महावीर स्वामी के गुरु का नाम

  1. महावीर जीवनी
  2. Mahavir jayanti
  3. महावीर
  4. Mahavir Jayanti 2022: भगवान महावीर स्वामी जी की शिक्षाएं और मुख्य 11 गणधरों के नाम, जानें यहां
  5. महावीर स्वामी का संक्षिप्त
  6. Mahaveer Ka Janm Kahan Hua Tha
  7. Arjun ke 12 Naam


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महावीर जीवनी

महावीर जैन धर्म में वर्तमान अवसर्पिणी काल के चौंबीसवें (२४वें) तीर्थंकर है। भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था। महावीर को 'वर्धमान', वीर', 'अतिवीर' और 'सन्मति' भी कहा जाता है। तीस वर्ष की आयु में गृह त्याग करके, उन्होंने एक लँगोटी तक का परिग्रह नहीं रखा। हिंसा, पशुबलि, जात-पात का भेद-भाव जिस युग में बढ़ गया, उसी युग में भगवान महावीर का जन्म हुआ। उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया। तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया। उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य। सभी जैन मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका को इन पंचशील गुणों का पालन करना अनिवार्य है| महावीर ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाई और मार्गदर्शन किया। प्रारंभिक जीवन : भगवान महावीर, ऋषभदेव से प्रारंभ हुई वर्तमान चौबीसी के अंतिम तीर्थंकर थे। प्रभु महावीर प्रारंभिक तीस वर्ष राजसी वैभव एवं विलास के दलदल में 'कमल' के समान रहे। मध्य के बारह वर्ष घनघोर जंगल में मंगल साधना और आत्म जागृति की आराधना में, बाद के तीस वर्ष न केवल जैन जगत या मानव समुदाय के लिए अपितु प्राणी मात्र के कल्याण एवं मुक्ति मार्ग की प्रशस्ति में व्यतीत हुए। महावीर स्वामी का जीवन काल 599 ई. ईसा पूर्व से 527 ई. ईसा पूर्व तक माना जाता है। इनकी माता का नाम 'त्रिशला देवी' और पिता का नाम 'सिद्धार्थ' था। बचपन में महावीर का नाम 'वर्धमान' था, लेकिन बाल्यकाल से ही यह साहसी, तेजस्वी, ज्ञान पिपासु और अत्यंत बलशाली होने के कारण 'महावीर' कहलाए। भगव...

Mahavir jayanti

हर साल मार्च अप्रैल महीने के बीच महावीर स्वामी का जन्म दिवस महावीर जयंती के रूप मे मनाया जाता है यह दिन जैनियों के लिए एक खास त्योहार है तो आइये आज हम सभी onlinehitam के इस लेख के माध्यम से भगवान महावीर के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलूओं को जानते है यह लेख छात्रों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है इस लेख को कक्षा 4,5,6,7,8,9,10 तक के छात्र निबंध रूप मे भी उपयोग कर सकते है महावीर जयंती 2022 महावीर स्वामी का जीवन परिचय व निबंध प्रस्तावना - तीर्थकर थे। इनके पहले के तीर्थंकरों की जयंती सर्दियों क मौसम में मनाई जाती थी। भगवान महावीर को जैन धर्म में एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में वर्णित किया गया है। इस दिन गरीब लोगो को दान दिया जाता है और भगवान महावीर के हमेशा सदमार्ग में चलने का आशीर्वाद मांगा जाता है। महावीर जयंती का इतिहास - जैनों के 24 वें तीर्थंकर महावीर स्वामी यह जनों के अंतिम तीर्थकर थे इन्हें वर्धमान नाम से भी जाना जाता है। महावीर स्वामी को जैन धर्म की खोज और जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांतों का प्रतिपादन करने के लिए जाना जाता है इनका जन्म 540 ईसा पूर्व शुक्ल पक्ष की चैत्र महीने के 13 वें दिन बिहार वैशाली जिले के कुंडल ग्राम में हुआ था। यही कारण है कि हर साल महावीर जयंती के दिन जैन धर्म के साथ-साथ अन्य लोगों द्वारा भी महान जैन संत महावीर स्वामी का जन्म दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इनका जन्म दिवस जैन समाज के लिए एक बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण और पारंपरिक उत्सव है भारत में इस दिन को अवकाश के रूप में घोषित किया गया है इस दिन सभी कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों का अवकाश होता है महावीर स्वामी का जन्म - महावीर स्वामी का जन्म आज से लगभग 540 ईसा पूर्व भारत के बिहार राज्य के एक राज परि...

महावीर

महावीर चौबीसवें पहाड़ पर उकेरी गयी तीर्थंकर महावीर की आकृति (तमिल नाडु) विवरण अन्य नाम वीर, अतिवीर, वर्धमान, सन्मति एतिहासिक काल ल॰ ५९९ – ५२७ ई॰पू॰ शिक्षाएं अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकान्तवाद पूर्व तीर्थंकर गृहस्थ जीवन वंश इक्ष्वाकु पिता माता जन्म कल्याणक चैत्र शुक्ल त्रयोदशी जन्म स्थान कुण्डग्राम, कार्तिक कृष्ण अमावस्या मोक्ष स्थान लक्षण रंग चिन्ह आयु शासक देव मातंग यक्षिणी सिद्धायिका प्रथम गणधर गणधरों की संख्य ११ भगवान महावीर (Mahāvīra) अनुक्रम • 1 जीवन • 1.1 जन्म • 1.2 विवाह • 2 तपस्या • 3 केवल ज्ञान और उपदेश • 3.1 पाँच व्रत • 3.2 दस धर्म • 4 मोक्ष • 5 वर्तमान में • 6 साहित्य • 6.1 काव्यात्मक • 7 पुरातत्व • 8 इन्हेंभीदेखें • 9 नोट • 10 सन्दर्भ • 11 ग्रन्थ • 12 बाहरी कड़ियाँ जीवन जन्म भगवन महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के कुण्डग्राम में [ विवाह तपस्या भगवान महावीर का साधना काल १२ वर्ष का था। केवल ज्ञान और उपदेश इन्हें भी देखें: जैन ग्रन्थों के अनुसार जैन ग्रन्थ, पाँच व्रत • सत्य ― सत्य के बारे में भगवान महावीर स्वामी कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ। जो बुद्धिमान सत्य की ही आज्ञा में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है। • अहिंसा – इस लोक में जितने भी त्रस जीव (एक, दो, तीन, चार और • अचौर्य - दुसरे के वस्तु बिना उसके दिए हुआ ग्रहण करना जैन ग्रंथों में चोरी कहा गया है। • अपरिग्रह – परिग्रह पर भगवान महावीर कहते हैं जो आदमी खुद सजीव या निर्जीव चीजों का संग्रह करता है, दूसरों से ऐसा संग्रह कराता है या दूसरों को ऐसा संग्रह करने की सम्मति देता है, उसको दुःखों से कभी छुटकारा नहीं मिल सकता। यही संदेश अपरिग्रह का माध्यम से भगवान महावीर दुनिया ...

Mahavir Jayanti 2022: भगवान महावीर स्वामी जी की शिक्षाएं और मुख्य 11 गणधरों के नाम, जानें यहां

नई दिल्ली: महावीर स्वामी (lord mahavir) जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर है. इस साल महावीर जयंती का पर्व 16 अप्रैल को मनाया जाएगा. इनका जन्म भारत में 599 ईसा पूर्व एक शाही दंपती के यहां हुआ था. हालांकि, महावीर स्वामी एक शाही परिवार में पैदा हुए थे और उनका जीवन बेहद ही सुखमय था. लेकिन, उन्होंने बहुत ही कम उम्र से अपने आप को सभी सांसारिक चीजों से दूर कर लिया था. तीस वर्ष की आयु में महावीर जी ने अपने परिवार और राज्य को छोड़ दिया. महावीर स्वामी ने एक तपस्वी के रूप में 12 वर्षों तक काफी संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत किया था. उन्होंने इसी दौरान अपने वस्त्रों को भी त्याग दिया था. इस प्रकार महावीर ने अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में संपूर्ण ज्ञान बयालिस वर्ष की आयु में प्राप्त (mahavir jayanti 2022) कर लिया था. यह भी पढ़े : महावीर स्वामी की शिक्षा जैन धर्म के 24वें तीर्थकर महावीर स्वामी जी (mahavir jayanti 2022 date) ने अपनी तपस्या के दौरान ही अपनी शिक्षाओं और उपदेशों के आधार से लोगों को जीवन जीने की रीत बताई थी. इसके साथ ही सत्य और अहिंसा के पथ पर चलने का ज्ञान भी प्रदान किया. महावीर स्वामी के द्वारा बताई गई शिक्षाएं और उपदेश ही जैन धर्म के प्रमुख पंचशील सिद्धांत रूप में आज भी मौजूद है. उनके दिए गए सिद्धांतों में सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय, अहिंसा और ब्रह्रमचर्य का समावेश होता है. पशु के प्रति होने वाले अत्याचार, पशु को बलि चढ़ाने की कुपरम्परा और हिन्दू समाज में व्याप्त हो रहे लोगों के भीतर चल रहा जातिवाद का विरोध भगवान महावीर ने किया था. जिसके साथ-साथ इन सिद्धान्तों और शिक्षाओं को आचरण में आकर कोई भी इंसान एक सच्चा जैन अनुयायी बन सकता है उसका संदेश प्रदान (mahavir swami ki shiksha) किया. यह ...

महावीर स्वामी का संक्षिप्त

महावीर स्वामी जी का जन्म कुणडग्राम (वैशाली) वर्ष 540 ई0 पू0 मे हुआ था इनके पिता का नाम सिध्दर्थ (ज्ञातृक क्षत्रिय कुल) था इनकी की माता का नाम त्रिशाला (लिच्छवि शासक चेटक की बहन थी) धा इनरा विवाह योशदा नामक स्त्री से हुआ था इन्हों ने अपने घर को 30 वर्ष की आयु मे छोड़ दिया था इनका तपस्थल जृम्भिक ग्राम (ऋजुपालिका नदी के किनारे) माना जाता है ये जब 42 की उम्र के हो गये थे तो इनको कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी इनकी मृुत्यु 468 ई0 (पावापुरी) में हुई थी • जैन धर्म में कुल तीर्थकरो की संख्या 24 थी जिनमें से महावीर स्वामी जी को जैन धर्म के 24वें तीर्थकर के रुप में तथा वास्तविक संस्थापक भी माना जाता है • ऋषभदेव को जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर और इस धर्म का संस्थापक भी माना जाता है। • जैन धर्म के त्रिरत्न- (1) सम्यक् दर्शन,(2) सम्यक् ज्ञान,(3) सम्यक् आचरण। जैन धर्म में ये बताया गया है कि कर्मफल से छुटकारा पाने के लिए त्रिरत्न का पालन करना आवशयक है। • इन्हों ने पाँच महाव्रतो के पालन का उपदेश दिया।- (1)सत्य, (2)अहिंसा, (3)अस्तेय,(4)अपरिग्रह (5) ब्रह्मचर्य। इनमें से शुरू के चार महाव्रत जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के थे, अन्तिम महाव्रत ब्रह्मचर्य महावीर स्वामी ने जोड़ा। • जैन धर्म अनीश्वरवादी है। • जैन धर्म के लोगो को दो सम्प्रदायों में बाँटा गया था (1)श्वेताम्बर सम्प्रदाय- के लोग श्वेत वस्त्र धारण करते थे (2)दिगम्बर सम्प्रदाय- के लोग वस्त्रों का परित्याग करते थे • इन्हों ने अपना उपदेश प्राकृत भाषा मे दिया था • जैन महासंगीतियाँ प्रथम संगीतियाँ समय 322 ई. पू०-298 ई०पू० स्थन पाटलिपुत्र अध्यक्ष स्थूलभद्र कार्य जैन धर्म दो भागों बटा श्वेताम्बर और दिगम्बर में द्वितीय संगीतियाँ समय 512...

Mahaveer Ka Janm Kahan Hua Tha

Mahaveer Ka Janm Kahan Hua Tha : हम में से लगभग सभी लोग भगवान् बुद्ध और महावीर के बारे में जानते होंगे, इन दोनो की मूर्ती को देखने से लगता है जैसे यह दोनों एक ही है पर ऐसा बिलकुल नही है आपको यह भी जानके हैरानी होगी की यह दोनों एक समय के ही भगवान् है, यह दोनों अपने अपने धर्म के स्थापक और उस धर्म को आगे लेके जाने वाले संस्थापक है बुद्धा के बौद्ध धर्म को हम सब जानते ही है और जैन धर्म का प्रचार तो बाहर के देशो तक है, जैन धर्म के संस्थापक है, दोनों ही धर्म बहुत तरह से सामान है और इन दोनों धर्मो में बहुत अंतर भी है यह दोनों धर्म ही भगवान् की पूजा आदि करने को नही कहते है, भगवान् महावीर का जीवन बिहार राज्य से शुरू हुआ था वह अपने समय के जैन धर्म के सबसे आखरी तीर्थंकर थे भगवान महावीर को मुख्य रूप से विष्णुपुर विभूति महावीर के नाम से जाना जाता है, पर यह महाबीर के नाम से ही प्रसिद्ध है और इन्हें इनका यह नाम इनके वीरता पूर्ण कार्यों से प्राप्त हुआ है इनके जीवन और जन्म के बारे में जानना ही हमारे आजके इस आर्टिकल का उद्देश्य है, इनका जन्म और इनके जन्म से जुडी सभी चीज़ों हम आपको आज इस आर्टिकल में बताएँगे विषय • • • • • • • • Mahaveer Ka Janm Kahan Hua Tha इनका जन्म एक क्षत्रीय परिवार में हुआ था, महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व वैशाली गणतंत्र के कुंडग्राम नाम की जगह में राजा सिद्धार्थ और उनके पत्नी त्रिशला के घर हुआ था वह दिन चैत्र शिक्ल तेरस का था, उनके जन्म से पहले रानी बहुत से सपने देखा करती थी और महावीर भगवान् के जन्म से पहले भी ऐसा माना जाता है की उनके राज्य में बहुत ही उन्नत्ति होने लगी थी और कहानियों में ऐसा कहा जाता है की स्वर्ग से अप्सराएं आके रानी की सेवा करती थी और राजा के रा...

Arjun ke 12 Naam

जब भी कोई गुरु अपने शिष्य से पूछता है कि तुम्हें सामने क्या दिखाई दे रहा है, तब यदि शिष्य आस पास की वस्तुओं के नाम गिनाने लगता है; तब गुरु का एक ही जवाब होता है कि इधर उधर ध्यान मत भटकाओ सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान दो बिलकुल अर्जुन की तरह। क्या आप जानते हैं की पूरे महाभारत के दौरान अर्जुन के 12 नाम (Arjun ke 12 naam) मुख्य रूप से इस्तेमाल हुए हैं जैसे कुंती पुत्र, पार्थ आदि। अर्जुन के कितने नाम है (Arjun ke kitne naam hai) ये सवाल आज भी कई लोगो के मन में है, उनके इसी सवाल का जवाब लेकर आज हम आए हैं। अर्जुन महाभारत काल का वो चरित्र है जिसे प्रत्येक व्यक्ति जानता है, क्योंकि अर्जुन आकर्षक व्यक्तित्व व कई गुणों के स्वामी थे। उन्हें उस समय का श्रेष्ठ धनुर्धर माना जाता था तथा वही वो वीर थे जिन्होंने स्वयंवर में अनेकों शूरवीरों को हराकर द्रौपदी से विवाह किया था। अर्जुन श्री कृष्ण के प्रिय सखा थे इसलिए श्री कृष्ण महाभारत युद्ध में उनके सारथी बने थे। युद्ध भूमि में अपनी कुशलता और दक्षता दिखाने वाले महावीर और युद्धवीर हैं अर्जुन। कुरुक्षेत्र में अपने सामने अपने प्रियजनों और परिवार को देखकर बिना युद्ध के पराजय स्वीकारने वाले व्यक्ति हैं अर्जुन और कृष्ण के मुख और विराट रूप से अर्जुन का जन्म और दक्षताएं माता कुंती ने पुत्र की कामना से ऋषि दुर्वासा की सेवा की थी, ऋषि ने प्रसन्न होकर उन्हें एक मन्त्र दिया और उन्हें इंद्र देव का आह्वान करने को कहा। माता कुंती ने इंद्र देव का आह्वान किया और उनके आशीर्वाद से उन्हें तेजस्वी और प्रतापी पुत्र अर्जुन के रूप में प्राप्त हुए। वे पांच भाइयों युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव में मंझले भाई थे। उन्होंने गुरु द्रोण से धनुर्विद्या सीखी थी तथा वो इत...