महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम क्या था

  1. महाराणा प्रताप के घोड़े का क्या नाम था?
  2. Mughal Emperor Akbar was afraid of Maharana Pratap never appeared in the war due to fear
  3. महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी
  4. महाराणा प्रताप के घोड़े का क्या नाम था?
  5. Mughal Emperor Akbar was afraid of Maharana Pratap never appeared in the war due to fear
  6. महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी
  7. Mughal Emperor Akbar was afraid of Maharana Pratap never appeared in the war due to fear
  8. महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी
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महाराणा प्रताप के घोड़े का क्या नाम था?

Explanation : महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था। उन्होंने 21 जून, 1576 को हल्दीघाटी के युद्ध के दौरान चेतक की सवारी की थी और उसके बाद चेतक राजस्थान की गाथाओं में अमर हो गया। चेतक कैथिवाड़ी नस्ल का था। बता दे​ कि इस प्रश्न से जुड़े सामान्य ज्ञान के प्रश्न रेलवे की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते रहे है। जो छात्र भारतीय रेलवे की वि​भिन्न जोनल रेलवे और उत्पादन इकाईयों में गैर तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों जैसे कनिष्ठ सह टंकक, लेखा लिपिक सह टंकक, ट्रेन लिपिक, वाणिज्यिक सह टिकट लिपिक, यातायात सहायक, गुड्स गार्ड, वरिष्ठ वाणिज्यिक सह टिकट लिपिक, वरिष्ठ लिपिक सह टंकक, कनिष्ठ लेखा सहायक सह टंकक, वरिष्ठ समयपाल कमर्शियल अपरेंटिस और स्टेशन मास्टर के पदों के लिए तैयारी कर रहे है। उन्हें इन प्रश्नों को विशेषतौर पर याद कर लेना चाहिए। Tags :

Mughal Emperor Akbar was afraid of Maharana Pratap never appeared in the war due to fear

Maharana Pratap : मुगल शासक अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हल्दी घाटी का युद्ध हुआ था. अकबर और महाराणा प्रताप के बीच कई युद्ध हुए. महाराणा प्रताप को मारने के लिए अकबर ने क्‍या-क्‍या नहीं हथकंडे अपनाए. तो आइये जानते हैं अकबर और महाराणा प्रताप को लेकर अनसुनी कहानी. महाराणा प्रताप ने राजपूताना महिलाओं पर बुरी नजर रखने वाले बहलोल खां को दिवेर के युद्ध में काट डाला था. अकबर ने बहलोल खां को भेजा था महाराणा प्रताप को मारने अकबर का सेना नायक का नाम बहलोल खां. बहलोल खां को लेकर कहा जाता है कि वह सात फीट 8 इंच लंबा था. बहलोल इतना जालिम था कि उसने तीन दिन के नवजात की गला रेतकर हत्‍या कर दी थी. बहलोल खां को लेकर यह भी कहा जाता है कि उसने अपने जीवन में कोई लड़ाई नहीं हारा था. शायद यही वजह था कि अकबर से महाराणा प्रताप का सिर काट कर लाने के लिए बहलोल खां को भेजा था.लेकिन वो खुद जान गंवा बैठा. महाराणा प्रताप ने 1583 में विजयादशमी पर अपने सैनिकों के साथ मेवाड़ को आजाद कराने के लिए अभियान छेड़ा। प्रसिद्ध संत योगी रूपनाथ व इष्ट माता चामुंडा का पावन आशीर्वाद लेकर दिवेर युद्ध प्रारम्भ हुआ। महाराणा प्रताप ने सेना को दो हिस्सों में विभाजित कर युद्ध का बिगुल फूंक दिया। एक टुकड़ी का नेतृत्व स्वयं महाराणा के हाथ में था तथा दूसरी टुकड़ी का नेतृत्व उनके पुत्र अमर सिंह कर रहे थे। दिवेर का यह युद्ध बड़ा भीषण था। राजकुमार अमर सिंह के नेतृत्व वाली टुकड़ी ने दिवेर थाने पर हमला कर दिया। हजारों की संख्या में मुगल सैनिक तलवारों, बरछों, भालों व कटारों से बींध दिए गए। युद्ध में राजकुमार अमरसिंह ने सुल्तान खान को बरछा मारा जो सुल्तान खान और उसके घोड़े को काटता हुआ निकल गया। महाराणा प्रताप ने बहलोल खान मुगल के सि...

महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी

महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी – महाराणा प्रताप भारत के महान वीर सपूतों में से एक थे। वीरों के नायक महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया, जिनकी वीरता, बलिदान और त्याग की गाथाएं आज भी पूरे देश में गूंजती हैं। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को एक राजपूत राजघराने में हुआ था। पिता उदयसिंह मेवाड़ा वंश के शासक थे। महाराणा प्रताप उनके बड़े पुत्र थे। महाराणा प्रताप के तीन छोटे भाई और दो सौतेली बहनें थीं। वीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाईयां लड़ी थीं। महाराणा प्रताप ने अकबर को तीन बार युद्ध में हराया था। कहते है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर रात बिताई, पर अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी। कहा तो यह भी जाता है की महाराणा प्रताप अपनी तलवार से दुश्मनों के एक झटके में घोड़े समेत दो टुकड़े कर देते थे। तो आइये जानते है महाराणा प्रताप की तलवार का वजन कितना था और महाराणा प्रताप की तलवार का क्या नाम था – महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी (Maharana Pratap Ki Talwar Kitne Kilo Ki Thi) सोशल मीडिया और इंटरनेट पर कई रिपोर्ट्स में महाराणा प्रताप के भाले के वजन को लेकर चर्चा की जाती है। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो और उनके छाती के कवच का वजन 72 किलो था। वहीं उनके भाले, कवच, ढाल और दो तलवारों का कुल वजन 208 किलो था। वहीं, कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उनका वजन 110 किलो और हाइट 7 फीट 5 इंच थी। साथ ही कई जगहों पर इस 208 किलो को 500 किलो तक भी बताया गया है और कहा गया है कि प्रताप अपने वजन से कई किलो ज्यादा वजन लेकर युद्ध के मैदान में उतरते थे। पर सचाई क्या है? वैसे बहुत से लोग यही जानते हैं कि ...

महाराणा प्रताप के घोड़े का क्या नाम था?

Explanation : महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था। उन्होंने 21 जून, 1576 को हल्दीघाटी के युद्ध के दौरान चेतक की सवारी की थी और उसके बाद चेतक राजस्थान की गाथाओं में अमर हो गया। चेतक कैथिवाड़ी नस्ल का था। बता दे​ कि इस प्रश्न से जुड़े सामान्य ज्ञान के प्रश्न रेलवे की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते रहे है। जो छात्र भारतीय रेलवे की वि​भिन्न जोनल रेलवे और उत्पादन इकाईयों में गैर तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों जैसे कनिष्ठ सह टंकक, लेखा लिपिक सह टंकक, ट्रेन लिपिक, वाणिज्यिक सह टिकट लिपिक, यातायात सहायक, गुड्स गार्ड, वरिष्ठ वाणिज्यिक सह टिकट लिपिक, वरिष्ठ लिपिक सह टंकक, कनिष्ठ लेखा सहायक सह टंकक, वरिष्ठ समयपाल कमर्शियल अपरेंटिस और स्टेशन मास्टर के पदों के लिए तैयारी कर रहे है। उन्हें इन प्रश्नों को विशेषतौर पर याद कर लेना चाहिए। Tags :

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Maharana Pratap : मुगल शासक अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हल्दी घाटी का युद्ध हुआ था. अकबर और महाराणा प्रताप के बीच कई युद्ध हुए. महाराणा प्रताप को मारने के लिए अकबर ने क्‍या-क्‍या नहीं हथकंडे अपनाए. तो आइये जानते हैं अकबर और महाराणा प्रताप को लेकर अनसुनी कहानी. महाराणा प्रताप ने राजपूताना महिलाओं पर बुरी नजर रखने वाले बहलोल खां को दिवेर के युद्ध में काट डाला था. अकबर ने बहलोल खां को भेजा था महाराणा प्रताप को मारने अकबर का सेना नायक का नाम बहलोल खां. बहलोल खां को लेकर कहा जाता है कि वह सात फीट 8 इंच लंबा था. बहलोल इतना जालिम था कि उसने तीन दिन के नवजात की गला रेतकर हत्‍या कर दी थी. बहलोल खां को लेकर यह भी कहा जाता है कि उसने अपने जीवन में कोई लड़ाई नहीं हारा था. शायद यही वजह था कि अकबर से महाराणा प्रताप का सिर काट कर लाने के लिए बहलोल खां को भेजा था.लेकिन वो खुद जान गंवा बैठा. महाराणा प्रताप ने 1583 में विजयादशमी पर अपने सैनिकों के साथ मेवाड़ को आजाद कराने के लिए अभियान छेड़ा। प्रसिद्ध संत योगी रूपनाथ व इष्ट माता चामुंडा का पावन आशीर्वाद लेकर दिवेर युद्ध प्रारम्भ हुआ। महाराणा प्रताप ने सेना को दो हिस्सों में विभाजित कर युद्ध का बिगुल फूंक दिया। एक टुकड़ी का नेतृत्व स्वयं महाराणा के हाथ में था तथा दूसरी टुकड़ी का नेतृत्व उनके पुत्र अमर सिंह कर रहे थे। दिवेर का यह युद्ध बड़ा भीषण था। राजकुमार अमर सिंह के नेतृत्व वाली टुकड़ी ने दिवेर थाने पर हमला कर दिया। हजारों की संख्या में मुगल सैनिक तलवारों, बरछों, भालों व कटारों से बींध दिए गए। युद्ध में राजकुमार अमरसिंह ने सुल्तान खान को बरछा मारा जो सुल्तान खान और उसके घोड़े को काटता हुआ निकल गया। महाराणा प्रताप ने बहलोल खान मुगल के सि...

महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी

महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी – महाराणा प्रताप भारत के महान वीर सपूतों में से एक थे। वीरों के नायक महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया, जिनकी वीरता, बलिदान और त्याग की गाथाएं आज भी पूरे देश में गूंजती हैं। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को एक राजपूत राजघराने में हुआ था। पिता उदयसिंह मेवाड़ा वंश के शासक थे। महाराणा प्रताप उनके बड़े पुत्र थे। महाराणा प्रताप के तीन छोटे भाई और दो सौतेली बहनें थीं। वीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाईयां लड़ी थीं। महाराणा प्रताप ने अकबर को तीन बार युद्ध में हराया था। कहते है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर रात बिताई, पर अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी। कहा तो यह भी जाता है की महाराणा प्रताप अपनी तलवार से दुश्मनों के एक झटके में घोड़े समेत दो टुकड़े कर देते थे। तो आइये जानते है महाराणा प्रताप की तलवार का वजन कितना था और महाराणा प्रताप की तलवार का क्या नाम था – महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी (Maharana Pratap Ki Talwar Kitne Kilo Ki Thi) सोशल मीडिया और इंटरनेट पर कई रिपोर्ट्स में महाराणा प्रताप के भाले के वजन को लेकर चर्चा की जाती है। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो और उनके छाती के कवच का वजन 72 किलो था। वहीं उनके भाले, कवच, ढाल और दो तलवारों का कुल वजन 208 किलो था। वहीं, कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उनका वजन 110 किलो और हाइट 7 फीट 5 इंच थी। साथ ही कई जगहों पर इस 208 किलो को 500 किलो तक भी बताया गया है और कहा गया है कि प्रताप अपने वजन से कई किलो ज्यादा वजन लेकर युद्ध के मैदान में उतरते थे। पर सचाई क्या है? वैसे बहुत से लोग यही जानते हैं कि ...

Mughal Emperor Akbar was afraid of Maharana Pratap never appeared in the war due to fear

Maharana Pratap : मुगल शासक अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हल्दी घाटी का युद्ध हुआ था. अकबर और महाराणा प्रताप के बीच कई युद्ध हुए. महाराणा प्रताप को मारने के लिए अकबर ने क्‍या-क्‍या नहीं हथकंडे अपनाए. तो आइये जानते हैं अकबर और महाराणा प्रताप को लेकर अनसुनी कहानी. महाराणा प्रताप ने राजपूताना महिलाओं पर बुरी नजर रखने वाले बहलोल खां को दिवेर के युद्ध में काट डाला था. अकबर ने बहलोल खां को भेजा था महाराणा प्रताप को मारने अकबर का सेना नायक का नाम बहलोल खां. बहलोल खां को लेकर कहा जाता है कि वह सात फीट 8 इंच लंबा था. बहलोल इतना जालिम था कि उसने तीन दिन के नवजात की गला रेतकर हत्‍या कर दी थी. बहलोल खां को लेकर यह भी कहा जाता है कि उसने अपने जीवन में कोई लड़ाई नहीं हारा था. शायद यही वजह था कि अकबर से महाराणा प्रताप का सिर काट कर लाने के लिए बहलोल खां को भेजा था.लेकिन वो खुद जान गंवा बैठा. महाराणा प्रताप ने 1583 में विजयादशमी पर अपने सैनिकों के साथ मेवाड़ को आजाद कराने के लिए अभियान छेड़ा। प्रसिद्ध संत योगी रूपनाथ व इष्ट माता चामुंडा का पावन आशीर्वाद लेकर दिवेर युद्ध प्रारम्भ हुआ। महाराणा प्रताप ने सेना को दो हिस्सों में विभाजित कर युद्ध का बिगुल फूंक दिया। एक टुकड़ी का नेतृत्व स्वयं महाराणा के हाथ में था तथा दूसरी टुकड़ी का नेतृत्व उनके पुत्र अमर सिंह कर रहे थे। दिवेर का यह युद्ध बड़ा भीषण था। राजकुमार अमर सिंह के नेतृत्व वाली टुकड़ी ने दिवेर थाने पर हमला कर दिया। हजारों की संख्या में मुगल सैनिक तलवारों, बरछों, भालों व कटारों से बींध दिए गए। युद्ध में राजकुमार अमरसिंह ने सुल्तान खान को बरछा मारा जो सुल्तान खान और उसके घोड़े को काटता हुआ निकल गया। महाराणा प्रताप ने बहलोल खान मुगल के सि...

महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी

महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी – महाराणा प्रताप भारत के महान वीर सपूतों में से एक थे। वीरों के नायक महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया, जिनकी वीरता, बलिदान और त्याग की गाथाएं आज भी पूरे देश में गूंजती हैं। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को एक राजपूत राजघराने में हुआ था। पिता उदयसिंह मेवाड़ा वंश के शासक थे। महाराणा प्रताप उनके बड़े पुत्र थे। महाराणा प्रताप के तीन छोटे भाई और दो सौतेली बहनें थीं। वीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाईयां लड़ी थीं। महाराणा प्रताप ने अकबर को तीन बार युद्ध में हराया था। कहते है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर रात बिताई, पर अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी। कहा तो यह भी जाता है की महाराणा प्रताप अपनी तलवार से दुश्मनों के एक झटके में घोड़े समेत दो टुकड़े कर देते थे। तो आइये जानते है महाराणा प्रताप की तलवार का वजन कितना था और महाराणा प्रताप की तलवार का क्या नाम था – महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी (Maharana Pratap Ki Talwar Kitne Kilo Ki Thi) सोशल मीडिया और इंटरनेट पर कई रिपोर्ट्स में महाराणा प्रताप के भाले के वजन को लेकर चर्चा की जाती है। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो और उनके छाती के कवच का वजन 72 किलो था। वहीं उनके भाले, कवच, ढाल और दो तलवारों का कुल वजन 208 किलो था। वहीं, कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उनका वजन 110 किलो और हाइट 7 फीट 5 इंच थी। साथ ही कई जगहों पर इस 208 किलो को 500 किलो तक भी बताया गया है और कहा गया है कि प्रताप अपने वजन से कई किलो ज्यादा वजन लेकर युद्ध के मैदान में उतरते थे। पर सचाई क्या है? वैसे बहुत से लोग यही जानते हैं कि ...

महाराणा प्रताप के घोड़े का क्या नाम था?

Explanation : महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था। उन्होंने 21 जून, 1576 को हल्दीघाटी के युद्ध के दौरान चेतक की सवारी की थी और उसके बाद चेतक राजस्थान की गाथाओं में अमर हो गया। चेतक कैथिवाड़ी नस्ल का था। बता दे​ कि इस प्रश्न से जुड़े सामान्य ज्ञान के प्रश्न रेलवे की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते रहे है। जो छात्र भारतीय रेलवे की वि​भिन्न जोनल रेलवे और उत्पादन इकाईयों में गैर तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों जैसे कनिष्ठ सह टंकक, लेखा लिपिक सह टंकक, ट्रेन लिपिक, वाणिज्यिक सह टिकट लिपिक, यातायात सहायक, गुड्स गार्ड, वरिष्ठ वाणिज्यिक सह टिकट लिपिक, वरिष्ठ लिपिक सह टंकक, कनिष्ठ लेखा सहायक सह टंकक, वरिष्ठ समयपाल कमर्शियल अपरेंटिस और स्टेशन मास्टर के पदों के लिए तैयारी कर रहे है। उन्हें इन प्रश्नों को विशेषतौर पर याद कर लेना चाहिए। Tags :