मिलर के प्रयोग में हाइड्रोजन अमोनिया तथा मेथेन में अनुपात था

  1. अमोनिया क्या है ? NH3 के गुण, संरचना, उपयोग और NH3 बनाने की हेबर विधि
  2. जीवोत्पत्ति के सन्दर्भ में जैव
  3. मिलर प्रयोग, प्रयोग, मिलर प्रयोग क्या थे
  4. अमोनिया
  5. मिलर और यूरे का प्रयोग जो इसमें शामिल है, महत्व और निष्कर्ष / जीवविज्ञान
  6. मिलर तथा यूरे ने ओपैरिन की परिकल्पना को सिद्ध करने हेतु किये गय
  7. हाइड्रोजनन


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अमोनिया क्या है ? NH3 के गुण, संरचना, उपयोग और NH3 बनाने की हेबर विधि

Join@telegram channel Ammonia एक रासायनिक योगिक है जिसकी प्रकृति क्षारीय होती है। यह औद्योगिक रूप अत्यधिक काम में आने वाल योगिक है। इसका प्रमुख उपयोग उर्वरक बनाने में किया जाता है। आज हम इस लेख में Ammonia के बारे में अध्ययन करेंगे। अमोनिया क्या होता है ? (ammonia kya hai ?), अमोनिया की संरचना, सूत्र, मोलर द्रव्यमान, बनाने की विधि और उपयोग का अध्ययन इस लेख में करेंगे। इसे (ammonia kya hai ?) समझने के लिए आपको यह लेख पूरा पढ़ना होगा। Ammonia का अत्यधिक उपयोग होने से इसका पूरी दुनिया में व्यापक पैमाने पर उत्पादन होता है। सन्न 2004 में पूरे विश्व में इसका आनुमानिक उत्पादन 10 करोड़ 90 लाख टन हुआ था। 2006 में इसका उत्पादन लगभग 14 करोड़ 65 लाख टन हुआ है। Ammonia उत्पादन में भारत का स्थान चीन के बाद द्वितीय है। ये दोनों देश विश्व उत्पादन का क्रमशः 28.4% तथा 8.6% उत्पादित करते हैं। रूस 8.4% तथा संयुक्त राज्य अमेरिका 8.2% के उत्पादन के साथ क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। कुल उत्पादन के 80% का उपयोग उर्वरक बनाने के लिए होता है। नाइट्रीकरण की प्रक्रिया द्वारा कुछ सजीवों में वायुमंडलीय नाइट्रोजन से अमोनिया का निर्माण होता है। Table of Contents • • • • • • • • • • • अमोनिया क्या है ?(ammonia kya hai ?) Ammonia एक तीक्ष्म गंध वाली रंगहीन गैस है। इसका रासायनिक सूत्र NH3 होता है। इसका अणुभार 17.031 g/mol होता है। यह हवा से हल्की होती है। इसका वाष्प घनत्व 8.5 है। यह जल में अति विलेय है। यह क्षारीय प्रकृति का होता है। अमोनिया के जलीय घोल को लिकर अमोनिया कहा जाता है। जोसेफ प्रिस्टले ने सर्वप्रथम अमोनियम क्लोराइड को चूने के साथ गर्म करके अमोनिया गैस को तैयार किया। बर्थेलाट ने इसके रासायनिक ...

जीवोत्पत्ति के सन्दर्भ में जैव

Solution मिलर तथा यूरे के प्रयोग का नामांकित चित्र- स्टेनले मिलर तथा हैराल्ड यूरे ने सन 1953 में जीवन की उत्पत्ति के सम्बन्ध में जैव-रासायनिक सिद्धान्त (ओपेरिन वाद) के समर्थन में एक प्रयोग किया जिसे मिलर यूरे का प्रयोग कहते है। उन्होंने बड़े काँच के एक फ्लास्क में अमोनिया, मेथेन, हाइड्रोजन गैसों का 2 : 1 : 2 के अनुपात में भर दिया, क्योकि ये गैसे उस समय के वातावरण में इसी अनुपात में थी। एक अन्य फ्लास्क को काँच की नली द्वारा बड़े फ्लास्क से जोड़ दिया। इस छोटे फ्लास्क में पानी भरकर इसे निरन्तर उबालते रहने का प्रबन्ध भी कर दिया ताकि जलवाष्प पूरे उपकरण में घूमती रहे आदि वातावरण में कड़कती बिजली का वातावरण उत्पन्न करने के लिए बड़े फ्लास्क में टंगस्टन के बने दो इलेक्ट्रोड लगाये। इन इलेक्ट्रोडो के बीच 60,000 वोल्ट की विद्युत धारा को सात दिन तक प्रवाहित करके विद्युत चिंगारियाँ उत्पन्न की। फ्लास्क में बने गैसीय मिश्रण को ठण्डा करने के लिए संघनित्र का प्रयोग किया तथा प्राप्त द्रव को 'U' नली में एकत्र किया। प्रयोग के अन्त में 'U' नली में गहरा लाल रंग का द्रव बना, जिसका विश्लेषण करने पर इसमें ग्लाइसिन, ऐलेनिन तथा ऐस्पार्टिक अम्ल जैसे अमीनो अम्ल सहित शर्करा, वसीय अम्ल तथा अन्य कार्बनिक यौगिक पाये गये। ये सभी पदार्थ जीवद्रव्य में पाये जाते है। इस प्रयोग के आधार पर मिलर तथा यूरे ने ओपेरिनवाद या आधुनिकवाद का समर्थन करते हुए कहा कि आदि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिए अनुकूल वातावरण (अपचायक) था। चूँकि आज का वातावरण ऑक्सीकारक है। अतः जीवन की उत्पत्ति वर्तमान में सम्भव नहीं है। इस प्रयोग से इस बात की पुष्टि हुई कि C, H, O तथा N के रासायनिक संयोग से महत्वपूर्ण विभिन्न जटिल कार्बनिक यौगिकों का निर्...

मिलर प्रयोग, प्रयोग, मिलर प्रयोग क्या थे

मिलर प्रयोग - जीवविज्ञान मिलर के प्रयोग - क्या था 1954 में, अमेरिकी वैज्ञानिक स्टेनली एल मिलर प्रयोगशाला में, आदिम वातावरण में प्रचलित संभावित स्थितियों को फिर से बनाने के प्रयास में, मीथेन, अमोनिया, हाइड्रोजन और जल वाष्प को इकट्ठा करने वाले एक उपकरण का निर्माण किया। यह कल्पना करते हुए कि विद्युत निर्वहन "आदिम गैसों" के अणुओं के रासायनिक बंधनों को तोड़ने को बढ़ावा देने में सक्षम ऊर्जा स्रोत का गठन कर सकता है, मिलर ने इकट्ठे गैसों को उच्च-तीव्रता वाली विद्युत स्पार्क्स के अधीन किया। कुछ समय बाद, उन्होंने तंत्र के एक निश्चित क्षेत्र में कार्बनिक पदार्थों के संचय को देखा, जिनमें से उन्हें कई अमीनो एसिड मिले। कुछ साल बाद (1957), के आधार पर मिलर के प्रयोग, सिडनी फॉक्स, जो एक अमेरिकी भी है, ने अमीनो एसिड के सूखे मिश्रण को गर्म किया। फॉक्स ने इस धारणा से शुरू किया कि बारिश के साथ गिरने वाले कार्बनिक यौगिकों ने पानी के वाष्पित होने के बाद गर्म चट्टानों पर शुष्क द्रव्यमान बनाया। अपने प्रयोग के अंत में, उन्होंने प्रोटीनोइड्स (एक प्रोटीन प्रकृति के अणु जिसमें कुछ अमीनो एसिड होते हैं) की उपस्थिति पाई, इस बात के प्रमाण में कि अमीनो एसिड पेप्टाइड बॉन्ड के माध्यम से, निर्जलीकरण द्वारा एक संश्लेषण में शामिल हो गए होंगे। एक अन्य अमेरिकी वैज्ञानिक मेल्विन केल्विन ने मिलर के समान प्रयोग किए, अत्यधिक ऊर्जावान विकिरण के साथ आदिम गैसों पर बमबारी की और अन्य के अलावा, कार्बोहाइड्रेट प्रकार के कार्बनिक यौगिक प्राप्त किए। इन सभी प्रयोगों ने पृथ्वी पर जीवन की उपस्थिति से पहले कार्बनिक यौगिकों के बनने की संभावना को प्रदर्शित किया। यह हेटरोट्रॉफ़िक परिकल्पना के पक्ष में आया, क्योंकि कार्बनिक पदार्थों ...

अमोनिया

• ( • यह इसके विभिन्न • औद्योगिक रूप से अमोनिया का निर्माण हैबर प्रक्रिया के द्वारा किया जाता है। • यह एक तीक्ष्ण गंध वाली • अमोनिया का उपयोग बर्फ़ बनाने के कारखानों, धुलायी तथा • अमोनिया एक क्षारीय गैस है तथा • कृत्रिम रेशे व अमोनिया तीव्र तथा विशेष प्रकार की तीक्ष्ण गंधवाली गैस है। इसके कुछ यौगिक, विशेषकर नौसादर (साल अमोनिएक, या अमोनियम क्लोराइड), बहुत पहले ही ज्ञात थे। परंतु स्वतंत्र अमोनिया गैस के अस्तित्व के बारे में ठीक ज्ञान 1774 ई. में जे. प्रीस्टली द्वारा इसे तैयार किए जाने पर हुआ। इस गैस का नाम उन्होंने 'एल्कलाइन एयर' रखा। 1777 ई. में सी. डब्ल्यू. शेले ने इस गैस में नाइट्रोजन की उपस्थिति बताई; 1785 में सी. एल. बेरटोले ने विद्युत्‌ चिनगारी द्वारा इसे विघटित कर इसमें हाइड्रोजन तथा नाइट्रोजन की मात्राएँ ज्ञात कीं। अमोनिया कई विधियों से स्वत: बनती है और बनाई जा सकती है। अल्प मात्रा में अमोनिया हवा तथा वर्षा के जल में पाई जाती है; नदी, तालाब और समुद्र के जल में भी (समुद्रजल में लगभग 0.1 मिलीग्राम प्रति लीटर की मात्रा में) यह मिलती है। पशुओं शारीरिक भाग एवं पौधों के सड़ने से (नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक पदार्थों के विघटन द्वारा) अमोनिया तथा इसके लवण बनते हैं। अमानिया के कुछ यौगिक खनिजों में, मिट्टी में और फलों के रस या पौधों के अन्य भागों में भी पाए जाते हैं। अमोनिया बनाने की विधियाँ विशेषत: दो प्रकार की हैं - नाइट्रोजन और हाइड्रोजन तत्व के सीधे संयोग से अथवा नाइट्रोजन या अमोनिया के यौगिकों से। नाइट्रोजन तथा हाइड्रोजन के गैसीय मिश्रण में विद्युत्‌ चिनगारी, या डिस्चार्ज, उत्पन्न करने से अमोनिया बनती है, जिसका समीकरण यह है: ना2+ 3हा2«2 नाहा3 (ना=नाइट्रोजन, हा= हाइड्रोजन)। य...

मिलर और यूरे का प्रयोग जो इसमें शामिल है, महत्व और निष्कर्ष / जीवविज्ञान

मिलर और उरे प्रयोग यह कार्बनिक अणुओं के उत्पादन में सरल अकार्बनिक अणुओं का उपयोग करके कुछ शर्तों के तहत सामग्री के रूप में होता है। प्रयोग का उद्देश्य ग्रह पृथ्वी की पैतृक स्थितियों को फिर से बनाना था. इस मनोरंजन का उद्देश्य बायोमोलेक्यूलस की संभावित उत्पत्ति को सत्यापित करना था। वास्तव में, सिमुलेशन ने अणुओं के उत्पादन को प्राप्त किया - जैसे अमीनो एसिड और न्यूक्लिक एसिड - जीवित जीवों के लिए आवश्यक. सूची • 1 मिलर और उरे से पहले: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य • 2 इसमें क्या शामिल था?? • 3 परिणाम • 4 महत्व • 5 निष्कर्ष • प्रयोग करने के लिए 6 आलोचना • 7 संदर्भ मिलर और उरे से पहले: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य जीवन की उत्पत्ति की व्याख्या हमेशा एक गहन बहस और विवादास्पद विषय रही है। पुनर्जागरण के दौरान यह माना जाता था कि जीवन की उत्पत्ति अचानक और कुछ नहीं से हुई थी। इस परिकल्पना को सहज पीढ़ी के रूप में जाना जाता है. इसके बाद, वैज्ञानिकों की आलोचनात्मक सोच अंकुरित होने लगी और परिकल्पना को छोड़ दिया गया। हालाँकि, शुरुआत में सामने आया सवाल अलग था. 1920 के दशक में, वैज्ञानिकों ने एक काल्पनिक समुद्री वातावरण का वर्णन करने के लिए "प्रिमोर्डियल सूप" शब्द का इस्तेमाल किया था, जिसमें संभवतः इसका उपयोग किया गया था. समस्या जैव-अणु के एक तार्किक मूल को प्रस्तावित करने में थी जो अकार्बनिक अणुओं से जीवन को संभव बनाती है (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड और न्यूक्लिक एसिड). पहले से ही 50 के दशक में, मिलर और उरे के प्रयोगों से पहले, वैज्ञानिकों का एक समूह कार्बन डाइऑक्साइड के साथ फॉर्मिक एसिड को संश्लेषित करने में कामयाब रहा। यह दुर्जेय खोज प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुई थी विज्ञान. इसमें क्या शामिल था?? ...

मिलर तथा यूरे ने ओपैरिन की परिकल्पना को सिद्ध करने हेतु किये गय

हेलो राजकुमार को स्नेह मिलन तथा यूरो ने उपाय रिंकी पर कल उपाय रन की परिकल्पना को सिद्ध करने हेतु किए गए अपने प्रयोग में हाइड्रोजन तथा अमोनिया के अतिरिक्त अन्य किन गैसों का उपयोग किया यहां पर जो यूरे और मिलर थे यहां पर ठीक है या ने अपहरण की परिकल्पना ऊपर ने कहा था कि उनके पति के बारे में बताया था तो इन्हीं की उत्पत्ति करने के लिए एक्सपेरिमेंट किया जिसमें उन्होंने यहां पर 4 आसन पूछा गया है कि कौन सा उसका सबसे पहला जलवा स्वर मीटिंग है दूसरा जलवा स्वर नाइट्रोजन है तीसरा जलवा कार्बन डाइऑक्साइड है यहां पर हाइड्रोजन तथा अमोनिया किन गैसों का उपयोग किया था ठीक है तो हाइड्रोमोल आ गया अमोनिया बोला गया तो मिलर और ये क्या क्या लिया था उसे पहले अमोनिया दिया था ठीक है अमोनिया उसके बाद हाइड्रोजन लिया था ठीक है हाइड्रोजन गैस यहां था और उसके बाद कह दिया था क्लास इन्होंने लिया था मीथेन मेथी उसके बाद उन्होंने क्या किया था जो भी यह मिक्सर बना है ठीक है जो भी यह कैसी है मिस्टर बना ठीक है खेलने जैसे मिक्सर में क्या डाल दिया ठीक है जलवाष्प डालिया डालिया जलवा से क्या निकली सिगरेट चिंगारी निकली चिंगारी निकली चिंगारी निकली सकते हो यहां पर एक्सीडेंट में दिखाया जाता है तो का उपयोग किया तो देखते हैं कौन सा शहर सबसे पहले जलवा स्वामित्व अमोनिया बोला गया है तो जलवा स्वर में तेरा नाम लिया था तेरा जलवा जलवा स्पैरो नाइट तो घर बनने से नहीं थी अभी हो जाएगा तथा करेगा

हाइड्रोजनन

अनुक्रम • 1 परिचय एवं इतिहास • 2 सबस्ट्रेट • 3 उत्प्रेरकीय हाइड्रोजनीकरण • 4 हाइड्रोजनीकरण का महत्व • 4.1 वनस्पति घी • 5 सन्दर्भ परिचय एवं इतिहास [ ] नवजात अवस्था में हाइड्रोजन कुछ सहज अपचेय यौगिकों के साथ सक्रिय है। इस भाँति 2) तथा हाइड्रोजन साइनाइड (HCN) के मिश्रण को प्लैटिनम कालिख पर प्रवाहित कर मेथिलऐमिन सर्वप्रथम प्राप्त किया गया था। पाल सैवैटिये (1854-1941) तथा इनके सहयोगियों के अनुसंधानों से वाष्प अवस्था में हाइड्रोजनीकरण विधि में विशेष प्रगति हुई। सन् 1905 ई. में द्रव अवस्था हाइड्रोजनीकरण सूक्ष्म कणिक धातुओं के उत्प्रेरक उपयोगों के अनुसंधान आरंभ हुए और उसमें विशेष सफलता मिली जिसके फलस्वरूप द्रव अवस्था में हाइड्रोजनीकरण औद्योगिक प्रक्रमों में विशेष रूप से प्रचलित है। बीसवीं शताब्दी में वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजनीकरण विधि में विशेष प्रगति की और उसके फलस्वरूप हमारी जानकारी बहुत बढ़ गई है। स्कीटा तथा इनके सहयोगियों ने निकेल, कोबाल्ट, लोहा, ताम्र और सारे प्लेटिनम वर्ग की धातुओं की उपस्थिति में हाइड्रोजनीकरण का विशेष अध्ययन किया। हाइड्रोजनीकरण में एथिल ऐल्कोहॉल, ऐसीटिक अम्ल, एथिल ऐसीटेड, संतृप्त हाइड्रोकार्बन जैसे हाइड्रोकार्बनों में नार्मल हेक्सेन (n-hexane), डेकालिन और साइक्लोहेक्सेन विलयाकों का प्रयोग अधिकता से होता है। सबस्ट्रेट [ ] RCH=CH 2 + H 2 → RCH 2CH 3 (R = alkyl, aryl) प्रायः प्रयुक्त सबस्ट्रेट नीचे दिए गये हैं: हाइड्रोजनीकरण में प्रयुक्त सबस्ट्रेट और उनके उत्पाद alkene, R 2C=CR' 2 alkane, R 2CHCHR' 2 alkyne, RCCR alkene, cis-RHC=CHR' aldehyde, RCHO primary alcohol, RCH 2OH ketone, R 2CO secondary alcohol, R 2CHOH ester, RCO 2R' two alcohols, RCH 2OH, R'OH imin...