मोहनजोदड़ो किस नदी के किनारे स्थित है

  1. मोहनजोदड़ो किस नदी के किनारे है
  2. मोहनजोदड़ो किस भाषा का शब्द है?
  3. मोहनजोदड़ो किस नदी के तट पर स्थित था
  4. मोहनजोदड़ो कहाँ स्थित है? » Mohenjodaro Kahan Sthit Hai
  5. मोहनजोदड़ो किस नदी के किनारे स्थित है ! Mohanajodado kis nadee ke kinaare sthit hai
  6. [Solved] धोलावीरा निम्नलिखित में से किस नदी के किनारे �


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मोहनजोदड़ो किस नदी के किनारे है

मोहन जोदड़ो सभ्यता मोहन जोदड़ो का सिन्धी भाषा में अर्थ है " मुर्दों का टीला "। यह दुनिया का सबसे पुराना नियोजित और उत्कृष्ट शहर माना जाता है। यह सिंघु घाटी सभ्यता का सबसे परिपक्व शहर है। यह नगर अवशेष सिन्धु नदी के किनारे सक्खर ज़िले में स्थित है। मोहन जोदड़ो शब्द का सही उच्चारण है मुअन जो दड़ो। इसकी खोज राखालदास बनर्जी ने 1922 ई. में की। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक जान मार्शल के निर्देश पर खुदाई का कार्य शुरु हुआ। यहाँ पर खुदाई के समय बड़ी मात्रा में इमारतें, धातुओं की मूर्तियाँ, और मुहरें आदि मिले। पिछले 100 वर्षों में अब तक इस शहर के एक-तिहाई भाग की ही खुदाई हो सकी है, और अब वह भी बंद हो चुकी है। माना जाता है कि यह शहर 200 हेक्टेयर क्षेत्र में हुआ था तथा इस में जल कुड भी हुआ करता था! स्थिति- पाकिस्तान के सिंध प्रांत का लरकाना जिला। Mohanअपठित गद्यांश (अंक 5) प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए। (1 x 5 = 5) लोकतंत्र के मूलभूत तत्व को समझा नहीं गया है और इसलिए लोग समझते हैं कि सब कुछ सरकार कर देगी, हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है। लोगों में अपनी पहल से ज़िम्मेदारी उठाने और निभाने का संस्कार विकसित नहीं हो पाया है। फलस्वरूप देश की विशाल मानव-शक्ति अभी खर्राटे लेती पड़ी है और देश की पूँजी उपयोगी बनाने के बदले आज बोझरूप बन बैठी है। लेकिन उसे नींद से झकझोर कर जागृत करना है। किसी भी देश को महान बनाते हैं, उसमें रहने वाले लोग। लेकिन अभी हमारे देश के नागरिक अपनी ज़िम्मेदारी से बचते रहे हैं। चाहे सड़क पर चलने की बात हो अथवा साफ़-सफ़ाई की बातें हों, जहाँ-तहाँ हम लोगों को गंदगी फैलाते और बेतरतीब ढंग से वाहन चलाते देख सकते हैं...

मोहनजोदड़ो किस भाषा का शब्द है?

मोहनजोदड़ो आर्यन भाषा का शब्द है और यह संधि के परिपत से उत्पन्न हुवा था। मोहनजोदड़ो बहुत ही ऐतिहासिक शब्द है, और हमारे इतिहास को बारीकी से दर्शाता है। मोहनजोदड़ो का अर्थ हिंदी भाषा में ” मुर्दों का टीला ” होता है। मोहनजोदड़ो क्या है ? मोहनजोदड़ो प्राचीन काल का एक विकसित क्षेत्र या कह सकते हैं बस्ती था जो कि अब पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। सिंधु नदी के तट पर बसे सिंध प्रांत के लरकाना जिले में स्थित मोहनजोदड़ो को हड़प्पा सभ्यता की सबसे बड़ी बस्ती के श्रेणी में रखा गया था। कुछ इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि मोहनजोदारो प्राचीन काल का सबसे विकसित बस्ती रहा था और इसमें ऐसे ऐसे सबूत मिले थे कि आप भी आश्चर्य चकित हो सकते हैं। मोहनजोदड़ो का हिस्सा पहले भारत में आया करता था मगर भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के हिसाब से यह क्षेत्र पूरी तरह से पाकिस्तान में चला गया। मोहनजोदड़ो को मृतकों का टीला भी कहा गया है क्योंकि जब इसकी खुदाई हो रही थी तो सबसे ज्यादा इंसान की लाशें यहीं से मिले थे। कुछ इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि मोहनजोदड़ो के क्षेत्र पर विदेशी लोगों का आक्रमण हुआ था क्योंकि यहां पर मिलने वाले लाश और मानव कंकाल यह सबूत देते हैं। हालांकि यह पूर्ण रूप से साबित नहीं किया गया है कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि हड़प्पा संस्कृति भूकंप के कारण ध्वस्त हो गई अलग-अलग इतिहासकार अपने हिसाब से इसका अलग-अलग मतलब निकालते हैं लेकिन यह इतिहास में पूर्ण रूप से दर्शाया नहीं गया है। मोहनजोदड़ो का इतिहास दोस्तों हमने ऊपर के टॉपिक में जाना कि मोहनजोदड़ो किस भाषा का शब्द है और मोहनजोदड़ो क्या है, अब हम इस टॉपिक के माध्यम से मोहनजोदड़ो के इतिहास के बारे में जानने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं इस टॉपिक ...

मोहनजोदड़ो किस नदी के तट पर स्थित था

सही उत्तर : सिन्धु नदी के आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की यह नगर अवशेष सिन्धु नदी के किनारे सक्खर ज़िले में स्थित है। मोहन जोदड़ो शब्द का सही उच्चारण है 'मुअन जो दड़ो'। ध्यान रहे की यह सिंधु नदी भारतीय उपमहाद्वीप में भारत-गंगा के मैदान की मुख्य नदियों में से एक है। और यह भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर और पाकिस्तान की लंबाई के साथ अरब सागर तक बहती है। सिंघु घाटी सभ्यता की खोज (mohenjo daro mystery) राखालदास बनर्जी ने 1921 ई. में की। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक जान मार्शल के निर्देश पर खुदाई का कार्य शुरु हुआ। और यहाँ पर खुदाई के समय बड़ी मात्रा में इमारतें, धातुओं की मूर्तियाँ, और मुहरें आदि मिले थे। भारत का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से प्रारंभ होता है जिसे हम "हड़प्पा सभ्यता" के नाम से भी जानते हैं। यह सभ्यता लगभग 2500 ईस्वी पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग मैं फैली हुई थी,जो कि वर्तमान में पाकिस्तान तथा पश्चिमी भारत के नाम से जाना जाता है। यह अब तक ज्ञात सभी सभ्यताओं में सबसे प्राचीन है। इसकी खोज 1921 में हुई। इसका विकास सिंधु और घघ्घर/हकड़ा (indus valley civilization map) के किनारे हुआ। बताया जाता है की हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी इसके प्रमुख केन्द्र थे। सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation) के बारें में : यह सभ्यता त्रिभुजाकार क्षेत्र में फैली हुई थी तथा इसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किमी. था। सबसे पहले 1826 ई. में चाल्स मर्सन को हड़प्पा से बड़ी संख्या में ईंटें प्राप्त हुई थी। 1856 ई. में करांची और लाहौर के बीच रेल मार्ग बनाने के लिए ईंटों की आवश्यकता हुई, परिणामस्वरूप हड़प्पा के खंडहर की खुदाई की गई। खुदाई करते समय ही ...

मोहनजोदड़ो कहाँ स्थित है? » Mohenjodaro Kahan Sthit Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। नमस्कार आपका प्रश्न है मोहनजोदारो कहां है तो देखें मोहनजोदड़ो है वह पाकिस्तान में है जहां पाकिस्तान में है मोहन जोदड़ो सिंधु नदी के तट पर यह एक प्राचीन समय में है महान नगर था आपसे नदी के किनारे बसा हुआ namaskar aapka prashna hai mohenjadaro kahaan hai toh dekhen mohenjodaro hai vaah pakistan mein hai jaha pakistan mein hai mohan jodaro sindhu nadi ke tat par yah ek prachin samay mein hai mahaan nagar tha aapse nadi ke kinare BA sa hua नमस्कार आपका प्रश्न है मोहनजोदारो कहां है तो देखें मोहनजोदड़ो है वह पाकिस्तान में है जहां

मोहनजोदड़ो किस नदी के किनारे स्थित है ! Mohanajodado kis nadee ke kinaare sthit hai

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[Solved] धोलावीरा निम्नलिखित में से किस नदी के किनारे �

सही उत्तर 'लूनी नदी'है। Key Pointsधोलावीरा - • यह सिंधु सभ्यतासे संबंधित स्थल है। • यह भारत में गुजरात राज्य के कच्छ जिले में लूनी नदी के तट पर स्थित है। • इस स्थल की खुदाई करने वाले जे. पी. जोशी (1967-68) थे। • यहाँ से खुदाई में एक अद्वितीय जल दोहन प्रणाली और इसकी तूफानी जल निकासी प्रणाली, एक बड़ा कुआँऔर एक स्नान (विशाल जलाशय) पाए गए थे।

मुअनजो

अनुक्रम • 1 मोहन जोदड़ो सभ्यता • 2 इतिहास • 3 विशेषताएँ • 4 प्रसिद्ध जल कुंड • 5 कृषि • 6 नगर नियोजन • 7 संग्रहालय • 8 कला • 9 इन्हें भी देखें • 10 सन्दर्भ • 11 बाहरी कड़ियाँ मोहन जोदड़ो सभ्यता [ ] मोहन जोदड़ो का सिन्धी भाषा में अर्थ है " मुर्दों का टीला "। यह दुनिया का सबसे पुराना नियोजित और उत्कृष्ट शहर माना जाता है। यह सिंघु घाटी सभ्यता का सबसे परिपक्व शहर है। यह नगर अवशेष सिन्धु नदी के किनारे इतिहास [ ] मोहन जोदड़ो- ( मोहन जोदड़ो- को 1922ए में बर्तानवी माहिर असारे क़दीमा विशेषताएँ [ ] मोहन जोदड़ो की खूबी यह है कि इस प्राचीन शहर की सड़कों और गलियों में आप आज भी घूम-फिर सकते हैं। यहाँ की सभ्यता और संस्कृति का सामान भले ही अजायबघरों की शोभा बढ़ा रहें हों, यह शहर जहाँ था आज भी वहीं है। यहाँ की दीवारें आज भी मजबूत हैं, आप यहाँ पर पीठ टिका कर सुस्ता सकते हैं। वह एक खंडहर क्यों न हो, किसी घर की देहलीज़ पर पाँव रखकर आप सहसा-सहम सकतें हैं, रसोई की खिड़की पर खड़े होकर उसकी गंध महसूस कर सकतें है। या शहर के किसी सुनसान मार्ग पर कान देकर उस बैलगाड़ी की रून-झुन सुन सकते हैं जिसे आपने पुरातत्व की तसवीरो में मिट्टी के रंग में देखा है। सच है कि यहाँ किसी आँगन की टूटी-फूटी सीढ़ियाँ अब आपको कहीं नहीं ले जातीं; वे आकाश की तरफ़ अधुरी रह जाती हैं। लेकिन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर हैं; वहाँ से आप इतिहास को नहीं, उसके वर्तमान पार झाँक रहें हैं। यह नागर भारत का सबसे पुराना थल चिह्न कहा गया है। मोहन जोदड़ो के सबसे खास हिस्से पर बौद्ध स्तूप हैं। प्रसिद्ध जल कुंड [ ] मोहन जोदड़ो की दैव-मार्ग (डिविनिटि स्ट्रीट) नामक गली में करीब चालीस फ़ुट लम्बा और प...