Pregnancy me ajwain kha sakte hai

  1. Pregnancy ke pehle hafte ke symptoms kya hai?
  2. गर्भ में लड़का या लड़की होने के लक्षण
  3. पथरी में क्या खाना चाहिए : किडनी स्टोन में भोजन
  4. प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए और क्या ना खाएं
  5. गर्भावस्था में शकरकंद खाने के फायदे
  6. प्रेगनेंसी में कटहल और करेला खाना चाहिए या नहीं


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Pregnancy ke pehle hafte ke symptoms kya hai?

Pregnancy ke sab se pehle symptoms kab shuru hote hain? Kya aapko yaad hai ki aap ko last time periods kab huye the? Is date ko pregnancy ka ek week mana jata hai - Haan, bhale hi aap iss date me pregnant nahi thi Pregnancy ke week 2 apke period ke date ke agla week hai aur isi tarah aage ke sab week gine jaate hain. Toh kya mahilao ko pehle week me pregnancy ke symptoms aa sakte hain? Apke periods miss hone se pehle bhi apko kabhi kabhi pregnancy ke kuch starting signs mil sakte hain. Kuch mahilao ke liye pregnancy ke shuruati symptoms conception (sex kee baad sperm aur egg ka milna) ke baad pehle kuch weeks me dikhaayi dene lagte hain. Pregnancy ke symptoms ko samjhna aasaan nahi hota. Usually period miss hone ke baad jab tak pregnancy test ghar pa na ho pregnancy ke baare me pata nahi chalta hai. Pregnancy ke kayi start symptoms kabhi kabhi premenstrual symptoms (periods se pehle aane wale symptoms) ke samaan bhi ho sakte hain. Toh apni pregnancy ke baare me pata lagaane ka sabse achcha tareeka ghar par pregnancy test karna hai. Halaki, agar aap pehle month me pregnancy ke symptoms janna chahti hain, toh niche di gayi list apke liye hai. Periods miss hone se pehle pregnancy ke kuch symptoms: • Breast mein dard: Yeh ek symptom ho sakta hai ki aap pregnant hain, lekin aisa dar breast ki growth ke karan bhi hota hain. Toh issme age bhi ek factor hai. • Kaam karne ki takat mein kami lagna ya thakaan hona • Bahut zyada smell aana • Body temperature normal se thoda sa zyada h...

गर्भ में लड़का या लड़की होने के लक्षण

हर महिला के लिए गर्भावस्‍था एक खूबसूरत अहसास होता है। गर्भधारण करने के बाद हर महिला के मन में एक न एक बार तो यह विचार आता ही है कि उसके गर्भ में लड़का होगा या लड़की। हालांकि, माता-पिता के लिए लड़का हो या लड़की, दोनों ही महत्‍वपूर्ण होते हैं लेकिन फिर भी मन में ये ख्‍वाहिश तो जरूर आती है कि उनकी जिंदगी में बेटा आने वाला है बेटी। यह जानने के लिए नौ महीने का इंतजार सदियों जैसा लगता है। (और पढ़ें - भारत में गर्भावस्था के दौरान बच्चे के लिंग की जांचअवैध और दंडनीय अपराध है। कुछ लोग गर्भ में ही भ्रूण के लिंग की पहचान करने के लिए लिंग-निर्धारण परीक्षणों का इस्तेमाल करते हैं और अगर गर्भ में लड़की हो तो उसकी भ्रूण हत्या (मां के गर्भ में कन्या भ्रूण की हत्या) करवा दी जाती है। इस वजह से भारत में लिंग अनुपात में काफी असंतुलन आ चुका है। (और पढ़ें - पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम के अनुसार गर्भ में पल रहे बच्‍चे के लिंग की जांच करवाने पर 50 हजार रुपए जुर्माने के साथ तीन साल की कैद या 1 लाख रुपए के जुर्माने के साथ पांच साल की सजा का प्रावधान है। ये सजा न केवल लिंग जांच करवाने वाले माता-पिता के लिए है बल्कि इस जांच कोकरने वाले डॉक्‍टर को भी दं‍डित किया जाता है। (और पढ़ें - परिवार में बच्‍चे के आने की खबर से ही खुशी की लहर दौड़ जाती है। प्रसव से पहले ही लोग ये अनुमान लगाने लगते हैं कि बेटा होगा या बेटी। हालांकि, गर्भ में पल रहे बच्‍चे के लिंग का पता लगाने का कोई वैज्ञानिक तरीका या प्रमाण तो नहीं है लेकिन फिर भी गर्भवती महिलाओं में कुछ ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं जिनसे ये पता लग सके कि गर्भ में लड़का है या लड़की। (और पढ़ें - आज इस लेख के ज़रिए पेट में लड़का होने के...

पथरी में क्या खाना चाहिए : किडनी स्टोन में भोजन

पथरी में खानपान को लेकर विशेष सावधानी की जरुरत होती है इसलिए इस लेख में यह विस्तार से बताया गया है की पथरी या किडनी स्टोन में क्या खाना चाहिए | इससे अगले पोस्ट में यह हम बतायेंगे की पथरी के मरीजो को क्या नहीं खाना चाहिए और किन चीजो का परहेज रखना चाहिए | हमारे आसपास खाने के कई फल और सब्जियां हैं, जिनसे पथरी तो नियंत्रित होती ही है, साथ ही ये किडनी के लिए भी अच्छे रहते हैं यानी इनका सेवन सामान्य अवस्था में तो करना ही चाहिए, पथरी की समस्या होने पर तो जरूर ही करना चाहिए। पथरी रोग क्या है– गुर्दे (किडनी) संबंधी रोगों में गुर्दे में सूजन (नेफ्राइटिस), गुर्दे की पथरी (रेनल केल्कुलस), गुर्दे का दर्द (रेनल कोलिक), गुर्दे में पीव होना आदि आते हैं। आजकल गुर्दे और मूत्राशय में पथरी का बनना एक आम समस्या बन गई है। पथरी के कारण : पथरी उत्पन्न होने के प्रमुख कारणों में पेशाब में यूरिक एसिड, फास्फोरस, कैल्शियम और ऑक्ज़िलिक एसिड की अधिकता होती है। ये तत्व आपस में मिलकर गोल, चपटी, चिकनी, खुरदरी मटर के दानों जैसी सख्त आकृति का रूप ले लेते हैं। इसके अतिरिक्त शरीर में अतिरिक्त गर्मी का बढ़ना, गर्म जलवायु का असर, पानी कम पीना और परिश्रम की अधिकता से पसीना अधिक निकलना, विटामिन डी की विषाक्तता, थायराइड ग्रंथि की ज्यादा सक्रियता आदि कारण भी होते हैं। पथरी के लक्षण : गुर्दे में पथरी होने पर लक्षणों के रूप में चेहरे व पैरों में सूजन, पेशाब करते समय दर्द, जलन, पेशाब का रुक-रुक कर आना, मूत्राशय में पथरी की उपस्थिति से बेचैनी, दर्द, बार-बार पेशाब करने की इच्छा, कमर में हलका या तेज़ दर्द आदि देखने को मिलते हैं। किडनी स्टोन या पथरी में क्या-क्या खाना चाहिए : किडनी स्टोन में भोजन • पथरी में फली वाली सब्जिया...

प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए और क्या ना खाएं

गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों में संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान लिए गए संतुलित आहार से प्रेगनेंसी में होने वाली समस्याओं जैसे कि myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। गर्भावस्था में स्वस्थ आहार के सेवन से जरूरी ऊपर बताए गए खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करके गर्भावस्था के समय को और भी ज्यादा सुखद - सरल और स्वस्थ बनाया जा सकता है । गर्भावस्‍था में पौष्टिक आहार लेना न केवल मां बल्कि शिशु के लिए भी बहुत जरूरी है। अगर कोई महिला गर्भावस्‍था के दौरान खानपान पर ध्‍यान नहीं देती है या अपने भोजन में आवश्‍यक पोषक तत्‍वों को शामिल नहीं करती है तो इसकी वजह से उसके शिशु को नुकसान पहुंच सकता है। पोषक तत्‍वों की कमी के कारण शिशु का कोई जन्‍मजात विकार हो सकता है या उसमें किसी प्रकार की कोई कमी हो सकती है। संतुलित आहार न लेने के कारण खुद महिलाओं को भी प्रसव से संबंधित समस्‍याएं होने का खतरा रहता है। इसलिए गर्भवती महिला और शिशु दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए संतुलित आहार बहुत जरूरी है। • • • • • • • प्रेग्नेंट होने के लिए अपने डाइट में हेल्दी कार्ब्स को शामिल करें. वहीं, अत्यधिक संसाधित (highly processed) कार्ब्स को सीमित मात्रा में डाइट में शामिल करें. आपका शरीर अत्यधिक संसाधित कार्ब्स (जैसे कुकीज, केक, व्हाइट ब्रेड और व्हाइट राइस) को जल्दी से पचाता है और उन्हें ब्लड शुगर में बदल देता है. ऐसे में आपके शरीर में ब्लड शुगर क...

गर्भावस्था में शकरकंद खाने के फायदे

Pregnancy Me Shakarkandi Khane Ke Fayde: महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान खानपान का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। इसलिए महिलाएं जानना चाहती है कि प्रेगनेंसी में शकरकंद खाना चाहिए या नहीं? और गर्भावस्था में शकरकंद खाने के फायदे क्या होते है। तो आज हम आपको गर्भावस्था के दौरान शकरकंद के स्वास्थ्य लाभ और इसके अधिक सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में बताएंगे। शकरकंद से प्राप्त होने वाले पोषक तत्व भ्रूण के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं, इसलिए सभी महिलाओं को प्रेगनेंसी में शकरकंद का सेवन करना चाहिए। यह रेटिनॉल-बाइंडिंग प्रोटीन (Retinol-binding protein) में भी सुधार कर सकता है, जो विटामिन-ए को लिवर से अन्य टिश्यू तक पहुंचाने का काम करता है। इन सभी लाभों के अलावा इसका अधिक सेवन नुकसानदायक भो हो सकता है। आइये प्रेगनेंसी में शकरकंद खाने फायदे और नुकसान विस्तार से जानते है। शकरकंद के पोषक तत्व – Sweet potato Nutrient Value in Hindi स्वीट पोटैटो की प्रति 100 ग्राम मात्रा में निम्न पोषक तत्व पाए जाते है। • • • बीटा कैरोटिन – 8968 माइक्रोग्राम • • • • • • • • • • • • • • • • • • सेलेनियम – 2 माइक्रोग्राम • थियामिन – 053 मिलीग्राम • राइबोफ्लेविन – 045 मिलीग्राम • नियासिन – 511 मिलीग्राम • फोलेट – 6 माइक्रोग्राम • कोलीन – 6 मिलीग्राम प्रेगनेंसी में शकरकंद खाने फायदे – Pregnancy me Shakarkandi Khane ke fayde गर्भावस्था में शकरकंद खाने से निम्न लाभ होते है- प्रेगनेंसी में शकरकंद खाने के फायदे भ्रूण के विकास में– Pregnancy me Shakarkandi Khane ke fayde bhrun ke vikas me शकरकंद में विटामिन ए की अच्छी मात्रा होती है, गर्भावस्था के दौरान शकरकंद खाने के फायदे मेटाबॉलिज्म में – Pregnancy ...

प्रेगनेंसी में कटहल और करेला खाना चाहिए या नहीं

करेला और कटहल दोनो ही औषधीय गुणों से भरपूर सब्जियां होती है लेकिन क्या हम गर्भावस्था के दौरान करेला और कटहल का सेवन कर सकते है क्योंकि प्रेगनेंसी में कई लाभदायक सब्जियां और फ्रूट्स हानिकारक भी हो सकते हैं. तो आज हम इसी टॉपिक पर चर्चा करेंगे की प्रेगनेंसी में करेला खाना चाहिए या नहीं तथा साथ ही यह भी जानेंगे की प्रेगनेंसी में कटहल खाना चाहिए या नहीं तथा इसका कारण भी जानेंगे. गर्भावस्था के दौरान प्रेगनेंट महिला को अपने प्रेगनेंसी डाइट चार्ट का विशेष ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि उन्हें खुद के शरीर के साथ ही गर्भस्थ शिशु के विकास का भी ध्यान रखना पड़ता है. इसलिए करेला के औषधीय गुण गर्भावस्था में करेला खाना चाहिए या नहीं के बारे में जानने से पहले हम यह जानते हैं कि करेला के औषधि गुण क्या है. करेला स्‍वाद में कड़वा होता है लेकिन औषधीय गुण से भरपूर होता है. करेला का उचित मात्रा में सेवन करने पर यह वजन तथा कोलेस्‍ट्रॉल लेवल घटाता है और इसके साथ ही हार्ट को हेल्‍दी रखने में मदद करता है. इस प्रकार से करेला के औषधीय गुण भरपूर खाद्य पदार्थ होता हैं लेकिन करेला खाने के नुकसान भी होते हैं जिसके बारे में तथा साइड इफेक्ट्स ऑफ़ करेला जूस की इस लेख में चर्चा आगे करेंगे. प्रेगनेंसी में करेला खाना चाहिए या नहीं करेला विभिन्न पौषक तत्त्वों और औषधीय गुण से भरपूर सब्जी मानी जाती है तथा इसके सेवन से आपके शरीर को विटामिन, मिनरल्स, आयरन आदि तत्व उचित मात्रा में प्राप्त होते हैं. करेला खाने से आपका पाचन तंत्र मजबूत बनता है तथा पेट दर्द, एसीडिटी, गैस तथा कब्ज जैसी समस्याओं से निजात मिलती है. लेकिन जैसा की आपने पिछले लेख में पढ़ा था की करेला खाने के नुकसान । साइड इफेक्ट्स ऑफ़ करेला जूस यूं तो करेला औषध...