महाशिवरात्रि कब है

  1. महाशिवरात्रि 2023, कब है, व्रत, पूजा विधि (Mahashivratri in Hindi)
  2. महाशिवरात्रि 2023 कब है? जानिए शुभ मुहूर्त, कथा, पूजा विधि, और मंत्र
  3. महाशिवरात्रि
  4. mahashivratri kab hai 2023 mein know date time puja vidhi samagri list when is mahashivratri in india
  5. महाशिवरात्रि कब है? पूरी जानकारी


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महाशिवरात्रि 2023, कब है, व्रत, पूजा विधि (Mahashivratri in Hindi)

महाशिवरात्रि 2023, कब है, महत्व, व्रत, पूजा विधि, कथा, शुभ मुहूर्त, ( Mahashivratri in Hindi ) ( Date, Time, in India ) बाबा महाकाल पर तन मन धन लुटाने वाले भक्तों से बिल्कुल भी इंतजार नहीं हो रहा है, क्योंकि अब उनके प्यारे बाबा महाकाल का दिन अर्थात महाशिवरात्रि आने में मुश्किल से कुछ ही दिन शेष बचे हुए हैं। ऐसे में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने के लिए व्यक्ति अभी से प्रबंध कर ले रहा है। बता दे कि वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है जिसका महत्व तो होता ही है परंतु जब बात महाशिवरात्रि की आती है तो सामान्य शिवरात्रि से महाशिवरात्रि का महत्व काफी अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि महाशिवरात्रि मनाने के एक ही नहीं बल्कि कई कारण है। इस दिन कई शुभ घटनाएं घटित हुई थी। यहां तक कि भगवान भोलेनाथ को अपनी जीवनसंगिनी भी इसी दिन मिली थी। आइए इस पेज पर विस्तार से जानते हैं कि “महाशिवरात्रि क्या है” और “महाशिवरात्रि कैसे मनाते हैं” तथा “महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं।” Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • महाशिवरात्रि क्या है? (What is Mahashivratri) भगवान शंकर को समर्पित महाशिवरात्रि का त्यौहार वैसे तो हर भारतीय के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार होता है, परंतु खासतौर पर हिंदू समुदाय और उस पर भी जो लोग भोलेनाथ के परम भक्त होते हैं उनके लिए यह त्यौहार किसी उत्सव से कम नहीं होता है। साल भर में तकरीबन 12 शिवरात्रि आती है, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण महाशिवरात्रि को माना जाता है तभी तो इसका नाम शिवरात्रि नहीं बल्कि महाशिवरात्रि है। भारत देश के अलावा जहां-जहां भी हिंदू समुदाय के लोग निवास करते हैं वहां वहां पर महाशिवरात्रि का त्यौहार भगवान भोलेनाथ की उपासना के तौर पर मनाया जाता ह...

महाशिवरात्रि 2023 कब है? जानिए शुभ मुहूर्त, कथा, पूजा विधि, और मंत्र

Mahashivratri Date 2023: महाशिवरात्रि कब की है? शुभ मुहूर्त, व्रत कथा, पूजन विधि और मन्त्र महाशिवरात्रि का त्यौहार भारत के धार्मिक त्योहारों में से एक है, जिसे फाल्गुन कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। 2023 में महाशिवरात्रि 18 फरवरी को शनिवार के दिन मनाई जा रही है। यह भगवान् शिव और माँ पार्वती के विवाह उत्सव के उपलक्ष में मनाया जाता है। इस दिन भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने और महादेव को प्रसन्न करने के लिए शिवभक्त पूरी श्रद्धा से उपवास रखते हैं, और शंकर भगवान की विधिवत् पूजा भी करते है। आइए अब आपको महाशिवरात्रि 2023 का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और कथा/कहानी (Story) एवं मंत्रों के बारे में भी बताते हैं। Mahashivratri kab hai 2023 2023 में महाशिवरात्रि कब है? शुभ मुहूर्त (Mahashivratri Shubh Mahurat) हिंदू पंचांग (कैलेंडर) के अनुसार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ने वाली शिवरात्रि महाशिवरात्रि के रूप में मनायी जाती है। इस साल 2023 में महादेव का विवाहोत्सव अथार्त महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी को मनाया जाएगा, इस दौरान निशिता काल पूजा मुहूर्त 18 फरवरी, रात 11 बजकर 52 मिनट से लेकर 12 बजकर 42 मिनट (कुल 50 मिनट) तक रहेगा। महाशिवरात्रि 2023 शुभ मुहूर्त • महाशिवरात्रि 2023 डेट: 18 फरवरी (शनिवार) • शिवरात्रि पारण समय: 19 फरवरी, 2023 (रविवार), सुबह 6 बजकर 10 मिनट से दोपहर 2 बजकर 40 मिनट तक • चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ: 18 फरवरी, 2023 (शनिवार), रात 8 बजकर 02 मिनट से • चतुर्दशी तिथि समाप्त: 19 फरवरी, 2023 (रविवार), शाम 04 बजकर 18 मिनट तक महाशिवरात्रि क्यों मनाते है जानिए कथा (Maha Shivratri Story) महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की ‘ शादी का उत्सव‘ मनाया जाता है...

महाशिवरात्रि

अनुक्रम • 1 कथाएँ • 1.1 समुद्र मन्थन • 1.2 शिकारी कथा • 2 अनुष्ठान • 2.1 भगवान शिव की अन्य पारम्परिक पूजा • 3 भारत में शिवरात्रि • 3.1 मध्य भारत • 3.2 कश्मीर • 3.3 दक्षिण भारत • 4 बांग्लादेश में शिवरात्रि • 5 नेपाल में शिवरात्रि • 5.1 नेपाल पशुपति नाथ में महाशिवरात्रि • 6 इन्हेंभीदेखें • 7 बाहरी कड़ियाँ • 8 सन्दर्भ कथाएँ [ ] महाशिवरात्रि से सम्बन्धित कई पौराणिक कथाएँ है: समुद्र मन्थन [ ] [[समुद्र मन्थन|समुद्र मंथन]अमृत का उत्पादन करने के लिए निश्चित था, लेकिन इसके साथ ही हलाहल नामक विष भी पैदा हुआ था। हलाहल विष में ब्रह्माण्ड को नष्ट करने की क्षमता थी और इसलिए केवल भगवान शिव इसे नष्ट कर सकते थे। शिकारी कथा [ ] एक बार शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। चतुर्दशी को उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी। संध्या होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की। पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियाँ तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरीं। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी मृगी कुछ ही देर बाद एक और मृगी उधर से निकली। शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया। तब उसे देख मृगी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया, 'हे पारधी! मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूँ। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूँ। मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊँगी।' शिकारी ने उसे भी जाने दिया। दो बार शिकार को खोकर उसका माथा ठनका। वह चिन्ता में पड़ गया। रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। तभी एक अन्य मृगी अपने बच्चों के साथ उधर से ...

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Mahashivratri Vrat 2023: साल में कुल 12 शिवरात्रि आती हैं, लेकिन फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान शिव और शक्ति का मिलन हुआ था। वहीं ईशान संहिता के अनुसार फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को भोलेनाथ दिव्य ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। शिवपुराण में उल्लेखित एक कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था और भोलेनाथ ने वैराग्य जीवन त्याग कर गृहस्थ जीवन अपनाया था। इस दिन विधिवत आदिदेव महादेव की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है व कष्टों का निवारण होता है। आइए जानते हैं, साल 2023 में महाशिवरात्रि का पावन पर्व कब मनाया जाएगा... महाशिवरात्रि डेट- 18फरवरी 2023, शनिवार फरवरी में बुध, सूर्य और शुक्र करेंगे राशि परिवर्तन, ये 4 राशि वाले होंगे सबसे अधिक प्रभावित, पढ़ें अपनी राशि का हाल महाशिवरात्रि पूजा विधि... • इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। • इस समय कोरोना महामारी की वजह से घर में ही भोलेनाथ की पूजा- अर्चना करें। • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। • अगर घर में शिवलिंग है तो शिवलिंग का गंगा जल, दूध, आदि से अभिषेक करें। • भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती की पूजा अर्चना भी करें। • भोलेनाथ का अधिक से अधिक ध्यान करें। • ऊॅं नम: शिवाय मंत्र का जप करें। • भगवान भोलेनाथ को भोग लगाएं।इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। • भगवान की आरती करना न भूलें। 12 फरवरी तक इन राशियों पर खूब कृपा करेंगे सूर्य देव, देखें क्या आप भी हैं इस लिस्ट में शामिल महाशिवरात्रि पूजासामग्री लिस्ट • पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न...

महाशिवरात्रि कब है? पूरी जानकारी

• • • • • • • • • महाशिवरात्रि कब है? – Mahashivratri Date 2022 हिन्दू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2022 में महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च 2022 को मनाया जा रहा है. महाशिवरात्रि का पर्व हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. वैसे तो पूरे साल में कुल 12 शिवरात्रि आती हैं लेकिन फाल्गुन मास की शिवरात्रि का महत्व सबसे अधिक होता है इसलिए इसे ‘महाशिवरात्रि’कहते हैं. यह हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है. हिन्दू धर्म के अनुयायी इस त्यौहार को बड़े ही श्रद्धा भाव और उत्साह के साथ मनाते हैं. शिव का अर्थ ‘शिव’ ही आरंभ है और शिव ही अंत. शिव का अर्थ है कल्याण अर्थात् जो कल्याणकारी है वही शिव है और ‘शिवरात्रि’ का अर्थ है भगवान शिव के ध्यान में गुज़रने वाली और ‘शिवत्व’ को प्राप्त करने वाली रात्रि. सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है. भगवान शिव आशुतोष हैं. वे तुरंत अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं. महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि का पर्व मनाने के पीछे मुख्यतः तीन कारण हैं: शिव-पार्वती विवाह –भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था. कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं और विवाह में आने वाली सभी अड़चनों को दूर करते हैं. शिव की उत्पत्ति – धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही महादेव अपने शिवलिंग स्वरुप में प्रकट हुए थे और पहली बार ब्रह्मदेव और भगवान विष्णु ने इस दिन शिवलिंग की पूजा की थी. इसलिए आज के दिन विशेष तौर पर शिवलिंग की पूजा करने का विधान है. विषपान करके संसार को बचाया – समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को अपने कंठ में धारण कर शिव ने इस श्रृष्...