समर्थन में डेटा इकट्ठा करने के लिए यूरोप महाद्वीप की यात्रा करनी पड़ी। उन्होंने 1803 में प्रकाशित अपने निबंध के दूसरे संस्करण में अपने शोध को शामिल किया। माल्थसियन सिद्धांत खाद्य आपूर्ति में वृद्धि और जनसंख्या में संबंध के बारे में बताता है। इसमें कहा गया है कि खाद्य आपूर्ति की तुलना में जनसंख्या तेजी से बढ़ती है और अगर अनियंत्रित होती है तो इससे नुकसान होता है। माल्थुसियन सिद्धांत इस प्रकार है: (1) तेज दर से वृद्धि करने के लिए मानव में एक प्राकृतिक सेक्स वृत्ति है। नतीजतन, ज्यामितीय प्रगति में जनसंख्या बढ़ जाती है और यदि अनियंत्रित हर 25 साल में दोगुना हो जाता है। इस प्रकार, 1 से शुरू होकर, 25 वर्ष की अवधि में जनसंख्या 1, 2, 4, 8, 16, 32, 64, 128 और 256 (200 वर्ष बाद) होगी। (२) दूसरी ओर, खाद्य आपूर्ति धीमी गति से अंकगणितीय प्रगति में वृद्धि के नियम के संचालन के कारण बढ़ जाती है, जो इस आधार पर होत...

माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत और नवमाल्थसवाद

माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत प्रारम्भिक और महत्वपूर्ण अवधारणा है| हम इस लेख में माल्थस के जनसंख्या सिद्धांत के बारे में बता रहे है| हम यहां Malthus’s population theory के आलोचनात्मक परीक्षण के साथ ही इसके संतुलन के संदर्भ में दिए गए नव माल्थसवाद के सिद्धांत को भी समझने का प्रयास करेंगें. Malthusian theory of population growth in hindi. The New Malthus argument in hindi. माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत – Malthusian theory of population growth in hindi. माल्थस ऐसे प्रथम सामाजिक अर्थशास्त्री थे जिन्होंने जनसंख्या का आर्थिक विश्लेषण (Economical Analysis) प्रारंभ किया| इससे पहले इसका अध्ययन एक सामाजिक कारक (Social Factor) के रूप में किया जाता था| उन्होंने यूरोप में बढ़ती हुई जनसंख्या की प्रवृत्तियों (Trends) के आधार पर संसाधन एवं जनसंख्या के अंतर्संबंधों (Relation) को महत्व देते हुए अपने सिद्धांत का प्रतिपादन “जनसंख्या के सिद्धांत’ (प्रिंसिपल ऑफ पॉपुलेशन – Principal of Population) (1779) नामक पुस्तक में किया| माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत (Malthusian theory of population) में मूलतः यह स्वीकार किया गया है कि संसाधनो की उपलब्धता (availability) जनसंख्या वृद्धि को प्रेरित करती है और यूरोप में औद्योगिक एवं नगरीय क्रांति के प्रारंभिक दशकों में जनसंख्या में तीव्र वृद्धि संसाधनों की उपलब्धता का ही परिणाम था| माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत में संसाधनों के अंतर्गत मुख्यतः खाद्यान्न को शामिल किया गया और यूरोपीय जनसंख्या प्रवृत्ति के आधार पर यह माना गया कि यदि किसी भी प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित नहीं किया जाता है तब जनसंख्या में वृद्धि ज्यामितीय या गुणोत्तर अनुपात में होता है जबकि संसाधनो...

Malthusius theory of population माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत

Malthusius theory of population (माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत) माल्थस ने यह सिद्धांत 1798 में दिया जिसमें उन्होंने कहा कि किस तरह से जनसंख्या और खाद्य सामग्री के बीच अंतर विद्यमान है जिसमें की जनसंख्या में वृद्धि खाद्य सामग्री की तुलना में बहुत तेजी से हो रही है। सिद्धांत की मान्यताएं – (1) प्रजनन गतिविधियों में निरंतर वृद्धि। (2) जीवन स्तर उच्च होने से मृत्यु दर में कमी। (3) कृषि क्षेत्र में आउटपुट में कमी, निवेश बढ़ाने पर भी उत्पादन में उतनी वृद्धि नहीं होती है यानी कि निम्न उत्पादन रहता है। सिद्धांत की व्याख्या माल्थस का यह सिद्धांत कहता है कि जनसंख्या में वृद्धि ज्यामितीय (1,2,4,8,16,32,……) दर से हो रही है, जबकि खाद्य सामग्री में अंकगणितीय (1,2,3,4,5,6……..) दर से हो वृद्धि रही है जिससे कि जनसंख्या व खाद्य सामग्री के बीच बहुत ही अंतर देखने को मिलता है। जनसंख्या में बहुत तेज रफ्तार से वृद्धि हो और खाद्य पदार्थों में धीमी गति से वृद्धि हो तो इससे अनेक समस्याएं उत्पन्न होती है। जनसंख्या एवं खाद्य सामग्री में असंतुलन जनसंख्या में ज्यामितीय दर तथा खाद्य सामग्री में अंकगणितीय दर से वृद्धि होने से दोनों में असंतुलन देखने को मिलता है, जिसमें की निर्धनता, महामारी, भूखमरी, अकाल, बेरोजगारी, आदि समस्याएं उत्पन्न होती है। नियंत्रण के उपाय माल्थस ने जनसंख्या और खाद्य सामग्री के बीच असंतुलन को नियंत्रित करने के लिए दो प्रकार के प्रतिबंध बताई है। (1) नैसर्गिक प्रतिबंध प्राकृतिक प्रकोप जैसे अकाल, भुखमरी, महामारी, बाढ़, आदि इससे जनसंख्या नियंत्रित हो जाती है लेकिन यह बहुत ही पीड़ादायक होता है। यदि जनसंख्या में खाद्य सामग्री की अपेक्षा निरंतर वृद्धि होती रही तो इस नियंत्रण उपाय का क्रम भी ...

जनसंख्या से संबंधित 4 सबसे प्रमुख सिद्धांत: माल्थस, मार्क्स, संक्रमण और अनुकूलतम

जनसंख्या मानव समूह की ऐसी दशा को बताती है जो मानव के एकाकी या सामूहिक स्थिति से संबंधित होती है| विभिन्न सिद्धांत में इसके विभिन्न पक्षों को समझने का प्रयास किया गया| हम इस लेख में मानव् भूगोल में मॉडल सिद्धांत नियम के अंतर्गत जनसंख्या से संबंधित 4 प्रमुख अवधारणा माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत, मार्क्स का जनसंख्या सिद्धांत, जनसंख्या संक्रमण मॉडल (Population transition model) और अनुकूलतम जनसंख्या सिद्धांत (Optimum theory of population) के बारे में बता रहे है| 4 Most important Theories Related to Population in hindi. जनसंख्या और संरचना – Population and Structure in hindi. जनसंख्या मानव समूह की ऐसी दशा को बताती है जो मानव के एकाकी या सामूहिक स्थिति से संबंधित होती है. जनसंख्या का अध्ययन विभिन्न सामाजिक आर्थिक और मनोवैज्ञानिक संदर्भ में किया जाता है इसके लिए जनसंख्या की संरचना का निर्धारण किया जाता है. किसी भी प्रदेश या राष्ट्र की जनसंख्या संरचना (Population structure) से वहां की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण को समझा जा सकता है. इसी कारण यह एक सामाजिक सूचक (Social indicators) और जनसंख्या संरचना के अंतर्गत कुल जनसंख्या, जन्म दर, मृत्यु दर, प्राकृतिक वृद्धि दर सहित साक्षरता, लिंगानुपात, जनसंख्या, कार्यिक जनसंख्या, निर्भर जनसंख्या जैसे विविध पक्षों का अध्ययन किया जाता है. इन्हें सामाजिक आर्थिक सूचक समझने पर किसी भी समाज या राज्य की सामाजिक आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक स्थिति का स्पष्ट आकलन किया जा सकता है. वास्तविक अर्थ में, जनसंख्या संरचना किसी भी समाज की वास्तविक चरित्र को निर्धारित करती है. किसी भी समाज या राष्ट्र की जनसंख्या संबंधित विशेषताएं समाज की सांस्कृतिक मनोवैज्ञानिक ...

जनसंख्या वृद्धि के सिद्धांत: शीर्ष 4 सिद्धांत

जनसंख्या वृद्धि के सिद्धांत: शीर्ष 4 सिद्धांत | Theories of Population Growth: Top 4 Theories | Hindi! Read this article in Hindi to learn about the four main theories used for studying the underlying principles of population growth. The theories are: 1. Malthus’s Theory of Population Growth 2. Marx’s Theory of Population 3. Optimum Population Theory 4. Demographic Transition Theory. 1. माल्थस का जनसंख्या वृद्धि सिद्धांत (Malthus’s Theory of Population Growth): ब्रिटिश अर्थशास्त्री एवं जनांकिकी विशेषज्ञ प्रो. थॉमस रॉबर्ट माल्थस ने 1798 ई. में अपनी पुस्तक ‘An Essay on the Principle of Population’ में जनसंख्या वृद्धि के तत्कालीन यूरोपीय संदर्भ को ध्यान में रखते हुए जनसंख्या वृद्धि सम्बंधी जैविक अवधारणा का प्रतिपादन किया । यह अवधारणा कुछ निम्न आधारभूत मान्यताओं पर आधारित थी: ADVERTISEMENTS: i. जनसंख्या में वृद्धि ज्यामितीय गति से होती है, अर्थात् 1, 2, 4, 8, 16,…………। ii. खाद्य पदार्थों के उत्पादन में वृद्धि अंकगणितीय रूप से होती है, अर्थात् 1, 2, 3, 4, 5,……..। जनसंख्या के दोगुने होने की अवधि को माल्थस ने 25 वर्ष बताया था । उनके द्वारा बताए गए वृद्धि दर से दो सौ वर्षों में जनसंख्या एवं निर्वाह के साधनों का अनुपात 256 : 9 का हो जाएगा । इस प्रकार, जनसंख्या व खाद्यान्न की वृद्धि की अलग-अलग प्रवृत्तियों के कारण खाद्य-आपूर्ति की समस्या उत्पन्न होती है । ADVERTISEMENTS: अतः यदि स्वयं के नैतिक नियंत्रणों के द्वारा जनसंख्या की वृद्धि दर पर नियंत्रण न पाया जाए तो प्राकृतिक कारणों अर्थात् दुर्भिक्ष, संक्रामक बीमारियों, युद्ध आदि के द्वारा व्यापक अकाल मृत्यु होती है । इस प्रकार जनसंख्या,...