मानव विकास के दो उपागम बताइए

  1. मानव विकास उपागम क्या है? – ElegantAnswer.com
  2. मानव विकास ( भूगोल) Chapter
  3. मानव विकास के उपागम
  4. मानव विकास का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं
  5. मानव विकास सूचकांक में भारत 132वें स्थान पर, सतत विकास लक्ष्यों में बढ़ा योगदान


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मानव विकास उपागम क्या है? – ElegantAnswer.com

मानव विकास उपागम क्या है? इसे सुनेंरोकेंमानव विकास के तीन महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं:- (1) दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन, (2) शिक्षा का प्रसार, (3) संसाधनों तक पहुँच । उपरोक्त तीनों पक्ष मानव विकास के केंद्र बिंदु हैं। इन पक्षों में से प्रत्येक के मापन के लिए उपयुक्त सूचकों का विकास किया गया है। मानव विकास उपागम क्या है मानव विकास के प्रमुख उपागम का वर्णन कीजिए? इसे सुनेंरोकेंतालिका 4.1: मानव विकास के उपागम आय उपागम यह मानव विकास के सबसे पुराने उपागमों में से एक है। इसमें मानव विकास को आय के साथ जोड़ कर देखा जाता है। विचार यह है कि आय का स्तर किसी व्यक्ति द्वारा भोगी जा रही स्वतंत्रता के स्तर को परिलक्षित करता है। आय का स्तर ऊँचा होने पर, मानव विकास का स्तर भी ऊँचा होगा। 4 मानव विकास सूचकांक से आप क्या समझते हैं इसके प्रमुख घटकों की विवेचना कीजिए? इसे सुनेंरोकेंमानव विकास सूचकांक (एचडीआई) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और प्रति व्यक्ति आय संकेतकों का एक समग्र आंकड़ा है, जो मानव विकास के चार स्तरों पर देशों को श्रेणीगत करने में उपयोग किया जाता है। जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर एवं जीडीपी प्रति व्यक्ति अधिक होती है, उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती हैं। • आय उपागम ► किसी व्यक्ति द्वारा बितायी जा रही जीवन-शैली और स्ततंत्रता उसके आय के स्तर को प्रदर्शित करती है। • आधारभूत आवश्यकता उपागम ► आधारभूत आवश्यकता उपागम में उन मूलभूत आवश्यकताओं पर जोर दिया जाता है, जो जीवन के लिए बेहद आवश्यक है। मानव विकास सूचकांक के मुख्य घटक कौन कौन से हैं? इसे सुनेंरोकेंमानव विकास रिपोर्ट तीन संकेतकों-स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर-को मिलाकर विकास को मापती है। इन तीनों संकेतकों को समग्र रूप से मानव विकास सूचकांक य...

मानव विकास ( भूगोल) Chapter

इस अध्याय में हम मानव विकास के बारे में पढ़ने वाले हैं हम यह जानेंगे की वृद्धि और विकास में क्या अंतर है | हम यह भी जानेंगे की मानव विकास के केंद्र बिंदु कौन से हैं अंत में हम जानेंगे मानव विकास क्यों जरुरी है मानव विकास क्या है ? 1- मनुष्य के जीवन में सुधार विकास कहलाता है | 2- मनुष्य के जीवन में विकल्पों में वृद्धि भी विकास कहलाती है। 3- मनुष्य के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन विकास कहलाता वृद्धि तथा विकास में अंतर :- ( विकास ) वृद्धि विकास का अर्थ होता है गुणात्मक परिवर्तन वृद्धि का अर्थ होता है मात्रात्मक परिवर्तन विकास का अर्थ होता है विकल्पों में वृद्धि वृद्धि को मापा जा सकता है विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक वर्तमान स्थिति में सुधार ना हो वृद्धि का चिन्ह धनात्मक या ऋणआत्मक हो सकता है विकास मूल्य सापेक्ष है सार्थक जीवन : सार्थक जीवन केवल दीर्घ नहीं होता, जीवन में एक उद्देश्य होना चाहिए | लोगो को स्वस्थ रहना चाहिए और समाज से जुड़े रहना चाहिए | 1- मानव विकास के केंद्रबिंदु : 2- स्वास्थ्य 3- शिक्षा 4- संसाधनों तक पहुँच मानव विकास के 4 स्तंभ : ( समता ):- प्रत्येक व्यक्ति की उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुँच की व्यवस्था करना लोगो को उपलब्य अवसर लिंग प्रजाति आय, जाति किसी प्रकार का भेदभाव ना हो। ( सतत पोषणीयता:-) सतत पोषणीयता मानव विकास के लिए जरूरी है। इसका अर्थ होता है संसाधनों का इस्तेमाल से करे जिससे आने वाली पीढ़ी को इसमें कोई कमी ना हो। संसाधनों का दुरुपयोग रोका जाए। ( उत्पादकता ) मानव श्रम या मानव कार्य के संदर्भ में हेलो के समर्थक : सक्षम बनाकर मानव श्रम की उत्पादकता का निरंतर बेहतर बनाना चाहिए लोके के समर्थक: ज्ञान तथा चिकित्सक सुविधाओं को बढ़ाना चाहिए ( सशक्तिकरण ) आर...

मानव विकास के उपागम

• मानव भूगोल के मूल सिद्धांत • मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र • • • • विश्व जनसंख्या - वितरण, घनत्व और वृद्धि • • • • • • • • • • • • जनसंख्या संघटन • • • • मानव विकास • • • • • • • प्राथमिक क्रियाएँ • • • • • • द्वितीयक क्रियाएँ • • • • • तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप • • • • • • • • परिवहन एवं संचार • • • • • • • • अंतराष्ट्रीय व्यपार • • • • मानव बस्ती • • • • • भारत : लोग और अर्थव्यवस्था • जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन • • • • • • • प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम • • • • • • मानव विकास • • • • • • मानव बस्तियाँ • • • • • भूसंसाधन तथा कृषि • • • • • • • • जल-संसाधन • • • • • • खनिज तथा ऊर्जा संसाधन • • • • • निर्माण उद्योग • • • • • • भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास • • • परिवहन तथा संचार • • • • • अंतर्रष्ट्रीय व्यपार • • • • • • भौगोलिक परिप्रेक्षऱ्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ • • • • • • भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य • आंकड़े : स्रोत और संकलन • • • • • • • • • • • • आंकड़ों का प्रक्रमण • • • • • • • • • • • आंकड़ों का आलेखी निरूपण • • • • • आंकड़ों का प्रक्रमण एवं मानचित्रण में कंप्यूटर का उपयोग • • • • • • • क्षेत्रीय सवेंक्षण • • • • • स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी • • • • • •

मानव विकास का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं

मानव विकास का अर्थ (manav vikas ka arth) manav vikas arth paribhasha visheshta varnan;विकास एक निरन्तर चलने वाली वह प्रक्रिया है जो गर्भधारणा से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है। मानव के जीवनकाल मे आए विभिन्न प्रकार के परिवर्तनों को सामान्य भाषा मे विकास के नाम से जाना जाता है। विकास की प्रक्रिया मे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक आदि पहलू सम्मिलित हैं। मनुष्य के जीवन मे प्रगति की राह मे होने वाले क्रमिक परिवर्तनों को विकास की संज्ञा दी गई है। कुछ विद्वानों का मत है कि विकास परिपक्वता के पश्चात रूक जाता है लेकिन यह मत सत्य नही है क्योंकि विकास का क्रम आजीवन चलता रहता है। परिपक्वता की अवस्था के बाद उसकी गति धीमी जरूरी हो जाती है, लेकिन रूकती नही। विकास की परिभाषा (manav vikas ki paribhasha) लालबार्बा के अनुसार," विकास का अर्थ परिपक्वता से संबंधित परिवर्तनों से हैं जो मानव के जीवन में समय के साथ घटित होते रहते हैं।" सोरेन्सन के अनुसार," विकास का अर्थ परिपक्वता और कार्यपरक सुधार की व्यवस्था से है जिसका संबंध गुणात्मक एवं परिमाणात्मक परिवर्तनों से हैं।" इरा. जी. गोर्डन के अनुसार," विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति के जन्म से लेकर उस समय तक चलती रहती है जब तक कि वह पूर्ण विकास को प्राप्त नही कर लेता हैं।" स्किनर के अनुसार," विकास जीव और उसके वातावरण की अंत:क्रिया का प्रतिफल हैं।" हरलाॅक ने मानव विकास को और अधिक स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है। उनके अनुसार," विकास अभिवृद्धि तक सीमित नही है, अपितु इसमे परिवर्तनों का वह प्रगतिशील क्रम निहित है, जो परिपक्वता के लक्ष्य की ओर अग्रसर होता है। विकास के परिणामस्वरूप व्यक्ति मे नवीन विशेषताएं और नवीन योग्यताएँ प्रकट होती है।" मानव विकास...

मानव विकास सूचकांक में भारत 132वें स्थान पर, सतत विकास लक्ष्यों में बढ़ा योगदान

Highlights • भारतीय HDI में गिरावट के पीछे का कारण जीवन प्रत्याशा में गिरावट हो सकता है • भारत की जीवन प्रत्याशा 2019 में 69.7 वर्ष से गिरकर 2021 में 67.2 वर्ष हो गई • पिछले एक दशक में, भारत ने 271 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है नई दिल्ली: गुरुवार (8 सितंबर) को जारी मानव विकास रिपोर्ट 2021/2022 में भारत 191 देशों और क्षेत्रों में से 132वें स्थान पर है. 2020 और 2021, पांच साल की प्रगति के उलट एक राष्ट्र के स्वास्थ्य, शिक्षा और औसत आय के मापक यंत्र मानव विकास में लगातार दो वर्षों में गिरावट आई है. यह वैश्विक गिरावट के अनुरूप है, जो दर्शाता है कि दुनिया भर में मानव विकास 32 वर्षों में पहली बार ठप हो गया है. यूएनडीपी द्वारा शुरू की गई नवीनतम मानव विकास रिपोर्ट – अनसर्टेन टाइम्स, अनसेटल्ड लाइव्स: शेपिंग अवर फ्यूचर इन अ ट्रांसफॉर्मिंग वर्ल्ड – बताती है कि नब्बे प्रतिशत देशों ने 2020 या 2021 में अपने मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) के मूल्य में कमी देखी है. हालांकि सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में बहुत अधिक प्रगति हुई है, सतत विकास में भारत का अंतरराष्ट्रीय योगदान लगातार बढ़ रहा है. यह देखिए: रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में मानव विकास में गिरावट के पीछे प्रमुख कारण दुनिया के सामने आए संकट हैं. इसमें COVID-19 और यूक्रेन में युद्ध के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक बदलाव और खतरनाक ग्रह परिवर्तन शामिल थे. यूएनडीपी के प्रशासक अचिम स्टेनर ने कहा, “दुनिया बैक-टू-बैक संकटों का जवाब देने के लिए हाथ-पांव मार रही है. हमने जीवन की लागत और ऊर्जा संकट के साथ देखा है कि, जबकि यह जीवाश्म ईंधन को सब्सिडी देने जैसे त्वरित सुधारों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आकर्षक है, तत्काल राहत रणनीति दीर...