Madhya pashan kal

  1. Ancient India History Notes on “Madhtya Pashan Kal”, “मध्य पाषाण काल” History notes in Hindi for class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes
  2. भारत का इतिहास पाषाण काल
  3. मध्य पाषाण काल in english
  4. पुरापाषाण काल
  5. Sindhu Ghati Sabhyata Path Yojana Itihas Kaksha 7 (2023)
  6. Pashan kal
  7. पाषाण युग


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Ancient India History Notes on “Madhtya Pashan Kal”, “मध्य पाषाण काल” History notes in Hindi for class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes

मध्य पाषाण काल Madhtya Pashan Kal इस काल में प्रयुक्त होने वाले उपकरण आकार में बहुत छोटे होते थे, जिन्हें लघु पाषाणोपकरण माइक्रोलिथ कहते थे। पुरापाषाण काल में प्रयुक्त होने वाले कच्चे पदार्थ क्वार्टजाइट के स्थान पर मध्य पाषाण काल में जेस्पर, एगेट, चर्ट और चालसिडनी जैसे पदार्थ प्रयुक्त किये गये। इस समय के प्रस्तर उपकरण राजस्थान, मालवा, गुजरात, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश एवं मैसूर में पाये गये हैं। अभी हाल में ही कुछ अवशेष मिर्जापुर के सिंगरौली, बांदा एवं विन्ध्य क्षेत्र से भी प्राप्त हुए हैं। मध्य पाषाणकालीन मानव अस्थि-पंजर के कुछ अवशेष प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश के सराय नाहर राय तथा महदहा नामक स्थान से प्राप्त हुए हैं। मध्य पाषाणकालीन जीवन भी शिकार पर अधिक निर्भर था। इस समय तक लोग पशुओं में गाय, बैल, भेड़, घोड़े एवं भैंसों का शिकार करने लगे थे। जीवित व्यक्ति के अपरिवर्तित जैविक गुणसूत्रों के प्रमाणों के आधार पर भारत में मानव का सबसे पहला प्रमाण केरल से मिला है जो सत्तर हज़ार साल पुराना होने की संभावना है। इस व्यक्ति के गुणसूत्र अफ़्रीक़ा के प्राचीन मानव के जैविक गुणसूत्रों (जीन्स) से पूरी तरह मिलते हैं।[1] यह काल वह है जब अफ़्रीक़ा से आदि मानव ने विश्व के अनेक हिस्सों में बसना प्रारम्भ किया जो पचास से सत्तर हज़ार साल पहले का माना जाता है। कृषि संबंधी प्रथम साक्ष्य ‘साम्भर’ राजस्थान में पौधे बोने का है जो ईसा से सात हज़ार वर्ष पुराना है। 3000 ई. पूर्व तथा 1500 ई. पूर्व के बीच सिंधु घाटी में एक उन्नत सभ्यता वर्तमान थी, जिसके अवशेष मोहन जोदड़ो (मुअन-जो-दाड़ो) और हड़प्पा में मिले हैं। विश्वास किया जाता है कि भारत में आर्यों का प्रवेश बाद में हुआ। वेदों में हमें उस काल की ...

भारत का इतिहास पाषाण काल

7000-3300 ई.पू 1700-1300 ई.पू 700–300 ई.पू 545–320 ई.पू 230 ई.पू-199 ई. 321–184 ई.पू 184–123 ई.पू 123 ई.पू–200 ई. 60–240 ई. पूर्व मध्यकालीन भारत- 240 ई.पू– 800 ई. 250 ई.पू- 1070 ई. 280–550 ई. 750–1174 ई. 830–963 ई. 900–1162 ई. 1206–1526 ई. 1206-1290 ई. 1290-1320 ई. 1320-1414 ई. 1414-1451 ई. 1451-1526 ई. 1526–1857 ई. 1490–1596 ई. 1358-1518 ई. 1490-1565 ई. 1040-1565 ई. 736-973 ई. 1040–1346 ई. 1083-1323 ई. 1326-1565 ई. 1674-1818 ई. सिख राज्यसंघ 1716-1849 ई. 1760-1947 ई. समस्त • प्राक्इतिहास या प्रागैतिहासिक काल Prehistoric Age • आद्य ऐतिहासिक काल Proto-historic Age • ऐतिहासिक काल Historic Age प्राक् इतिहास या प्रागैतिहासिक काल मुख्य लेख: इस काल में मनुष्य ने घटनाओं का कोई लिखित विवरण नहीं रखा। इस काल में विषय में जो भी जानकारी मिलती है वह पाषाण के उपकरणों, मिट्टी के बर्तनों, खिलौने आदि से प्राप्त होती है। आद्य ऐतिहासिक काल इस काल में लेखन कला के प्रचलन के बाद भी उपलब्ध लेख पढ़े नहीं जा सके हैं। ऐतिहासिक काल मानव विकास के उस काल को इतिहास कहा जाता है, जिसके लिए लिखित विवरण उपलब्ध है। मनुष्य की कहानी आज से लगभग दस लाख वर्ष पूर्व प्रारम्भ होती है, पर ‘ज्ञानी मानव‘ होमो सैपियंस Homo sapiens का प्रवेश इस धरती पर आज से क़रीब तीस या चालीस हज़ार वर्ष पहले ही हुआ। पाषाण काल यह काल मनुष्य की सभ्यता का प्रारम्भिक काल माना जाता है। इस काल को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। - • पुरा पाषाण काल Paleolithic Age • मध्य पाषाण काल Mesolithic Age एवं • नव पाषाण काल अथवा उत्तर पाषाण काल Neolithic Age पुरापाषाण काल यूनानी भाषा में Palaios प्राचीन एवं Lithos पाषाण के अर्थ में प्रयुक्त होता थ...

मध्य पाषाण काल in english

मध्य पाषाण काल के बारें में (Mesolithic In Hindi) : आपको बता दे की पुरापाषाण युग के बाद में मध्य पाषाण काल आया। जिसे उत्तरीय प्रस्तर का काल भी कहा जाता है। जो लगभग 9000 इसवी पूर्व से 4000 इसवी पूर्व (mesolithic age in india) तक का काल है। इस युग को मध्य पाषण युग इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह युग पुरा पाषाण युग और नव पाषाण युग के बीच का काल है। वैसे मध्यपाषाण युग में लोग मुख्य रूप से पशुपालक थे। मनुष्यों ने इन पशुओं को चारा खिलाकर पालतू बनाया। इस प्रकार मध्यपाषाण काल में मनुष्य पशुपालक बना। इस युग में मनुष्य खेती के साथ-साथ मछली पकड़ना, शहद जमा करना, शिकार करना आदि कार्य करता था। वहीँ हथियारों (mesolithic tools) की बात करें तो मध्य पाषाण काल के प्रमुख औजार फलक, पॉइंट, खुरचन, उत्कीर्णक, चंद्राकार, त्रिभुजाकार, वेधनी जैसे कई सूक्ष्म पाषाण उपकरण थे। मध्यपाषाण काल में क्या बदलाव आए : यहाँ हम आपको निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा मध्यपाषाण काल में आए बदलावों के बारें में अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है... • जीवन शैली में बदलाव हुआ। • अग्नि का उपयोग होने लगा। • तीर-कमान का उपयोग भी होने लगा। • तापमान में वृद्धि हुई। • पशु और वनस्पति में भी बदलाव आये।

पुरापाषाण काल

पुरापाषाण कालभीनमालगाजीपुर ( भारत में पुरापाषाण काल के अवशेष इस काल को जलवायु परिवर्तन तथा उस समय के पत्थर के हथियारो तथा औजारो के प्रकारों के आधार पर निम्न तीन भागों में विभाजित किया गया है:- (1)निम्नपुरापाषाण काल निम्नपुरापाषाण - यह पूरापाषाण काल का लंबा समय है। इस समय मनुष्य पत्थरो से निर्मित औजार का प्रयोग करते थे। जैसे- हस्तकुठार, खण्डक, विदारणी। अधिकांश पुरापाषाण युग हिम युग से गुजरा है। निम्नपुरापाषाण स्थल भारतीय महाद्वीप के लगभग सभी क्षेत्रों में प्राप्त होता है। जिसमे असम की घाटी, सिंधु घाटी, बेलन घाटी और नर्मदा घाटी प्रमुख है। 2. मध्यपुरापाषाण काल- मध्यपुरापाषाणकाल मे शल्क उपकरणों का प्रयोग बढ़ गया। मुख्य औजार के रूप में पत्थर की पपड़ियों से बने विभिन्न प्रकार के फलक, वेधनी, छेदनी और खुरचनी मिलते हैं ।हमें वेधनियाँ और फलक जैसे हथियार भारी मात्रा में मिले है। 3. उच्चपुरापाषाण:- उच्चपुरापाषाण काल में आद्रता कम हो गयी थी तथा हिमयुग का अंतिम अवस्था थी । इस समय आधुनिक मानव होमोसेपियंस का उदय हुआ। इस काल के औजार अधिक तेज व चमकीले थे। ये औजार हमें आंध्र, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, दक्षिणी उत्तरप्रदेश और बिहार के पठार में मिले हैं। ताम्र पाषाण काल में चिलकोलिथ का खोज हुआ था। इन्हें भी देखें [ ] • Histri सन्दर्भ [ ] • Afrikaans • Alemannisch • العربية • Asturianu • Azərbaycanca • Башҡортса • Boarisch • Žemaitėška • Беларуская • Беларуская (тарашкевіца) • Български • বাংলা • Brezhoneg • Bosanski • Català • Corsu • Čeština • Чӑвашла • Cymraeg • Dansk • Deutsch • Ελληνικά • English • Esperanto • Español • Eesti • Euskara • فارسی • Suomi • Français • Frysk • Gaeilge • G...

Sindhu Ghati Sabhyata Path Yojana Itihas Kaksha 7 (2023)

Sr. No. Headings Details 1 पाठ योजना प्रकार (Lesson Plan Type) दैनिक पाठ योजना (Daily Lesson Plan) 2 विषय (Subject) सामाजिक विज्ञान/अध्ययन (Social Science/Studies) 3 उपविषय (Sub-Subject) इतिहास (History) 4 प्रकरण (Topic) सिन्धु घाटी सभ्यता (Sindhu Ghati Sabhyata) 5 कक्षा (Class) 7th 6 समयावधि (Time Duration) 30 Minute 7 उपयोगी (Useful for) B.ed, Deled, BSTC, BTC, Nios Deled Hello Friends! Welcome to Lesson Plan World. Dosto Yadi Aap History Yani Ki Itihas Subject Ki Path Yojna/Lesson Plan ki Talash Mein Hai or Itihas Ki Path Yojna Kaise Banaye Ise Lekar Pareshan Hai to Ab Aapko Pareshan Hone Ki Bilkul Jarurt Nahi Hai. Kyonki Aaj Hum Aapke Liye Lekar Aaye Hai सामाजिक विज्ञान/अध्ययन (Social Science/Studies) ke उपविषय (Sub-Subject) इतिहास (History) Ki दैनिक पाठ योजना (Daily Lesson Plan) Pdf Vo Bhi Hindi Mein. Aapko Bata de Ki History Yani Ki Itihas Ki Yeh दैनिक पाठ योजना (Daily Lesson Plan), सिन्धु घाटी सभ्यता (Sindhu Ghati Sabhyata) Naamak Topic Par Banayi Gayi Hai, Jo Ki कक्षा (Class) 7th ki Book Se Liya Gaya Hai. Iski समयावधि (Time Duration) Lagbhag 30 Minutes Rakhi Gayi Hai. Ise Aap B.ed, Deled, BSTC, BTC, JBT ect Teacher Ttraining Courses Ke Liye Use Kar Sakte Ho aur Iski Pdf bhi Download Kar Sakte Ho. Also Read:- • • • • • खिलजी वंश पाठ योजना इतिहास कक्षा 7 pdf सिन्धु घाटी सभ्यता पाठ योजना इतिहास कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान (Social Science) के उपविषय (Sub-Subject) इतिहास (History) Lesson Plan के इस प्रथम भाग में हमने आवश्यक श्यामपट्ट(Blackboard) पूर्ति की है जैसे:- • कक्षा:...

Pashan kal

• पृथ्वी की उत्पत्ति यद्यपि 4 अरब वर्ष पुरानी मानी जाती है। लेकिन इस पर जीवों की उत्पति बहुत बाद में हुई और मनुष्य की उत्पति लगभग 20 लाख , वर्ष पूर्व हुई। इस युग को ‘ प्लाइस्टोसी ‘ या ‘ अभिनूतन युग ‘ कहते हैं। • प्रारंभि क समय में मानव अपने सभी प्रकार कें काम पत्थरों से करता था , इसलिए इसे ‘ पाषाण युग कहा जाता हैं। • पाषाण युग का समय 20 लाख ई़़ पू़ से लगभग 2000 ई. पू तक माना जाता है। तथा इसे तीन खडों में विभाजित किया गया है- • 1 - पुरापाषाण काल ( 20 लाख ई.पू. - 9000 ई.पू.) • 2- मध्य पाषाण काल ( 9000 ई. पू़ - 4000 ई.पू.) • 3 - नव पाषाण काल ( 4000 ई.पू. - 2000 ई.पू.)। • पुरापाषाण काल में मानव अपना भोजन शिकार या आखेट से प्राप्त करता था। इसीलिए इस युग को ‘ आखेट युग ‘ भी कहा जाता है। • पुरापाषाण काल में ही मानव ने पत्थरों को रगड़कर आग जलाना सीख लिया था। • मध्य पाषाण काल में मानव ने खेती करना एवं पशुओं को पालना सीखा। • नवपाषाण काल में पहिए और घिर्री का आविष्कार हुआ। • नवपाषाण काल में मानव नें मिट्टी के बर्तन बनना , वस्त्र बनना एवं घर बनना प्रारंभ कर दिया था। • शवों को जलाने , पूजा- उपासना एवं बलि प्रथा शुरूआत भी नवपाषाण काल में हुई। • 2000 ई.पू. से 800 ई.पू. के बीच के समय को ‘ ताम्रपाषाण काल ‘ या ‘ धातु युग ‘ कहते हैं। • मानव ने सबसे पहले तांबे का प्रयोग किया था फिर उसने तांबा एवं टिन मिलाकर कांस्य बनना सीखा।

पाषाण युग

• टैमबापन्नी के राज्य (५४३–५०५ ई.पू.) • उपाटिस्सा नुवारा का साम्राज्य (५०५–३७७ ई.पू.) • अनुराधापुरा के राज्य (३७७ ई.पू.–१०१७ ईसवी) • रोहुन के राज्य (२०० ईसवी) • पोलोनारोहवा राज्य (३००–१३१० ईसवी) • दम्बदेनिय के राज्य (१२२०–१२७२ ईसवी) • यपहुव के राज्य (१२७२–१२९३ ईसवी) • कुरुनेगाल के राज्य (१२९३–१३४१ ईसवी) • गामपोला के राज्य (१३४१–१३४७ ईसवी) • रायगामा के राज्य (१३४७–१४१२ ईसवी) • कोटि के राज्य (१४१२–१५९७ ईसवी) • सीतावाखा के राज्य (१५२१–१५९४ ईसवी) • कैंडी के राज्य (१४६९–१८१५ ईसवी) • • • मुख्य लेख: 25_20 लाख साल से 12000 साल पूर्व तक। भारत में इसके अवशेष सोहन, बेलन तथा नर्मदा नदी घाटी में प्राप्त हुए हैं। भोपाल के पास स्थित भीमबेटका नामक चित्रित गुफाएं, शैलाश्रय तथा अनेक कलाकृतियां प्राप्त हुई हैं। विशिष्ट उपकरण- हैण्ड-ऐक्स (कुल्हाड़ी) ,क्लीवर और स्क्रेपर आदि। सम्भवतया 5 लाख वर्ष पूर्व द्वितीय हिमयुग के आरंभकाल मेंं भारत में मानव अस्तित्व आया। लेकिन हाल ही में महाराष्ट्र के बोरी नामक स्थान से जिन तथ्यों की रिपोर्ट मिली जानकारी के अनुसार मानव की उपस्थिति और भी पहले 14 लाख वर्ष पूर्व मानी जा सकती है । भारत में आदिमानव पत्थर के अनगढ़ और अपरिष्कृत औजारों का इस्तेमाल करता था । पुरापाषाण कालीन लोग नेग्रिटो जनजाति के थे| लोग खानाबदोश यानी घुमक्कड़ जीवन व्यतीत करते थें और जीवका का मुख्य आधार आखेट यानी की शिकार था हालाँकि आखेटक के साथ-साथ खाद्य संग्राहक होना पूरापाषाण काल मध्यपाषाण काल (Mesolithic Era) [ ] मुख्य लेख: 12000 साल से लेकर 10000 साल पूर्व तक। इस युग को माइक्रोलिथ (Microlith) अथवा लधुपाषाण युग भी कहा जाता हैंं। पाषाण युग और उसके बाद का मानव जीवन संक्षेप में [ ] युग काल औजार शर...