महर्षि वाल्मीकि की मृत्यु कब हुई

  1. महान ऋषि महर्षि वाल्मीकि की जयंती
  2. Valmiki Jayanti 2022 Date: कब है वाल्मीकि जयंती? जानिए क्या है इसका महत्व और इतिहास
  3. Valmiki Jayanti 2020 Who Was Maharishi Valmiki When And How Valmiki Jayanti Is Celebrated Date Significance Writer Of Ramayan
  4. Valmiki Jayanti 2017: महर्षि वाल्मीकि ने की थी संस्कृत के पहले श्लोक की रचना, जानिए क्या है पहला श्लोक
  5. महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय, महत्वपूर्ण घटनाये
  6. Valmiki Jayanti 2020: वाल्मीकि जयंती कब है, कौन थे महर्षि वाल्मीकि, When is Valmiki Jayanti, who was Maharishi Valmiki.


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महान ऋषि महर्षि वाल्मीकि की जयंती

एक पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि बनने से पूर्व वाल्मीकि रत्नाकर के नाम से जाने जाते थे तथा परिवार के पालन हेतु लोगों को लूटा करते थे। एक बार उन्हें निर्जन वन में नारद मुनि मिले, तो रत्नाकर ने उन्हें लूटने का प्रयास किया। तब नारद जी ने रत्नाकर से पूछा कि- तुम यह निम्न कार्य किसलिए करते हो, इस पर रत्नाकर ने जवाब दिया कि अपने परिवार को पालने के लिए। इस पर नारद ने प्रश्न किया कि तुम जो भी अपराध करते हो और जिस परिवार के पालन के लिए तुम इतने अपराध करते हो, क्या वह तुम्हारे पापों का भागीदार बनने को तैयार होंगे। इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए रत्नाकर, नारद को पेड़ से बांधकर अपने घर गए। वहां जाकर वह यह जानकर स्तब्ध रह गए कि परिवार का कोई भी व्यक्ति उसके पाप का भागीदार बनने को तैयार नहीं है। लौटकर उन्होंने नारद के चरण पकड़ लिए। तब नारद मुनि ने कहा कि- हे रत्नाकर, यदि तुम्हारे परिवार वाले इस कार्य में तुम्हारे भागीदार नहीं बनना चाहते तो फिर क्यों उनके लिए यह पाप करते हो। इस तरह नारद जी ने इन्हें सत्य के ज्ञान से परिचित करवाया और उन्हें राम-नाम के जप का उपदेश भी दिया था, परंतु वह 'राम' नाम का उच्चारण नहीं कर पाते थे। तब नारद जी ने विचार करके उनसे मरा-मरा जपने के लिए कहा और मरा रटते-रटते यही 'राम' हो गया और निरंतर जप करते-करते हुए वह ऋषि वाल्मीकि बन गए। देश भर में महर्षि वाल्मीकि की जयंती को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर शोभायात्राओं का आयोजन भी होता है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित पावन ग्रंथ रामायण में प्रेम, त्याग, तप व यश की भावनाओं को महत्व दिया गया है। वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना करके हर किसी को सद्‍मार्ग पर चलने की राह दिखाई। इस अवसर पर वाल्मीकि मंदिर में प...

Valmiki Jayanti 2022 Date: कब है वाल्मीकि जयंती? जानिए क्या है इसका महत्व और इतिहास

• • Faith Hindi • Valmiki Jayanti 2022 Date: कब है वाल्मीकि जयंती? जानिए क्या है इसका महत्व और इतिहास Valmiki Jayanti 2022 Date: कब है वाल्मीकि जयंती? जानिए क्या है इसका महत्व और इतिहास Valmiki Jayanti 2022 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है. इस जयंती को वाल्मीकि समाज समेत सभी लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. Valmiki Jayanti 2022 Date: हिंदू धर्म में रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जिसके माध्यम से भगवान राम से जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में जानकारी मिलती है. इसे एक पूजनीय ग्रंथ माना जाता है और कहते हैं कि इसे ( Valmiki Jayanti 2022 Kab hai) पढ़ने से कई परेशानियों का नाश होता है. लोकप्रिय ग्रंथ रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने थी और इसलिए वाल्मीकि जयंती का विशेष महत्व है. वाल्मीकि जयंती केवल वाल्मीकि समाज के लिए ही नहीं बल्कि अन्य सभी लोगों के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है. आइए जानते हैं इस बार कब मनाई जाएगी वाल्मीकि जयंती और इसका महत्व? वाल्मीकि जयंती का महत्व देशभर के अलग-अलग हिस्सों में वाल्मीकि जयंती के दिन सामाजिक और धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. बता दें कि महर्षिक वाल्मीकि के जन्म को लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित है. कहा जाता है कि वाल्मी​कि का जन्म महर्षि कश्यप और देवी अदिति के 9वें पुत्र और उनकी पत्नी चर्षिणी से हुआ था. कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि (Valmiki Jayanti 2021 Importance) ने ही दुनिया में सबसे पहले श्लोक ​की रचना की थी. वाल्मीकि जी को एक लेकर एक प्रचलित कहानी ये भी है ​कि जब भगवान राम ने माता सीता का त्याग किया था तो माता सीता ने महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही निवास किया था. इसी आश्रम में ही उन्होंने लव-कुश को ज...

Valmiki Jayanti 2020 Who Was Maharishi Valmiki When And How Valmiki Jayanti Is Celebrated Date Significance Writer Of Ramayan

Valmiki Jayanti 2020 : हिन्‍दुओं के आदि काव्‍य रामायण (Ramayan) के रचयिता और संस्‍कृत भाषा के परम ज्ञानी महर्षि वाल्‍मीकि (Maharishi Valmiki) के जन्‍म दिवस को देश भर में हर्षोल्‍लास के साथ मनाया जाता है. कहा जाता है कि वैदिक काल के महान ऋषियों में से एक वाल्‍मीकि पहले एक डाकू थे, लेकिन फिर ऐसी घटना घटित हुई जिसने उनको बदलकर रख दिया. वाल्‍मीकि (Valmiki) का व्‍यक्‍तित्‍व असाधारण था. यह उनके चरित्र की महानता ही है जिसने उन्‍हें इतना बड़ा कवि बनाया. उनका जीवन और चरित्र आज भी लोगों के लिए प्रेरणादायी है. देश भर में महर्षि वाल्‍मीकि की जयंती (Valmiki Jayanti) पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. अश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा यानी कि शरद पूर्णिमा को महर्षि वाल्‍मीकि का जन्‍म हुआ था. इस बार वाल्‍मीकि जयंती 31 अक्‍टूबर को है. कौन थे म‍हर्षि वाल्‍मीकि ? पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महर्षि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के घर हुआ था. इनके भाई का नाम भृगु था. कहते हैं कि बचपन में एक भीलनी ने वाल्‍मीकि को चुरा लिया था इसलिए उनका पालन-पोषण भील समाज में हुआ और वे डाकू बन गए. वाल्‍मीकि बनने से पहले उनका नाम रत्‍नाकर था और परिवार के भरण-पोषण के लिए जंगल से गुजर रहे राहगीरों को लूटते और जरूरत पड़ने पर उन्‍हें जान से भी मार देते थे. मान्‍यता है कि एक दिन उसी जंगल से नारद मुनि जा रहे थे. तभी रत्‍नाकर की नजर उन पर पड़ी और उसने उन्‍हें बंदी बना लिया. इस पर नारद मुनि ने उससे सवाल किया कि तुम ऐसे पाप क्‍यों कर रहे हो. रत्‍नाकर का जवाब था कि वह यह सब अपने परिवार के लिए कर रहा है. ऐसा जवाब सुनने के बाद नारद ने पूछा, "क्‍या तुम्‍हारा प...

Valmiki Jayanti 2017: महर्षि वाल्मीकि ने की थी संस्कृत के पहले श्लोक की रचना, जानिए क्या है पहला श्लोक

एक पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि बनने से पहले वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था। एक बार रत्नाकर अपने परिवार के पोषण के लिए जंगलों में भटक रहे थे तब उनकी मुलाकात नारद मुनि से हुई। इसके बाद नारद मुनि से रत्नाकर को ज्ञान दिया लेकिन वो समझ नहीं पाए, नारद मुनि ने उन्हें कुछ ऐसी बातें कही कि वो परेशान हो गए। इसके बाद असमंजस में पड़े रत्नाकर ने नारद मुनि को पास ही एक पेड़ से बांधा और अपने घर उस प्रश्न का उत्तर जानने हेतु पहुंच गए| उन्हें जानकर बहुत ही निराशा हुई कि उनके परिवार का एक भी सदस्य उनके कर्मों का उत्तरदायी बनने को तैयार नहीं था। सबने कहा कि कर्म वो कर रहे हैं तो उत्तरदायी भी वही होंगे। घरवालों काे जवाब सुनने के बाद रत्नाकर वापस लौटे, नारद मुनि को खोला और उनके चरणों पर गिर गए। तत्पश्चात नारद मुनि ने उन्हें सत्य के ज्ञान से परिचित करवाया और उन्हें परामर्श दिया कि वह राम-राम का जाप करें। राम नाम जपते-जपते ही रत्नाकर महर्षि बन गए और आगे जाकर महान महर्षि वाल्मीकि के नाम से विख्यात हुए। महर्षि वाल्मीकि भारतीय महाकाव्य रामायण का रचयिता हैं। माना जाता है कि संस्कृत के पहले श्लोक की रचना महर्षि वाल्मीकि ने ही की थी। महर्षी वाल्मीकि के काव्य रचना की प्रेरणा के बारे में उन्होंने खुद लिखा है। हुआ यूँ कि एक बार महर्षि क्रौंच पक्षी के मैथुनररत जोड़े को निहार रहे थे। वो जोड़ा प्रेम में लीन था तभी उनमें से एक पक्षी को किसी बहेलिये का तीर आकर लग गया और उसकी वहीं मृत्यु हो गई। ये देख महर्षि बहुत ही दुखी और क्रोधित हुए। इस पीड़ा और क्रोध में अपराधी के लिए महर्षि के मुख से एक श्लोक फूटा जिसे संस्कृत का पहला श्लोक माना जाता है। वो श्लोक नीचे यूं है- मां निषाद प्रतिष्ठां त्वगम: शाश्वती: समा: । यत्क्र...

महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय, महत्वपूर्ण घटनाये

लव और कुश को धनुर्विद्या सिखाते हुए महर्षि वाल्मीकि जी भारत हमेशा से ही महान लोगो की भूमि रही हैं यहाँ पर कई महान पुरुषों जैसे – श्री राम, कृष्ण, हनुमान, जनक, भरत, महर्षि दधिची आदि ने जन्म लिया हैं। आज हम जानने वाले हैं ऐसे ही एक महापुरुष महर्षि वाल्मीकि के बारे में। हम सभी जानते हैं कि महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामायण की रचना की हैं तथा भगवान श्री राम के जीवन को जन-जन व घर-घर रक् पहुँचाया हैं। ऋषि वाल्मीकि का जीवन बड़ा ही शिक्षाप्रद व रोचक रहा हैं । आइये जानते भारत इतिहास के इस महापुरुष के बारे में व उनके जीवन के अनमोल विचारों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयतन करते हैं। Maharishi Valmiki Biography in Hindi Table of Contents • • • • • • • • • • महर्षि वाल्मीकि जीवन संक्षेप में (Introduction) नाम महर्षि वाल्मीकि वास्तविक नाम रत्नाकर पिता जी का नाम प्रचेता माता जी का नाम चर्षणी जन्म कब हुआ? भगवान राम के काल में (त्रेतायुग) व्यवसाय महाकवि प्रमुख रचना रामायण वाल्मीकि जी का जन्म कहाँ हुआ था? भारत देश में महर्षि वाल्मीकि का प्रारंभिक जीवन (Early Life) ऐसा माना जाता हैं कि वाल्मीकि जी ने महर्षि कश्यप व अदिति के नौवे पुत्र प्रचेता की संतान के रूप में जन्म लिया था। इनकी माता का नाम चर्षणी व भ्राता का नाम भृगु था। वाल्मीकि जी का पालन-पोषण उनके असली माता-पिता प्रचेता व चर्षणी नहीं कर सके थे क्योंकि उन्हें बचपन में ही एक भील ने चुरा लिया था। भील के वाल्मीकि जी को चुरा कर ले जाने के कारण इनका पालन-पौषण भील प्रजाति में हुआ था। भीलों का प्रमुख कार्य लोगों से लूट-पाट करके अपना जीवन गुजारना था। भीलों में पले-बढे होने के कारण यह भी एक डाकू बने, इन्हें इनके जब के नाम रत्नाकर डाकू से जाना जा...

Valmiki Jayanti 2020: वाल्मीकि जयंती कब है, कौन थे महर्षि वाल्मीकि, When is Valmiki Jayanti, who was Maharishi Valmiki.

मान्यता है कि वाल्मीकि के भाई भृगु थे. महर्षि का नाम वाल्मीकि उनके कठोर तप के कारण पड़ा था. बताया जाता है कि एक समय महर्षि वाल्मीकि ध्यान में मग्न थे और उनके शरीर को दीमकों ने घेर लिया था. जब उनकी साधना पूरी हुई तो वह दीमकों के घर से बाहर निकले. दीमकों के घर को वाल्मीकि कहा जाता है, इसलिए इनका नाम महर्षि वाल्मीकि पड़ा. रामायण लिखने की कैसे मिली प्रेरणा वाल्मीकि को रत्नाकर के नाम से भी जाना जाता है. रत्नाकर को जब अपने पापों का आभास हुआ तो उन्होंने डाकू पथ को त्याग कर नया पथ अपनाने का फैसला लिया. रत्नाकर को नए पथ के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. कहा जाता है कि उन्होंने नारद जी से इस पथ के बारे में सलाह ली थी तो उन्होंने राम नाम जपने के लिए कहा था. ऐसी मान्यता है कि रत्नाकर ने लंबे वक्त कर राम नाम का जप किया, हालांकि कुछ समय के बाद राम शब्द मरा हो गया. मरा शब्द को कई सालों तक जपने के कारण वाल्मीकि का शरीर दुबला हो गया और उसपर चीटियां भी लग गईं. लेकिन अपनी कठोर साधना से वाल्मीकि ने ब्रह्मा को प्रसन्न किया. जिसके परिणाम स्वरूप ब्रह्मा ने उन्हें ज्ञान दिया और रामायण लिखने का सामर्थ्य दिया.