नारायण साकार हरि कहां है

  1. Optional Subject : Hindi Literature
  2. संध्या आरती


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Optional Subject : Hindi Literature

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संध्या आरती

संध्या आरती | Sandhya Aarti संध्या आरती ।।अथ मंगलाचरण।। गरीब नमो नमो सत् पुरूष कुं, नमस्कार गुरु कीन्ही। सुरनर मुनिजन साधवा, संतों सर्वस दीन्ही।1। सतगुरु साहिब संत सब डण्डौतम् प्रणाम। आगे पीछै मध्य हुए, तिन कुं जा कुरबान।2। नराकार निरविषं, काल जाल भय भंजनं। निर्लेपं निज निर्गुणं, अकल अनूप बेसुन्न धुनं।3। सोहं सुरति समापतं, सकल समाना निरति लै। उजल हिरंबर हरदमं बे परवाह अथाह है, वार पार नहीं मध्यतं।4। गरीब जो सुमिरत सिद्ध होई, गण नायक गलताना। करो अनुग्रह सोई, पारस पद प्रवाना।5। आदि गणेश मनाऊँ, गण नायक देवन देवा। चरण कवंल ल्यो लाऊँ, आदि अंत करहूं सेवा।6। परम शक्ति संगीतं, रिद्धि सिद्धि दाता सोई। अबिगत गुणह अतीतं, सतपुरुष निर्मोही।7। Page 51 जगदम्बा जगदीशं, मंगल रूप मुरारी। तन मन अरपुं शीशं, भक्ति मुक्ति भण्डारी।8। सुर नर मुनिजन ध्यावैं, ब्रह्मा विष्णु महेशा। शेष सहंस मुख गावैं, पूजैं आदि गणेशा।9। इन्द कुबेर सरीखा, वरुण धर्मराय ध्यावैं। सुमरथ जीवन जीका, मन इच्छा फल पावैं।10। तेतीस कोटि अधारा, ध्यावैं सहंस अठासी। उतरैं भवजल पारा, कटि हैं यम की फांसी।11। आरती (1) पहली आरती हरि दरबारे, तेजपुंज जहां प्राण उधारे।1। पाती पंच पौहप कर पूजा, देव निंरजन और न दूजा।2। खण्ड खण्ड में आरती गाजै, सकलमयी हरि जोति विराजै।3। शान्ति सरोवर मंजन कीजै, जत की धोति तन पर लीजै।4। ग्यान अंगोछा मैल न राखै, धर्म जनेऊ सतमुख भाषै।5। दया भाव तिलक मस्तक दीजै, प्रेम भक्ति का अचमन लीजै।6। जो नर ऐसी कार कमावै, कंठी माला सहज समावे।7। गायत्री सो जो गिनती खोवै, तर्पण सो जो तमक न होवैं।8। Page 52 संध्या सो जो सन्धि पिछानै, मन पसरे कुं घट में आनै।9। सो संध्या हमरे मन मानी, कहैं कबीर सुनो रे ज्ञानी।10। (2) ऐसी आरती त्...