भारतीय चित्रकला क्या प्रधान है

  1. भारतीय चित्रकला के इतिहास का वर्णन कीजिए। Answer... B
  2. भारतीय चित्रकला के प्रकार, अंग और प्रयोजन
  3. भारतीय चित्रकला ( भाग
  4. भारतीय चित्रकला के प्रकार
  5. भारतीय चित्रकला विशेषताएँ
  6. भारतीय चित्रकला की परिभाषा क्या है? – ElegantAnswer.com
  7. आधुनिक भारतीय चित्रकला
  8. Bhartiya Chitrakala


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भारतीय चित्रकला के इतिहास का वर्णन कीजिए। Answer... B

Que : 25. भारतीय चित्रकला के इतिहास का वर्णन कीजिए। उत्तर - भारतीय सांस्कृतिक विरासत का परिचय भारतीय कला के इतिहास से प्राप्त होता है भारतीय चित्रकला उन्नति के सर्वोच्च शिखर तक पहुँची तथा स्थानीय सांस्कृतिक प्रभावों के कारण उसमें विविध शैलियों का विकास हुआ। भारतीय कला के इतिहास तथा शैलियों का परिचय यहाँ संक्षेप में दिया जा रहा है। ( अ) प्रागैतिहासिक काल (प्रारंभ से 50 ई. तक) प्रागैतिहासिक कला को प्रदर्शित करने वाले मुख्य स्थान अग्रलिखित हैं जिनसे हमें उस काल की कला तथा संस्कृति का परिचय मिलता है 1. सिंहनपुर- मध्य प्रदेश में सिंहनपुर के निकट गेरू तथा रसराज से बने जानवरों के चित्र मिले हैं। 2. पंचमढ़ी- मध्य प्रदेश में महादेव पर्वत श्रेणियों में लगभग 50 गुफाओं में चित्र मिले हैं जिनका विषय आखेट एवं दैनिक जीवन संबंधी क्रियाएं हैं , जैसे-शहद एकत्र करते हुए , गाय चराते हुए , वाद्य यंत्र बजाते हुए , शस्त्रधारी व्यक्ति । 3. होशंगाबाद- मध्य प्रदेश में पंचमढ़ी से लगभग 40 कि.मी. दूर नर्मदा नदी के किनारे होशंगाबाद में व्यक्तियों तथा जानवरों के चित्र मिले हैं। 4. मिर्जापुर क्षेत्र- उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद तथा बनारस के मध्य वाले मिर्जापुर में पहाड़ी अंचलों से चित्र मिले हैं। इनके विषय पशु , पक्षी , शिकार आदि हैं। यहाँ चित्र दीवारों तथा छतों पर बने हैं। 5. मनिकपुर क्षेत्र- उत्तरप्रदेश बांदा जिले में मनिकपुर क्षेत्र से गेरू से बने चित्र मिले हैं। इनका मुख्य विषय शिकार है। 6. भीम बेटका- मध्य प्रदेश में भोपाल से तकरीबन 40 कि.मी. दूर भीमबेटका में लगभग 500 गुफाएं प्राप्त हुई हैं। यहाँ कई पारंपरिक आभूषण तथा चित्र मिले हैं। चित्रों में लाल , काला तथा सफेद रंग प्रयुक्त हुआ है। इनमें जानवरों के...

भारतीय चित्रकला के प्रकार, अंग और प्रयोजन

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भारतीय चित्रकला ( भाग

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भारतीय चित्रकला के प्रकार

धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणामस्वरूप विभिन्न भौगोलिक स्थानों में समय के कारण कई प्रकार की भारतीय पेंटिंग सामने आई हैं। भारत के चित्रों को मोटे तौर पर दीवार चित्रों और लघु चित्रों के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के भारतीय चित्र इस दो व्यापक श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं, लेकिन फिर से उन्हें उनके विकास, उद्भव और शैली के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। लगभग सभी प्राचीन चित्रों को मंदिरों और गुफाओं की दीवार पर उकेरा गया है। लघु चित्रकारी कागज और कपड़े के छोटे कैनवस पर बनाई गई हैं। इस प्रकार की कला मुख्य रूप से मध्यकालीन युग में विकसित हुई जो शाही जीवन को बयान करती है जो अब काफी लोकप्रिय है। तकनीक और माध्यम चित्रकला के दो प्रमुख पहलू हैं। इन पर निर्भर करते हुए, पेंटिंग्स को आगे चलकर पतितित्र, मार्बल पेंटिंग, बाटिक, कलमकारी, सिल्क पेंटिंग, वेलवेट पेंटिंग, पाम लीफ एचिंग, ग्लास पेंटिंग आदि के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। कला के पैटर्न प्रचलन में हैं। अंतत: धर्म और संस्कृति का भी चित्रों पर अत्यधिक प्रभाव है। लोक चित्र, इंडो-इस्लामिक कला और बौद्ध कला विभिन्न प्रकार हैं। ज्यादातर गुफाओं और मंदिरों की दीवारों पर बने चित्र हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म के कई पहलुओं को दर्शाते हैं। गुफाओ में चित्र भारतीय गुफा चित्रों को भारतीय चित्रों के प्रारंभिक प्रमाण के रूप में माना जाता है जो गुफा की दीवारों और महलों को कैनवास के रूप में उपयोग करते हैं जबकि लघु चित्र छोटे आकार के रंगीन, जटिल हस्तनिर्मित रोशनी हैं। विभिन्न प्रकार के भारतीय चित्रकला इतिहास के विभिन्न अवधियों में विकसित हुए। कई शैलियाँ हैं जिन्हें पहचाना जा सकता है। यह भीमबेटका की प्रागैतिहासिक गुफा पेंटिंग स...

भारतीय चित्रकला विशेषताएँ

Dheerendra Krishna Shastri का नाम सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri) धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक छोटी बहन भी है।छोटे भाई का न -धार्मिकता-- भारतीय कला की मुख्य विशेषता उसका धर्म से जुड़ाव था।भारत धार्मिक कार्यों में वैष्णव मत में चित्र रचना का महत्वपूर्ण योगदान है और भगवान विष्णु कृष्ण राम के दर्शन को भक्ति का मुख्य अंग माना गया है,बौद्ध धर्म के धर्म के व्याख्याता के रूप में कला को माना गया है, बौद्ध धर्म को फैलाने में कल का ही योगदान था, पोथी चित्रण जैन धर्म की विशेषताएं है। कल्पना-- भारतीय चित्रकला में कल्पना को आधार बनाया गया है ,कला में हर जगह देवताओं को एक मुकुट लगाए राजा नुमा सजाया जाता था ,ब्रम्हा विष्णु महेश और देवता...

भारतीय चित्रकला की परिभाषा क्या है? – ElegantAnswer.com

भारतीय चित्रकला की परिभाषा क्या है? इसे सुनेंरोकेंकला के विभिन्न रूपों में ‘चित्रकारी’ कला का सूक्ष्मतम प्रकार है जो रेखाओं और रंगों के माध्यम से मानव चिंतन और भावनाओं को अभिव्यक्त करता है। प्रागैतिहासिक काल में मनुष्य गुफाओं में रहता था तो उसने गुफाओं की दीवारों पर चित्रकारी की। भारतीय चित्रकला की प्रमुख विशेषताएं क्या है? इसे सुनेंरोकेंतकनीक और माध्यम चित्रकला के दो प्रमुख पहलू हैं। इन पर निर्भर करते हुए, पेंटिंग्स को आगे चलकर पतितित्र, मार्बल पेंटिंग, बाटिक, कलमकारी, सिल्क पेंटिंग, वेलवेट पेंटिंग, पाम लीफ एचिंग, ग्लास पेंटिंग आदि के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। भारतीय चित्रकला की कितनी शैलियाँ है? इसे सुनेंरोकेंभित्ति चित्र – अजंता, बाघ, बादामी तथा सित्तन्नवासल की गुहा-भित्तियों पर इसके उदाहरण मिले हैं. चित्रपट – चमड़े अथवा कपडे के टुकड़ों पर की गई चित्रकारी जिसे लटकाया जाता था. चित्र फलक – पत्थर, धातु अथवा लकड़ी के टुकड़ों पर किया गया चित्रांकन. चित्रकला के जनक कौन हैं? इसे सुनेंरोकेंआधुनिक भारतीय चित्रकला को जन्म देने का श्रेय राजा रवि वर्मा को जाता है। चित्रकला का क्या अर्थ होता है? इसे सुनेंरोकेंचित्रकला संस्कृत [संज्ञा स्त्रीलिंग] चित्र बनाने की कला ; चित्रकारी ; (पेंटिंग)। चित्रकला- संज्ञा स्त्रीलिंग [संस्कृत] चित्र बनाने की विद्या । तस्वीर बनाने का हुनर । विशेष- चित्रकला का प्रचार चीन, मिस्र, भारत आदि देशों में अत्यंत प्राचिन काल से है । चित्रकला का प्रारंभ कैसे हुआ? इसे सुनेंरोकेंगुफाओं से मिले अवशेषों और साहित्यिक स्रोतों के आधार पर यह स्पष्ट है कि भारत में एक कला के रूप में ‘चित्रकला’ बहुत प्राचीन काल से प्रचलित रही है। भारत में चित्रकला और कला का इतिहास ...

आधुनिक भारतीय चित्रकला

नामपद्धतियॉं सैदव अप्रासंगिक नहीं होती हैं, उदाहरण के लिए ‘आधुनिक’ शब्द । इसके अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग अर्थ हो सकते हैं । इसी प्रकार से ‘समकालिक या समकालीन’ शब्द है । यहां तक कि ललित कला के क्षेत्र में भी कलाकारों, इतिहासकारों और आलोचकों के बीच भ्रम तथा अनावश्यक विवाद है । वास्तव में, इन सभी के मन में एक ही बात है और तर्क शब्दावली संबंधी जटिलताओं को लेकर ही दिए जाते हैं । यहां अर्थगत प्रयोग में उलझना आवश्यक नहीं है । सामान्यत: रूप से, कुछ लोगों को ऐसा मानना है कि भारतीय कला में आधुनिक युग लगभग 1857 में या इसके आसपास प्रारम्भ हुआ । यह एक ऐतिहासिक आधारवाक्य है । राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली के पास लगभग इस अवधि की कला-कृतियां हैं । पश्चिम में आधुनिक युग का प्रारम्भ सुविधानुसार प्रभाववादियों से माना जाता है । तथापि, जब हम आधुनिक भारतीय कला की बात करते हैं तब हम सामान्यत: बंगाल की चित्रकला शैली से प्रारम्भ करते हैं । क्रम और महत्‍त्व दोनों ही दृष्टियों से हमें कला के पाठ्यक्रम में चित्रकला, मूर्तिकला और रेखाचित्र-कला के क्रम का पालन करना पड़ता है । इनमें से अन्तिम अर्थात रेखाचित्र-कला का भी अभी हाल ही में विकास हुआ है । आमतौर पर कहें तो आधुनिक या समकालीन कला की अनिवार्य विशेषताएं है- कपोल-कल्पना से कुछ स्वतंत्रता, एक उदार दृष्टिकोण को स्वीकृति जिसने कलात्मक अभिव्यक्ति को क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य की अपेक्षा अन्तर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में स्थापित कर दिया है, तकनीक का एक सकारात्मक उत्थान जो प्रचुरोद्भवी और सर्वोपरि दोनों ही हो गया है और कलाकार का एक विशिष्ट व्यक्ति के रूप में उभरना । चित्रकारी: राजा रवि वर्मा द्वारा ‘चांदनी रात में स्त्री’ का चित्र कई व्यक्त...

Bhartiya Chitrakala

• भारत की कला एवं संस्कृति में‘चित्रकला‘ निर्माण की परम्परा लम्बे समय से चली आ रही है।‘प्राक-इतिहास‘ से प्राप्त अवशेषों में‘भारतीय चित्रकला‘ प्रवेशांक अंकित है। • भीमबेटका (मध्यप्रदेश) पाषाण काल के गुफा चित्रकला निर्माण का सौन्दर्य सामने लाता है, जो अनुमानित तौर पर 30 हजार वर्ष पूर्व निर्मित हुआ था। • अजन्ता की चित्रकलाओं में‘भित्ति चित्र‘ एक नए रूप में सामने आया जो बौद्ध दर्शन तथा संस्कृति का प्रदर्शन करता है। • 17वीं शताब्दी से 19 वीं शताब्दी के बीच भारतीय चित्रकला की विविध प्रणालियों का विकास दृष्टिगत हुआ, जिस पर इस्लामिक तथा यूरोपीय चित्रकला शैलियों का प्रभाव स्वतः ही दिख जाता है। • प्राचीन साहित्यों में चित्रकला निर्माण ‘षड्अंग‘ की चर्चा मिलती है। • प्राचीन भारत में गुफा-भित्ति चित्रकला विस्तार मिलता है। यह दूसरी शताब्दी ई.पू. से 10वीं शताब्दी के बीच निर्मित किए गए थे। • भारत में 20 ऐसे क्षेत्रों का पता चला है जहाँ गुफा चित्रकला के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इनमें अजंता, बाघ, सित्तनवासल अरमामलाई, रावण छाया तथा एलोरा की गुफाओं में निर्मित गुफा चित्रकला महत्वपूर्ण हैं। गुफा-भित्ति चित्रकलाओं का संबंध बौद्ध, जैन तथा हिन्दू धर्म से है। • 11वीं-12वीं शताब्दीके गुफा-भित्ति चित्रकला में अधिकांशतः लघु रूप चित्रों का अंकन मिलता है। पाण्डुलिपि के रूप में शाल-पत्रों पर चित्रों का निर्माण बौद्ध तथा जैन धर्मों से जुड़े हैं। • राजस्थान की लोक चित्रकला में इस शैली का प्रमुख स्थान है। राजस्थान की चित्रकला में महलों, मंदिरों तथा हवेलियों का चित्रण मुख्य रूप रूप से किया गया है। • राजस्थान चित्र शैली का पहला वैज्ञानिक विभाजन आनन्द कुमार स्वामी ने वर्ष 1916 में किया। उनकी रचना‘राजपूत पेण्टिं...