नागमणि धारावाहिक

  1. खुल गया नागमणि का रहस्य नागमणि सच मे होती है real nagamani proof in hindi
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खुल गया नागमणि का रहस्य नागमणि सच मे होती है real nagamani proof in hindi

नागमणि का इतिहास,नागमणि की कहानी, नागमणि का सच दोस्तों एक रिसर्च ने नागमणि के रहस्य को पूरा खोल कर रख दिया है। नागमणि के बारे मे हम बहुत बार सोचते हैं कि क्या नागमणि real के अंदर होती है? इस लेख के अंदर हम आपको नागमणि का सच बताने जा रहे हैं। उसके ‌‌‌इतिहास के साथ । दोस्तों कुछ वैज्ञानिकों ‌‌‌ने माना है कि सच मे नागमणि होती है। और एक कीमती पत्थर होता है। अन्य कीमती stone की तरह ही । इसके कई उपयोग किये जा सकते हैं। और इसका काफी ज्योतिषिय महत्व भी है। ‌‌‌नागमणि के बारे मे हम अपने बचपन से ही सुनते आ रहे हैं। अनेक कथाओं के अंदर नागमणि का उल्लेख मिलता है। लेकिन बहुत से लोग अभी भी इसको सत्य नहीं मानते हैं।लेकिन ‌‌‌बुजुर्ग लोग नागमणि को सत्य मानते हैं उनका दावा है कि सच मे ही नागमणि होती है। ‌‌‌और कुछ ऑनलाइन वेबसाइट भी हैं जो रियल नागमणि को सैल करती हैं। और इस बात का दावा करती हैं कि उनके पास रियल नागमणि है। इसकी price भी वे बहुत ज्यादा 1000 करोड़ तक लेते हैं। • नागमणि क्या होती है • नागमणि का इतिहास • असली नागमणि की पहचान कैसे होती है? nagamani test • ‌‌‌सांप काटने पर काम आती है नागमणि • ‌‌‌नागमणि मिलने की रियल घटना • ‌‌‌ ‌‌‌नागमणि का रहस्य कोबरा पर्ल और snake स्टोन क्या है वैज्ञानिक रिसर्च से पता चला है कि नागराज के हुड के अंदर एक दुर्लभ तत्व पाया जाता है। जिसको नागमणि कहा जाता था । यह सांप 150 से 400 साल तक जीता है। और काले व सफेद रंग के अंदर पाया जाता है। यह लम्बाई के अंदर छोटा होता है लेकिन अपना आकार बदल सकता है। ‌‌‌एक आम धारण के अनुसार जब स्वाति नक्षत्र के अंदर बारिस की बूंदों से नाग मणि बनाई जाती है। सांप की उम्र के साथ इसका आकार बढ़ता जाता है। यह चमकदार होती है। और अंधेरे ...

कमलेश्वर

व्यक्तित्व अभिव्यक्ति में कमलेश्वर की रचनाएँ गौरवगाथा में कहानियों में क़सबे का आदमी कमलेश्वर जन्म : ६ जनवरी को उ.प्र. के मैनपुरी जिले में भारत में। शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. की उपाधि। कार्यक्षेत्र : 'विहान' जैसी पत्रिका का १९५४ में संपादन आरंभ कर कमलेश्वर ने कई पत्रिकाओं का सफल संपादन किया जिनमें 'नई कहानियाँ'(१९६३-६६), 'सारिका' (१९६७-७८), 'कथायात्रा' (१९७८-७९), 'गंगा' (१९८४-८८) आदि प्रमुख हैं। इनके द्वारा संपादित अन्य पत्रिकाएँ हैं- 'इंगित' (१९६१-६३) 'श्रीवर्षा' (१९७९-८०)। हिंदी दैनिक 'दैनिक जागरण'(१९९०-९२) के भी वे संपादक रहे हैं। 'दैनिक भास्कर' से १९९७ से वे लगातार जुड़े हैं। इस बीच जैन टीवी के समाचार प्रभाग का कार्य भार सम्हाला। सन १९८०-८२ तक कमलेश्वर दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक भी रहे। कमलेश्वर का नाम नई कहानी आंदोलन से जुड़े अगुआ कथाकारों में आता है। उनकी पहली कहानी १९४८ में प्रकाशित हो चुकी थी परंतु ' क़सबे का आदमी ' एवं 'स्मारक' आदि उल्लेखनीय हैं। उन्होंने दर्जन भर उपन्यास भी लिखे हैं। इनमें 'एक सड़क सत्तावन गलियाँ', 'डाक बंगला', 'तीसरा आदमी', 'समुद्र में खोया आदमी' और 'काली आँधी' प्रमुख हैं। 'काली आँधी' पर गुलज़ार द्वारा निर्मित' आँधी' नाम से बनी फ़िल्म ने अनेक पुरस्कार जीते। उनके अन्य उपन्यास हैं -'लौटे हुए मुसाफ़िर', 'वही बात', 'आगामी अतीत', 'सुबह-दोपहर शाम', 'रेगिस्तान', 'एक और चंद्रकांता' तथा 'कितने पाकिस्तान' हैं। 'कितने पाकिस्तान' ऐतिहासिक उथल-पुथल की विचारोत्तेजक महा गाथा है। कमलेश्वर ने नाटक भी लिखे हैं। 'अधूरी आवाज़', 'रेत पर लिखे नाम' , 'हिंदोस्ताँ हमारा' के अतिरिक्त बाल नाटकों के चार संग्रह भी उन्होंने लिखे हैं। आलोचना के क्...

कमलेश्वर

व्यक्तित्व अभिव्यक्ति में कमलेश्वर की रचनाएँ गौरवगाथा में कहानियों में क़सबे का आदमी कमलेश्वर जन्म : ६ जनवरी को उ.प्र. के मैनपुरी जिले में भारत में। शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. की उपाधि। कार्यक्षेत्र : 'विहान' जैसी पत्रिका का १९५४ में संपादन आरंभ कर कमलेश्वर ने कई पत्रिकाओं का सफल संपादन किया जिनमें 'नई कहानियाँ'(१९६३-६६), 'सारिका' (१९६७-७८), 'कथायात्रा' (१९७८-७९), 'गंगा' (१९८४-८८) आदि प्रमुख हैं। इनके द्वारा संपादित अन्य पत्रिकाएँ हैं- 'इंगित' (१९६१-६३) 'श्रीवर्षा' (१९७९-८०)। हिंदी दैनिक 'दैनिक जागरण'(१९९०-९२) के भी वे संपादक रहे हैं। 'दैनिक भास्कर' से १९९७ से वे लगातार जुड़े हैं। इस बीच जैन टीवी के समाचार प्रभाग का कार्य भार सम्हाला। सन १९८०-८२ तक कमलेश्वर दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक भी रहे। कमलेश्वर का नाम नई कहानी आंदोलन से जुड़े अगुआ कथाकारों में आता है। उनकी पहली कहानी १९४८ में प्रकाशित हो चुकी थी परंतु ' क़सबे का आदमी ' एवं 'स्मारक' आदि उल्लेखनीय हैं। उन्होंने दर्जन भर उपन्यास भी लिखे हैं। इनमें 'एक सड़क सत्तावन गलियाँ', 'डाक बंगला', 'तीसरा आदमी', 'समुद्र में खोया आदमी' और 'काली आँधी' प्रमुख हैं। 'काली आँधी' पर गुलज़ार द्वारा निर्मित' आँधी' नाम से बनी फ़िल्म ने अनेक पुरस्कार जीते। उनके अन्य उपन्यास हैं -'लौटे हुए मुसाफ़िर', 'वही बात', 'आगामी अतीत', 'सुबह-दोपहर शाम', 'रेगिस्तान', 'एक और चंद्रकांता' तथा 'कितने पाकिस्तान' हैं। 'कितने पाकिस्तान' ऐतिहासिक उथल-पुथल की विचारोत्तेजक महा गाथा है। कमलेश्वर ने नाटक भी लिखे हैं। 'अधूरी आवाज़', 'रेत पर लिखे नाम' , 'हिंदोस्ताँ हमारा' के अतिरिक्त बाल नाटकों के चार संग्रह भी उन्होंने लिखे हैं। आलोचना के क्...