प्रबंध काव्य की परिभाषा

  1. Muktak Kavya
  2. प्रबंध का अर्थ, परिभाषा, विशेषता, महत्व, उद्देश्य, कार्य
  3. प्रबंध काव्य
  4. रीतिकालीन प्रबंध एवं मुक्तक काव्य तथा अलंकार, छंद, रस एवं काव्यांग निरूपक ग्रंथ
  5. प्रबन्ध काव्य
  6. Prabandh Kavya


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Muktak Kavya

मुक्तक काव्य; परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण - नमस्कार ! दोस्तों....इस पोस्ट में आपका हार्दिक स्वागत है। आज की इस पोस्ट में हम आपको मुक्तक से संबंधित सारी जानकारी मुहैया कराएंगे। हम जानेंगे की मुक्तक काव्य किसे कहते हैं ? या मुक्तक काव्य होता क्या है ? साथ ही हम ये भी जानेंगे की मुक्तक काव्य के कितने भेद होते है। परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। यह प्रश्न कई बार एग्जाम में पूछा जा चुका है। यहां इसकी पुरी जानकारी दी गई है इसलिए यह महत्पूर्ण है कि पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें। तो चलिए अब शुरू करते है और जानते है कि, Muktak kavya kise kahte hai ? Prabandh aur muktak kavya kya hai ? FAQs मुक्तक काव्य काव्य और उसकी शैली काव्य या पद्द (Poetry) उसे कहते हैं जो श्रोता या पाठक के मन में भावात्मक आनन्द की सृष्टि करती है। इसकी दो शैली या पक्ष होते हैं:- 1) भाव पक्ष 2) कला पक्ष भाव पक्ष में काव्य के वर्णन करने योग्य विषय आ जाते है और कला पक्ष में वर्णन-शैली के सभी अंग सम्मिलित हे। यानी की भाव-पक्ष का सम्बन्ध काव्य की विषय वस्तु से है और कला-पक्ष का संबन्ध आकार-शैली से है। हालांकि, वस्तु या आकार एक-दूसरे से पृथक नहीं हो सकते, क्योंकि कोई भी वस्तु आकारहीन नहीं हो सकती। काव्य के दो भेद या प्रकार होते हैं- • श्रव्य काव्य (सुना या पढ़ा जाने वाला काव्य) • दृश्य काव्य (चित्रण के माध्यम से रस की अनुभूती कराने वाला काव्य) श्रव्य काव्य की बात करें तो इसकी अनुभूती पढ़कर या सुनकर होती है, जबकि दृश्य काव्य में रसानुभूति अभिनय एवं चित्र के द्वारा की जाती है। श्रव्य काव्य के भी दो उपभेद हैं- • प्रबंध काव्य • मुक्तक काव्य यह भी पढ़ें:- 1. प्रबंध काव्य प्रबंध काव्य में किसी कथा का आश्रय लेकर रचना की ज...

प्रबंध का अर्थ, परिभाषा, विशेषता, महत्व, उद्देश्य, कार्य

अन्य लोगों से कार्य कराने की कला को प्रबंधकहा जाता है। यह निर्धारित उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से एवं दक्षतापूर्ण प्राप्त करने के लिए किये गए कार्यों की प्रक्रिया है। अत: प्रबंधको प्रभावशीलता एवं कार्यक्षमता से लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु कार्य कराने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। • प्रबंधलक्ष्य प्रधान प्रक्रिया है जो संगठनात्मक उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता करती है। • प्रबंधसर्वव्यापक है जो सभी प्रकारों के संगठनों जैसे सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक आदि के लिए आवश्यक है। • प्रबंधबहुआयामी गतिविधि है जो कार्य, व्यक्तियों तथा परिचालनों के प्रबंधसे सम्बन्धित होती है।] • प्रबंध एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है जो तब तक चलती रहती है जब तक कि एक संगठन कुछ निर्धारित उद्देश्यों को पाने के लिए विद्यमान रहता है। • संगठनात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य करते हैं। कोई भी प्रबंधकीय निर्णय अकेले में नहीं लिये जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, विपणन प्रबंधक, वित्तीय प्रबंधक से परामर्श करके ही साख सुविधा को बढ़ा सकता है। माल की आपूर्ति देने से पहले उत्पादन प्रबंधक से परामर्श करना पड़ता है। • प्रबंधएक गत्यात्मक कार्य है जिसे परिवर्तन वातावरण के • अनुरूप कार्य करना पड़ता है। प्रबंधकी आवश्यकता, समय एवं परिस्थिति के • अनुसार बदलाव करना पड़ता है। • प्रबंधएक अदृश्य शक्ति है जिसे देखा नहीं जा सकता है। जैसे कि क्या कार्यब सन्तुष्ट एवं उत्साहित है? या नहीं। • जीवति रहना जिसके लिए पर्याप्त अर्जित करना अनिवार्य है। • लाभ अर्जित करना ताकि लागतों एवं जोखिमों को सहन किया जा सके। • विकास करना ताकि भविष्य में संगठन और अच्छे प्रकार के कार्य कर सकें। 2. सामाजिक उद्देश्यसामाजिक उ...

प्रबन्ध

यदि दण्डी के पूर्व कालिदास हुए होते तो दण्डी ऐसे सरस्वती-सिद्ध महाकवि का उल्लेख अपने काव्यादर्श में करने से न चूकते, क्योंकि उन्होंने काव्य- प्रबन्ध की श्रेष्ठता की दृष्टि से ही काव्यादर्श के प्रथम परिच्छेद में प्राकृत भाषा के महाकाव्य सेतुबन्ध काव्यादर्श 1/34 तथा भूतभाषा में लिखे कथा-ग्रन्थ बृहत्कथा 1/38 का उल्लेख किया है। चालीस वर्ष के संक्षिप्त जीवन में उन्होंने समृद्ध साहित्य निधि का निर्माण किया जिसके अन्तर्गत काव्य, नाटक, प्रबन्ध, अंग्रेजी उपन्यास का रूपान्तर, पुस्तकों की समीक्षा, साहित्यिक आलोचना, अनुसंधान शोध अनुवाद, संपादन का समावेश होता है और अन्तिम किन्तु किसी प्रकार से कम महत्त्वपूर्ण नहीं, उनकी सनसनीखेज आत्मकथा की पांडुलिपि है।

प्रबंध काव्य

काव्य के भेद दो प्रकार से किए गए हैं– • स्वरूप के अनुसार काव्य के भेद • शैली के अनुसार काव्य के भेद स्वरूप के आधार पर काव्य के दो भेद हैं - • श्रव्यकाव्य • दृष्यकाव्य। श्रव्य काव्य- जिस काव्य का रसास्वादन दूसरे से सुनकर या स्वयं पढ़ कर किया जाता है उसे श्रव्य काव्य कहते हैं। जैसे रामायण और महाभारत। श्रव्य काव्य के भी दो भेद होते हैं - • प्रबन्ध काव्य • मुक्तक काव्य प्रबंध काव्य- इसमें कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे रामचरित मानस। प्रबंध काव्य के दो भेद होते हैं - • महाकाव्य • खण्डकाव्य 1- महाकाव्य इसमें किसी ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुष की संपूर्ण जीवन कथा का आद्योपांत वर्णन होता है। 2- खंडकाव्य इसमें किसी की संपूर्ण जीवनकथा का वर्णन न होकर केवल जीवन के किसी एक ही भाग का वर्णन होता है। इन्हेंभीदेखें [ ]

रीतिकालीन प्रबंध एवं मुक्तक काव्य तथा अलंकार, छंद, रस एवं काव्यांग निरूपक ग्रंथ

रीतिकालीन मुक्तक एवं प्रबंध काव्य यहाँ पर रीतिकालीन मुक्तक काव्य, प्रबंध काव्य, अलंकार निरूपक ग्रंथ, छंद निरूपक ग्रंथ, रस निरुपक ग्रंथ तथा काव्यांग निरूपक ग्रंथ का विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है। क्योंकि बहुधा इनसे प्रश्न बन जाते हैं, जैसे- निम्न में अलंकार निरूपक ग्रंथ है? इस लिहाज से यह लिस्ट महत्वपूर्ण है। रीतिकालीन प्रमुख मुक्तक काव्य रीतिकाल के प्रमुख मुक्तक काव्यऔर कवि निम्नलिखित हैं- कवि रचनाएं 1.केशव कविप्रिया,रसिकप्रिया,जहांगीर जस चंद्रिका,रामचंद्रिका,विज्ञान गीता 2.चिंतामणि कविकुल कल्पतरु,काव्य विवेक,श्रृंगार मंजरी,काव्य प्रकाश,रस विलास,छन्द विचार 3.भूषण शिवराज भूषण,छत्रसाल दशक,शिवाबावनी,अलंकार प्रकाश,छन्दोहृदय प्रकाश 4.मतिराम ललित ललाम,मतिराम सतसई,रसराज,अलंकार पंचाशिका,वृत्त कौमुदी 5.बिहारी सतसई 6.रसनिधि रतन हजारा,दिष्णुपद कीर्तन,कवित्त,अरिल्ल,हिण्डोला,सतसई,गीति संग्रह 7.जसवंत सिंह भाषा भूषण,आनन्द विलास,सिद्धान्त बोध सिद्धान्तसार,अनुभव प्रकाश,अपरोक्ष सिद्धान्त, स्फुट छंद 8.कुलपति मिश्र रस रहस्य,नखशिख,दुर्गाभक्ति तरंगिणी,मुक्तिरंगिणी,संग्रामसार 9.मंडन रस रत्नावली, रस विलास,नखशिख,जनकपचीसी,नैन पचासा,काव्य रत्न 10.आलम आलमकेलि 11.देव भाव विलास,भवानी विलास,कुशल विलास,रस विलास,जाति विलास रसायन,देव शतक,प्रेमचन्द्रिका,प्रेमदीपिका,राधिका विलास 12.सुरति मिश्र अलंकार माला,रस रत्नमाला,नखशिख,काव्य सिद्धान्त,रस रत्नाकर,श्रृंगार सागर,भक्ति विनोद 13.नृप शंभू नायिका भेद,नखशिख,सातशप्तक 14.श्रीपति काव्य सरोज,कविकल्पद्रुत,रस सागर,अलंकार गंगा,विक्रम विलास,अनुप्रास विनोद 15.गोप रामचंद्र भूषण,रामचंद्राभरण,रामालंकार 16.घनानंद पदावली,वियोग बेलि,सुजान हित प्रबन्ध,प्रीति पावस,कृपाकन्द निबन्...

प्रबन्ध काव्य

मुख्य लेख: काव्य के भेद दो प्रकार से किए गए हैं– • स्वरूप के अनुसार काव्य के भेद • शैली के अनुसार काव्य के भेद स्वरूप के आधार पर काव्य के दो भेद हैं - • श्रव्यकाव्य • दृष्यकाव्य श्रव्य काव्य जिस काव्य का रसास्वादन दूसरे से सुनकर या स्वयं पढ़ कर किया जाता है उसे श्रव्य काव्य कहते हैं। जैसे • प्रबन्ध काव्य • पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख

Prabandh Kavya

प्रबन्ध काव्य (Prabandh Kavya) में कोई प्रमुख कथा प्रबन्ध काव्य के भेद प्रबंध काव्य के तीन प्रकार के भेद होते हैं: महाकाव्य, खण्डकाव्य, और आख्यानक गीतियाँ। • महाकाव्य • खण्डकाव्य • आख्यानक गीतियाँ 1. महाकाव्य चंदबरदाई कृत “ पृथ्वीराज रासो” को हिंदी का प्रथम • महाकाव्य में जीवन का चित्रण व्यापक रूप में होता है। • इसकी कथा इतिहास-प्रसिद्ध होती है। • इसका नायक उदात्त और महान् चरित्र वाला होता है। • इसमें वीर, शृंगार तथा शान्तरस में से कोई एक रस प्रधान तथा शेष रस गौण होते हैं। • महाकाव्य सर्गबद्ध होता है, इसमें कम से कम आठ सर्ग होने चाहिए। • महाकाव्य की कथा में धारावाहिकता तथा हृदय को भाव-विभोर करने वाले मार्मिक प्रसंगों का समावेश भी होना चाहिए। पद्मावत‘, ‘ रामचरितमानस‘, ‘ साकेत‘, ‘ प्रियप्रवास‘, ‘ कामायनी‘, ‘ उर्वशी‘, ‘ लोकायतन‘ आदि। 2. खण्डकाव्य ‘पंचवटी’, ‘जयद्रथ-वध’, ‘नहुष’, ‘सुदामा-चरित’, ‘पथिक’, ‘गंगावतरण’, ‘हल्दीघाटी’, ‘जय हनुमान’ आदि हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध खण्डकाव्य हैं। 3. आख्यानक गीतियाँ महाकाव्य और खण्डकाव्य से भिन्न पद्यबद्ध कहानी का नाम आख्यानक गीति है। इसमें वीरता, साहस, पराक्रम, बलिदान, प्रेम और करुणा आदि से सम्बन्धित प्रेरक घटनाओं का चित्रण होता है। इसकी भाषा सरल, स्पष्ट और रोचक होती है। गीतात्मकता और नाटकीयता इसकी विशेषताएँ हैं। ‘झाँसी की रानी’, ‘रंग में भंग’, “विकट भद’ आदि रचनाएँ आख्यानक गीतियों में आती हैं। प्रबन्ध काव्य के भेद के उदाहरण हिन्दी के प्रबन्ध काव्य में महाकाव्य के उदाहरण: ‘पद्मावत’, ‘रामचरितमानस’, ‘साकेत’, ‘प्रियप्रवास’, ‘कामायनी’, ‘उर्वशी’, ‘लोकायतन’ आदि हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध महाकाव्य हैं। संस्कृत के प्रबन्ध काव्य में महाकाव्य के उदाहरण: रामायण...