मानव विकास सूचकांक 2022

  1. मानव विकास रिपोर्ट 2021
  2. manav vikas suchkank, मानव विकास सूचकांक की विशेषताएं, दोष, घटक, आलोचनाएँ की व्याख्या
  3. मानव विकास रिपोर्ट, 2021
  4. भारत की HDI (मानव विकास सूचकांक) रैंकिंग 2022 में क्या है? What is HDI rank of India in 2022? Human development index ।
  5. मानव विकास सूचकांक क्या है 2022?
  6. UNHCR: जबरन विस्थापितों की संख्या रिकार्ड ऊँचाई पर, ठोस कार्रवाई की पुकार
  7. मानव विकास सूचकाङ्क
  8. India Got 132 Rank In United Nation Human Development


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मानव विकास रिपोर्ट 2021

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manav vikas suchkank, मानव विकास सूचकांक की विशेषताएं, दोष, घटक, आलोचनाएँ की व्याख्या

मानव विकास सूचकांक देश के आर्थिक विकास और उसके आर्थिक कल्याण का मापक है। यह प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद द्वारा मापा गया और क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के अनुसार समायोजित लोगों की जन्म, शिक्षा और आय के स्तर पर जीवन प्रत्याशा की जांच करता है। मानव विकास सूचकांक की विशेषताएं 1 . व्यापक उपयोग: एचडीआई संकेतक दुनिया भर में उपयोग किए जाते हैं। देश अपने आर्थिक विकास के स्तर और वैश्विक आर्थिक पैटर्न की तुलना करने के लिए एचडीआई का उपयोग करते हैं। 2 . बुनियादी ढांचे में वृद्धि: शिक्षा के स्तर और व्यक्तियों के स्वास्थ्य में वृद्धि से देश के बुनियादी ढांचे में सुधार होता है। 3 . मानव विकास में संतुलन: एचडीआई न केवल आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करता है बल्कि सामाजिक उपायों और व्यक्तियों के स्वास्थ्य जैसे मानव विकास को मापने के लिए अन्य क्षेत्रों को भी देखता है। 4 . प्रश्न राष्ट्रीय नीतियां: एचडीआई देश में नीति निर्माताओं को आर्थिक नीतियों को आसानी से समायोजित और कार्यान्वित करने में सक्षम बना सकता है। यह इस सवाल में भी मदद करता है कि प्रति व्यक्ति समान जीएनआई वाले देशों में अलग-अलग एचडीआई कैसे होते हैं। 5 . शुद्धता: यह तीन क्षेत्रों में माप लेता है; स्वास्थ्य, शिक्षा और आय का स्तर इसे और अधिक सटीक बनाता है। 6 . विश्वसनीय: एचडीआई अधिक विश्वसनीय है क्योंकि इसमें आर्थिक विकास से अधिक शामिल है, लेकिन देश के विकास को मापने के लिए जीवन स्तर और साक्षरता के स्तर को भी देखता है जिससे यह अधिक विश्वसनीय हो जाता है। 7 . प्रति व्यक्ति योगदान के उपाय: एचडीआई जीडीपी का उपयोग करने के बजाय आर्थिक कल्याण और विकास में प्रत्येक व्यक्ति के औसत योगदान या लाभ को निर्धारित करने के लिए प्रति व्यक्ति जीडीपी उप...

मानव विकास रिपोर्ट, 2021

मानव विकास सूचकांक (HDI) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और प्रति व्यक्ति आय संकेतक का एक सांख्यिकीय समग्र सूचकांक है, जिसका उपयोग देशों को मानव विकास के चार स्तरों में क्रमबद्ध करने के लिए किया जाता है। कोई भी देश उच्च स्तर का एचडीआई स्कोर करता है जब जीवनकाल अधिक होता है, शिक्षा का स्तर अधिक होता है, और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (पीपीपी) अधिक होती है। HDI को पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक द्वारा विकसित किया गया था और इसका उपयोग संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय द्वारा देश के विकास को मापने के लिए किया गया था। मानव विकास सूचकांक (HDI)क्या है ? मानà¤...

भारत की HDI (मानव विकास सूचकांक) रैंकिंग 2022 में क्या है? What is HDI rank of India in 2022? Human development index ।

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मानव विकास सूचकांक क्या है 2022?

मानव विकास की राह • 16 Sep 2022 • 13 min read यह एडिटोरियल 14/09/2022 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “The solution to India’s stunted improvement on the Human Development Index: Improving access to quality education” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में विकास के विभिन्न आयामों में व्याप्त असमानताओं और मानव विकास रिपोर्ट 2021-22 के संबंध में चर्चा की गई है। Table of Contents Show • • • • • • • • • • • • संदर्भ: मानव विकास (human development) के मूल में मानवता का विचार निहित है। मानव विकास का दृष्टिकोण महज अर्थव्यवस्था की समृद्धि को अधिकतम करने के रूप में प्रचलित आर्थिक विकास की धारणा से परे जाता है। मानव विकास की अवधारणा स्वतंत्रता के विस्तार, क्षमताओं में वृद्धि, सभी के लिये समान अवसर प्रदान करने और एक सुदीर्घ, स्वस्थ एवं समृद्ध जीवन सुनिश्चित करने पर अधिक केंद्रित है। वर्ष 2030 की ओर आगे बढ़ते हुए, आकलन है कि भारत की कुल आबादी 1.5 बिलियन तक पहुँच जाएगी और वह विश्व में सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। उल्लेखनीय है कि जबकि भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था का कई गुना विस्तार कर लिया है, मानव विकास के मामले में उसने अधिक प्रगति नहीं की है। मानव विकास रिपोर्ट (Human Development Report- HDI) 2021-2022 ने भारत के लिये चिंताजनक स्थिति का संकेत दिया है। HDI की वैश्विक रैंकिंग में भारत की स्थिति में गिरावट आ रही है और वर्ष 2022 में 191 देशों के बीच वह 132वें स्थान पर रहा (वर्ष 2019 में 129 और वर्ष 2020 में 131 से और नीचे फिसलते हुए)। मानव विकास रिपोर्ट: • अमर्त्य सेन और महबूब उल हक ने विकास के लिये मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की अवधारणा प्रस्तुत की थी जिसके आधार पर वर्ष 1990 में संयुक्त राष्ट...

UNHCR: जबरन विस्थापितों की संख्या रिकार्ड ऊँचाई पर, ठोस कार्रवाई की पुकार

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने बुधवार को कहा है कि विभिन्न संघर्षों और जलवायु-प्रेरित उथल-पुथल के बीच, यूक्रेन में पूर्ण पैमाने के युद्ध के कारण , वर्ष 2022 में पहले से कहीं अधिक लोग अपने घरों से विस्थापित हुए हैं. ऐसे में, इस वैश्विक संकट से निपटने के लिए तात्कालिक , सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता और भी बढ़ गई है. एजेंसी की Global Trends in Forced Displacement 2022 के अनुसार, 2022 के अन्त तक, युद्ध, उत्पीड़न, हिंसा और मानवाधिकार हनन के कारण विस्थापित हुए लोगों की संख्या, रिकॉर्ड 10 करोड़ 84 लाख तक पहुँच गई थी, जोकि उससे पिछले वर्ष की तुलना में एक करोड़ 91 लाख अधिक है. हालाँकि वर्ष 2021 में भी इसमें रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई थी. Refugees संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख फ़िलिपो ग्रैंडी ने कहा, "ये आँकड़े दर्शाते हैं कि कुछ लोग संघर्ष शुरू करने में बहुत तेज़ होते हैं, लेकिन समाधान खोजने में बहुत धीमे." "इसका परिणाम होता है, तबाही, विस्थापन और उन लाखों लोगों के लिए पीड़ा, जिन्हें जबरन अपने घरों से उखाड़कर दूसरी जगह जाने को मजबूर कर दिया गया है." विश्व स्तर पर कुल शरणार्थियों में से, 3 करोड़ 53 लाख ऐसे थे, जिन्होंने सुरक्षा के लिए अन्तरराष्ट्रीय सीमा पार की. वहीं इसका एक बड़ा हिस्सा, यानि 58 प्रतिशत, उन 6 करोड़ 25 लाख लोगों का है, जो संघर्ष एवं हिंसा के कारण आन्तरिक रूप से विस्थापित हुए. वैश्विक संकट यूक्रेन पर रूस का आक्रमण, 2022 में विस्थापन का सबसे बड़ा कारण रहा. 2021 के अन्त में, शरणार्थियों की संख्या 27 हज़ार 300 से बढ़कर 2022 के अन्त तक 57 लाख हो गई – जोकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से, दुनिया के किसी भी भाग में विस्थापन की सबसे तेज़ दर है. अफ़ग़ान...

मानव विकास सूचकाङ्क

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India Got 132 Rank In United Nation Human Development

UNDP Report: संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक में इन पड़ोसी देशों से पीछे है भारत, मिला 132वां रैंक HDI Report: भारत में मानव विकास लगातार दो सालों में घटा है. इससे पिछले पांच सालों में हुई प्रगति प्रभावित हुई है. यूएनडीपी की ताजा रिपोर्ट में देश को 191 देशों की सूची में 132वें स्थान पर रखा गया है. Human Development Index 2021-21: 8 सितंबर, 2022 को जारी संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक 2021-22 (United Nation Human Development Index) में भारत 191 देशों में से 132वें स्थान पर रहा है. पिछले साल देश 131वें स्थान पर था. रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी के प्रकोप, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और जलवायु संकट ने 90 प्रतिशत देशों के मानव विकास सूचकांक पर असर डाला है. ये चुनौतियां भारत (India) के मानव विकास मूल्य के लिए भी जिम्मेदार थीं, जो 2021-22 में 2020 की रिपोर्ट में 0.645 से गिरकर 0.633 हो गई. नए विश्लेषण के अनुसार, इस कमी ने देश को मध्यम मानव विकास श्रेणी में रखा है. इन चार मापदंडों से तय होती है रैंकिंग आपतो बता दें कि यह रैंक किसी देश के स्वास्थ्य, शिक्षा और औसत आय की स्थिति को दर्शाता है. इसे चार मापदंडों पर मापा जाता है - जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI). मानव विकास सूचकांक में भारत की स्थिति वैश्विक रुझानों की तरह, भारत के एचडीआई में 2018 में 0.645 से 2021 में 0.633 तक की गिरावट को जन्म के समय गिरती जीवन प्रत्याशा के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. इसके अलावा, भारत में स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 11.9 वर्ष हैं और स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष 6.7 वर्ष हैं. वहीं प्रति व्यक्ति स...