राजनीति विज्ञान का आधुनिक दृष्टिकोण से आप क्या समझते हैं

  1. राजनीति विज्ञान के परंपरागत और आधुनिक दृष्टिकोण में अंतर स्पष्ट करें? » Raajneeti Vigyan Ke Paramparagat Aur Aadhunik Drishtikon Mein Antar Spasht Karen
  2. राजनीति विज्ञान से आप क्या समझते हैं राजनीति विज्ञान की प्रकृति एवं क्षेत्र का वर्णन कीजिए?
  3. परंपरागत एवं आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत में मुख्य अंतर क्या है? – ElegantAnswer.com
  4. राजनीतिक आधुनिकीकरण के प्रतिमान से आप क्या समझते हैं।
  5. राजनीति विज्ञान से आप क्या समझते हैं समझाइए? – ElegantAnswer.com
  6. राजनीतिक व्यवस्था उपागम से आप क्या समझते है? राजनीतिक व्यवस्था की विशेषताएँ
  7. संविधान से आप क्या समझते हैं? from सामाजिक विज्ञान संविधान निर्माण Class 9 CBSE
  8. राजनीति विज्ञान
  9. परंपरागत एवं आधुनिक राजनीतिक विज्ञान से आप क्या समझते हैं? » Paramparagat Evam Aadhunik Raajnitik Vigyan Se Aap Kya Samajhte Hain


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राजनीति विज्ञान के परंपरागत और आधुनिक दृष्टिकोण में अंतर स्पष्ट करें? » Raajneeti Vigyan Ke Paramparagat Aur Aadhunik Drishtikon Mein Antar Spasht Karen

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। राजनीति भारत में बहुत पहले से होती रही है राजा महाराजा के समय भी हुआ करती थी तभी तो आचार्य चाणक्य ने आज से कई 2000 साल पहले ही अर्थशास्त्र नामक राजनीति पर किताबें लिखी थी लेकिन उस समय की राजनीति में और आज की राजनीति में बहुत ही अंतर हो गया उस समय केवल अपने पद के लिए राजनीति की जाती थी और राष्ट्रीयम की बातें की जाती थी लेकिन आज के लोग में स्वार्थ ज्यादातर लोग स्वार्थी हो गए हैं तथा धर्म जात जात पात इन सब के आधार पर दंगे करवाए जाते हैं तथा लोग सभी अपने अपने स्वार्थ के लिए जीते हैं देश से कोई मतलब ही नहीं की raajneeti bharat mein bahut pehle se hoti rahi hai raja maharaja ke samay bhi hua karti thi tabhi toh aacharya chanakya ne aaj se kai 2000 saal pehle hi arthashastra namak raajneeti par kitaben likhi thi lekin us samay ki raajneeti mein aur aaj ki raajneeti mein bahut hi antar ho gaya us samay keval apne pad ke liye raajneeti ki jaati thi aur rashtriyam ki batein ki jaati thi lekin aaj ke log mein swarth jyadatar log swaarthi ho gaye hain tatha dharm jaat jaat pat in sab ke aadhar par dange karwaye jaate hain tatha log sabhi apne apne swarth ke liye jeete hain desh se koi matlab hi nahi ki राजनीति भारत में बहुत पहले से होती रही है राजा महाराजा के समय भी हुआ करती थी तभी तो आचार्य

राजनीति विज्ञान से आप क्या समझते हैं राजनीति विज्ञान की प्रकृति एवं क्षेत्र का वर्णन कीजिए?

विषयसूची Show • • • • • • • • • • • • • • • • • सूची • रूपरेखा • देशानुसार राजनीति • उपखंड-अनुसार राजनीति • राजनीतिक अर्थशास्त्र • राजनीतिक इतिहास • विश्व का राजनैतिक इतिहास • दर्शन प्रणालियाँ • अराजकता • नगर-राज्य • लोकतंत्र • अधिनायकत्व • निर्देशन • संघीय राजतंत्र • सामंतवाद • प्रतिभावाद • साम्राज्य • संसदीय • अध्यक्षीय • गणतंत्र • अर्ध-संसदीय • अर्ध-राष्ट्रपति • धर्मतंत्र अकादमिक विषय • राजनीति विज्ञान (राजनीति वैज्ञानिक) • अंतर्राष्ट्रीय संबंध (सिद्धांत) • तुलनात्मक राजनीति लोक प्रशासन • नौकरशाही (मोहल्ला-स्तरीय) • तदर्थशाही नीति • लोकनीति (सिद्धांत) • गृह-नीति और विदेश नीति नागरिक समाज • सार्वजनिक हित सरकार के अंग • शक्तियों का पृथक्करण • विधानपालिका • कार्यपालक • न्यायतंत्र • चुनाव आयोग संबंधित विषय • संप्रभुता • राजनीतिक व्यवहार के सिद्धांत • राजनीतिक मनोविज्ञान • जीवविज्ञान और राजनीतिक अभिविन्यास • राजनीतिक संगठन • विदेशी चुनावी हस्तक्षेप विचारधाराएँ • साम्यवाद • मार्क्सवाद • समाजवाद • उदारवाद • रूढ़िवाद • आदर्शवाद • फ़ासीवाद • आंबेडकरवाद • अराजकतावाद • सर्वाधिकारवाद • सत्तावाद • गांधीवाद • नक्सलवाद • माओवाद • लेनिनवाद • कुलीनतावाद उप-श्रंखलाएँ • निर्वाचन प्रणालियाँ • चुनाव( मतदान) • संघवाद • सरकार के रूप में • विचारधारा • राजनीतिक प्रचार • राजनीतिक दल राजनीति प्रवेशद्वार • दे • वा • सं राजनीति विज्ञान (Political science) वह विज्ञान है जो मानव के एक राजनीतिक और सामाजिक प्राणी होने के नाते उससे संबंधित राज्य और सरकार दोनों संस्थाओं का अध्ययन करता है।।[1] राजनीति विज्ञान अध्ययन का एक विस्तृत विषय या क्षेत्र है। राजनीति विज्ञान में ये तमाम बातें शामिल हैं: राजनीतिक चि...

परंपरागत एवं आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत में मुख्य अंतर क्या है? – ElegantAnswer.com

परंपरागत एवं आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत में मुख्य अंतर क्या है? इसे सुनेंरोकेंएन्ड्रयू हेकर के शब्दों में ”परम्परागत राजनीति विज्ञान मुख्य रूप से मानकात्मक (Normative) है, इसलिए इसका प्रतिपादक राजनीति दार्शनिक जैसा लगता है, आधुनिक राजनीति विज्ञान मुख्य तौर से व्यवहारपरक या अनुभवाश्रित (Empirical) है और इसलिए इसका प्रतिपादक राजनीतिक वैज्ञानिक जैसा लगता है।” परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत क्या है? इसे सुनेंरोकेंपरम्परागत राजनीति विज्ञान कल्पना और दर्शन पर आधारित है। यह अपने प्रतिपादक राजनीतिक दार्शनिक एवं चिन्तकों के व्यक्तित्व एवं दृष्टिकोण से प्रभावित रहा है। उन्होंने मानवीय चिन्तन में सामाजिक लक्ष्यों तथा मूल्यों की ओर ध्यान दिया है। परंपरागत तथा आधुनिक बाजार में क्या अंतर है? इसे सुनेंरोकेंपरंपरागत और आधुनिक दृष्टिकोण के अनुसार अन्य विज्ञान के कार्य क्षेत्र में अंतर है- स्पष्टीकरण: अंत में, पारंपरिक दृष्टिकोण यूटोपियन, विचार-चालित है और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है जबकि आधुनिक दृष्टिकोण वैज्ञानिक पद्धति से संबंधित है और राजनीतिक मुद्दों को देखता है कि वे वास्तव में पक्षपाती हुए बिना कैसे हैं। आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत से क्या समझते हैं? इसे सुनेंरोकेंआधुनिक राजनीतिक सिद्धांत के अन्तर्गत राजनीतिक विद्वान अध्ययन की परम्परागत सीमाएं छोड़कर ही अपना कार्य करते हैं। राजनीतिक विद्वान अब तथ्य और घटनाओं को प्रत्येक क्षेत्र व विषय से ग्रहण करने में संकोच नहीं करते हैं। इसी कारण आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत अध्ययनमुक्तत्ता के गुण में सम्बन्धित है। परम्परागत दृष्टिकोण क्या है? इसे सुनेंरोकेंराजनीति विज्ञान का परम्परागत दृष्टिकोण ईसा पूर्व छठी सदी से 20वीं सदी में लगभग द्वितीय महायुद्ध से पूर्व...

राजनीतिक आधुनिकीकरण के प्रतिमान से आप क्या समझते हैं।

अनुक्रम (Contents) • • • • • • • राजनीतिक आधुनिकीकरण के प्रतिमान राजनीतिक आधुनिकीकरण के प्रतिमानों से तात्पर्य है कि क्या सभी राजनीतिक व्यवस्थाओं में राजनीतिक दृष्टि से आधुनिकीकरण का कोई निश्चित क्रम और प्रतिमान होता है? इस सम्बन्ध में दो बातें महत्त्वपूर्ण है— प्रथम आधुनिकीकरण की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि उसका कोई सुनिश्चित प्रतिमान नहीं बन पाता है। द्वितीय, राजनीतिक आधुनिकीकरण का कोई अनुक्रम प्रतिमान भी नहीं हो सकता है। इसका कारण उन परिवर्त्यो की अनेकता है जिनसे राजनीतिक आधुनिकरण प्रभावित और नियमित होता है। राजनीतिक आधुनिकीकरण का कोई अनुक्रम प्रतिमान तो निश्चित नहीं किया जा सकता किन्तु एडवर्ड शिल्स ने ‘पोलिटिकल माडर्नाइजेशन’ के अपने लेख में यह बताने का प्रयास किया है कि आधुनिकीकरण के आधार पर अगर सभी राजनीतिक व्यवस्थाओं को देखा जाय तो मोटे तौर पर पाँच मॉडल उल्लेखनीय लगेंगे। उनके अनुसार सभी राजनीतिक व्यवस्थाएँ राजनीतिक आधुनिकीकरण की निरन्तर रेखा पर कहीं-न-कहीं अंकित की जा सकती है। ये मॉडल है— (i) राजनीतिक लोकतन्त्र, (1) राजनीतिक लोकतन्त्र राजनीतिक लोकतन्त्र से शिल्स का आशय उस व्यवस्था से है जिसकी ओर आधुनिकीकरणशील राज्य उन्मुख है। इसे उसने प्रतिनिध्यातक संस्थाओं और सार्वजनिक स्वतन्त्रताओं के माध्यम से नागरिक शासन का राज्य के रूप में परिभाषित किया है। इस व्यवस्था के मुख्य लक्षण हैं (क) सार्वभौमिक मताधिकार द्वारा नियत समय पर निर्वाचित होने वाला विधायी निकाय (संसद) (ख) राजनीतिक दलों का अस्तित्व जिसमें चुनाव में बहुमत प्राप्त में करने वाले दल की सरकार बने, (ग) राजनीतिक सत्ता तुलनात्मक रूप से अल्पकाल के लिए ही ग्रहण की जाये, (घ) सत्ता के निरंकुश और स्वेच्छाचारपूर्ण दुरुपयोग की क...

राजनीति विज्ञान से आप क्या समझते हैं समझाइए? – ElegantAnswer.com

राजनीति विज्ञान से आप क्या समझते हैं समझाइए? इसे सुनेंरोकेंराजनीतिशास्त्र (Rājanītiśāstra) वह विज्ञान है जो मानव के एक राजनीतिक और सामाजिक प्राणी होने के नाते उससे संबंधित राज्य और सरकार दोनों संस्थाओं का अध्ययन करता है।। राजनीति विज्ञान अध्ययन का एक विस्तृत विषय या क्षेत्र है। राजनीतिक सिद्धांत का प्रमुख उद्देश्य क्या है? इसे सुनेंरोकेंराजनीतिक सिद्धांत का उद्देश्य नागरिकों को राजनीतिक प्रश्नों के बारे में तर्कसंगत ढंग से सोचने और सामयिक राजनीतिक घटनाओं को सही तरीके से आँकने का प्रशिक्षण देना है। इस अध्याय में हम परखेंगे कि राजनीति और राजनीतिक सिद्धांत का अर्थ क्या है और हमें इसका अध्ययन क्यों करना चाहिए? राजनीति विज्ञान में मूल्यों का क्या महत्व है? इसे सुनेंरोकेंलासवेल ने कहा है कि, “राजनीतिक क्रियाकलाप का प्रारम्भ उस परिस्थिति में होता है, जिसमें कर्ता विभिन्न मूल्यों की प्राप्ति के लिये प्रयत्न करता है तथा शक्ति जिसकी आवश्यक (तथा सम्भवत: पर्याप्त) शर्त होती है। इस प्रकार इस नवीन विचार के अनुसार शक्ति के साथ ही मूल्यों का अध्ययन भी राजनीति मे महत्वपूर्ण हो जाता है। राजनीति का विषय क्षेत्र क्या है? इसे सुनेंरोकेंआधुनिक राजनीति विज्ञान में विभिन्न राजनीतिक क्रियाकलापों का भी अध्ययन किया जाता है। आज राजनीति विज्ञान में विभिन्न राजनीतिक संस्थाओं के अध्ययन के साथ-साथ राज्य, कानून, सम्प्रभुता, अधिकार, न्याय आदि अवधारणाओं और सरकार के कार्यों का भी अध्ययन किया जाता है। क्यों राजनीति विज्ञान कहा जाता है विज्ञान? इसे सुनेंरोकेंअध्ययन सामग्री की प्रकृति में स्थायित्व एवं एकरूपता- अध्ययन सामग्री k आधार पर भी राजनीति विज्ञान को vigyan की कोटि में रखा जाता है क्योंकि इसकी अध्ययन साम...

राजनीतिक व्यवस्था उपागम से आप क्या समझते है? राजनीतिक व्यवस्था की विशेषताएँ

अनुक्रम (Contents) • • • राजनीतिक व्यवस्था उपागम से आप क्या समझते है? ‘राजनीतिक व्यवस्था’ क्या है? हमें सर्वप्रथम ‘व्यवस्था’ शब्द का अर्थ समझना चाहिए। यह शब्द भौतिक विज्ञानों से लिया गया हैं । भौतिक विज्ञानों के अन्तर्गत “व्यवस्था का अर्थ सुपरिभाषित अन्तर क्रियाओं के परिभाषा के अनुसार, समूह से है जिसकी सीमाएँ निश्चित की जा सकें। ” शाब्दिक “व्यवस्था” का अर्थ है- .” जटिल सम्बन्धित वस्तुओं का समय समूह विधि संगठन, पद्धति के निश्चित सिद्धान्त तथा वर्गीकरण का सिद्धान्त।” इन अर्थों में महत्वपूर्ण शब्द है – सम्बन्धित संगठित और संगठन। अर्थात् एक व्यवस्था संगठित होनी चाहिए अथवा उसमें संगठन हो, उसके अंग सम्बद्ध हो। यदि किसी भी स्थान पर हमें संगठन मिलता है अथवा जहाँ से संगठित होने के गुण पाये जाते है और उसके सभी अंग एक दूसरे से सम्बद्ध है तो वहाँ ‘व्यवस्था’ विद्यमान है। व्यवस्था में तीन गुण पाये जाते हैं। (1) व्यापकता –व्यापकता का अर्थ है व्यवस्था के अन्तर्गत हम सभी परस्पर क्रियाओं शामिल करते है। दूसरे शब्दों में हम व्यवस्था के अन्तर्गत न केवल उन अंगों को शामिल करते है जो विधि पर आधारित है, जैसे (2) अन्योन्याश्रय- अन्योन्याश्रय का अर्थ है कि जब व्यवस्था के एक अंग के गुणों में परिवर्तन आता है तो उसका प्रभाव अन्य संघटकों पर भी स्वतः पड़ता है। उदाहरण के लिए मानव शरीर एक व्यवस्था है। जब शरीर के किसी एक भाग में पीड़ा होती है तो उसका प्रभाव संपूर्ण शरीर पर पड़ता है। (3) सीमाएँ – सीमाएँ से हमारा तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यवस्था किसी एक बिन्दु से प्रारम्भ होती है तथा किसी एक निश्चित स्थान पर उसका अन्त होता है। दूसरे शब्दों में ऐसा बिन्दु जहाँ पर अन्य व्यवस्थाओं की परिधि समाप्त होती है और र...

संविधान से आप क्या समझते हैं? from सामाजिक विज्ञान संविधान निर्माण Class 9 CBSE

• 1928 मेंमोतीलालनेहरूएवम् 8 महत्वपूर्णअन्यकांग्रेसीनेताओंनेभारतकेलिएएकसंविधानकानिर्माणकियागया। • 1931 मेंकांग्रेसकेकराचीअधिवेशनमेंभारतकेसंविधानकीआवश्यकताओंपरविचारकियागया। • भारतके 1935 केअधिनियमकेद्वाराभारतीयसंविधानसेकईतथ्यलिएगए। • 1937 केबादपूरेब्रिटिशशासनवालेभारतमेंप्रादेशिकअसेंबलियोंकेलिएचुनावकराएगएथे। • भारतीयसंविधाननतोपूर्णरूपसेकठोरनहीपूर्णरूपसेलचीलासंविधानहै।यहआंशिककठोरएवंआंशिकलचीलाहै। • यहब्रिटिशसंविधानकीतरहनतोबहुतलचीलाहै, नहीअमेरिकीसंविधानकीतरहबहुतकठोर। • संविधानकेकुछअनुच्छेदकोसंसदकेसामान्यबहुमतसेबदलाजासकताहै, जैसेराज्यकानाम, राज्यकीसीमाकानिर्धारण, नागरिकोंसेसंबंधीतथ्य। • संविधानकेकुछअनुच्छेदोंकोसंसदके 2/3 बहुमतसेपरिवर्तितकियाजासकताहै।जैसे- भारतकेराष्ट्रपतिकाचुनाव। • संविधानकेकुछअनुच्छेदोंकोसंसदकेदोनोंसदनोंकेबहुमतसेतथाराज्योंकेविधानमंडलकेबहुमतसेपरिवर्तितकियाजासकताहै। संविधानसभानेएकव्यवस्थित, खुलेएवंवैचारिकदृष्टिकोणसेकार्यकिया: • सबसेपहलेकुछमौलिकसिद्धान्तबनाकरउसपरसबकीसहमतिबनाईगई। • इसकेबादप्रारूपसमितिनेसंविधानकाप्रारूपतैयारकिया। • कईचरणमेंबैठकें, विचार-विमर्शकिएगएतथालगभग 2000 सेज्यादासंशोधनकिएगए। • तीनवर्षोंमेंकुल 114 दिनोंकीगंभीरचर्चाहुई।सभामेंपेशहरप्रस्ताव, हरशब्दऔरवहकहीगईहरबातकोरिकॉर्डकियागयाऔरसंभालागया।

राजनीति विज्ञान

• दे • वा • सं राजनीति विज्ञान (Political science) वह विज्ञान है जो मानव के एक राजनीतिक और सामाजिक प्राणी होने के नाते उससे संबंधित राज्य और सरकार दोनों संस्थाओं का अध्ययन करता है।। राजनीति विज्ञान अध्ययन का एक विस्तृत विषय या क्षेत्र है। राजनीति विज्ञान में ये तमाम बातें शामिल हैं: राजनीतिक चिन्तन, अनुक्रम • 1 परिचय • 2 राजनीति विज्ञान का परम्परागत दृष्टिकोण • 2.1 अर्थ एवं परिभाषा • 2.2 राजनीति विज्ञान का क्षेत्र • 2.3 परम्परागत राजनीति विज्ञान की विशेषताएँ • 3 राजनीति विज्ञान का आधुनिक दृष्टिकोण • 3.1 राजनीति विज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा • 3.2 राजनीति विज्ञान के क्षेत्र • 4 राजनीति विज्ञान का अन्य समाज विज्ञानों से सम्बन्ध • 5 इन्हें भी देखें • 6 सन्दर्भ • 7 बाहरी कड़ियाँ परिचय [ ] राजनीति विज्ञान का उद्भव अत्यन्त प्राचीन है। यूनानी विचारक राजनीतिशास्त्र या राजनीति विज्ञान अत्यन्त प्राचीन विषय है। प्रारंभ में इसे स्वतंत्र विषय के रूप में नहीं स्वीकारा गया। राजनीति विज्ञान का अध्ययन राजनीति विज्ञान का महत्व इस तथ्य से प्रकट होता है कि आज राजनीतिक प्रक्रिया का अध्ययन राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय-दोनों प्रकार की राजनीति को समझने के लिये आवश्यक है। प्रक्रिया के अध्ययन से ही वास्तविक राजनीति एवं उनके भीतर अवस्थित तथ्यों का ज्ञान संभव है। राजनीति विज्ञान की जटिलता उनके अतिव्यापी रूप व उनसे उत्पन्न स्वरूप एवं प्रकृति से जुड़ी हुई है। आज राजनीति विज्ञान ’राजनीतिक’ व गैर राजनीतिक दोनों प्रकार के तत्वों से सम्बंधित है। राजनीतिक तत्व प्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक प्रक्रिया को संचालित करते है और इस दृष्टि से राजनीति विज्ञान के अन्तर्गत राज्य सरकार, सरकारी संस्थाओं, चुनाव प्रणाली व राजनी...

परंपरागत एवं आधुनिक राजनीतिक विज्ञान से आप क्या समझते हैं? » Paramparagat Evam Aadhunik Raajnitik Vigyan Se Aap Kya Samajhte Hain

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। क्या अपने प्रश्न पूछा है परंपरागत एवं आधुनिक राजनीतिक विज्ञान से आप क्या समझते तो मैं आपको इसका एक बेसिक डिफरेंस बताना चाहूंगा कि परंपरागत राजनीतिक विज्ञान में जैसे कुछ खास लोगों के द्वारा ही चुने गए नियम और कानून उसमें दर्ज होते थे लेकिन आधुनिक राजनीतिक विज्ञान में बसे उसमें विद्युत सारे जितने भी नियम कानून एवं जनता द्वारा मान्य और जनता द्वारा बनाया गया kya apne prashna poocha hai paramparagat evam aadhunik raajnitik vigyan se aap kya samajhte toh main aapko iska ek basic difference batana chahunga ki paramparagat raajnitik vigyan me jaise kuch khas logo ke dwara hi chune gaye niyam aur kanoon usme darj hote the lekin aadhunik raajnitik vigyan me base usme vidyut saare jitne bhi niyam kanoon evam janta dwara manya aur janta dwara banaya gaya क्या अपने प्रश्न पूछा है परंपरागत एवं आधुनिक राजनीतिक विज्ञान से आप क्या समझते तो मैं आपको