महाभारत का युद्ध कहां हुआ था

  1. Kurukshetra War
  2. आख़िर कहां गए संजय, जिन्होंने धृतराष्ट्र को महाभारत युद्ध का सुनाया था आंखों देखा हाल
  3. महाभारत का युद्ध कितने दिन चला था
  4. mahabharat ka yuddh in the war of mahabharata these 7 people knew who would kill whom and who would win rdy


Download: महाभारत का युद्ध कहां हुआ था
Size: 58.57 MB

Kurukshetra War

महाभारत को महापुराण नहीं कहते हैं। इसे पंचम वेद का दर्जा मिला हुआ है और यह भारत का इतिहास ग्रंथ है। कुरुक्षेत्र युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य कुरु साम्राज्य के सिंहासन की प्राप्ति के लिए कुरुक्षेत्र में युद्ध लड़ा गया था। आओ जानते हैं कुरुक्षेत्र के 5 रहस्य। कुरुक्षेत्र भारतीय राज्य हरियाणा का एक क्षेत्र है। 1. छोटे भाई का वध : मान्यता अनुसार यह कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण को डर था कि भाई-भाइयों के, गुरु-शिष्यों के व संबंधी कुटुंबियों के इस युद्ध में एक दूसरे को मरते देखकर कहीं ये संधि न कर बैठें। इसलिए ऐसी भूमि युद्ध के लिए चुनने का फैसला लिया गया जहां क्रोध और द्वेष के संस्कार पर्याप्त मात्रा में हों। तब श्रीकृष्ण ने कई दूत अनेकों दिशाओं में भेजे और उन्हें वहां की घटनाओं का जायजा लेने को कहा। एक दूत ने सुनाया कि कुरुक्षेत्र में बड़े भाई ने छोटे भाई को खेत की मेंड़ टूटने पर बहते हुए वर्षा के पानी को रोकने के लिए कहा। उसने साफ इनकार कर दिया। इस पर बड़ा भाई आग बबूला हो गया। उसने छोटे भाई को छुरे से गोद डाला और उसकी लाश को पैर पकड़कर घसीटता हुआ उस मेंड़ के पास ले गया और जहां से पानी निकल रहा था वहां उस लाश को पानी रोकने के लिए लगा दिया। इस कहानी को सुनकर श्रीकृष्ण ने तय किया कि यही भूमि भाई-भाई के युद्ध के लिए उपयुक्त है। ऐसा अनेक बार हुआ। इन्द्र ने अन्य देवताओं को भी ये बात बताई। देवताओं ने इन्द्र से कहा कि यदि संभव हो तो कुरु को अपने पक्ष में कर लो। तब इन्द्र ने कुरु के पास जाकर कहा कि कोई भी पशु, पक्षी या मनुष्य निराहार रहकर या युद्ध करके इस स्थान पर मारा जायेगा तो वह स्वर्ग का भागी होगा। ये बात भीष्म, कृष्ण आदि सभी जानते थे, इसलिए महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ल...

आख़िर कहां गए संजय, जिन्होंने धृतराष्ट्र को महाभारत युद्ध का सुनाया था आंखों देखा हाल

What Happened To Sanjay After Mahabharata War: संजय, महाभारत के वो अहम क़िरदार थे, जो धृतराष्ट्र (Dhritarashtra) को युद्ध की लाइव अपडेट दे रहे थे. संजय के पास दिव्य दृष्टि थी, इसलिए उन्हें रणभूमि में ना होकर भी वहां होने वाली हर चीज़ साफ़-साफ़ नज़र आती थी. पेशे से संजय कौरवों के मंत्री भी थे, मगर नेक इंसान थे. इसलिए धृतराष्ट्र और पांडवों दोनों को प्रिय थे. मगर सवाल ये है कि महाभारत युद्ध में जब कौरव हारे तो उसके बाद संजय का क्या हुआ, आख़िर वो कहां गए? (Sanjay Role In Mahabharata) आइए इसी बारे में आपको जानकारी देते हैं- What Happened To Sanjay After Mahabharata War श्रीकृष्ण के परम भक्त थे संजय संजय विद्वान गावाल्गण नामक सूत के पुत्र और जाति से बुनकर थे. महर्षि वेदव्यास से उन्होंने शिक्षा हासिल की थी. ख़ुद भी वो एक बुद्धमान शख़्स थे. भले ही वो धृतराष्ट्र की राज्यसभा के सदस्य थे, मगर श्रीकृष्ण के वो परम भक्त थे. धृतराष्ट्र ने महाभारत युद्ध से ठीक पहले संजय को पांडवों के पास बातचीत करने के लिए भेजा था. वहां से आकर उन्होंने धृतराष्ट्र को युधिष्ठिर का संदेश सुनाया था. वो भी धृतराष्ट्र और उनके पुत्रों अधर्म से रोकने के लिये कड़े से कड़े वचन कहने में हिचकते नहीं थे. मगर बावजूद इसके युद्ध को टाला नहीं जा सका. (Pandavas And Kaurava War) धृतराष्ट्र को सुनाया युद्ध का आंखों देखा हाल संजय को महर्षि वेदव्यास से दिव्य दृष्टि मिली थी. इसी की बदौलत उन्होंने हस्तिनापुर में बैठ कर नेत्रहीन धृतराष्ट्र को युद्ध के बारे में पल-पल की जानकारी दी. उन्होंने युद्ध की संरचना और बारीकियों के साथ बताने के साथ तब ग्रहों की स्थितियां, प्रभाव के बारे में भी बताया. दिव्य दृष्टि की बदौलत ही संजय ने श्रीकृष...

महाभारत का युद्ध कितने दिन चला था

महाभारत का युद्ध कितने दिन चला था इस लेख में हमने महाभारत का युद्ध कितने दिन चला था, महाभारत के युद्ध में किस दिन कौन सी घटना घटी और किस तरह महाभारत के युद्ध का अंत हुआ है इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी है। इस लेख को पढ़ने के बाद आप महाभारत की कहानी को और रोचक तरीके से समझ पाएंगे साथ ही खुद को इसे साझा करने से रोक नहीं पाएंगे। 9.1. Related महाभारत क्या है? महाभारत एक महाग्रंथ है इसमें एक ऐसे युद्ध का वर्णन है जो अपनों के बीच लड़ा गया था। महाभारत का युद्ध कौरव और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में लड़ा गया था। यह विश्व का सबसे बड़ा युद्ध था। प्राचीन भारत के इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध जो ना कभी पहले लड़ा गया और ना भविष्य में लड़ा जाएगा। इस युद्ध में लाखों छत्रिय योद्धा मारे गए थे। सदियों पूर्व इस युद्ध में विज्ञान और तकनीक का भरपूर इस्तेमाल हुआ। चक्रव्यूह एक ऐसा युद्ध तकनीक था जिसे ना भूतकाल में किसी ने देखा और ना भविष्य में कोई इसे देख पाएगा। इसके अलावा अनेकों तरीके के विज्ञान और हथियार का इस्तेमाल इस युद्ध में किया गया था। महाभारत का यह ग्रंथ आज से हजारों साल पहले लिखा गया था इस ग्रंथ में लगभग 18,00,000 शब्द है। महाभारत में निहित ज्ञान आज भी प्रासंगिक है। जब इंटरनेट की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी उस समय संजय द्वारा युद्ध का आंखों देखा हाल धृतराष्ट्र को महल में बैठे ही बोलकर सुनाया गया था। महाभारत में रामायण से अधिक विकसित जीवन पद्धति देखने को मिलता है। यह युद्ध कितना विनाशकारी होगा इसका अंदाजा सिर्फ श्रीकृष्ण को था इसलिए श्रीकृष्ण ने युद्ध रोकने का अंतिम प्रयास भी किया लेकिन उनका प्रयास विफल रहा और महायुद्ध का शंखनाद हो गया। महाभारत के इस युद्ध को धर्म युद्ध...

mahabharat ka yuddh in the war of mahabharata these 7 people knew who would kill whom and who would win rdy

Mahabharat ka Yuddh: महाभारत के युद्ध में ये 7 लोग जानते थे कि कौन किसको मारेगा और किसकी होगी जीत महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में कब हुआ था, इस संबंध में इतिहासकारों में मतभेद हैं. भारतीय परंपरा, महाभारत और पौराणिक साहित्य के अनुसार यह पांच हजार वर्ष पूर्व हुआ था. कुरुक्षेत्र में कौरव और पांडवों के बीच 18 दिन तक लड़ाई लढ़ी गई थी. इस युद्ध में केवल 18 ही महारथी बचे थे. Mahabharat ka Yuddh: महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में कब हुआ था, इस संबंध में इतिहासकारों में मतभेद हैं. भारतीय परंपरा, महाभारत और पौराणिक साहित्य के अनुसार यह पांच हजार वर्ष पूर्व हुआ था. कुरुक्षेत्र में कौरव और पांडवों के बीच 18 दिन तक लड़ाई लढ़ी गई थी. इस युद्ध में केवल 18 ही महारथी बचे थे. कौरव के तो कुल का ही नाश हो गया था और पांडवों के भी लगभग सभी पुत्र इस युद्ध में मारे गए थे. जब युद्ध का होना तय भी नहीं हुआ था तब से ही सात ऐसे लोग थे जो यह जानते थे कि युद्ध होगा और उसका क्या परिणाम होगा. आइए जानते है कि ये कौन लोग थे जो... 1- भगवान श्रीकृष्ण : यह बात तो सभी जानते ही हैं कि भगवान श्रीकृष्ण को युद्ध होने की जानकारी थी और यह भी जानते थे कि इसका क्या परिणाम क्या होगा. 2- भीष्म : भीष्म को भी दिव्य दृष्टि प्राप्त थी और वे भी जानते थे कि युद्ध होना तय है. ये बात भी जानते थे कि अगर युद्ध होगा तो इसका परिणाम भी क्या होगा. परंतु उन्हें दु:ख बस इसी बात का था कि उन्हें कौरवों की ओर से युद्ध लड़ना होगा. भीष्म अपने पूर्व जन्म में आठ वसु देवों में से एक थे. 3- ऋषि वेदव्यास : ऋषि वेदव्यास भी दिव्य दृष्‍टि प्राप्त ऋषि थे और वे भी जानते थे कि युद्ध तय है, परंतु फिर भी उन्होंने धृतराष्‍ट्र को संकेतों में समझाया था कि अ...