Mugal kal mein sinchai ka sadhan kya tha

  1. मुग़ल काल
  2. भारत में सिंचाई के साधन
  3. बाबर
  4. मुग़ल वंश
  5. रात्रि 3से 5 के मध्य खुलती है नींद तो यह दिव्य शक्ति का कोई संकेत है जाने ?
  6. जानिए मुग़ल साम्राज्य से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी
  7. सिंचाई के आधुनिक साधन
  8. मौर्य साम्राज्य का इतिहास और जानकारी


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मुग़ल काल

· · · · · · · · · · · · · · · · · mugal aur afagan (1525-1556) [[chitr:Indus-River.jpg|thumb| taimoor • REDIRECT pandrahavian shatabdi ke uttarardh mean deshoan ka samman tezi se kam hua. isaka karan taimoor ke samrajy ko vibhajit karane ki parampara thi. anek taimoor riyasatean, jo is prakriya mean bani, apas mean l dati-jhag dati rahian. isase naye tatvoan ko age badhane ka mauqa mila. uttar se ek babar • REDIRECT [[chitr:Babar.jpg|thumb| dilli vijay vishay soochi • 1 mugal aur afagan (1525-1556) • 2 taimoor • 3 babar • 4 dilli vijay • 5 lodi • 6 kandhar mean vidroh • 7 panipat ki l daee • 8 ibrahim lodi ki kamazori • 9 lodiyoan ki har • 10 khanava ki l daee • 10.1 rana saanga aur babar • 10.2 jihad ka nara • 10.3 rana saanga ki parajay • 11 sanbandhit lekh babar ne likha hai ki simit ay sadhanoan ke karan babar apane begoan aur parivar valoan ke lie adhik chizean upalabdh nahian kar sakata tha. use qabul par uzabek akraman ka bhi bhay tha. vah bharat ko badhiya sharan-sthal samajhata tha. usaki drishti mean uzabekoan ke viruddh abhiyanoan ke lie bhi yah achchha sthal tha. lodi • REDIRECT uttar-pashchim bharat ki rajanitik sthiti ne babar ko bharat ane ka avasar pradan kiya. 1517 mean kandhar mean vidroh 1520-21 mean babar ne ek bar phir panipat ki l daee • REDIRECT [[chitr:The-Battle-Of-Panipat.jpg|thumb| 21 aprail, 1526 ibrahim lodi ki kamazori babar ki sudridh raksha-pankti ka ibrahim lodi ko koee abhas nahian tha. usane socha ki any madhy eshiyayi l dakoan ki tarah b...

भारत में सिंचाई के साधन

Sinchai ke sadhan Percentage Graph भारत में सिंचाई के साधन – जल संसाधन : कुल कृषि भूमि के लगभग 72 प्रतिशत भाग पर की जाने वाली कृषि वर्षा पर ही निर्भर करती है। कुल सिंचित क्षेत्रफल के आधे से अधिक भाग पर सिंचाई के छोटे साधनों- कुएं, तालाब, झीलें, जलाशय, बाँध, नलकूप, मिट्टी के कच्चे बाँध, नल तथा जल स्रोतों द्वारा सिंचाई की जाती है। शेष भाग की सिंचाई बड़े साधनों, यथा- नहरों, नालियों आदि के माध्यम से की जाती है। Sinchai ke Sadhan सिंचाई के साधन भारत में मुख्य रूप से सिंचाई के साधन चार प्रकार के हैं (1) कुओं द्वारा सिंचाई, (2) नलकूपों द्वारा सिंचाई, (3) तालाबों द्वारा सिंचाई, (4) नहरों द्वारा सिंचाई। देश की कृषि भूमि का 38.7% शुद्ध सिंचित क्षेत्र है। इसका 57.0% कुओं व नलकूपों द्वारा, 32% नहरों द्वारा, 6.0% तालाबों द्वारा और 5.0% अन्य साधनों द्वारा सींचा जाता है। • तालाबों द्वारा सर्वाधिक सिंचाई आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं उड़ीसा में की जाती है। पानी की एक उचित स्थान पर एकत्र करना तथा इसे वाष्पीकरण एवं निस्पंदन की हानियों से बचाकर रखने को वाटर हार्वेस्टिंग या जल कटाई कहते है। • जल परिवहन के लिए प्रयुक्त होने वाली दक्षिण भारत की प्रमुख नहरें है- बकिंघम नहर तथा पश्चिम तटीय नहर। जलमण्डल मे लगभग 1.46 अरब घन किमी. पानी है। इस इसमें से 97.3% महासागरों एवं सागरों में तथा शेष 2.7% हिमनदों, झीलों, तालाबों, नदियों और भूमिगत जल के रूप में पाया जाता है। • देश के कुल कृषि भूमि के केवल 40% भाग पर ही सिंचाई की सुविधाएं हैं। शेष 60% भाग को अभी भी वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता है। • भारत में उत्तर प्रदेश, असम, पंजाब, हरियाणा, केरल, मध्य प्रदेश एवं पश्चिमी बंगाल में नहरों द्वारा सर्वाधिक सिंच...

बाबर

• जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर-1526-1530 ई० • फर्रूखशियर-1713-1719 ई० • नासिरूद्दीन मुहम्मद हुमायूँ-1530-1556 ई० • मुहम्मद शाह-1719-1748 ई० • जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर-1556-1605 ई० • अहमद शाह-1748-1754 ई० • जहाँगीर-1605-1627 ई० • आलमगीर-||-1754-1759 ई० • शाहजहाँ-1627-1658 ई० • शाह आलम-||-1759-1806 ई० • औरंगजेब-1658-1707 ई० • अकबर-||-1806-1837 ई० • बहादुर शाह-1707-1712 ई० • बहादुर शाह जफर-1837-1857 ई०। • जहांदार शाह-1712-1713 ई० बाबर का संक्षिप्त परिचय • मुगल वंश के संस्थापक बाबर का शासन काल 1526 ई. से 1530 ई. तक चला बाबर का पूरा नाम जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर था ! • बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 को फरगना मे हुआ था बाबर चगताई तुर्क था अपने पिता उमर शेख की ओर से बाबर तैमूर का वंशज था और अपनी माँ कुतलग निशा की ओर से चंगेज खाँ का वंशज था ! • 11 वर्ष की उम्र में 1494 ई. में यह फरगना का शासक बना 1508 में इसने कंधार पर विजय प्राप्त की यही पर इसके पुत्र हुमायूँ का जन्म हुआ मुगल वंश की स्थापना कैसे हुई ? • 1526 ई. में बाबर और इब्राहिम लोदी की सेना के बीच पानीपत के मैदान में युध्द हुआ इस युध्द को पानीपत का प्रथम युध्द कहा जाता है इस युध्द में इब्राहिम लोदी मारा गया और बाबर ने मुगल सत्ता की स्थापना की पानीपत का युध्द भारतीय इतिहास का प्रमुख युध्द था इसके पश्चात ही भारत में मुगल सत्ता की स्थापना हुई बाबर कौन सी उपाधि लेना शुरु किया • इसने अपनी सेना में तोप शामिल की और जो पूर्व के सुल्तान हुआ करते थे वो मिर्जा की उपाधि देते थे किंतु इसने ‘पादशाह’ की उपाधि लेना शुरू किया इसने पादशाह की उपाधि ली ! • बाबर वैसे तो सुन्नी मुसलमान था पर उसने कुछ समय के लिए शिया मत भी स्वीकार किया था (ईरान के शाह से सहायत...

मुग़ल वंश

mugal rajavansh, jise babar mugal vansh ke shasak shasak shasan kal 1526 - 1530 ee. (4 varsh) 1530 - 1540 ee. aur 1555 - 1556 ee. (lagabhag 11 varsh) 1556 - 1605 ee. (49 varsh) 1605 - 1627 ee. (22 varsh) 1627 - 1658 ee. (31 varsh) 1658 - 1707 ee. (49 varsh) 1707 - 1712 ee. (5 varsh) 1712 - 1713 ee. (1 varsh) 1713 - 1719 ee. (6 varsh) faravari 1719 se joon 1719 ee. (4 mahine) joon 1719 se sitambar, 1719 ee. (4 mahine) 1719 ee. (kuchh din) 1719 ee. (kuchh din) 1719 - 1748 ee. (29 varsh) 1748 - 1754 ee. (6 varsh) 1754 - 1759 ee. (5 varsh) 1759 - 1806 ee. (47 varsh) 1806 - 1837 ee. (31 varsh) 1837 - 1858 ee. (21 varsh) • REDIRECT 14 faravari, 1483 ee. ko humayooan • REDIRECT 26 disambar, 1530 ee. ko babar ki mrityu ke bad 30 disambar, 1530 ee. ko 23 varsh ki ayu mean akabar • REDIRECT humayooan mushkil se nau varsh hi shasan kar paya tha ki, 26 joon, 1539 ko jahaangir • REDIRECT samrat jahaangir ka vyaktitv b da akarshak tha; kiantu usaka charitr buri−bhali adatoan ka adbhut mishran tha. apane bachapan mean kusang ke karan vah anek buraeeyoan ke vashibhoot ho gaya tha. unamean kamukata aur madira−pan vishesh roop se ullekhaniy haian. gaddi par baithate hi usane apani anek buri adatoan ko chho dakar apane ko bahut kuchh sudhar liya tha; kiantu madira−pan ko vah aant samay tak bhi nahian chho d saka tha. atishay mady−sevan ke karan usake charitr ki anek achchhaeeyaan dab gee thian. madira−pan ke sanbandh mean shahajahaan • REDIRECT shahajahaan ka vivah 20 varsh ki ayu mean auran...

रात्रि 3से 5 के मध्य खुलती है नींद तो यह दिव्य शक्ति का कोई संकेत है जाने ?

रात 3 से 5 बजे नींद खुलने का क्या मतलब है?:- रात्रि 3 से 5 बजे के मध्य खुलती है((subah 3 se 5 baje nind khulna)) नींद तो यह दिव्य शक्ति का कोई संकेत हैकोई दिव्य शक्ति (divine power) आपको संदेश देना चाहते हैं आपको कुछ समझाना चाहते हैं सबसे पहले हम यह जाने जिस समय नींद खुल रही है वह अमृतवेला है। अमृतवेला जो कि परमात्मा की दिव्य शक्तियां बहुत ही तेजी से प्रवाह कर रही होती है। ब्रह्म मुहूर्त या अमृत वेला क्या है।:- ब्रह्म मुहूर्त या अमृत वेला क्या है। ब्रह्म मुहूर्त रात का अंतिम प्रहर का तीसरा भाग होता है। धर्म शास्त्रों में नींद के त्याग का यही श्रेष्ठ समय बताया गया है।ब्रह्म का आशय हुआ परम तत्व। मुहूर्त का आशय हुआ अनुकूल समय। ब्रह्म मुहूर्त को अमृत वेला भी कहते है। अमृत को आशय होता है, जो जीव को अमरता प्रदान करे, वेला का मतलब होता है समय। अमृत वेला का अर्थ हुआ चिरंजीवी बनाने या अमरता प्रदान करने वाला समय। इस समय में कुछ देर भी किया गया योगाभ्यास आत्मा को उस आत्मिक आनंद की अनुभूति करा देता है, जो आनंद की अनुभूति अमृत पीने वाले को होती है। अमृतवेला अर्थात वह वेला, जब स्वयं भगवान अपने भक्तो को अमृत पिलाने आता है और उस अमृत को जो नहीं पी पाता, उसे परमानंद की प्राप्ति नहीं होती है। पॉजिटिव वाइब्रेशन उस समय जाग रहीइसका क्या मतलब हुआ ?:- इसका ये मतलब है 3 se 5 भगवान की दिव्य शक्तिया विचरण कर रही होती है। उस समय आप जाप करते और भगवान का ध्यान करते है तो उनकी कृपा आपको बहुत ही आसानी से मिल जाती है। रात 3 से 5 बजे नींद खुलने का क्या मतलब है ? सृष्टि चाहती हैं ,आपके गुरु चाहते हैं आपके इष्ट चाहते हैं दिव्यशक्ति चाहती हैं कि आप उठे आप परमात्मा का स्मरण करें आप परमात्मा का जाप करें क्योंक...

जानिए मुग़ल साम्राज्य से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

मुग़ल जब हिंदुस्तान आए थे तो यह कोई नहीं जानता था कि वह 300 वर्षों तक राज करेंगे। उससे पहले भारत पर बाहर से आए कईलुटेरों ने हमला किया था और भारत के वीर योद्धाओं ने उन्हें हराया भी था। मुग़लों ने वीर भारतीय योद्धाओं और उनके साम्राज्यों को हराया और उनकी सत्ता और पूरे भारत पर कब्ज़ा किया। Mughal History in Hindi में विस्तार से जानिए, कैसे मुग़लों ने कायम किया भारत में अपना वर्चस्व। साम्राज्यवंश का नाम मुगल वंश शासन काल 1526-1857 प्रमुख सत्ताकेंद्र स्थान दिल्ली, औरंगाबाद, आगरा प्रमुख शक्तिशाली शासक बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहाँगीर, शाहजहां, औरंगजेब मुग़ल काल की प्रमुख इमारतें ताजमहाल, लाल किला, जामा मस्जिद, बीबी का मकबरा, लाहोर मस्जिद, मोती मस्जिद, तक्ख्त-ए- ताउस आदि। प्रथम शासक बाबर अंतिम शासक बहादूर शाह जफर साम्राज्य का कुल शासनकाल लगभग 331 साल This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • मुगल वंश के शासकों की लिस्ट Mughal History in Hindi शार्ट में जानिए नीचे दी गई टेबल के द्वारा- शासक का नाम शासनकाल बाबर 30 अप्रैल 1526-26 दिसम्बर 1530 हुमायूं 26 दिसम्बर 1530-17 मई 1540 अकबर 27 जनवरी 1556-27 अक्टूबर 1605 जहांगीर 27 अक्टूबर 1605-8 नवम्बर 1627 शाहजहाँ 8 नवम्बर 1627-31 जुलाई 1658 औरंगजेब 31 जुलाई 1658-3 मार्च 1707 बहादुरशाह 19 जून 1707-27 फ़रवरी 1712 जहांदार शाह 27 फ़रवरी 1712-11 फ़रवरी 1713 फर्रुख्शियार 11 जनवरी 1713-28 फ़रवरी 1719 मोहम्मद शाह 27 सितम्बर 1719-26 अप्रैल 1748 अहमद शाह बहादुर 26 अप्रैल 1748-2 जून 1754 आलमगीर द्वितीय 2 जून 1754-29 नवम्बर 1759 शाह आलम द्वितीय 24 दिसम्बर 1760-19 नवम्बर 1806 अकबर शाह द्वितीय 19 नवम्बर 1806-28 सितम्बर 1837 बहादुर शाह द्वितीय 28 सितम्बर ...

सिंचाई के आधुनिक साधन

ये हैं आधुनिक और पारंपरिक सिंचाई के तरीके :- टपक (ड्रिप) सिंचाई प्रणाली ड्रिप प्रणाली सिंचाई की उन्नत विधि है, जिसके प्रयोग से सिंचाई जल की पर्याप्त बचत की जा सकती है। यह विधि मृदा के प्रकार, खेत के ढाल, जल के स्त्रोत के अनुसार अधिकतर फसलों के लिए अपनाई जा सकती हैं। इस विधि का उपयोग पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रहा है। सीमित जल संसाधनों और दिनों दिन बढ़ती हुई जलावश्यकता और पर्यावरण की समस्या को कम करने के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक बहुत कारगर सिद्ध होगी। जिन क्षेत्रों में भूमि को सममतल करना मंहगा और कठिन या असंभव हो उन क्षेत्रों में व्यावसायिक फसलों को सफलतापूर्वक उगाने के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक सबसे अच्छी विधि है। ड्रिप तंत्र एक अधिक आवृति वाला ऐसा सिंचाई तंत्र है जिसमें जल को पौधों के मूलक्षेत्र के आसपास दिया जाता है। ड्रिप सिंचाई के द्वारा पौधे को आवश्यकतानुसार जल दिया जा सकता है। ड्रिप सिंचाई के द्वारा 30-40 प्रतिशत तक उर्वरक की बचत, 70 प्रतिशत तक जल की बचत होती है। फव्वारा सिंचाई फव्वारा द्वारा सिंचाई एक ऐसी पद्धति है जिसके द्वारा पानी का हवा में छिड़काव किया जाता है और यह पानी भूमि की सतह पर कृत्रिम वर्षा के रूप में गिरता है। पानी का छिड़काव दबाव द्वारा छोटी नोजल या ओरीफिस में प्राप्त किया जाता है। पानी का दबाव पम्प द्वारा भी प्राप्त किया जाता है। कृत्रिम वर्षा चूंकि धीमें-धीमें की जाती है, इसलिए न तो कहीं पर पानी का जमाव होता है और न ही मिट्टी दबती है। इससे जमीन और हवा का सबसे सही अनुपात बना रहता है और बीजों में अंकुर भी जल्दी फूटते हैं। खेती-किसानी से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप यह एक बहुत ही प्रचलित विधि है जिसके द्वारा पानी ...

मौर्य साम्राज्य का इतिहास और जानकारी

Morya Rajvansh / मौर्य राजवंश प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली एवं महान राजवंश था। इसने 137 वर्ष भारत में राज किया। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री आचार्य चाणक्य को दिया जाता है, जिन्होंने नंदवंश के सम्राट घनानन्द को पराजित किया। यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों से शुरू हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (अब का पटना) थी। मोर्य साम्राज्य 52 लाख वर्गकिलोमीटर तक फैला था। • • • • • • • • • • • • • • • • • मौर्य वंश की स्थापना – Maurya Vansh ki Sthapna 325 ईसापूर्व में उत्तर पश्चिमी भारत (आज के पाकिस्तान का लगभग सम्पूर्ण इलाका) सिकन्दर के क्षत्रपों का शासन था। जब सिकन्दर पंजाब पर चढ़ाई कर रहा था तो एक ब्राह्मण जिसका नाम चाणक्य था (कौटिल्य नाम से भी जाना गया तथा वास्तविक नाम विष्णुगुप्त) मगध को साम्राज्य विस्तार के लिए प्रोत्साहित करने आया। उस समय मगध अच्छा खासा शक्तिशाली था तथा उसके पड़ोसी राज्यों की आंखों का काँटा। पर तत्कालीन मगध के सम्राट घनानन्द ने उसको ठुकरा दिया। उसने कहा कि तुम एक पंडित हो और अपनी चोटी का ही ध्यान रखो “युद्ध करना राजा का काम है तुम पंडित हो सिर्फ पंडिताई करो” तभी से चाणक्य ने प्रतिज्ञा लिया की धनानंद को सबक सिखा के रहेगा। मौर्य प्राचीन क्षत्रिय कबीले के हिस्से रहे है। प्राचीन भारत छोटे -छोटे गणों में विभक्त था। उस वक्त कुछ ही प्रमुख शासक जातिया थी जिसमे शाक्य, मौर्य का प्रभाव ज्यादा था। चन्द्रगुप्त उसी गण प्रमुख का पुत्र था जो की चन्द्रगुप्त के बाल अवस्था में ही योद्धा के रूप में मारा गया। चन्द्रगुप्त में राजा बनने के स्वाभाविक गुण थे ‘इसी योग्यता को देखते हुए चाणक्य ने उसे अपना शिष्य बना लिया, एवं एक सबल राष्ट्र की ...

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