पितृ पक्ष 2022 प्रारंभ दिनांक और समय

  1. Pitru Paksha 2022 Bhadrapada Purnima Shraddh: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन श्राद्ध करने से मिलेगा पितरों का विशेष वरदान, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा से बन जाएंगे धनवान Pitru Paksha 2022 date time tithi 16 tithiya pind daan shraddh puja vidhi mahatva katha upay dos and donts niyam pitra tarpan shraddh karm bhadrapad purnima shraddh pitra dosh ancestors dharm latest news
  2. Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष में पितरों का कैसे करते हैं तर्पण? जानें सही विधि और प्रार्थना मंत्र
  3. Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष कब शुरू हो रहा है? जानें श्राद्ध और महत्व पूर्ण तिथियां
  4. Pitru Paksha 2022 :कल से शुरू होगा पितृ पक्ष, नोट कर लें श्राद्ध तिथि, पूजा विधि और सामग्री की पूरी लिस्ट
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  7. Pitra Paksha
  8. Pitru Paksha 2022 Bhadrapada Purnima Shraddh: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन श्राद्ध करने से मिलेगा पितरों का विशेष वरदान, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा से बन जाएंगे धनवान Pitru Paksha 2022 date time tithi 16 tithiya pind daan shraddh puja vidhi mahatva katha upay dos and donts niyam pitra tarpan shraddh karm bhadrapad purnima shraddh pitra dosh ancestors dharm latest news
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Pitru Paksha 2022 Bhadrapada Purnima Shraddh: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन श्राद्ध करने से मिलेगा पितरों का विशेष वरदान, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा से बन जाएंगे धनवान Pitru Paksha 2022 date time tithi 16 tithiya pind daan shraddh puja vidhi mahatva katha upay dos and donts niyam pitra tarpan shraddh karm bhadrapad purnima shraddh pitra dosh ancestors dharm latest news

Pitru Paksha 2022 Bhadrapada Purnima Shraddh: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन श्राद्ध करने से मिलेगा पितरों का विशेष वरदान, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा से बन जाएंगे धनवान Pitru Paksha 2022 date time tithi 16 tithiya pind daan shraddh puja vidhi mahatva katha upay dos and donts niyam pitra tarpan shraddh karm bhadrapad purnima shraddh pitra dosh ancestors dharm latest news - News Nation नई दिल्ली : Pitru Paksha 2022 Bhadrapada Purnima Shraddh: हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा 10 सितंबर 2022, दिन शनिवार यानी कि आज है. पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधाना है. वहीं, भाद्रपद मास की पूर्णिमा से ही श्राद्ध पक्ष भी शुरू हो जाते हैं, इसलिए इसे श्राद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन स्नान, दान, पूजा-पाठ के अलावा पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करने का भी अत्यधिक महत्व है. ऐसे में आइए जानते हैं भाद्रपद पूर्णिमा के पूजा मुहूर्त, श्राद्ध मुहूर्त और महत्व के बारे में. यह भी पढ़ें: भाद्रपद पूर्णिमा 2022 मुहूर्त (Bhadrapad Purnima 2022 Muhurat) भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 9 सितंबर 2022, दिन शुक्रवार को शाम 6 बजकर 7 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है, वहीं, पूर्णिमा तिथि का समापन 10 सितंबर 2022, दिन शनिवार को दोपहर 3 बजकर 28 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार पूर्णिमा का व्रत 10 सितंबर 2022 को रखा जाएगा. इसके अतिरिक्त पूजा मुहूर्त की बात करें तो, पूजा का शुभ मुहूर्त 10 सितंबर को सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहने वाला है. वहीं, चंद्रोदय का समय शाम 6 बजकर 49 मिनट है. भाद्रपद पूर्णिमा 2022 श्राद्ध का मुहूर्...

Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष में पितरों का कैसे करते हैं तर्पण? जानें सही विधि और प्रार्थना मंत्र

पितृ पक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए. तर्पण के समय सबसे पहले देवों के लिए तर्पण करते हैं. इस साल पितृ पक्ष का प्रारंभ आज 10 सितंबर दिन शनिवार से हो रहा है. पितृ पक्ष में पितरों की आत्म तृप्ति के लिए जो भी कर्म श्रद्धा से किया जाता है, वह श्राद्ध (Shraddha) कहलाता है. श्राद्ध का तात्पर्य श्रद्धा से है. इस साल पितरों के श्राद्ध कर्म 10 सितंबर से 25 सितंबर तक होंगे. श्राद्ध पितरों की तिथियों के अनुसार किया जाता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं तर्पण की विधि और पितरों की प्रार्थना के मंत्र के बारे में. क्या होता है श्राद्ध? पराशर ऋषि ने बताया है कि स्थान और वहां की परिस्थिति के अनुसार जौ, काला तिल, कुश आदि से मंत्रोच्चार के साथ जो भी कर्म श्रद्धा से करते हैं, वहीं श्राद्ध कहलाता है. श्राद्ध से पितर प्रसन्न होते हैं तो वे अपने वंश को सुख, समृद्धि, संतान सुख आदि का आशीर्वाद देते हैं. यह भी पढे़ं: क्या होते हैं पितृ दोष के लक्षण? जानें इससे मुक्ति के आसान उपाय पितर प्रार्थना मंत्र 1- पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:।। 2- ॐ नमो व :पितरो रसाय नमो व: पितर: शोषाय नमो व: पितरो जीवाय नमो व: पीतर: स्वधायै नमो व: पितर: पितरो नमो वो गृहान्न: पितरो दत्त:सत्तो व:।। यह भी पढे़ं: पितृपक्ष में क्या करें और क्या न करें? इन नियमों को जानना है जरूरी तर्पण विधि पितृ पक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए. तर्पण के समय सबसे पहले देवों के लिए तर्पण करते हैं. तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना चाहिए. तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थन...

Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष कब शुरू हो रहा है? जानें श्राद्ध और महत्व पूर्ण तिथियां

पितृ पक्ष 2022 तिथि: भाद्रपद की पूर्णिमा और आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को पितृ पक्ष कहा जाता है। वर्ष 2022 में पितृ पक्ष 10 सितंबर 2022 (शनिवार) से शुरू होकर 25 सितंबर 2022 (रविवार) तक रहेगा। ब्रह्मपुराण के अनुसार, देवताओं की पूजा करने से पहले अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे देवताओं को प्रसन्नता होती है। इसी कारण भारतीय समाज में बड़ों का सम्मान मरणोपरांत किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। ये प्रसाद श्राद्ध के रूप में होते हैं जो पितृ पक्ष में मृत्यु तिथि को किया जाता है और यदि तिथि ज्ञात नहीं है, तो अश्विन अमावस्या की पूजा की जा सकती है जिसे सर्व प्रभु अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। श्राद्ध के दिन हम ब्राह्मणों या जरूरतमंद लोगों को तर्पण और भोजन और दक्षिणा देकर अपने पूर्वजों को याद करते हैं। 2022 अष्टमी श्राद्ध अष्टमी श्राद्ध उन मृत परिवार के सदस्यों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि को हुई है। इस दिन शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों की अष्टमी तिथि को श्राद्ध किया जा सकता है। पितृ पक्ष श्राद्ध, पर्व श्राद्ध हैं। इन श्राद्धों को करने के लिए कुटुप, रौहिन आदि शुभ मुहूर्त माने जाते हैं। दोपहर के अंत तक श्राद्ध से संबंधित अनुष्ठानों को पूरा कर लेना चाहिए। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है। भाद्रपद की पूर्णिमा और आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को पितृ पक्ष कहते हैं। , पितृत्व का महत्व हिंदू धर्म के अनुसार पितृलोक में पूर्वजों की तीन पीढ़ियों की आत्माएं निवास करती हैं, जिसे स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का स्थान माना जाता है। हिंदू महत्व यह क्षेत्र मृत्यु के देवता यम द्वारा शासित है, जो एक मरते हुए व्यक्ति की आत्मा ...

Pitru Paksha 2022 :कल से शुरू होगा पितृ पक्ष, नोट कर लें श्राद्ध तिथि, पूजा विधि और सामग्री की पूरी लिस्ट

Pitru Paksha 2022 :कल से शुरू होगा पितृ पक्ष, नोट कर लें श्राद्ध तिथि, पूजा विधि और सामग्री की पूरी लिस्ट Shradh 2022 Kab Se hai : हिंदू धर्म पितरों को भी देव तुल्‍य माना गया है और यही कारण है कि पितृ पक्ष में पूर्वजों की पूजा बहुत मायने रखती है. 10 सितंबर से पितृ पक्ष प्रारंभ हो रहा है. तो चलिए जानें पितरों का श्राद्ध और तर्पण की पूरी तिथ‍ि और पूजन सामग्री क‍ी लिस्‍ट. यह भी पढ़ें: पितृ पक्ष आरंभ और सर्वपितृ अमावस्‍या की तारीख 10 सितंबर 2022 से पितृ पक्ष आरंभ हो जाएगा और 25 सितंबर 2022 को सर्वपितृ अमावस्‍या के साथ इसका समापन होगा. पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है. अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है. इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है. पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां- पूर्णिमा श्राद्ध - 10 सितंबर 2022- प्रतिपदा श्राद्ध - 10 सितंबर 2022 द्वितीया श्राद्ध - 11 सितंबर 2022 तृतीया श्राद्ध - 12 सितंबर 2022 चतुर्थी श्राद्ध - 13 सितंबर 2022 पंचमी श्राद्ध - 14 सितंबर 2022 षष्ठी श्राद्ध - 15 सितंबर 2022 सप्तमी श्राद्ध - 16 सितंबर 2022 अष्टमी श्राद्ध- 18 सितंबर 2022 नवमी श्राद्ध - 19 सितंबर 2022 दशमी श्राद्ध - 20 सितंबर 2022 एकादशी श्राद्ध - 21 सितंबर 2022 द्वादशी श्राद्ध- 22 सितंबर 2022 पितृ पक्ष पूजा में दें इन बातों का ध्‍यान • पितरों की पूजा ब्राह्मण से कराएं और संभव न हो तो श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) खुद भी कर सकते हैं. • श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मण, गाय, कुत्ते, कौवे, चीटी को भोजन जरूर कराएं. • यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करें. संभव न हो तो घर पर भी कर सकते ह...

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श्री बैकुंठनाथ पवहारि संस्कृत महाविद्यालय के सहायक विभागाध्यक्ष पंडित विवेक कुमार उपाध्याय के अनुसार इस बार कुल 16 दिनों का पूर्णकालिक श्राद्ध पक्ष की प्राप्ति होना भी शुभकर रहेगा। श्राद्ध में चार बातें तर्पण, भोजन व पिण्ड दान, वस्त्रदान व दक्षिणादान प्रमुख हैं। शास्त्रों में श्राद्ध कर्म में कुतप काल को विशेष महत्व दिया गया है। ये समय दिन का आठवां व नवां मुहूर्त होता है। यह 11:36 बजे से 12:24 मिनट व इसके बाद का 48 मिनट प्रमुख होता है। ये समय मनुष्य जीवन के समस्त पापों को सन्तप्त करने में समर्थ होता है। इस वर्ष शनिवार से महालया का आरम्भ होकर 25 सितम्बर दिन रविवार को पितृ विसर्जन होगा। Mercury Retrograde In Virgo: बुध हुए कन्या राशि में वक्री, मेष से लेकर मीन राशि वालों के जीवन में मचेगी हलचल, पढ़ें राशिफल पंडित विवेक उपाध्याय ने बताया कि शास्त्रों में कहा गया है कि पुत्र वही है जो अपने पितरों की नरक से रक्षा करे। उसकी रक्षा का सबसे सहज उपाय श्राद्ध है। क्योंकि पितृ अगर तृप्त नही है तो मनुष्य के जीवन में पूर्णता सम्भव नहीं है। श्राद्ध करने में श्रद्धा का होना परम् आवश्यक बताया गया है। इस संसार में श्राद्ध से उत्तम कोई भी कल्याणप्रद उपाय नही हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अंतरिक्ष में सूक्ष्म रूप में अवस्थित पितर श्राद्धकाल की बात सुनकर ही तृप्त हो जाते है। हमारे स्मरण मात्र से ही हमारे पितर उस श्राद्ध भूमि पर आ जाते हैं। श्राद्ध में निर्धनता कहीं से बाधक नही है पद्मपुराण के अनुसार निर्धन से निर्धन व्यक्ति भी पितरों को संतुष्ट करने में सक्षम है। धन के अभाव के विकल्प में शाग (शाक) से भी श्राद्ध करके पितरों को तृप्त कर सकते है। शाग खरीदने में असमर्थ व्यक्ति भी कुतप बेला में...

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Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष 10 सितंबर 2022 से शुरू होन जा रहा है, शनिवार से 25 सितंबर 2022 तक रहेगा. पुराणों में उल्लेख मिलता है कि यमराज भी इन दिनों पितरों की आत्मा को मुक्त कर देते हैं ताकि वह अपने परिजनों के बीच 15 दिनों तक रह कर श्राद्ध का अन्न जल ग्रहण कर तृप्त हो सकें. हिंदू पुराणों में पितृपक्ष का महत्व और इसके बारे में विस्तार से बताया गया है. पितृपक्ष के 15 दिनों में पितरों की पूजा, तर्पण और पिंडदान करने से पितरदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का खास महत्‍व होता है. मृत्‍यु के बाद भी हिंदू धर्म में पूर्वजों का समय-समय पर स्‍मरण किया जाता है और श्राद्ध पक्ष उन्‍हीं के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करने और उनके निमित्‍त दान करने का पर्व है. मान्‍यता है कि यदि श्राद्ध न किया जाए तो मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में पितरों के निमित्‍त दान-पुण्‍य करने से हमारी कुंडली से पितृ दोष का दुष्‍प्रभाव समाप्‍त होता है. • 10 सितंबर 2022- पूर्णिमा का श्राद्ध/ प्रतिपदा का श्राद्ध • 11 सितंबर 2022- द्वितीया का श्राद्ध • 12 सितंबर 2022- तृतीया का श्राद्ध • 13 सितंबर 2022- चतुर्थी का श्राद्ध • 14 सितंबर 2022- पंचमी का श्राद्ध • 15 सितंबर 2022- षष्ठी का श्राद्ध • 16 सितंबर 2022- सप्तमी का श्राद्ध • 18 सितंबर 2022- अष्टमी का श्राद्ध • 19 सितंबर 2022- नवमी श्राद्ध • 20 सितंबर 2022- दशमी का श्राद्ध • 21 सितंबर 2022- एकादशी का श्राद्ध • 22 सितंबर 2022- द्वादशी/सन्यासियों का श्राद्ध • 23 सितंबर 2022- त्रयोदशी का श्राद्ध • 24 सितंबर 2022- चतुर्दशी का श्राद्ध • 25 सितंबर 2022- अमावस्या का श्राद्ध, स...

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Pitru Paksha 2022 Bhadrapada Purnima Shraddh: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन श्राद्ध करने से मिलेगा पितरों का विशेष वरदान, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा से बन जाएंगे धनवान Pitru Paksha 2022 date time tithi 16 tithiya pind daan shraddh puja vidhi mahatva katha upay dos and donts niyam pitra tarpan shraddh karm bhadrapad purnima shraddh pitra dosh ancestors dharm latest news

Pitru Paksha 2022 Bhadrapada Purnima Shraddh: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन श्राद्ध करने से मिलेगा पितरों का विशेष वरदान, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा से बन जाएंगे धनवान Pitru Paksha 2022 date time tithi 16 tithiya pind daan shraddh puja vidhi mahatva katha upay dos and donts niyam pitra tarpan shraddh karm bhadrapad purnima shraddh pitra dosh ancestors dharm latest news - News Nation नई दिल्ली : Pitru Paksha 2022 Bhadrapada Purnima Shraddh: हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा 10 सितंबर 2022, दिन शनिवार यानी कि आज है. पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधाना है. वहीं, भाद्रपद मास की पूर्णिमा से ही श्राद्ध पक्ष भी शुरू हो जाते हैं, इसलिए इसे श्राद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन स्नान, दान, पूजा-पाठ के अलावा पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करने का भी अत्यधिक महत्व है. ऐसे में आइए जानते हैं भाद्रपद पूर्णिमा के पूजा मुहूर्त, श्राद्ध मुहूर्त और महत्व के बारे में. यह भी पढ़ें: भाद्रपद पूर्णिमा 2022 मुहूर्त (Bhadrapad Purnima 2022 Muhurat) भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 9 सितंबर 2022, दिन शुक्रवार को शाम 6 बजकर 7 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है, वहीं, पूर्णिमा तिथि का समापन 10 सितंबर 2022, दिन शनिवार को दोपहर 3 बजकर 28 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार पूर्णिमा का व्रत 10 सितंबर 2022 को रखा जाएगा. इसके अतिरिक्त पूजा मुहूर्त की बात करें तो, पूजा का शुभ मुहूर्त 10 सितंबर को सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहने वाला है. वहीं, चंद्रोदय का समय शाम 6 बजकर 49 मिनट है. भाद्रपद पूर्णिमा 2022 श्राद्ध का मुहूर्...

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श्री बैकुंठनाथ पवहारि संस्कृत महाविद्यालय के सहायक विभागाध्यक्ष पंडित विवेक कुमार उपाध्याय के अनुसार इस बार कुल 16 दिनों का पूर्णकालिक श्राद्ध पक्ष की प्राप्ति होना भी शुभकर रहेगा। श्राद्ध में चार बातें तर्पण, भोजन व पिण्ड दान, वस्त्रदान व दक्षिणादान प्रमुख हैं। शास्त्रों में श्राद्ध कर्म में कुतप काल को विशेष महत्व दिया गया है। ये समय दिन का आठवां व नवां मुहूर्त होता है। यह 11:36 बजे से 12:24 मिनट व इसके बाद का 48 मिनट प्रमुख होता है। ये समय मनुष्य जीवन के समस्त पापों को सन्तप्त करने में समर्थ होता है। इस वर्ष शनिवार से महालया का आरम्भ होकर 25 सितम्बर दिन रविवार को पितृ विसर्जन होगा। Mercury Retrograde In Virgo: बुध हुए कन्या राशि में वक्री, मेष से लेकर मीन राशि वालों के जीवन में मचेगी हलचल, पढ़ें राशिफल पंडित विवेक उपाध्याय ने बताया कि शास्त्रों में कहा गया है कि पुत्र वही है जो अपने पितरों की नरक से रक्षा करे। उसकी रक्षा का सबसे सहज उपाय श्राद्ध है। क्योंकि पितृ अगर तृप्त नही है तो मनुष्य के जीवन में पूर्णता सम्भव नहीं है। श्राद्ध करने में श्रद्धा का होना परम् आवश्यक बताया गया है। इस संसार में श्राद्ध से उत्तम कोई भी कल्याणप्रद उपाय नही हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अंतरिक्ष में सूक्ष्म रूप में अवस्थित पितर श्राद्धकाल की बात सुनकर ही तृप्त हो जाते है। हमारे स्मरण मात्र से ही हमारे पितर उस श्राद्ध भूमि पर आ जाते हैं। श्राद्ध में निर्धनता कहीं से बाधक नही है पद्मपुराण के अनुसार निर्धन से निर्धन व्यक्ति भी पितरों को संतुष्ट करने में सक्षम है। धन के अभाव के विकल्प में शाग (शाक) से भी श्राद्ध करके पितरों को तृप्त कर सकते है। शाग खरीदने में असमर्थ व्यक्ति भी कुतप बेला में...

Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष में पितरों का कैसे करते हैं तर्पण? जानें सही विधि और प्रार्थना मंत्र

पितृ पक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए. तर्पण के समय सबसे पहले देवों के लिए तर्पण करते हैं. इस साल पितृ पक्ष का प्रारंभ आज 10 सितंबर दिन शनिवार से हो रहा है. पितृ पक्ष में पितरों की आत्म तृप्ति के लिए जो भी कर्म श्रद्धा से किया जाता है, वह श्राद्ध (Shraddha) कहलाता है. श्राद्ध का तात्पर्य श्रद्धा से है. इस साल पितरों के श्राद्ध कर्म 10 सितंबर से 25 सितंबर तक होंगे. श्राद्ध पितरों की तिथियों के अनुसार किया जाता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं तर्पण की विधि और पितरों की प्रार्थना के मंत्र के बारे में. क्या होता है श्राद्ध? पराशर ऋषि ने बताया है कि स्थान और वहां की परिस्थिति के अनुसार जौ, काला तिल, कुश आदि से मंत्रोच्चार के साथ जो भी कर्म श्रद्धा से करते हैं, वहीं श्राद्ध कहलाता है. श्राद्ध से पितर प्रसन्न होते हैं तो वे अपने वंश को सुख, समृद्धि, संतान सुख आदि का आशीर्वाद देते हैं. यह भी पढे़ं: क्या होते हैं पितृ दोष के लक्षण? जानें इससे मुक्ति के आसान उपाय पितर प्रार्थना मंत्र 1- पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:।। 2- ॐ नमो व :पितरो रसाय नमो व: पितर: शोषाय नमो व: पितरो जीवाय नमो व: पीतर: स्वधायै नमो व: पितर: पितरो नमो वो गृहान्न: पितरो दत्त:सत्तो व:।। यह भी पढे़ं: पितृपक्ष में क्या करें और क्या न करें? इन नियमों को जानना है जरूरी तर्पण विधि पितृ पक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए. तर्पण के समय सबसे पहले देवों के लिए तर्पण करते हैं. तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना चाहिए. तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थन...