Montreal protocol in hindi

  1. The Montreal Protocol & the Vienna Convention
  2. जानिए, क्या है मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, जिसने धरती को गर्म होने से रोका?


Download: Montreal protocol in hindi
Size: 49.17 MB

The Montreal Protocol & the Vienna Convention

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसे ओजोन क्षरण को रोकने KE LIYE बनाया गया है/ इस प्रोटोकॉल के माध्यम से उन पदार्थों के उत्पादन को कम करना है जो कि ओजोन परत के क्षरण के लिए जिम्मेदार है। इस संधि पर 16 सितंबर, 1987 को हस्ताक्षर किए गये थे और यह 1 जनवरी, 1989 से यह प्रभावी हो गयी, जिसकी पहली बैठक मई 1989 में हेलसिंकी में हुयी थी। तब से अभी तक इसमें सात संशोधन 1990 (लंदन), 1991 (नैरोबी), 1992 (कोपेनहेगन), 1993 (बैंकाक), 1995 (वियना), 1997 (मॉन्ट्रियल), और 1999 (बीजिंग) हो चुके हैं। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसे ओजोन क्षरण को रोकने KE LIYE बनाया गया है/ इस प्रोटोकॉल के माध्यम से उन पदार्थों के उत्पादन को कम करना है जो कि ओजोन परत के क्षरण के लिए जिम्मेदार है। इस संधि पर 16 सितंबर , 1987 को हस्ताक्षर किए गये थे और यह 1 जनवरी , 1989 से यह प्रभावी हो गयी, जिसकी पहली बैठक मई 1989 में हेलसिंकी में हुयी थी। तब से अभी तक इसमें सात संशोधन 1990 (लंदन) , 1991 (नैरोबी) , 1992 (कोपेनहेगन) , 1993 (बैंकाक) , 1995 (वियना) , 1997 (मॉन्ट्रियल) , और 1999 (बीजिंग) हो चुके हैं। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ने ओजोन क्षयकारी पदार्थों या तत्वों के कुल वैश्विक उत्पादन और खपत की गिरावट में उल्लेखनीय योगदान दिया है जिसका प्रय़ोग विश्व भर में कृषि , उपभोक्ता और अद्यौगिक क्षेत्रों में प्रयोग किया गया। 2010 के बाद से , प्रोटोकॉल के एजेंडे का ध्यान हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन ( HCFCs) को कम करने पर केंद्रित है जिनका मुख्य रूप से ठंडे और प्रशीतन अनुप्रयोगों और फोम उत्पादों के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। ओजोन लाभ के अतिरिक्त , HCFCs का फेज आउट एजेंडा दृढ़ता से जलवायु शमन और ऊर्जा...

जानिए, क्या है मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, जिसने धरती को गर्म होने से रोका?

ओजोन परत को नष्ट करने वाले क्लोरोफ्लोरोकार्बन ( सीएफसी ) को रोकने के लिए 1987 में एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता किया गया था, जिसे मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल कहा गया। यह पहली अंतरराष्ट्रीय संधि है, जिसने ग्लोबल वार्मिंग की दर को सफलतापूर्वक धीमा किया है। एनवायर्नमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित इस नए शोध से पता चला है कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की वजह से आज वैश्विक तापमान काफी कम है। मध्य शताब्दी तक पृथ्वी औसत से कम-से-कम 1 डिग्री सेल्सियस ठंडी होगी, जो कि समझौते के बिना संभव नहीं था। आर्कटिक जैसे क्षेत्रों में शमन (मिटिगेशन) भी अधिक हुआ है। यहां तापमान के 3 डिग्री सेल्सियस से 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की आशंका थी, जो प्रोटोकॉल की वजह से रुक गया है। प्रमुख शोधकर्ताऋषभ गोयल ने कहा कि , क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) , कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) ग्रीनहाउस गैस की तुलना में हजारों गुना अधिक शक्तिशाली होती है। इसलिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ने न केवल ओजोन परत को बचाया , बल्कि इसने ग्लोबल वार्मिंग को भी कम कर दिया। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का क्योटो समझौते की तुलना में ग्लोबल वार्मिंग पर अधिक प्रभाव पड़ा है। क्योटो समझौते को विशेष रूप से ग्रीनहाउस गैसों को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। जहां क्योटो समझौते के तहत की गई कार्रवाई से सदी के मध्य तक तापमान में केवल 0.12 डिग्री सेल्सियस की कमी आई, वही मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के शमन (मिटिगेशन) से तापमान 1 डिग्री सेल्सियस कम हुआ। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ने अंटार्कटिका के आसपास के वायुमंडलीय सर्कुलेशन को कैसे प्रभावित किया , यह जानने के लिए टीम ने निष्कर्ष निकाले। शोधकर्ताओं ने वायुमंडलीय रसायन के दो परिदृश्यों के तहत वैश्विक जलवायु का मॉडल तैयार किया। पहला, मॉन्ट्...