रंगभूमि उपन्यास के लेखक हैं

  1. रंगभूमि के लेखक कौन हैं?
  2. Munshi Premchand लिखित उपन्यास रंगभूमि
  3. रंगभूमि उपन्यास Pdf / Rang Bhumi Novel PDF By Premchand Hindi
  4. मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय
  5. रंगभूमि (उपन्यास)
  6. 'रंगभूमि' किस प्रसिद्ध लेखक द्वारा रचित उपन्‍यास है ?
  7. रंगभूमि
  8. रंगभूमि उपन्यास


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रंगभूमि के लेखक कौन हैं?

रंगभूमि के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता रंगभूमि (Rangabhoomi) के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha) " मुंशी प्रेमचंद" ( Munshi Premchand) हैं। Rangabhoomi (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha) नीचे दी गई तालिका में रंगभूमि के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता को लेखक/उपन्यासकार तथा उपन्यास के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। रंगभूमि के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता की सूची निम्न है:- रचना/उपन्यास लेखक/उपन्यासकार/रचयिता रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद Rangabhoomi Munshi Premchand रंगभूमि किस विधा की रचना है? रंगभूमि (Rangabhoomi) की विधा का प्रकार " उपन्यास" ( Upanyas) है। आशा है कि आप " रंगभूमि नामक उपन्यास के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको रंगभूमि के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो त उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।

Munshi Premchand लिखित उपन्यास रंगभूमि

(230) • 88.9k • 331.9k • 138 ‘रंगभूमि’ उपन्यास का केन्द्र बिन्दु है - दैन्य और दारिद्र्य में ग्राम समाज का जीवन ‘रंगभूमि’ का नायक सूरदास जनहित के लिए होम होने की विचित्र क्षमता रखता है। रंगभूमि के कथानक में अनेक रंग-बिरंगे धागे लिपटे हुए हैं। उपन्यास ...और पढ़े केन्द्र बिन्दु है - दैन्य और दारिद्र्य में ग्राम समाज का जीवन और साथ ही, एक ग्राम सेवक का ईसाई परिवार है, जो गांव के चारगाह पर सिगरेट का कारखाना लगाने के लिए अधीर है। अनेक धनी व्यक्ति हैं, जिनके बीच अगणित अन्तर्विरोध हैं - लोभ, ख्याति की लालसा और महत्त्वाकांक्षाएं। महाराजा हैं, उनके अत्पीड़न के लिए रजवाड़े हैं। उपन्यास का घटनाचक्र प्रबल वेग में घूमता है। कथा में वेग और नाटकीयता दोनों ही हैं। ‘रंगभूमि’ उपन्यास का केन्द्र बिन्दु है - दैन्य और दारिद्र्य में ग्राम समाज का जीवन ‘रंगभूमि’ का नायक सूरदास जनहित के लिए होम होने की विचित्र क्षमता रखता है। रंगभूमि के कथानक में अनेक रंग-बिरंगे धागे लिपटे हुए हैं। उपन्यास ...और पढ़े केन्द्र बिन्दु है - दैन्य और दारिद्र्य में ग्राम समाज का जीवन और साथ ही, एक ग्राम सेवक का ईसाई परिवार है, जो गांव के चारगाह पर सिगरेट का कारखाना लगाने के लिए अधीर है। अनेक धनी व्यक्ति हैं, जिनके बीच अगणित अन्तर्विरोध हैं - लोभ, ख्याति की लालसा और महत्त्वाकांक्षाएं। महाराजा हैं, उनके अत्पीड़न के लिए रजवाड़े हैं। उपन्यास का घटनाचक्र प्रबल वेग में घूमता है। कथा में वेग और नाटकीयता दोनों ही हैं।

रंगभूमि उपन्यास Pdf / Rang Bhumi Novel PDF By Premchand Hindi

3 रंगभूमि उपन्यास Pdf Download रंगभूमि उपन्यास के बारे में और उसके कुछ अंश शहर अमीरों के रहने और क्रय-विक्रय का स्थान है। उसके बाहर की भूमि उनके मनोरञ्ञन और विनोद की जगह है। उसके मध्य भाग में उनके लड़कों की पाठशालाएँ और उनके मुकदमेबाजी के अखाड़े होते हैं, जहाँ न्याय के बहाने गरीबों का गला घोंटा जाता है। शहर के आस-पास गरीबों की बस्तियाँ होती हैं। बनारस में पॉड़ेपुर ऐसी ही बस्ती है। वहाँ न शहरी दीपकों की ज्योति पहुँचती है, न शहरी छिड़काव के छींटे, न शहरी जलू-खोतों का प्रवाह | सड़क के किनारे छोटे-छोटे बनियाँ और हलवाइयों की दूकानें हैं, ओर उनके पीछे कई इक्केवाले, गाड़ीवान, ग्वाले और मजदूर रहते हैं | दो- चार घर बिगड़े सफेदपोशों के भी हैं, जिन्हें उनकी हीनावसंथा ने शहर से निर्वासित कर दिया है। इन्हीं में एक गरीब और अन्धा चमार रहता है, जिसे छोंग सूरदास कहते हैं । भारतवर्ष में अंधे आदमियों के लिए न नाम की जरूरत होती है, न काम की | सूरदास उनका बना-बनाया नाम है, ओर भीख माँगना बना-बनाया काम | उनके गुण और स्वभाव भी जगत्‌-प्रसिद्ध हैं–गाने-बजाने में विशेष रुचि, हृदम में विशेष अनुराग, अध्यात्म और भक्ति में विशेष प्रेम उनके स्वाभाविक लक्षण हैं। बाह्य दृष्डि बंद और अंतहष्टि खुली हुई | सूरदास एक बहुत ही क्षीण-काय, दुर्बल और सरल व्यक्ति था| उसे दैव ने कदा- चित्‌, भीख माँगने ही के लिए. बनाया था। वह नित्यप्रति छाठी टेकता हुआ पक्की सड़क पर आ बैठता, और राहगीरों की जान की खैर मनाता। “दाता, भगवान तुम्हारा कल्यान करें—? यही उसकी टेक थी, और इसी को वह बार-बार दुह्राता था। कदाचित्‌ वह इसे लोगों की दया-प्रेरणा का मंत्र समझता था | पेदकू चलनेवालों को यह अपनी जगह पर बेठे-वेठे दुआएँ देता था। लेकिन जब कोई ...

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद जी का असली नाम (Munshi premchand real name) धनपत राय श्रीवास्तव जी है जो की प्रेमचंद के नाम से जाने जाते थे, इनका जन्म 31 जुलाई 1880 तथा मृत्यु 8 अक्टूबर 1936 को हुई थी। ये हिंदी तथा उर्दू के प्रसिद्ध तथा सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार तथा कहानीकारक थे। इन्होने प्रेमाश्रम, रंगभूमि, सेवासदन, निर्मला, कर्मभूमि, गोदान, गबन, इत्यादि लगभग डेढ़ दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे हैं तथा पूस की रात, बड़े घर की बेटी, कफन, पंच परमेश्वर, दो बैलों की कथा, बूढी काकी जैसे तीन सौ से भी अधिक कहानियों को उनके द्वारा लिखे गए हैं। आज हम अपने आर्टिकल के माध्यम से आपको प्रेम चंद जी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे तथा बताएंगे की मुंशी प्रेम चंद जी कौन थे ? उनके द्वारा कौन कौन से उपन्यास लिखे गये थे ? अपने आर्टिकल के माध्यम से हम आपको प्रेमचंद जी द्वारा लिखी गयी सभी कहानियों के बारे में बताएंगे तथा Munshi Premchand biography को आपको हिंदी में बताने का प्रयास करेंगे। मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय जानने के लिए हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ें। 3.1.5 मुंशी प्रेमचंद के माता पिता का नाम क्या था ? मुंशी प्रेमचंद जीवन परिचय (Munshi Premchand Ka Jeevan Parichay) प्रेम चंद जी का जन्म वारणशी जिले के लमही गांव के कायस्थ परिवार में 31 जुलाई 1880 को हुआ था, उनके पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो की लमही गाँव में डाक मुंशी थे तथा उनकी माता का नाम आनन्दी देवी था। इनका मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव था तथा इनको नवाब राय तथा मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। प्रेम चंद जी हिंदी तथा उर्दू के एक महान लेखक थे, उपन्यास के क्षेत्र में इनका अमूल्य योगदान को देखकर बंगाल के प्रसिद्ध उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ज...

रंगभूमि (उपन्यास)

रंगभूमि उपन्यास - रंगभूमि लेखक-मुंशी प्रेमचंद पूँजीवाद के साथ जनसंघर्ष व बदलाव की महान गाथा है प्रेमचंद की ‘रंगभूमि’। उपन्यास - रंगभूमि लेखक-मुंशी प्रेमचंद पूँजीवाद के साथ जनसंघर्ष व बदलाव की महान गाथा है प्रेमचंद की ‘रंगभूमि’ उपन्यास सम्राट प्रेमचंद (1880-1936) का पूरा साहित्य, भारत के आम जनमानस की गाथा है. विषय, मानवीय भावना और समय के अनंत विस्तार तक जाती इनकी रचनाएँ इतिहास की सीमाओं को तोड़ती हैं, और कालजयी कृतियों में गिनी जाती हैं. रंगभूमि (1924-1925) उपन्यास ऐसी ही कृति है. नौकरशाही तथा पूँजीवाद के साथ जनसंघर्ष का ताण्डव; सत्य, निष्ठा और अहिंसा के प्रति आग्रह, ग्रामीण जीवन तथा स्त्री दुदर्शा का भयावह चित्र यहाँ अंकित है. परतंत्र भारत की सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक समस्याओं के बीच राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण यह उपन्यास लेखक के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को बहुत ऊँचा उठाता है. देश की नवीन आवश्यकताओं, आशाओं की पूर्ति के लिए संकीणर्ता और वासनाओं से ऊपर उठकर नि:स्वार्थ भाव से देश सेवा की आवश्यकता उन दिनों सिद्दत से महसूस की जा रही थी. रंगभूमि की पूरी कथा इन्हीं भावनाओं और विचारों में विचरती है. कथा का नायक सूरदास का पूरा जीवनक्रम, यहाँ तक कि उसकी मृत्यु भी राष्ट्रनायक की छवि लगती है. पूरी कथा गाँधी दर्शन, निष्काम कर्म और सत्य के अवलंबन को रेखांकित करती है. यह संग्रहणीय पुस्तक कई अर्थों में भारतीय साहित्य की धरोहर है. कहानी में सूरदास के अलावा सोफी, विनय, जॉन सेवक, प्रभु सेवक का किरदार भी अहम है. सोफी मिसेज जॉन सेवक, ताहिर अली, रानी, डाक्टर गांगुली, क्लार्क, राजा साहब, इंदु, ईश्वर सेवक, राजा महेंद्र कुमार सिंह, नायकरामघीसू, बजगंरी, जमुनी, जाह्नवी, ठाकुरदीन, भैरों जै...

'रंगभूमि' किस प्रसिद्ध लेखक द्वारा रचित उपन्‍यास है ?

Correct Answer - Option 1 : प्रेमचंद 'रंगभूमि' प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास है। अत: सही उत्तर विकल्प 2 प्रेमचंद है। • रंगभूमि लेखक-मुंशी प्रेमचंद पूँजीवाद के साथ जनसंघर्ष व बदलाव की महान गाथा है। प्रेमचंद (1880-1936) का पूरा साहित्य, भारत के आम जनमानस की गाथा है। विषय, मानवीय भावना और समय के अनंत विस्तार तक जाती इनकी रचनाएँ इतिहास की सीमाओं को तोड़ती हैं, और कालजयी कृतियों में गिनी जाती हैं। रंगभूमि (1924-1925) उपन्यास ऐसी ही कृति है। • नौकरशाही तथा पूँजीवाद के साथ जनसंघर्ष का ताण्डव; सत्य, निष्ठा और अहिंसा के प्रति आग्रह, ग्रामीण जीवन में उपस्थित मध्यपान तथा स्त्री दुर्दशा का भयावह चित्र यहाँ अंकित है। परतंत्र भारत की सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक समस्याओं के बीच राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण यह उपन्यास लेखक के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को बहुत ऊँचा उठाता है। • देश की नवीन आवश्यकताओं, आशाओं की पूर्ति के लिए संकीर्णता और वासनाओं से ऊपर उठकर निःस्वार्थ भाव से देश सेवा की आवश्यकता उन दिनों सिद्दत से महसूस की जा रही थी। • रंगभूमि की पूरी कथा इन्हीं भावनाओं और विचारों में विचरती है। कथानायक सूरदास का पूरा जीवनक्रम, यहाँ तक कि उसकी मृत्यु भी, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की छवि लगती है। सूरदास की मृत्यु भी समाज को एक नई संगठन-शक्ति दे गई। • विविध स्वभाव, वर्ग, जाति, पेशा एवं आय वित्त के लोग अपने-अपने जीवन की क्रीड़ा इस रंगभूमि में किये जा रहे हैं। और लेखक की सहानुभूति सूरदास के पक्ष में बनती जा रही है। • पूरी कथा गाँधी दर्शन, निष्काम कर्म और सत्य के अवलंबन को रेखांकित करती है। यह संग्रहणीय पुस्तक कई अर्थों में भारतीय साहित्य की धरोहर है। अन्य विकल्प -​ रचनाकार परिचय प्रमुख रचन...

रंगभूमि

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रंगभूमि उपन्यास

उपन्यास सम्राट प्रेमचंद (1880-1936) का पूरा साहित्य, भारत के आम जनमानस की गाथा है. विषय, मानवीय भावना और समय के अनंत विस्तार तक जाती इनकी रचनाएँ इतिहास की सीमाओं को तोड़ती हैं, और कालजयी कृतियों में गिनी जाती हैं. रंगभूमि (1924-1925) उपन्यास ऐसी ही कृति है. नौकरशाही तथा पूँजीवाद के साथ जनसंघर्ष का ताण्डव; सत्य, निष्ठा और अहिंसा के प्रति आग्रह, ग्रामीण जीवन तथा स्त्री दुदर्शा का भयावह चित्र यहाँ अंकित है. परतंत्र भारत की सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक समस्याओं के बीच राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण यह उपन्यास लेखक के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को बहुत ऊँचा उठाता है. देश की नवीन आवश्यकताओं, आशाओं की पूर्ति के लिए संकीणर्ता और वासनाओं से ऊपर उठकर नि:स्वार्थ भाव से देश सेवा की आवश्यकता उन दिनों सिद्दत से महसूस की जा रही थी. रंगभूमि की पूरी कथा इन्हीं भावनाओं और विचारों में विचरती है. कथा का नायक सूरदास का पूरा जीवनक्रम, यहाँ तक कि उसकी मृत्यु भी राष्ट्रनायक की छवि लगती है. पूरी कथा गाँधी दर्शन, निष्काम कर्म और सत्य के अवलंबन को रेखांकित करती है. यह संग्रहणीय पुस्तक कई अर्थों में भारतीय साहित्य की धरोहर है. कहानी में सूरदास के अलावा सोफी, विनय, जॉन सेवक, प्रभु सेवक का किरदार भी अहम है. सोफी मिसेज जॉन सेवक, ताहिर अली, रानी, डाक्टर गांगुली, क्लार्क, राजा साहब, इंदु, ईश्वर सेवक, राजा महेंद्र कुमार सिंह, नायकरामघीसू, बजगंरी, जमुनी, जाह्नवी, ठाकुरदीन, भैरों जैसे कईं किरदार हैं. शहर अमीरों के रहने और क्रय-विक्रय का स्थान है. उसके बाहर की भूमि उनके मनोरंजन और विनोद की जगह है. उसके मध्य भाग में उनके लड़कों की पाठशालाएं और उनके मुकदमेबाजी के अखाड़े होते हैं, जहाँ न्याय के बहाने गरीबों का ग...