महानगरों की ‘फ़्िैट–कल्चर’ और िेखखका मन्नूभंडारी के परंपरागत ‘पडोस कल्चर’ में आपको क्या अंतर ददखाई देता है? ववचार करके लिखखए।

  1. Dehradun News: मॉल कल्चर और ऑनलाइन शॉपिंग के दौर में आज भी है पलटन बाजार का दबदबा, जानें वजह
  2. Hindi Course
  3. मन्नू भंडारी
  4. भारत के महानगर
  5. ‘जलीय कृषि’ में ‘केज कल्चर’


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Dehradun News: मॉल कल्चर और ऑनलाइन शॉपिंग के दौर में आज भी है पलटन बाजार का दबदबा, जानें वजह

हिना आज़मी/देहरादून. उत्‍तराखंड का देहरादून शहर अब विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. मतलब महानगरों की तरह यहां भी अब कई बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किए जा रहे हैं, जिसमें बड़े-बड़े मॉल्स भी हैं. हालांकि कभी देहरादून शहर में खरीदारी के लिए एकमात्र पलटन बाजार हुआ करता था, जहां से लोग अपनी जरूरत के सामान से लेकर कपड़े आदि की खरीदारी करते थे. आज देहरादून में पैसिफिक मॉल, सेंट्रियो मॉल आदि बन गये हैं. इसी के साथ ही लॉकडाउन से लेकर अब तक ऑनलाइन शॉपिंग का रास्ता भी लोग अपना रहे हैं. मॉल कल्चर और ऑनलाइन शॉपिंग के ट्रेंड के बीच देहरादून के परंपरागत बाजार पर क्या असर पड़ा है और लोग किस गुणवत्ता और दामों पर भरोसा करते हैं. देखें खास रिकॉर्ड… देहरादून में खरीदारी करने के लिए लोग पलटन बाजार, इंदिरा मार्केट और तिब्बती मार्केट आदि में ही शॉपिंग करना पसंद करते हैं. मौजूदा वक्त में राजधानी देहरादून में कई बड़े मॉल बन गए हैं, जहां घूमने के लिए कई लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ जाते हैं. यहां कई तरह की सुविधाएं भी होती हैं जिससे लोग ज्यादा आकर्षित होते हैं. खासकर इनमें मल्टीप्लेक्स हॉल और बच्चों के खेलने के लिए इक्विपमेंट्स होने से देहरादून के लोग वीकेंड्स पर यहां घूमना पसंद जरूर करते हैं, लेकिन खरीदारी के लिए देहरादून के ज्यादातर लोग आज भी पलटन बाजार को ही प्रमुखता देते हैं. दरअसल, पलटन बाजार में कई तरह के बाजार शामिल हैं जिनमें दूल्हा बाजार ,रामा मार्केट, मोती बाजार, मछली बाजार आदि शामिल है. इस जगह हर सामान सही दाम पर मिल जाता है. अपनी सहेली के साथ पलटन बाजार से खरीदारी करने आई सोनम का कहना है कि जिन लोगों के पास ज्यादा वक्त नहीं होता और वह बाजार में नहीं घूम पाते हैं. वही लोग ऑनलाइन शॉपिंग ...

Hindi Course

सामान्य निर्देश : • इस प्रश्नपत्र में दो खंड हैं- खंड 'क' और ख'। खंड-क में वस्तुपरक/बहुविकल्पी और खंड-ख में वस्तुनिष्ठ/वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं। • प्रश्नपत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। • यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए। • खंड 'क' में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 49 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है। • खंड 'खमें कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए। निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए - 'घर' जैसा छोटा-सा शब्द भावात्मक दृष्टि से बहुत विशाल होता है। इस आधार पर मकान, भवन, फ़्लैट, कमरा, कोठी, बँगला आदि इसके समानार्थी बिलकुल भी नहीं लगते हैं क्योंकि इनका सामान्य संबंध दीवारों, छतों और बाहरी व आंतरिक साज-सज्जा तक सीमित होता है, जबकि घर प्यार-भरोसे और रिश्तों की मिठास से बनता है। एक आदर्श घर वही है, जिसमें प्रेम व भरोसे की दीवारें, आपसी तालमेल की छतें, रिश्तों की मधुरता के खिले-खिले रंग, स्नेह, सम्मान व संवेदनाओं की सज्जा हो। घर में भावात्मकता है, वह भावात्मकता, जो संबंधों को महकाकर परिवार को जोड़े रखती है। यह बात हमें अच्छी तरह याद रखनी चाहिए कि जब रिश्ते महकते हैं, तो घर महकता है, प्यार अठखेलियाँ करता है, तो घर अठखेलियाँ करता है, रिश्तों का उल्लास घर का उल्लास होता है, इसलिए रिश्ते हैं, तो घर है और रिश्तों के बीच बहता प्रेम घर की नींव है। यह नींव जितनी मज़बूत होगी, घर उतना ही मज़बूत होगा। न जाने क्यों, आज का मन...

मन्नू भंडारी

• क्षितिज भाग - 2 • सूरदास : पद • • • तुलसीदास : राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद • • • देव : सवैया और कवित्त • • • • जयशंकर प्रसाद : आत्मकथ्य • • • सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' : उत्साह और अट नहीं रही है • • • • नागार्जुन : यह दंतुरित मुसकान और फसल • • • • गिरिजकुमार माथुर : छाया मत छूना • • • ऋतुराज : कन्यादान • • • मंगलेश डबराल : संगतकार • • • स्वयं प्रकाश : नेताजी का चश्मा • • • रामवृक्ष बेनीपुरी : बालगोबिन भगत • • • यशपाल : लखनवी अंदाज़ • • • सर्वेश्वर दयाल सक्सेना : मानवीय करुणा की दिव्य चमक • • • मन्नू भंडारी : एक कहानी यह भी • • • महावीरप्रसाद द्विवेदी : स्त्री-शिक्षा के विरोधी और कुतर्कों का खंडन • • • यतींद्र मिश्र : नौबतखाने में इबादत • • • भदंत आनंद कौसल्यायन : संस्कृति • • • कृतिका भाग - 2 • माता का आँचल • • जॉर्ज पंचम की नाक • • साना-साना हाथ जोड़ि... • • एही ठैयाँ झुलनी हैरानी हो रामा! • • मैं क्‍यों लिखता हूँ? • • व्याकरण विभाग • • • • • • • • • • • • • • • लेखन कौशल • • • • • • • • • • अपठित विभाग • •

भारत के महानगर

भारत में महानगरों को महत्वपूर्ण आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक केंद्र माना जाता है। भारत में महानगरीय शहरों में रोडवेज, वायुमार्ग और रेलवे के साथ अच्छी कनेक्टिविटी है। भारत में इन शहरों को शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में समकालीन बुनियादी ढांचे के साथ विकसित किया गया है। भारत में मेट्रोपॉलिटन शहरों के लिए विनियम संविधान का 74 वां संशोधन अधिनियम, 1992 भारत में एक महानगरीय क्षेत्र को परिभाषित करता है, ’10 लाख या उससे अधिक की आबादी वाला एक क्षेत्र, जिसमें एक या एक से अधिक जिले शामिल हैं और दो या अधिक नगर पालिकाओं या पंचायतों या अन्य मेहनती क्षेत्रों से मिलकर बनता है, द्वारा निर्दिष्ट एक महानगरीय क्षेत्र होने के लिए सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा राज्यपाल ’। इस परिभाषा के अनुसार, एक शहर को एक महानगरीय क्षेत्र बनने और भारत में मेट्रोपॉलिटन शहरों का हिस्सा बनने के लिए खंड में उल्लिखित आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। भारत में महानगरीय शहरों का विभाजन दूसरी ओर, 40 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को ‘मेगा सिटीज’ कहा जाता है। इन्हें ध्यान में रखते हुए, भारत में लगभग 46 महानगर हैं। यह संख्या 2011 की नवीनतम जनगणना पर आधारित है। भारत के इन 46 महानगरों में से 8 को ‘मेगा सिटीज’ माना जाता है। भारत में 8 मेगा महानगर हैं: मुंबई, महाराष्ट्र मुंबई भारतीय फिल्म उद्योग का घर है, जिसे बॉलीवुड, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और गगनचुंबी इमारतों के रूप में जाना जाता है। पश्चिमी भारतीय राज्य की यह राजधानी अपने त्योहारों, संस्कृति, व्यंजनों और संगीत के लिए लोकप्रिय है। दिल्ली भारतीय केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली; भारत की आधुनिक राजधानी, हलचल भरी सड़कों, औपनिवेशिक मूर्तियों, धूल भरे और चकाचौंध भरे बाजारों और चकाच...

‘जलीय कृषि’ में ‘केज कल्चर’

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