माना अगम अगाध सिंधु है

  1. कर्मयोगी
  2. saptakam / Nirmano ke Pawan Yug Me
  3. निर्माणों के पावन युग में – Bharatiya Railway Mazdoor Sangh
  4. निर्माणों के पावन युग में – Bharatiya Railway Mazdoor Sangh
  5. saptakam / Nirmano ke Pawan Yug Me
  6. कर्मयोगी


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कर्मयोगी

जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो। बनकर दीन–हीन ऐ बंदे, हाथ पसारे मत बैठो। माना अगम अगाध सिंधु है, हार किनारे मत बैठो। छोड़ शिथिलता बढ़ जा आगे, आस लगाये मत बैठो। पाओगे मंज़िल को प्यारे, हिम्मत हारे मत बैठो। कूद पड़ो अब अंगारों में, समय गँवाये मत बैठो। राहें कितनी भी मुश्किल हों, पंगत बन तुम मत बैठो। करो विश्वास कर्म पर बंदे, भाग्य भरोसे मत बैठो। कर्मयोगी बन जा ऐ बंदे, नज़र चुराए मत बैठो। होंगी ख़ुशियाँ तेरे हिस्से, होश गँवाये मत बैठो।

Ayodhya

अयोध्या। ‘माना अगम अगाध सिंधु है, संघर्षोर्ं का पार नहीं है। किंतु डूबना मझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है... यह पंक्तियां आधी आबादी से सम्बंध रखने वाली उन महिलाओं को प्रेरित करती हैं, जिन्होंने संघर्ष के बल पर ना सिर्फ जिंदगी के जंग को स्वयं जीत लिया है, वरन औरों को भी जीवन जीने की कला सीखा दिया है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय मलाला दिवस पर ‘हिन्दुस्तान ने समाज की कुछ ऐसी महिलाओं से बात किया, जो समाज के लिए प्रेरणा हैं। सुर्मिष्ठा मित्रा कहती हैं कि जीवन में थक हार कर बैठ गए, तो जीवन जीवंत नहीं रह जाता। उन्होंने कहा कि जिंदादिली ही तो जीवन का नाम है। असल में, सुर्मिष्ठा कैंसर जैसी बीमारी से ग्रसित हैं। वर्ष 2015 में उन्हें अपनी इस बीमारी की जानकारी हुई। बावजूद इसके जीवन से हार नहीं मानीं। यश म्यूजिकल फाउंडेशन के साथ समाज के होनहारों को संगीत की तालीम तो दे ही रहीं हैं, अपने बच्चों को भी बेहतर शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं। कमोवेश यही हाल संगीता आहूजा का है। वह कहती हैं कि विवाह के बाद मानों सब खत्म होने जैसे हालात थे, लेकिन हालात से लड़कर अकेले ही पुत्र को संगीत व नृत्य की शिक्षा से अलग मुकाम दिलाया। संघर्ष करते हुए आज भी अपने पुत्र को ही नहीं बल्कि समाज के फाउंडेशन के साथ जुड़कर गरीब बच्चों को संगीत व नृत्य की शिक्षा निशुल्क दे रहीं हैं। स्वयं भी बहुचर्चित सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक मंच पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं। वृद्धा आश्रम में लगभग 50 महिलाओं की सेवा कर रहीं नीलम श्रीवास्तव कहती हैं कि बतौर काउंसलर उन्हें सेवा करते हुए अब सुकून मिलता है। कहने लगीं कि वर्ष 2010 से सेवा करने के बाद भी यहां से जाने का मन कभी नहीं हुआ। परिवार की सेवा, पालन पोषण मे...

saptakam / Nirmano ke Pawan Yug Me

• If you are citizen of an European Union member nation, you may not use this service unless you are at least 16 years old. • Dokkio Sidebar applies AI to make browsing the web faster and more productive. Whenever you open Sidebar, you'll get an AI summary of the web page and can ask any question you like about the content of the page! सप्तकम् SAPTAKAM Welcome to the world of Music Members || Meetings || Learning Indian Music || Programs निर्माणों के पावन युग में निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें ! स्वार्थ साधना की आंधी में वसुधा का कल्याण न भूलें !! माना अगम अगाध सिंधु है संघर्षों का पार नहीं है किन्तु डूबना मझधारों में साहस को स्विकार नही है जटिल समस्या सुलझाने को नूतन अनुसन्धान न भूलें !! शील विनय आदर्श श्रेष्ठता तार बिना झंकार नही है शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी यदि नैतीक आधार नहीं है कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूले !! आविष्कारों की कृतियों में यदि मानव का प्यार नही है सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है प्राणी का उपकार नही है भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भूलें !! nirmANoM ke pAvana yuga meM nirmANoM ke pAvana yuga meM hama caritra nirmANa na bhuuleM ! svArtha sAdhanA kI AMdhI meM vasudhA kA kalyANa na bhuuleM !! mAnA agama agAdha siMdhu hai saMGarShoM kA pAra nahIM hai kintu DUbanA maJadhAroM meM sAhasa ko svikAra nahI hai jaTila samasyA sulaJAne ko nUtana anusandhAna na bhuuleM !! shIla vinaya AdarSa SreShThatA tAra binA JaMkAra nahI hai shikShA kyA svara sAdha sakegI yadi naitIka AdhAra nahIM hai kIrti kaumudI kI garimA meM sa....

निर्माणों के पावन युग में – Bharatiya Railway Mazdoor Sangh

निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें। स्वार्थ समाधान की आँधी में वसुधा का कल्याण न भूलें।। माना अगम अगाध सिंधु है, संघर्षों का पार नहीं है, किन्तु डूबना मझधारों में, साहस को स्वीकार नहीं है, जटिल समस्या सुलझाने को नूतन अनुसंधान न भूले।।1।। शीतल विनय आदर्श श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है, शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी? यदि नैतिक आधार नहीं है, कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूले।।2।। आविष्कारों की कृतियों में, यदि मानव का प्यार नहीं है, सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है, प्राणी का उपकार नहीं है, भौतिकता के उत्थानों में, जीवन का उत्थान न भूलें।।3।। Search for: Recent Posts • • • • • Recent Comments Debasish das on Archives • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Categories • Meta • • • • • Search for: Recent Posts • • • • • Recent Comments Debasish das on Archives • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Categories • Meta • • • • •

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निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें। स्वार्थ समाधान की आँधी में वसुधा का कल्याण न भूलें।। माना अगम अगाध सिंधु है, संघर्षों का पार नहीं है, किन्तु डूबना मझधारों में, साहस को स्वीकार नहीं है, जटिल समस्या सुलझाने को नूतन अनुसंधान न भूले।।1।। शीतल विनय आदर्श श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है, शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी? यदि नैतिक आधार नहीं है, कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूले।।2।। आविष्कारों की कृतियों में, यदि मानव का प्यार नहीं है, सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है, प्राणी का उपकार नहीं है, भौतिकता के उत्थानों में, जीवन का उत्थान न भूलें।।3।। Search for: Recent Posts • • • • • Recent Comments Debasish das on Archives • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Categories • Meta • • • • • Search for: Recent Posts • • • • • Recent Comments Debasish das on Archives • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Categories • Meta • • • • •

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कर्मयोगी

जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो। बनकर दीन–हीन ऐ बंदे, हाथ पसारे मत बैठो। माना अगम अगाध सिंधु है, हार किनारे मत बैठो। छोड़ शिथिलता बढ़ जा आगे, आस लगाये मत बैठो। पाओगे मंज़िल को प्यारे, हिम्मत हारे मत बैठो। कूद पड़ो अब अंगारों में, समय गँवाये मत बैठो। राहें कितनी भी मुश्किल हों, पंगत बन तुम मत बैठो। करो विश्वास कर्म पर बंदे, भाग्य भरोसे मत बैठो। कर्मयोगी बन जा ऐ बंदे, नज़र चुराए मत बैठो। होंगी ख़ुशियाँ तेरे हिस्से, होश गँवाये मत बैठो।