रामभद्राचार्य सुप्रीम कोर्ट

  1. Ram temple will be ready before 2024 Swami Rambhadracharya
  2. जानें कौन हैं गुरु रामभद्राचार्य, जिन्होंने हनुमान चालीसा में निकालीं गलतियां?
  3. Ramabhadracharya maharaj ne PM modi ko lekar ki bhavishyavani
  4. शख्सियत : पद्मविभूषण रामभद्राचार्य
  5. "बचपन में चली गई थी देखने की शक्ति, 22 भाषाओं के ज्ञाता, राम मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट में गवाही, 80 ग्रंथ रच दिए", जगद्गुरु रामभद्राचार्य की कहानी
  6. Ramabhadracharya maharaj ne PM modi ko lekar ki bhavishyavani
  7. "बचपन में चली गई थी देखने की शक्ति, 22 भाषाओं के ज्ञाता, राम मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट में गवाही, 80 ग्रंथ रच दिए", जगद्गुरु रामभद्राचार्य की कहानी
  8. जानें कौन हैं गुरु रामभद्राचार्य, जिन्होंने हनुमान चालीसा में निकालीं गलतियां?
  9. शख्सियत : पद्मविभूषण रामभद्राचार्य
  10. Ram temple will be ready before 2024 Swami Rambhadracharya


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Ram temple will be ready before 2024 Swami Rambhadracharya

मुरादाबाद में पद्म विभूषण श्री चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि 2024 तक अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। इससे संबंधित केस में हम भी हाईकोर्ट में नौ बार बयान दिये। इसमें 441 प्रमाण भी दिये। इनमें से 437 सत्य निकले। चार धूमिल रहे। यह भी हमारे पक्ष में ही रहे। हमारे वक्तव्य सुप्रीम कोर्ट में भी पढ़े गए। इसीलिए राम मंदिर के पक्ष में निर्णय हुआ। अब इसका निर्माण जारी है। वह बुधवार को बुद्धि विहार स्थित व्हाइट हाउस में श्रीमद् भागवत कथा के बाद बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा ज्ञानवापी हमारा है। वहां गलत तरीके से मस्जिद बनाई गई। उसमें निकला शिवलिंग आदि शिवलिंग है। इसका निर्णय भी जल्द ही हमारे पक्ष में आएगा। उन्होंने कहा ज्ञानवापी और मथुरा के मामले में भी मैं बयान दूंगा। उन्होंने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर कहा वह कब तक खाली बैठेंगे। कुछ काम तो करना ही चाहिए। भारत जोड़ो यात्रा पर बोले भारत टूटा ही कब। मगर जिसकी जैसी बुद्धि वह वैसा ही काम करेगा। आश्वस्त किया कि अब भारत में कोरोना नहीं आएगा। लव जेहाद पर कहा हिंदू समाज की लड़कियों को इससे दूर रहना चाहिए। सनातन धर्म में इसकी कोई जगह नहीं हैं। वार्ता में मुख्य यजमान ज्ञानेंद्र देव शर्मा, मनुस्मृति शर्मा, अमित शुक्ला, निमित जायसवाल, राम रतन शर्मा आदि मौजूद रहे। अपने जन्मदिन पर सालासर में करेंगे 1008 कुंडीय यज्ञ मुरादाबाद। पद्म विभूषण श्री चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज इस बार अपना 74वां जन्मदिन सालासर बालाजी धाम में मनाएंगे। वह अपने जन्मदिन पर 12 जनवरी से 20 जनवरी तक सालासर में 1008 कुंडीय श्री हनुमान महायज्ञ करेंगे। उन्हो...

जानें कौन हैं गुरु रामभद्राचार्य, जिन्होंने हनुमान चालीसा में निकालीं गलतियां?

गुरु रामभद्राचार्य रामलला जन्‍मभूमि मामले में गवाह रह चुके हैं. वह बागेश्‍वर धाम के पंडित धीरेंद्र कुमार शास्‍त्री के गुरु भी हैं. गुरु रामभद्राचार्य ने चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्‍थापना भी की है । News Jungal Food Desk : क्‍या आपको पता है कि एक व्‍यक्ति, जिसकी आंखों की रोशनी दो माह की उम्र में ही चली गई हो, वो शख्‍स 22 भाषाएं जानता होगा और उसने 80 ग्रंथ रच दिए होंगे. आप कहेंगे ये नामुमकिन है, लेकिन ये सच है. हम बात कर रहे हैं रामलला जन्‍मभूमि केस के दौरान सुप्रीम कोर्ट गुरु रामभद्राचार्य ने चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्‍थापना की थी । वह 2 महीने की आयु में ही दृष्टिहीन हो गये थे . वह रामकथा वाचक के तौर पर काफी लोकप्रिय हैं. छोटी उम्र से ही दृष्टिहीन होने के बावजूद भी रामभद्राचार्य 22 भाषाओं का ज्ञान हैं और अब तक 80 ग्रंथों की रचना कर चुके हैं. बागेश्‍वर धाम के पीठाधीश्‍वर पंडित धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री गुरु रामभद्राचार्य के शिष्‍य हैं. धीरेंद्र शास्‍त्री के चमत्‍कारों को लेकर जब विवाद बढ़ा तो गुरु रामभद्राचार्य ने उनका बचाव किया. उन्‍होंने कहा कि कुछ लोग धीरेंद्र शास्‍त्री को बदनाम करने की कोशिश की जा रही थी । सरकार ने किया पद्मविभूषण से सम्‍मानित जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में सरयूपारी ब्राह्मण परिवार में मकर संक्राति के दिन 1950 में हुआ था. जगद्गुरु रामभद्राचार्य 2 महीने की उम्र में आंखों की रोशनी जाने के बाद भी 4 साल की उम्र से ही कविताएं करने लगे और 8 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने भागवत व रामकथा कहना शुरू कर दी थी. जगद्गुरु रामभद्राचार्य को भारत सरकार ने उनकी रचनाओं के लिए पद्मविभूषण से सम्मानित भी किया है। यह भी पढ़े :

Ramabhadracharya maharaj ne PM modi ko lekar ki bhavishyavani

Ramabhadracharya maharaj ne PM modi ko lekar ki bhavishyavani: नई दिल्ली। भारत के दूसरे सबसे बड़े स​म्मानित हुए संत रामभद्राचार्य जी महाराज की ख्याति देश की नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है। जिन्होंने आंखों की रोशनी न होते हुए भी अपने ​भक्ति की रोशनी से 80 ग्रंथ रचे और 22 भाषाओं का ज्ञान प्राप्त हुआ है। रामभद्राचार्य जी का नाम बहुत ही आदर के साथ हिन्दू संत समाज में लिया जाता है। धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी वही हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद पुराण के उद्धारण के साथ गवाही दी थी। Ramabhadracharya maharaj ne PM modi ko lekar ki bhavishyavani : वहीं एक बार फिर से रामभद्राचार्य ने देश के प्रधानमंत्री के लिए भविष्यवाणी की है। रामभद्राचार्य ने देश की जनता को कथा के बीच कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी और देश में मोदी की प्रधानमंत्री बनेंगे। इनकी भविष्यवाणी का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हो रहा है। रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि कुछ बड़े काम अधूरे है जो पीएम मोदी ही पूरा कर सकते है। सबसे पहले अब गौहत्या पर विराम लगवाना है, हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनानी है। बिहार शिक्षा मंत्री को दिया करारा जवाब इतना ही नहीं रामभद्राचार्य ने बिहार के शिक्षा मंत्री को भी रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर करारा जवाब दिया है। धर्मगुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि मैं प्रतिज्ञापूर्वक कह रहा हूं कि रामचरितमानस में एक भी अक्षर गलत नहीं है, लोग इसकी व्याख्या समझ नहीं पा रहे हैं। शिक्षा मंत्री को कुछ आता जाता नहीं है, इसमें मैं क्या बोलूं। बिहार में डंडे की सरकार चल रही है। ...

शख्सियत : पद्मविभूषण रामभद्राचार्य

ये वही रामभद्राचार्य जी है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद पुराण के उद्धारण के साथ गवाही दी थी। दृश्य था उच्चतम न्यायलय का … श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वादी के रूप में उपस्थित थे धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी … जो विवादित स्थल पर श्रीराम जन्मभूमि होने के पक्ष में शास्त्रों से प्रमाण पर प्रमाण दिये जा रहे थे … न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति मुसलमान था … उसने छूटते ही चुभता सा सवाल किया, “आप लोग हर बात में वेदों से प्रमाण मांगते हैं … तो क्या वेदों से ही प्रमाण दे सकते हैं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में उस स्थल पर ही हुआ था?” जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी (जो प्रज्ञाचक्षु हैं) ने बिना एक पल भी गँवाए कहा , ” दे सकता हूँ महोदय”, … और उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उद्धरण देना शुरू किया जिसमें सरयू नदी के स्थान विशेष से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है । कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई … और उसमें जगद्गुरु जी द्वारा निर्दिष्ट संख्या को खोलकर देखा गया और समस्त विवरण सही पाए गए … जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है … विवादित स्थल ठीक उसी स्थान पर है … और जगद्गुरु जी के वक्तव्य ने फैसले का रुख हिन्दुओं की तरफ मोड़ दिया … मुसलमान जज ने स्वीकार किया , ” आज मैंने भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार देखा … एक व्यक्ति जो भौतिक आँखों से रहित है, कैसे वेदों और शास्त्रों के विशाल वाङ्मय से उद्धरण दिये जा रहा था ? यह ईश्वरीय शक्ति नहीं तो और क्या है ?” “सिर्फ दो माह की उम्र में आंख की रोशनी चली गई, आज 22 भाषाएं आती हैं, 80 ग्रंथों की रचना कर चुके हैं सनातन ...

"बचपन में चली गई थी देखने की शक्ति, 22 भाषाओं के ज्ञाता, राम मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट में गवाही, 80 ग्रंथ रच दिए", जगद्गुरु रामभद्राचार्य की कहानी

भारत की पहचान साधु-संतों की भूमि के रूप में होती है। भारत के संतों ने विश्व में सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करने का कार्य किया हैं। इसलिए समाज में ऐसे संतों को बेहद सम्मान और आदर भाव की नजर से देखा जाता हैं। एक ऐसे ही महान संत हैं श्री रामभद्राचार्य जी। जो न तो देख सकते हैं, न पढ़ सकते हैं और न ही लिख सकते हैं परंतु फिर भी वो 80 से अधिक ग्रंथों की रचना कर चुके हैं। वो अपनी रचनाओं को बोलकर लिखवाते हैं। उन्हें बहुभाषाविद भी कहा जाता है। क्योंकि उन्हें 22 भाषाओं में कुशलता प्राप्त है। आज हम आपको इस लेख में हिंदू समाज के महान संत श्री रामभद्राचार्य महाराज से जुड़ी कई रोचक बातों से अवगत कराएंगें। अवध भाषा में की पहली रचना जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में अपने दादा की देखरेख में घर पर ही हुई। उनके पिता मुम्बई में ही नौकरी करते थे। उन्हें घर पर ही रामायण, महाभारत, विश्रामसागर, सुखसागर, प्रेमसागर, ब्रजविलास जैसे किताबों का पाठ कराया गया। जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज का वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है। रामभद्राचार्य ने महज 3 वर्ष की आयु में अपनी पहली कविता की रचना अवध भाषा में कर दी थी। इन्होंने अपनी रचना जब दादा को सुनाई तो हर कोई हैरत में पड़ गया था। इन्होंने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्री की उपाधि ली थी। साथ ही अयोध्या में उन्होंने ईश्वरदास महाराज से गायत्री मंच और राममंत्र की दीक्षा ली। तभी से इनका नाम रामभ्रदाचार्य हो गया था। और पढ़ें: जगद्गुरु रामभद्राचार्य 22 भाषाओं में पारंगत हैं। संस्कृत, हिंदी के साथ ही वह अवधि, मैथिली समेत अन्य भाषाओं में रचनाएं रची हैं। यह 80 से अधिक पुस्तकों की रचना कर चुके हैं, जिसमें दो सं...

Ramabhadracharya maharaj ne PM modi ko lekar ki bhavishyavani

Ramabhadracharya maharaj ne PM modi ko lekar ki bhavishyavani: नई दिल्ली। भारत के दूसरे सबसे बड़े स​म्मानित हुए संत रामभद्राचार्य जी महाराज की ख्याति देश की नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है। जिन्होंने आंखों की रोशनी न होते हुए भी अपने ​भक्ति की रोशनी से 80 ग्रंथ रचे और 22 भाषाओं का ज्ञान प्राप्त हुआ है। रामभद्राचार्य जी का नाम बहुत ही आदर के साथ हिन्दू संत समाज में लिया जाता है। धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी वही हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद पुराण के उद्धारण के साथ गवाही दी थी। Ramabhadracharya maharaj ne PM modi ko lekar ki bhavishyavani : वहीं एक बार फिर से रामभद्राचार्य ने देश के प्रधानमंत्री के लिए भविष्यवाणी की है। रामभद्राचार्य ने देश की जनता को कथा के बीच कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी और देश में मोदी की प्रधानमंत्री बनेंगे। इनकी भविष्यवाणी का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हो रहा है। रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि कुछ बड़े काम अधूरे है जो पीएम मोदी ही पूरा कर सकते है। सबसे पहले अब गौहत्या पर विराम लगवाना है, हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनानी है। बिहार शिक्षा मंत्री को दिया करारा जवाब इतना ही नहीं रामभद्राचार्य ने बिहार के शिक्षा मंत्री को भी रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर करारा जवाब दिया है। धर्मगुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि मैं प्रतिज्ञापूर्वक कह रहा हूं कि रामचरितमानस में एक भी अक्षर गलत नहीं है, लोग इसकी व्याख्या समझ नहीं पा रहे हैं। शिक्षा मंत्री को कुछ आता जाता नहीं है, इसमें मैं क्या बोलूं। बिहार में डंडे की सरकार चल रही है। ...

"बचपन में चली गई थी देखने की शक्ति, 22 भाषाओं के ज्ञाता, राम मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट में गवाही, 80 ग्रंथ रच दिए", जगद्गुरु रामभद्राचार्य की कहानी

भारत की पहचान साधु-संतों की भूमि के रूप में होती है। भारत के संतों ने विश्व में सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करने का कार्य किया हैं। इसलिए समाज में ऐसे संतों को बेहद सम्मान और आदर भाव की नजर से देखा जाता हैं। एक ऐसे ही महान संत हैं श्री रामभद्राचार्य जी। जो न तो देख सकते हैं, न पढ़ सकते हैं और न ही लिख सकते हैं परंतु फिर भी वो 80 से अधिक ग्रंथों की रचना कर चुके हैं। वो अपनी रचनाओं को बोलकर लिखवाते हैं। उन्हें बहुभाषाविद भी कहा जाता है। क्योंकि उन्हें 22 भाषाओं में कुशलता प्राप्त है। आज हम आपको इस लेख में हिंदू समाज के महान संत श्री रामभद्राचार्य महाराज से जुड़ी कई रोचक बातों से अवगत कराएंगें। अवध भाषा में की पहली रचना जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में अपने दादा की देखरेख में घर पर ही हुई। उनके पिता मुम्बई में ही नौकरी करते थे। उन्हें घर पर ही रामायण, महाभारत, विश्रामसागर, सुखसागर, प्रेमसागर, ब्रजविलास जैसे किताबों का पाठ कराया गया। जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज का वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है। रामभद्राचार्य ने महज 3 वर्ष की आयु में अपनी पहली कविता की रचना अवध भाषा में कर दी थी। इन्होंने अपनी रचना जब दादा को सुनाई तो हर कोई हैरत में पड़ गया था। इन्होंने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्री की उपाधि ली थी। साथ ही अयोध्या में उन्होंने ईश्वरदास महाराज से गायत्री मंच और राममंत्र की दीक्षा ली। तभी से इनका नाम रामभ्रदाचार्य हो गया था। और पढ़ें: जगद्गुरु रामभद्राचार्य 22 भाषाओं में पारंगत हैं। संस्कृत, हिंदी के साथ ही वह अवधि, मैथिली समेत अन्य भाषाओं में रचनाएं रची हैं। यह 80 से अधिक पुस्तकों की रचना कर चुके हैं, जिसमें दो सं...

जानें कौन हैं गुरु रामभद्राचार्य, जिन्होंने हनुमान चालीसा में निकालीं गलतियां?

गुरु रामभद्राचार्य रामलला जन्‍मभूमि मामले में गवाह रह चुके हैं. वह बागेश्‍वर धाम के पंडित धीरेंद्र कुमार शास्‍त्री के गुरु भी हैं. गुरु रामभद्राचार्य ने चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्‍थापना भी की है । News Jungal Food Desk : क्‍या आपको पता है कि एक व्‍यक्ति, जिसकी आंखों की रोशनी दो माह की उम्र में ही चली गई हो, वो शख्‍स 22 भाषाएं जानता होगा और उसने 80 ग्रंथ रच दिए होंगे. आप कहेंगे ये नामुमकिन है, लेकिन ये सच है. हम बात कर रहे हैं रामलला जन्‍मभूमि केस के दौरान सुप्रीम कोर्ट गुरु रामभद्राचार्य ने चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्‍थापना की थी । वह 2 महीने की आयु में ही दृष्टिहीन हो गये थे . वह रामकथा वाचक के तौर पर काफी लोकप्रिय हैं. छोटी उम्र से ही दृष्टिहीन होने के बावजूद भी रामभद्राचार्य 22 भाषाओं का ज्ञान हैं और अब तक 80 ग्रंथों की रचना कर चुके हैं. बागेश्‍वर धाम के पीठाधीश्‍वर पंडित धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री गुरु रामभद्राचार्य के शिष्‍य हैं. धीरेंद्र शास्‍त्री के चमत्‍कारों को लेकर जब विवाद बढ़ा तो गुरु रामभद्राचार्य ने उनका बचाव किया. उन्‍होंने कहा कि कुछ लोग धीरेंद्र शास्‍त्री को बदनाम करने की कोशिश की जा रही थी । सरकार ने किया पद्मविभूषण से सम्‍मानित जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में सरयूपारी ब्राह्मण परिवार में मकर संक्राति के दिन 1950 में हुआ था. जगद्गुरु रामभद्राचार्य 2 महीने की उम्र में आंखों की रोशनी जाने के बाद भी 4 साल की उम्र से ही कविताएं करने लगे और 8 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने भागवत व रामकथा कहना शुरू कर दी थी. जगद्गुरु रामभद्राचार्य को भारत सरकार ने उनकी रचनाओं के लिए पद्मविभूषण से सम्मानित भी किया है। यह भी पढ़े :

शख्सियत : पद्मविभूषण रामभद्राचार्य

ये वही रामभद्राचार्य जी है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद पुराण के उद्धारण के साथ गवाही दी थी। दृश्य था उच्चतम न्यायलय का … श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वादी के रूप में उपस्थित थे धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी … जो विवादित स्थल पर श्रीराम जन्मभूमि होने के पक्ष में शास्त्रों से प्रमाण पर प्रमाण दिये जा रहे थे … न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति मुसलमान था … उसने छूटते ही चुभता सा सवाल किया, “आप लोग हर बात में वेदों से प्रमाण मांगते हैं … तो क्या वेदों से ही प्रमाण दे सकते हैं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में उस स्थल पर ही हुआ था?” जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी (जो प्रज्ञाचक्षु हैं) ने बिना एक पल भी गँवाए कहा , ” दे सकता हूँ महोदय”, … और उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उद्धरण देना शुरू किया जिसमें सरयू नदी के स्थान विशेष से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है । कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई … और उसमें जगद्गुरु जी द्वारा निर्दिष्ट संख्या को खोलकर देखा गया और समस्त विवरण सही पाए गए … जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है … विवादित स्थल ठीक उसी स्थान पर है … और जगद्गुरु जी के वक्तव्य ने फैसले का रुख हिन्दुओं की तरफ मोड़ दिया … मुसलमान जज ने स्वीकार किया , ” आज मैंने भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार देखा … एक व्यक्ति जो भौतिक आँखों से रहित है, कैसे वेदों और शास्त्रों के विशाल वाङ्मय से उद्धरण दिये जा रहा था ? यह ईश्वरीय शक्ति नहीं तो और क्या है ?” “सिर्फ दो माह की उम्र में आंख की रोशनी चली गई, आज 22 भाषाएं आती हैं, 80 ग्रंथों की रचना कर चुके हैं सनातन ...

Ram temple will be ready before 2024 Swami Rambhadracharya

मुरादाबाद में पद्म विभूषण श्री चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि 2024 तक अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। इससे संबंधित केस में हम भी हाईकोर्ट में नौ बार बयान दिये। इसमें 441 प्रमाण भी दिये। इनमें से 437 सत्य निकले। चार धूमिल रहे। यह भी हमारे पक्ष में ही रहे। हमारे वक्तव्य सुप्रीम कोर्ट में भी पढ़े गए। इसीलिए राम मंदिर के पक्ष में निर्णय हुआ। अब इसका निर्माण जारी है। वह बुधवार को बुद्धि विहार स्थित व्हाइट हाउस में श्रीमद् भागवत कथा के बाद बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा ज्ञानवापी हमारा है। वहां गलत तरीके से मस्जिद बनाई गई। उसमें निकला शिवलिंग आदि शिवलिंग है। इसका निर्णय भी जल्द ही हमारे पक्ष में आएगा। उन्होंने कहा ज्ञानवापी और मथुरा के मामले में भी मैं बयान दूंगा। उन्होंने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर कहा वह कब तक खाली बैठेंगे। कुछ काम तो करना ही चाहिए। भारत जोड़ो यात्रा पर बोले भारत टूटा ही कब। मगर जिसकी जैसी बुद्धि वह वैसा ही काम करेगा। आश्वस्त किया कि अब भारत में कोरोना नहीं आएगा। लव जेहाद पर कहा हिंदू समाज की लड़कियों को इससे दूर रहना चाहिए। सनातन धर्म में इसकी कोई जगह नहीं हैं। वार्ता में मुख्य यजमान ज्ञानेंद्र देव शर्मा, मनुस्मृति शर्मा, अमित शुक्ला, निमित जायसवाल, राम रतन शर्मा आदि मौजूद रहे। अपने जन्मदिन पर सालासर में करेंगे 1008 कुंडीय यज्ञ मुरादाबाद। पद्म विभूषण श्री चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज इस बार अपना 74वां जन्मदिन सालासर बालाजी धाम में मनाएंगे। वह अपने जन्मदिन पर 12 जनवरी से 20 जनवरी तक सालासर में 1008 कुंडीय श्री हनुमान महायज्ञ करेंगे। उन्हो...