महात्मा गांधी नरेगा

  1. मनरेगा के कार्यों का सोशल ऑडिट
  2. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
  3. महात्मा गांधी नरेगा में मेट मजदूरी अब 255 रुपये प्रति दिवस
  4. महात्मा गांधी नरेगा में मेट मजदूरी अब 255 रुपये प्रति दिवस
  5. मनरेगा के कार्यों का सोशल ऑडिट
  6. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
  7. मनरेगा के कार्यों का सोशल ऑडिट
  8. महात्मा गांधी नरेगा में मेट मजदूरी अब 255 रुपये प्रति दिवस
  9. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम


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मनरेगा के कार्यों का सोशल ऑडिट

इस दौरान 42 ग्राम पंचायतों का व वित्तीय वर्ष 2022-23 के 18 ग्राम पंचायतों का सामजिक अंकेक्षण इकाई की ग्राम सभा समाप्त होने के बाद महात्मा गांधी नरेगा कार्यक्रम का सोशल आर्डिंट किया गया। सोशल आडिट कार्यक्रम में महात्मा गांधी नरेगा कार्यक्रम अन्तर्गत 2 वित्तीय वर्षों में ग्राम पंचायतों में हुए कार्यों का बारीकी से जांच की गई। जनपद सभाकक्ष पामगढ़ में ग्राम पंचायतों के सोशल आडिट के दौरान जनपद पंचायत सीईओ प्रज्ञा यादव, एपीओ विजेंद्र सिंह, जिला समन्वयक जितेन्द्र टंडन, पीओ सौरभ शुक्ला व ग्राम पंचायतों के सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक उपस्थित थे।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 7 सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं। 2010-11 वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए केंद्र सरकार का परिव्यय 40,100 करोड़ रुपए था। इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण कार्य, चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों। नियत कार्य बल का करीब एक तिहाई महिलाओं से निर्मित है। सरकार एक कॉल सेंटर खोलने की योजना बना रही है, जिसके शुरू होने पर शुल्क मुक्त नंबर 1800-345-22-44 पर संपर्क किया जा सकता है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसका पुनः नामकरण किया गया। अनुक्रम • 1 राजनीतिक पृष्ठभूमि • 2 योजना • 2.1 प्रक्रिया • 3 इतिहास और अनुदान • 4 क्रियान्वयन • 5 कार्य/गतिविधियां • 6 आलोचनाएं • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ • 9 बाहरी कड़ियाँ राजनीतिक पृष्ठभूमि [ ] इस अधिनियम को वाम दल-समर्थित [ योजना [ ] यह अधिनियम, राज्य सरकारों को "मनरेगा योजनाओं" को लागू करने के निर्देश देता है। मनरेगा के तहत, केन्द्र सरकार मजदूरी की लागत, माल की लागत का 3/4 और प्रशासनिक लागत का कुछ प्रतिशत वहन करती है। राज्य सरकारें बेरोजगारी भत्ता, माल की लागत का 1/4 और राज्य परिषद की प्रशा...

महात्मा गांधी नरेगा में मेट मजदूरी अब 255 रुपये प्रति दिवस

जयपुर (jaipur), 14 जून . महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के अंतर्गत राजस्थान (Rajasthan) में नियोजित मेट की प्रति दिवस मजदूरी में बढ़ोतरी की गई है. प्रदेश में कार्यरत मेटों को अब प्रति दिवस 255 रुपये मिलेंगे. मुख्यमंत्री (Chief Minister) अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने मजदूरी बढ़ाने के लिए प्रस्ताव को मंजूरी दी है. हिमाचल में 256 सड़कों के निर्माण के लिए केंद्र को भेजी 2662 करोड़ की डीपीआर : सीएम सुक्खू गहलोत की मंजूरी से वर्ष 2023-24 के लिए महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत नियोजित मेटों की मजदूरी दर 240 रुपये प्रति दिवस से बढ़ाकर 255 रुपये प्रति दिवस की गई है. उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी नरेगा में केंद्र सरकार (Central Government)द्वारा प्रत्येक राज्य के लिए प्रतिवर्ष अर्द्धकुशल श्रमिक की मजदूरी दर अधिसूचित की जाती है.

महात्मा गांधी नरेगा में मेट मजदूरी अब 255 रुपये प्रति दिवस

जयपुर (jaipur), 14 जून . महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के अंतर्गत राजस्थान (Rajasthan) में नियोजित मेट की प्रति दिवस मजदूरी में बढ़ोतरी की गई है. प्रदेश में कार्यरत मेटों को अब प्रति दिवस 255 रुपये मिलेंगे. मुख्यमंत्री (Chief Minister) अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने मजदूरी बढ़ाने के लिए प्रस्ताव को मंजूरी दी है. कांकेर : 16 जून से 15 अगस्त तक नदी-नालों में मत्स्याखेट पूर्णत: प्रतिबंध गहलोत की मंजूरी से वर्ष 2023-24 के लिए महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत नियोजित मेटों की मजदूरी दर 240 रुपये प्रति दिवस से बढ़ाकर 255 रुपये प्रति दिवस की गई है. उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी नरेगा में केंद्र सरकार (Central Government)द्वारा प्रत्येक राज्य के लिए प्रतिवर्ष अर्द्धकुशल श्रमिक की मजदूरी दर अधिसूचित की जाती है.

मनरेगा के कार्यों का सोशल ऑडिट

इस दौरान 42 ग्राम पंचायतों का व वित्तीय वर्ष 2022-23 के 18 ग्राम पंचायतों का सामजिक अंकेक्षण इकाई की ग्राम सभा समाप्त होने के बाद महात्मा गांधी नरेगा कार्यक्रम का सोशल आर्डिंट किया गया। सोशल आडिट कार्यक्रम में महात्मा गांधी नरेगा कार्यक्रम अन्तर्गत 2 वित्तीय वर्षों में ग्राम पंचायतों में हुए कार्यों का बारीकी से जांच की गई। जनपद सभाकक्ष पामगढ़ में ग्राम पंचायतों के सोशल आडिट के दौरान जनपद पंचायत सीईओ प्रज्ञा यादव, एपीओ विजेंद्र सिंह, जिला समन्वयक जितेन्द्र टंडन, पीओ सौरभ शुक्ला व ग्राम पंचायतों के सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक उपस्थित थे।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 7 सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं। 2010-11 वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए केंद्र सरकार का परिव्यय 40,100 करोड़ रुपए था। इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण कार्य, चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों। नियत कार्य बल का करीब एक तिहाई महिलाओं से निर्मित है। सरकार एक कॉल सेंटर खोलने की योजना बना रही है, जिसके शुरू होने पर शुल्क मुक्त नंबर 1800-345-22-44 पर संपर्क किया जा सकता है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसका पुनः नामकरण किया गया। अनुक्रम • 1 राजनीतिक पृष्ठभूमि • 2 योजना • 2.1 प्रक्रिया • 3 इतिहास और अनुदान • 4 क्रियान्वयन • 5 कार्य/गतिविधियां • 6 आलोचनाएं • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ • 9 बाहरी कड़ियाँ राजनीतिक पृष्ठभूमि [ ] इस अधिनियम को वाम दल-समर्थित [ योजना [ ] यह अधिनियम, राज्य सरकारों को "मनरेगा योजनाओं" को लागू करने के निर्देश देता है। मनरेगा के तहत, केन्द्र सरकार मजदूरी की लागत, माल की लागत का 3/4 और प्रशासनिक लागत का कुछ प्रतिशत वहन करती है। राज्य सरकारें बेरोजगारी भत्ता, माल की लागत का 1/4 और राज्य परिषद की प्रशा...

मनरेगा के कार्यों का सोशल ऑडिट

इस दौरान 42 ग्राम पंचायतों का व वित्तीय वर्ष 2022-23 के 18 ग्राम पंचायतों का सामजिक अंकेक्षण इकाई की ग्राम सभा समाप्त होने के बाद महात्मा गांधी नरेगा कार्यक्रम का सोशल आर्डिंट किया गया। सोशल आडिट कार्यक्रम में महात्मा गांधी नरेगा कार्यक्रम अन्तर्गत 2 वित्तीय वर्षों में ग्राम पंचायतों में हुए कार्यों का बारीकी से जांच की गई। जनपद सभाकक्ष पामगढ़ में ग्राम पंचायतों के सोशल आडिट के दौरान जनपद पंचायत सीईओ प्रज्ञा यादव, एपीओ विजेंद्र सिंह, जिला समन्वयक जितेन्द्र टंडन, पीओ सौरभ शुक्ला व ग्राम पंचायतों के सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक उपस्थित थे।

महात्मा गांधी नरेगा में मेट मजदूरी अब 255 रुपये प्रति दिवस

जयपुर (jaipur), 14 जून . महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के अंतर्गत राजस्थान (Rajasthan) में नियोजित मेट की प्रति दिवस मजदूरी में बढ़ोतरी की गई है. प्रदेश में कार्यरत मेटों को अब प्रति दिवस 255 रुपये मिलेंगे. मुख्यमंत्री (Chief Minister) अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने मजदूरी बढ़ाने के लिए प्रस्ताव को मंजूरी दी है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में योगाभ्यास कार्यक्रम गहलोत की मंजूरी से वर्ष 2023-24 के लिए महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत नियोजित मेटों की मजदूरी दर 240 रुपये प्रति दिवस से बढ़ाकर 255 रुपये प्रति दिवस की गई है. उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी नरेगा में केंद्र सरकार (Central Government)द्वारा प्रत्येक राज्य के लिए प्रतिवर्ष अर्द्धकुशल श्रमिक की मजदूरी दर अधिसूचित की जाती है.

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 7 सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं। 2010-11 वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए केंद्र सरकार का परिव्यय 40,100 करोड़ रुपए था। इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण कार्य, चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों। नियत कार्य बल का करीब एक तिहाई महिलाओं से निर्मित है। सरकार एक कॉल सेंटर खोलने की योजना बना रही है, जिसके शुरू होने पर शुल्क मुक्त नंबर 1800-345-22-44 पर संपर्क किया जा सकता है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसका पुनः नामकरण किया गया। अनुक्रम • 1 राजनीतिक पृष्ठभूमि • 2 योजना • 2.1 प्रक्रिया • 3 इतिहास और अनुदान • 4 क्रियान्वयन • 5 कार्य/गतिविधियां • 6 आलोचनाएं • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ • 9 बाहरी कड़ियाँ राजनीतिक पृष्ठभूमि [ ] इस अधिनियम को वाम दल-समर्थित [ योजना [ ] यह अधिनियम, राज्य सरकारों को "मनरेगा योजनाओं" को लागू करने के निर्देश देता है। मनरेगा के तहत, केन्द्र सरकार मजदूरी की लागत, माल की लागत का 3/4 और प्रशासनिक लागत का कुछ प्रतिशत वहन करती है। राज्य सरकारें बेरोजगारी भत्ता, माल की लागत का 1/4 और राज्य परिषद की प्रशा...