महादेव घाट किस लिए प्रसिद्ध है

  1. रत्नेश्वर मंदिर
  2. हाटकेश्वर महादेव मंदिर रायपुर : hatkeshwar mahadev ghat raipur
  3. काशी में मां गंगा की आरती देखकर रोमांचित हुए विदेशी प्रतिनिधि – ThePrint Hindi
  4. (चमत्कार) रत्नेश्वर महादेव मंदिर : जो सैकड़ों सालों से 9 डिग्री पर झुका है। TOP GYAN % TOP GYAN » %
  5. पुष्कर: यहां कैसे बने 52 घाट, सिर्फ यहीं क्यों सफल मानी जाती है भगवान ब्रह्मा की पूजा? जानें डिटेल
  6. रायपुर का प्रसिद्ध मंदिर है यह हाटकेश्वर महादेव का मंदिर। Hatkeshwar Mahadev Raipur.
  7. हटकेश्वर महादेव: महादेव का चमत्कारिक मंदिर


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रत्नेश्वर मंदिर

भारत की संस्कृति और इतिहास रहस्यों से भर हुआ है। भारत के हर कोने मे कोई न कोई रहस्य मिल ही जायेगा। ऐसा ही रहस्य भारत के पवित्र शहर काशी में भी है। भगवान शिव और उनकी प्रिय नगरी काशी दोनों ही निराली है। जो कहीं नहीं होता वह काशी में होता है। उत्तर प्रदेश के शहर वाराणसी (काशी) मे गंगा नदी के बेहद करीब बना है रत्नेश्वर महादेव मंदिर। वाराणसी (काशी) का रत्नेश्वर महादेव मंदिर एक अनोखा मंदिर है। यह रत्नेश्वर मंदिर नौ डिग्री तक तिरछा झुका हुआ है, एक ऐसा शिव मंदिर है जहाँ आम मंदिरों की तरह भगवान शिव की पूजा अर्चना नहीं होती, ना ही कोई भक्त भगवान को पुष्प अर्पण करता है और ना ही जल से उनका अभिषेक करता है। इस महादेव मंदिर में ना तो बोल बम के नारे गूंजते हैं और ना ही घंटा की धवनि सुनाई देती है। अब आप सोच रहे होंगे की ऐसा कैसे संभव है, की जो शहर मंदिरों के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्ध है वहाँ महादेव के मंदिर में दर्शन और पूजन करने वाला कोई भक्त नहीं होता है। तो चलिए आज आपके इस प्रश्न का उतर देते है और रत्नेश्वर महादेव मंदिर के रहस्य को जानने का प्रयत्न करते है। रत्नेश्वर महादेव मंदिर का रहस्य कहाँ है यह मंदिर? रत्नेश्वर मदिर, उत्तर प्रदेश के वाराणसी (काशी) शहर मे मणिकर्णिका घाट के समीप दत्तात्रेय घाट पर स्थापित है। महाश्मशान के पास बसा यह मंदिर करीब पांच (500) सौ बरस पुराना है। रत्नेश्वर मंदिर अपने नींव से 9 डिग्री झुका है और इसकी ऊंचाई 13 मीटर है। मंदिर की वास्तुकला इस मंदिर की वास्तुकला बेहद अलौकिक है। यह सुरुचिपूर्ण ढंग से एक नागरा शिखर और चरण मंडप के साथ शास्त्रीय शैली में निर्मित है। परन्तु इस भव्य मंदिर की वास्तुकला को निहारने का ज्यादा समय नहीं मिलता क्योंकि यह अधिकांश समय जलमग्न र...

हाटकेश्वर महादेव मंदिर रायपुर : hatkeshwar mahadev ghat raipur

Hatkeshwar Mahadev Temple Raipur :छत्तीसगढ़ के राजधानी कहे जाने वाले रायपुर में वैसे तो काफी खुबसुरत व धर्मिक मंदिर विराजमान है जिनमे से एक प्रमुख मंदिर है हाटकेश्वर महादेव मंदिर जो राजधानी रायपुर के मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर पाटन मार्ग में खारून नदी के किनारे स्थिर है, जिसकी खूबसूरती को बरक़रार रखने स्थानीय प्रशासन ने काफी निर्माण किये है जो लोगो को काफी पसंद आते है | तो चलिये आज हम बात करते है एक पवत्र शिव मंदिर हाटकेश्वर महादेव मंदिर के बारे में, यह प्रसिद्ध मंदिर रायपुर में रहने वाले लोगो के पसंदीदा जगह महादेव घाट पर विराजमान हैै। यह मंदिर खारुन नदी के तट पर होने की वजह से महादेव घाट के नाम से प्रसिद्ध है एक मान्यता ऐसी भी है की भगवान हनुमान महादेव को अपने कंधे पर यहां लेकर आए थे। इस कथा के चलते ही यह मंदिर दूर-दूर तक जाना - पहचाना जाता है। कहते है कि इस मंदिर की मान्यता भगवान श्रीराम के वन गमन के समय हुई थी। वनवास के दौरान जब वे छत्तीसगढ़ के इस इलाके से गुजरे तब इस शिवलिंग की स्थापना लक्ष्मण के द्वारा हुई थी। कहते है कि स्थापना के लिए हनुमान जी ने अपने कंधे पर शिव जी को लेकर निकल पड़े जब बाद में ब्रम्हा देवता को आमंत्रण करने गए तब तक देर हो गई। इधर लक्ष्मणजी देरी होने से क्रोधित हो रहे थे, क्योंकि स्थापना के समय में देर हो गई थी। जहां स्थापना की योजना बनाई थी, वहां स्थापना न करके स्थापना के समय को देखते हुए खारुन नदी के तट पर ही स्थापना कर दी गयी इस मंदिर का गर्भगृह मंदिर में प्रवेश करने वाले कई सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने पर दिखाई देता है। मंदिर के गर्भगृह तक जाने के रास्ते में आपको कई सरी मूर्तियां देखने को मिलेंगी। जब लोग इस मंदिर पर दर्शन को जाते हैं तो वे अपने साथ थोड...

काशी में मां गंगा की आरती देखकर रोमांचित हुए विदेशी प्रतिनिधि – ThePrint Hindi

वाराणसी (उप्र) 11 जून (भाषा) काशी में जी-20 देशों के सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे विदेशी प्रतिनिधियों के दल ने रविवार की शाम विश्व प्रसिद्ध मां गंगा की आरती देखी और रोमांचित हुए। काशी आये विदेशी मेहमान मां गंगा के तट दशाश्वमेध घाट पर आयोजित विश्व विख्यात गंगा आरती देख अभिभूत हुए। शंखनाद, घंटी, डमरू की आवाज और मां गंगा के जयकारों से रोमांचित मेहमानों ने भारतीय संस्कृति की अद्भुत छटा निहारी। मां गंगा की महाआरती भव्य स्वरूप में शुरू हुई, जहां अर्चकों ने आरती उतारी और चंवर भी डोलाया। दशाश्वमेध घाट को फूल मालाओं एवं दीपों से सजाया गया था। गंगा आरती की शुरुआत देवाधिदेव महादेव की प्रतिमा पर पुष्प वर्षा कर गणपति पूजन से हुई। जी-20 देशों के विकास मंत्रियों सहित 200 विदेशी मेहमान प्रतिनिधियों का नेतृत्व भारत के विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर कर रहे थे। आरती के दौरान विदेशी मेहमान ऐसे अभिभूत हुए कि वे भी सोफे पर बैठे-बैठे थाप दे रहे थे। इसके पूर्व जी 20 की बैठक में शामिल होने विदेशी मेहमानों का दल रविवार को वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे पहुंचा। वहां मेहमानों को टीका लगाकर व पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया गया। जी 20 सम्मेलन में शामिल होने आए विदेशी मेहमानों के दल के स्वागत के लिए हवाई अड्डे से होटल ताज तक तक प्रमुख चौराहों पर डमरू दलों और विभिन्न सांस्कृतिक दलों द्वारा स्वागत किया गया। विदेशी मेहमानों का दल होटल ताज में विश्राम करने के बाद देर शाम नमो घाट पहुंचा। जहां से यह दल क्रूज पर सवार होकर गंगा आरती में शामिल होने दशाश्वमेध घाट पहुंचा। गौरतलब है कि जी-20 देशों के तीन दिवसीय सम्मेलन की शुरुआत रविवार की देर शाम गाला डिनर के साथ होगी। सोमवार को हस्तकला संकुल में विकास मंत...

(चमत्कार) रत्नेश्वर महादेव मंदिर : जो सैकड़ों सालों से 9 डिग्री पर झुका है। TOP GYAN % TOP GYAN » %

वाराणसी में मौजूद रत्नेश्वर महादेव का मंदिर बेहद खास है। वैसे तो यहां ढेर सारी मंदिर है मगर इस मंदिर की एक अलग ही विशेषता है। रत्नेश्वर महादेव मंदिर सैकड़ों सालों से 9 डिग्री पर झुका हुआ है, और वैज्ञानिकों के अनुसार इस का झुकाव बढ़ता जा रहा है! चलिए, आज में Top gyan के इस आर्टिकल में आपको बताऊंगा रत्नेश्वर मंदिर की खासियत,उसका रहस्य और उससे जुड़ी पौराणिक कथाएं तो आइए शुरू करते हैं। रत्नेश्वर महादेव मंदिर वाराणसी के बारे में… वाराणसी शहर मंदिर और गंगा के घाट के लिए प्रसिद्ध है। वैसे देखा जाए तो यहां सैकड़ों मंदिर है पर इन्हीं सभी मंदिरों के बीच रत्नेश्वर मंदिर सभी के आकर्षण का केंद्र है।पर्यटक यहां दूर-दूर आते हैं है। यह मंदिर बनारस के मणिकर्णिका घाट के पास है। ratneshwar mahadev temple मंदिर की बनावट बेहद खास है। मंदिर की बनावत को ध्यान से देखा जाए तो अद्भुत शिल्प कारीगरी की गई है एक बात बहुत हैरान करने वाली है कि मंदिर के छज्जे की ऊंचाई जमीन से पहले 7से ८ फिर थी अभी सिर्फ 6 फीट रह गई है. इससे साफ होता है कि मंदिर का झुकाव 9 डिग्री से बढ़ रहा है। मगर आज तक गिरा नहीं है। वही मंदिर की बनावत की बात करें तो बेजोड़ शिल्पकार की गई है। इसे भी पढ़े : 6 से 8 महीने पानी में डूबा रहता है! रत्नेश्वर महादेव मंदिर दरअसल, यह मंदिर मणिकर्णिका घाट के एकदम नीचे है, जिसकी वजह से गंगा का पानी बढ़ने पर यह मंदिर 6 से 8 महीने तक पानी में डूबा रहता है। कभी-कभी पानी शिखर से ऊपर तक भरा रहता है। इसीलिए में मंदिर में केवल तीन चार महीने ही पूजा हो पाती है। रत्नेश्वर महादेव मंदिर का रहस्य! रत्नेश्वर महादेव मंदिर रत्नेश्वर महादेव मंदिर के विषय में इतना जानने के बाद आपके मन में जरूर ढेर सारे सवाल आए होंगे...

पुष्कर: यहां कैसे बने 52 घाट, सिर्फ यहीं क्यों सफल मानी जाती है भगवान ब्रह्मा की पूजा? जानें डिटेल

पुष्कर. राजस्थान का पुष्कर जगतपिता बृह्माजी के लिए प्रसिद्ध है. दुनिया में हिन्दू मान्यता के अनुसार पांचवा तीर्थ भी पुष्कर को माना जाता है. हरिद्वार की तरह ही पुष्‍कर भी हिन्‍दुओं का बड़ा तीर्थस्‍थल है. तीर्थों में सबसे बड़ा तीर्थ स्थल होने के कारण ही इसे तीर्थराज पुष्‍कर कहा जाता है. इसी तीर्थ स्थल पर पुष्कर सरोवर है, जिसके चारों ओर कुल 52 घाट बने हुए हैं. ये 52 घाट अलग अलग राजपरिवारों, पंडितों और समाजों द्वारा बनवाये गए हैं, जिसमें सबसे बड़ा घाट गऊघाट कहलाता है. शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अगर आपने चारों धाम बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वरम और द्वारका के दर्शन कर लिए हैं, लेकिन आपने पुष्कर का दर्शन नहीं किया है तो आपकी यात्रा सफल नहीं मानी जाएगी. ऐसे में पुष्कर का महत्व और भी बढ़ जाता है. पुष्कर में प्रसिद्ध मेला भी लगता है. पुष्कर भारत के उन चुनिंदा स्थानों में शामिल है, जहां भगवान ब्रह्मा का मंदिर है. 52 घाट हैं पुष्कर सरोवर पर न्यूज़ 18 से बातचीत में पंडित रवि शर्मा बताते हैं कि पुष्कर सरोवर के चारों तरफ कुल 52 घाट बने हुए हैं. इन सभी 52 घाटों का अपना-अपना धार्मिक और पौराणिक महत्व है. इनमें गऊ घाट, ब्रह्म घाट, वराह घाट, बद्री घाट, सप्तर्षि घाट, तरणी घाट सहित अन्य घाट शामिल हैं. पुष्कर में विभिन्न राजघरानों की ओर से यहां घाटों का निर्माण करवाया गया है. इनमें ग्वालियर घाट, जोधपुर घाट, कोटा घाट, भरतपुर घाट, जयपुर घाट शामिल हैं. ये हैं घाटों के नाम मुख्य गऊघाट, जनाना घाट, चीर घाट, बालाराव घाट, हाथीसिंह जी का घाट, शेखावाटी घाट, राम घाट, राय मुकुन्द घाट, गणगौर घाट, रघुनाथ घाट, बद्री घाट, भदावर राजा घाट, विश्राम घाट, नरसिंह घाट, मोदी घाट, वराह घाट, बंसीलाल घाट, एक सौ ...

रायपुर का प्रसिद्ध मंदिर है यह हाटकेश्वर महादेव का मंदिर। Hatkeshwar Mahadev Raipur.

यह प्रसिद्ध मंदिर महादेव घाट पर बना हुआ हैै। यह रायपुर से कुछ ही दूरी पर रायपुर पाटन वाले रोड पर रोड के किनारे में बनाया गया हैै। वैसे तो छत्तीसगढ़ में भगवान शिव पर आधारित कई मंदिर हैं और सबकी अपनी अलग-अलग मान्यताएं भी हैं। लेकिन आप इस मंदिर की मान्यता सुनकर दंग रह जाएंगे। अगर लोगों की माने तो कहा जाता है कि जो लोग बाबा के दर्शन करने उज्जैन के महाकाल में नहीं जा सकते वे श्रद्धालु यदि ब्रह्म मुहूर्त में सच्चे दिल से यहां पर मन्नते मांगे तो उनकी प्रार्थना स्वीकार होती है और भोलेनाथ उनकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं। भोलेनाथ के भक्तों की आस्था के कारण महादेव घाट स्थित इस महादेव के मंदिर में सप्ताह के सातों दिन काफी भीड़ देखी जाती हैं। इसके साथ ही यहां पर आने वाले भक्तों की संख्या में सावन के माह में अचानक वृद्धि देखी जाती है और यहां पर दूर-दूर से लोग बाबा के दर्शन के लिए पाने के लिए आते हैं। महादेव घाट में स्थित इस मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं लेकिन यह मंदिर रायपुर और दुर्ग जिला के लोगों के लिए मुख्य आकर्षणों में से एक है। यहां पर आकर भोलेनाथ के दर्शन मात्र से ही भक्तों के कष्ट दूर होने लगते हैं। इस मंदिर का गर्भगृह मंदिर में प्रवेश करने के कई सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने पर दिखाई देगा। मंदिर के गर्भगृह तक जाने के रास्ते में आपको कई मूर्तियां देखने को मिलेंगे। जब लोग इस मंदिर पर दर्शन के लिए जाते हैं तो वे अपने साथ थोड़ा सा चावल लेकर जाते हैं और गर्भगृह तक जाते-जाते सभी मूर्तियों में थोड़ा थोड़ा चावल चढ़ाते हुए जाते हैं। आपको बता दें कि इस मंदिर के बाहर प्रतिवर्ष कार्तिक माह में पुन्नी मेला लगता है। यह मेला 2 दिनों का होता है जो कि पूरे प्रदेश में महादेव घाट मेला के ना...

हटकेश्वर महादेव: महादेव का चमत्कारिक मंदिर

राजधानी रायपुर में महादेव घाट पर हटकेश्वर महादेव का चमत्कारिक मंदिर है। खारुन नदी के तट पर स्थित महादेव मंदिर के पीछे त्रेता युग की एक दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है। जिसके चलते यहां देशभर ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर खारुन नदी के तट पर होने की वजह से महादेव घाट के नाम से प्रसिद्ध है। रायपुर शहर से 8 किमी दूर स्थित 500 साल पुराना भगवान शिव का यह मंदिर प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। राजधानी रायपुर में महादेव घाट पर हटकेश्वर महादेव का चमत्कारिक मंदिर है। खारुन नदी के तट पर स्थित महादेव मंदिर के पीछे त्रेता युग की एक दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है। जिसके चलते यहां देशभर ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर खारुन नदी के तट पर होने की वजह से महादेव घाट के नाम से प्रसिद्ध है। रायपुर शहर से 8 किमी दूर स्थित 500 साल पुराना भगवान शिव का यह मंदिर प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। मान्यता है कि तकरीबन 600 साल पुराने इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से भक्तों की हर इच्छा पूरी हो जाती है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार इस मंदिर में दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। बारिक नक्काशी से सुसज्जित इस भव्य मंदिर की आंतरिक और बाहरी कक्षों की शोभा देखते ही बनती है। शिवजी को अपने कंधे पर लाये हनुमान जी- भगवान हनुमान जी शिव जी को अपने कंधे पर यहां लेकर आए थे। इस कथा के चलते ही यह मंदिर दूर-दूर तक जाना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर की मान्यता भगवान श्रीराम के वन गमन के समय हुई थी। वनवास के दौरान जब वे छत्तीसगढ़ के इस इलाके से गुजर रहे थे, तब इस शिवलिंग की स्थापना लक्ष्मणजी के हाथों हुई थी। कहा जाता है कि स्थापना के लिए हनुम...