ओम जय जगदीश हरे आरती इन हिंदी

  1. भगवान विष्णु जी की आरती
  2. विष्णु जी की आरती: आरती ॐ जय जगदीश हरे, Vishnu Ji Ki Aarti Om Jai Jagdish
  3. [PDF] ॐ जय जगदीश हरे आरती
  4. ओम जय जगदीश हरे आरती इन हिंदी:Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics
  5. श्री विष्णु भगवान जी की आरती (ओम जय जगदीश हरे)
  6. ॐ जय जगदीश हरे आरती (हिंदी) & (English Lyrics) PDF


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भगवान विष्णु जी की आरती

ॐ जय जगदीश हरे, Om Jai Jagdish माना जाता है की यदि भगवान विष्णु जी को प्रसन्न करना है तो भगवान विष्णु जी की आरती ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे का उच्चारण करना बहुत आवश्यक है। ओम जय जगदीश हरे आरती की रचना 1870 ई. में, पं. श्रद्घाराम फिल्लौरी (1837-1881) द्वारा की गयी थी। भगवान विष्णु जी की आरती के उच्चारण से मन को शांति और प्रसन्ता मिलती है। ऐसा माना जाता की ओम जय जगदीश हरे आरती के बिना विष्णु जी की पूजा पूर्ण नहीं होती। आइये अब एक साथ मिलकर विष्णु जी की आरती ॐ जय जगदीश हरे के बोल का ध्यान करे। ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का, स्वामी दुःख बिनसे मन का । सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी । तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी । पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता । मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति । किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे । अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा । श्रद्धा...

विष्णु जी की आरती: आरती ॐ जय जगदीश हरे, Vishnu Ji Ki Aarti Om Jai Jagdish

विष्णु जी की जो आरती संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है वह है आरती ॐ जय जगदीश हरे (Om Jai Jagdish Hare Aarti)। इस विष्णु आरती की रचना आज से लगभग 150 वर्ष पूर्व 1870 में पंडित श्रद्धाराम शर्मा फिल्लौरी के द्वारा की गयी थी। उसके बाद से यह विष्णु भगवान की आरती (Vishnu Bhagwan Ki Aarti) घर-घर में प्रसिद्ध हो गयी। इस आरती को जगदीश भगवान की आरती भी कह दिया जाता है। इस लेख में सर्वप्रथम आपको ओम जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics) पढ़ने को मिलेगी। तत्पश्चात जगदीश आरती का हिंदी अनुवाद आपके लिए किया जाएगा। हिंदी अनुवाद के पश्चात विष्णु आरती का भावार्थ भी आपको समझाया जाएगा ताकि आप इसका संपूर्ण अर्थ समझ सकें। अंत में विष्णु जी की आरती के बारे में कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें आपके साथ साँझा की जाएगी। ओम जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti) ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे।। ॐ जय जगदीश हरे…।। जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का, स्वामी दुःख विनसे मन का। सुख-संपत्ति घर आवे, सुख-संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।। ॐ जय जगदीश हरे…।। मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी, स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी। तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूँ मैं जिसकी।। ॐ जय जगदीश हरे…।। तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी। परमब्रह्म परमेश्वर, परमब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी।। ॐ जय जगदीश हरे…।। तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता। मैं मूरख खलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता।। ॐ जय जगदीश हरे…।। तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति। किस विधि मिलूँ दयामय, स्वामी किस विधि ...

[PDF] ॐ जय जगदीश हरे आरती

ॐ जय जगदीश हरे Hindi Lyrics ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे। जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का। सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश हरे। मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी। स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी। तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी। स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति। किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे। दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे। अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय जगदीश हरे। विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥ ॐ जय जगदीश हरे। श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ॐ जय जगदीश हरे।

ओम जय जगदीश हरे आरती इन हिंदी:Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करें।। ॐ जय जगदीश हरे....... जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का। सुख-सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।। 1 ।। ॐ जय जगदीश....... मात-पिता तुम मेरे शरण गहूँ किसकी। तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी।। 2 ।। ॐ जय जगदीश हरे....... तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी। पार ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी।।3।। ॐ जय जगदीश हरे....... तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता।।4।। ॐ जय जगदीश हरे....... तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। किस विधि मिलूँ दयामय, तुमसे मैं कुमति।।6।। ॐ जय जगदीश ....... दीनबन्धु दुःख हर्ता, तुम रक्षक मेरे। अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे।।5।। ॐ जय जगदीश....... विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा।।7।। ॐ जय जगदीश ......... ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करें।। ॐ जय जगदीश हरे......! Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Read More Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social...

श्री विष्णु भगवान जी की आरती (ओम जय जगदीश हरे)

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे। (x2) जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का। सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश हरे। मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी। स्वामी शरण गहूँ किसकी। तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी। स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति। किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे। दीनबन्धु दुखहर्ता, ठाकुर तुम मेरे। स्वामी ठाकुर तुम मेरे। अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय जगदीश हरे। विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥ ॐ जय जगदीश हरे। ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे। (x2)

ॐ जय जगदीश हरे आरती (हिंदी) & (English Lyrics) PDF

Table of Contents • • • • • • • • • • ॐ जय जगदीश हरे आरती (हिंदी), jagdish maharaj ki aarti – ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का, स्वामी दुःख बिनसे मन का । सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी । तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी । पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता । मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति । किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे । अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा । श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा ॥ ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॐ जय जगदीश हरे आरती PDF डाउनलोड (PDF Download) – ॐ जय जगदीश हरे आरती Aarti: Om Jai Jagdish Hare (English Lyrics) – Om Jaye Jagdish Hare, Swami Jaye Jagdish Hare॥ Bhagt Jano Ke Sankat, Khshan Mein Door Kare॥ Jo Dhaywe Phal Pave, Dukh Vinse Man Ka॥ Sukh Sampati Gh...