Rani lakshmi bai par nibandh

  1. रानी लक्ष्मी बाई पर 10 पंक्ति में निबंध
  2. झाशी ची राणी लक्ष्मीबाई मराठी निबंध
  3. रानी लक्ष्मी बाई पर 10 पंक्ति में निबंध, Rani Lakshmi Bai Par Nibandh, Essay In Hindi
  4. हिन्दी निबंध : झांसी की रानी लक्ष्मीबाई
  5. रानी लक्ष्मीबाई निबंध मराठी
  6. रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध । Essay on Rani Laxmi Bai in Hindi » Hindi Nibandh
  7. Rani lakshmi bai per nibandh


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रानी लक्ष्मी बाई पर 10 पंक्ति में निबंध

नमस्कार दोस्तों नीचे मैंने 10 से 20 पंक्तियों में रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध (10 Line Essay On Rani Laxmi Bai in hindi) लिखा है अगर आप पूरा निबंध पढ़ना चाहते हैं तो आप इस लिंक पर क्लिक करके रानी लक्ष्मीबाई पर पूरा निबंध पढ़ सकते हैं जिसे 600 शब्दों में लिखा गया है। • रानी लक्ष्मीबाई एक महान वीरांगना थी। • लक्ष्मीबाई का जन्म 13 नवम्बर सन 1835 ई.को काशी में हुआ था। • लक्ष्मीबाई के पिता का नाम मोरोपन्त और उनकी माँ का नाम भागीरथी बाई था। • 5 साल की आयु में रानी लक्ष्मी बाई की माता का देहांत हो गया। • इसके बाद इनका पालन-पोषण वीर पुरुषों के बीच हुआ। • रानी लक्ष्मीबाई का नाम बचपन में मणिकर्णिका था। • रानी लक्ष्मीबाई को बचपन से ही घुड़सवारी और तलवार चलाने का शौक था। • रानी लक्ष्मीबाई का विवाह 1842 ई में राजा गंगाधर राव के साथ हुआ था। • शादी के बाद इनका नाम रानी लक्ष्मीबाई पड़ा। • शादी के 9 वर्ष बाद रानी लक्ष्मीबाई को एक पुत्र हुआ। • जिसकी मृत्यु 3 महीने बाद ही हो गई। • राजा गंगाधर राव ने एक पुत्र को गोद लिया जिसका नाम दामोदर राव था। • उसके बाद राजा गंगाधर राव की मृत्यु पुत्र वियोग में हो गई। • अंग्रेजों ने झांसी के साम्राज्य को अपने कब्जे में करने की बहुत कोशिश की। • लेकिन रानी लक्ष्मीबाई ने उनके हर सवाल का जवाब दिया। • उसके बाद रानी लक्ष्मी बाई पर अंग्रेजों ने हमला कर दिया। • लक्ष्मीबाई ने अपने दांतो के बीच घोड़े की लगाम को पकड़ कर दोनों हाथ से तलवार चलायी थी। • रानी लक्ष्मीबाई ने अपने आखरी सांस तक अंग्रेजों से युद्ध किया। • रानी लक्ष्मीबाई ने अपने शव को अंग्रेजों के हाथ नहीं लगने दिया। • सैनिकों ने रानी लक्ष्मीबाई के शव को अग्नि को समर्पित कर दिया।

झाशी ची राणी लक्ष्मीबाई मराठी निबंध

लक्ष्मीबाईंचे बालपणीचे नाव मणिकर्णिका म्हणजेच सर्व लाडाने मनु म्हणत असत. वयाच्या चौथ्या वर्षी त्यांनी स्वतःची आई गमावली. त्याच्या वडिलांकडून त्या युद्धकला, अश्वारोहण, तिरंदाजी आणि तलवार चालवने अश्या कला शिकल्या. लहानपणापासूनच राणी लक्ष्मीबाई ह्या साहसी होत्या. 1842 मध्ये त्यांचे लग्न झाशीचे राजा गंगाधरराव नवलकर यांच्याशी झाले. त्यांचे नाव मणिकर्णिका वरून लक्ष्मीबाई असे करण्यात आले. त्यांना एक मुलगा दामोदर राव होता. पण चौथ्या महिन्यात त्याचा मृत्यू झाला. नंतर त्यांनी एका मुलाला दत्तक घेतले व त्याचे नाव दामोदर रावच ठेवले. 1853 मध्ये झाशीचे राजा गंगाधर राव यांचे निधन झाले. राज्य सांभाळण्याची जबाबदारी आता राणी लक्ष्मीबाईंवर येऊन पडली. तत्कालीन ब्रिटीश गव्हर्नर लॉर्ड डलहौसी याने दत्तक वारसा नामंजूर असल्याचा कायदा बनविला आणि झाशी राज्य स्वतःच्या ताब्यात घेण्यासाठी त्याने फेरफार सुरू केले. दत्तक विधान नामंजूर करून झांशी संस्थान ब्रिटिश सरकारांत विलीन करण्यात आले. त्या वेळी स्वाभिमानी राणीने मी माझी झाशी देणार नाहीअसे स्फूर्तिदायक उद्गार काढले. 1 मार्च 1854 मध्ये त्याने राणी लक्ष्मीबाईला झाशी सोडण्याचा आदेश दिला. त्याविरुद्ध लढण्यासाठी राणीने आपल्या सैन्याला एकत्र केले. 10 मे 1857 रोजी मेरठमध्ये शिपायांनी बंड केले. जेव्हा राणीच्या राजवटीवर ब्रिटीशांचा दबाव वाढला तेव्हा पुन्हा युद्ध सुरू झाले. राणीच्या अनुयायांनी तिला व तिच्या मुलाला इंग्रजांपासून संरक्षण करण्यासाठी 'कालपी' येथे पाठवले. 22 मे 1858 रोजी ब्रिटीशांनी कालपीवर हल्ला केला. राणी लक्ष्मीबाई मात्र मागे सरली नाही, त्यांनी आपल्या सैन्याचा बचाव केला आणि आपल्या लहान मुलाला त्याच्या पाठीमागे बांधून त्यांनी शौर्याने युद्ध केले. 1...

रानी लक्ष्मी बाई पर 10 पंक्ति में निबंध, Rani Lakshmi Bai Par Nibandh, Essay In Hindi

10 से 20 पंक्तियों में रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध (10 Line Essay On Rani Laxmi Bai in hindi) लिखा है अगर आप पूरा निबंध पढ़ना चाहते हैं तो आप इस लिंक पर क्लिक करके रानी लक्ष्मीबाई पर पूरा निबंध पढ़ सकते हैं जिसे 600 शब्दों में लिखा गया है। • रानी लक्ष्मीबाई एक महान वीरांगना थी। • लक्ष्मीबाई का जन्म 13 नवम्बर सन 1835 ई.को काशी में हुआ था। • लक्ष्मीबाई के पिता का नाम मोरोपन्त और उनकी माँ का नाम भागीरथी बाई था। • 5 साल की आयु में रानी लक्ष्मी बाई की माता का देहांत हो गया। • इसके बाद इनका पालन-पोषण वीर पुरुषों के बीच हुआ। • रानी लक्ष्मीबाई का नाम बचपन में मणिकर्णिका था। • रानी लक्ष्मीबाई को बचपन से ही घुड़सवारी और तलवार चलाने का शौक था। • रानी लक्ष्मीबाई का विवाह 1842 ई में राजा गंगाधर राव के साथ हुआ था। • शादी के बाद इनका नाम रानी लक्ष्मीबाई पड़ा। • शादी के 9 वर्ष बाद रानी लक्ष्मीबाई को एक पुत्र हुआ। • जिसकी मृत्यु 3 महीने बाद ही हो गई। • राजा गंगाधर राव ने एक पुत्र को गोद लिया जिसका नाम दामोदर राव था। • उसके बाद राजा गंगाधर राव की मृत्यु पुत्र वियोग में हो गई। • अंग्रेजों ने झांसी के साम्राज्य को अपने कब्जे में करने की बहुत कोशिश की। • लेकिन रानी लक्ष्मीबाई ने उनके हर सवाल का जवाब दिया। • उसके बाद रानी लक्ष्मी बाई पर अंग्रेजों ने हमला कर दिया। • लक्ष्मीबाई ने अपने दांतो के बीच घोड़े की लगाम को पकड़ कर दोनों हाथ से तलवार चलायी थी। • रानी लक्ष्मीबाई ने अपने आखरी सांस तक अंग्रेजों से युद्ध किया। • रानी लक्ष्मीबाई ने अपने शव को अंग्रेजों के हाथ नहीं लगने दिया। • सैनिकों ने रानी लक्ष्मीबाई के शव को अग्नि को समर्पित कर दिया। रानी लक्ष्मी बाई पर 10 पंक्ति में निबंध, Rani Lakshmi Bai ...

हिन्दी निबंध : झांसी की रानी लक्ष्मीबाई

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई वास्तविक अर्थ में आदर्श वीरांगना थीं। वे कभी आपत्तियों से नहीं घबराई, कभी कोई प्रलोभन उन्हें अपने कर्तव्य पालन से विमुख नहीं कर सका। अपने पवित्र उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह सदैव आत्मविश्वास से भरी रहीं। महारानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में 19 नवंबर 1835 को हुआ। इनके पिता का नाम मोरोपंत ताम्बे और माता का नाम भागीरथी बाई था। रानी लक्ष्मीबाई को बचपन में मनुबाई नाम से बुलाया जाता था। रानी लक्ष्मीबाई का विवाह सन्‌ 1850 में गंगाधर राव से हुआ जोकि सन्‌ 1838 से झांसी के राजा थे। जिस समय लक्ष्मीबाई का विवाह उनसे हुआ तब गंगाधर राव पहले से विधुर थे। सन्‌ 1851 में लक्ष्मीबाई को पुत्र पैदा हुआ लेकिन चार माह बाद ही उसका निधन हो गया। रानी लक्ष्मीबाई के पति को इस बात का गहरा सदमा लगा और 21 नवंबर 1853 को उनका निधन हो गया। राजा गंगाधर राव ने अपने जीवनकाल में ही अपने परिवार के बालक दामोदर राव को दत्तक पुत्र मानकर अंगरेजी सरकार को सूचना दे दी थी। परंतु ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार ने दत्तक पुत्र को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद शुरु हुआ रानी लक्ष्मीबाई के जीवन में संघर्ष, लार्ड डलहौजी ने गोद की नीति के अंतर्गत दत्तकपुत्र दामोदर राव की गोद अस्वीकृत कर दी और झांसी को अंगरेजी राज्य में मिलाने की घोषणा कर दी। लेकिन रानी लक्ष्मीबाई झांसी अग्रेजों की होने देना नहीं चाहती थी, उन्होंने विद्रोह कर दिया। रानी लक्ष्मीबाई ने सात दिन तक वीरतापूर्वक झांसी की सुरक्षा की और अपनी छोटी-सी सशस्त्र सेना से अंगरेजों का बड़ी बहादुरी से मुकाबला किया। रानी ने खुलेरूप से शत्रु का सामना किया और युद्ध में अपनी वीरता का परिचय दिया। वे अकेले ही अपनी पीठ के पीछे दामोदर राव को कसकर घोड़े पर सवार हो, अंग...

रानी लक्ष्मीबाई निबंध मराठी

पुत्र वियोगाचे दुखः गंगाधर रावांना सहन झाले नाही त्यामुळे काही दिवसांनी त्यांचे दु:खद निधन झाले.गादीला वारस म्हणून त्यांच्या घराण्यातील मुलाला दत्तक घेतले .त्याचे नाव आनंदराव नेवाळकर होते.दत्तक विधानानंतर त्याचे नाव दामोदरराव ठेवण्याची आले. लक्ष्मी बाई वर एकामागून एक संकट आली. पुत्र वियोगानंतर वयाच्या 1८ व्या. वर्षी वैधव्य प्राप्त झाले. इंग्रजांनी डावपेचांनी झाशी ताब्यात घेतली व ब्रिटिशांनी झाशीच्या प्रजेवर अत्याचार करण्यास सुरुवात केली. अन्यायामुळे लक्ष्मीबाई वाघिणी प्रमाणे चवताळून उठली आणि घोषणा केली " में मेरी झाशी नही दूँगी ."अशाप्रकारे संभाव्य हल्ल्यापासून झाशी चे संरक्षण करीत राहिल्या. ब्रिटिशांनी लक्ष्मीबाई ला जिवंत पकडण्यासाठी सेनापती ह्यू रोज यांची नेमणूक केली. ह्यु रोज ने झाशी जवळ झावनी लावली. त्यांच्या सैन्याने लक्ष्मीबाई ला निरोप पाठविला शरण येण्यासाठी.पण लक्ष्मी बाई तटस्थ राहील्या.शरणागती न पत्करता आपल्या पुत्राला पाठीवर बांधून लढाई करत राहिल्या .त्यांनी एका क्षत्रिय राणी प्रमाणे असामान्यपणे ब्रिटिशांना चकित केले.अशा असामान्य स्त्रीची चरित्र महिलांना प्रेरणा देणारे आहे .त्यांच्या क्रांतीकारी विचारांना संपूर्ण भारतातील क्रांतिकारी कार्य ही प्रेरणा मिळाली,स्वातंत्र्याची संपूर्ण स्वाधीनतेची.लक्ष्मीबाई यांनी एखाद्या रणचंडी के प्रमाणे ब्रिटिशांविरुद्ध अनेक संग्राम केले. देश स्वातंत्र्य संग्रामात लक्ष्मीबाई यांनी आपले बलिदान दिले.म्हणतात ना " खूब लडी़ मर्दानी, झाशीवाली राणी ".आजच्या आधुनिक युगातही राणी लक्ष्मीबाई स्त्रियांना प्रेरणा देणारी आहे.स्त्री हे माता, पत्नी, भगिनी प्रमाणेच वेळ आली तर दृष्टांचा संहार करणारी माँ दुर्गा चे स्वरूप आहे. राणी लक्ष्मीबाई यांनी वयाच...

रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध । Essay on Rani Laxmi Bai in Hindi » Hindi Nibandh

रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध रानी लक्ष्मीबाई एक महान वीरांगना थी उन्होंने अपने देश के लिए बहुत से महान कार्य किए हैं, इनका जन्म वाराणसी में 19 नवंबर 1828 को हुआ था। रानी लक्ष्मी बाई के बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन उन्हें प्यार से मनु कहा जाता था। उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथी तांबे था। रानी लक्ष्मीबाई बचपन से युद्ध कला में निपुण थी, ये नाना जी पेशवा राव की मुहबोली बहन थी, इनका बचपन इन्हीं के साथ खेलते कूदते हुए बीता है और इनका पालन-पोषण बिठूर में हुआ था। बचपन में ही रानी लक्ष्मी बाई के माता का देहांत हो गया जिसकी वजह से उनका जीवन वीर योद्धा पुरुषों के बीच बीता और उन्होंने घुड़सवारी और युद्ध कला की शिक्षा प्राप्त की और बचपन में ही रानी लक्ष्मीबाई बहुत ही ज्यादा अच्छे घुड़सवारी और युद्ध कर लेती थी। रानी लक्ष्मीबाई का विवाह राजा गंगाधर राव के साथ उन 1842 ईसवी में हुआ था, विवाह के बाद ही इनका नाम रानी लक्ष्मीबाई पड़ा और 9 वर्ष बाद रानी लक्ष्मीबाई को एक लड़का हुआ जो कि 3 महीने में उसकी मृत्यु हो गई, इसके बाद गंगाधर राव ने 5 वर्षीय दामोदर राव को गोद लिया और पुत्र वियोग में उनकी दशा खराब होती गई और अगले ही दिन उनकी भी मृत्यु हो गई। जब दामोदर राव को गोद लिया जा रहा था तब अंग्रेज का एक अधिकारी वहां पर उपस्थित था लेकिन राजा की मृत्यु होने के बाद अंग्रेजी सरकार कहती है कि जिस राज्य का कोई उत्तराधिकारी और राजा नहीं होता है तो वह राज्य हमारी अधिकार में आता है। जब अंग्रेजों ने रानी लक्ष्मीबाई को झांसी छोड़कर जाने के लिए कहा तो रानी लक्ष्मीबाई ने साफ शब्दों में उन्हें कह दिया कि ” झांसी मेरी है और मैं इसे अपने प्राण रहते कभी नहीं छोड़ सकती “ इसके बाद अंग्रेजों ने ...

Rani lakshmi bai per nibandh

दोस्तों आज में आपको हमारे इतिहास से मिलाना चाहूँगा और हमारी देश की वीर महिला Rani lakshmi bai per nibandh कहना चाहूँगा | महारानी लक्ष्मी बाई के बारे में वैसे तो कौन नहीं जानता है लेकिन फिर कुछ बाते में उनके बारे में कहूँगा | में आशा करता हु की आपको ये Rani lakshmi bai per nibandh जरूर पसंद आएगा | अगर आपको ये Rani lakshmi bai per nibandh पसंद आए तो आप एक बारे ये Rani lakshmi bai per nibandh झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई वो योद्धा थी, जिसने अपने देश के आज़ादी के लिए अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाई और उनसे लड़ाई लड़ी। जिसमे उन्होंने अपने देश के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। जो आगे चलकर अपने देश के हर एक नागरिक के अंदर आज़ादी की चिंगारी बन गयी और अपने देश के हर एक स्त्री के लिए प्रेरणा बन गयी। जिनका नाम इतिहास के पन्नो में लिखा गया। जिसकी वजह से रानी लक्ष्मी बाई को लोग आज भी याद करते है। जिन्होंने पहली बार अंग्रेजो के खिलाफ अपने देश में हो रही गुलामी को ख़त्म करने के लिए स्वतंत्र संग्राम किया था। झांसी की रानी का परिचय रानी लक्ष्मी बाई जिनका मायके का नाम मणिकर्णिका था। इसलिए उन्हें मनु बाई के नाम से भी जाना जाता था। उनका जन्म काशी में जिसको आज के समय में वाराणसी के नाम से जाना जाता है, वहा 19 नवंबर 1828 में हुआ था। उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथी तांबे है। जब लक्ष्मी बाई बहुत छोटी थी, मतलब 3 साल या फिर 4 साल की थी, तब उनकी माता की मृत्यु हो गई थी । तबसे उनके पिता मोरोपंत तांबे ही उनकी देखभाल करने लगे थे। उनकी माँ भागीरथी तांबे की मृत्यु होने के बाद लक्ष्मी बाई और उनके पिता बिठूर चले गए। वहा वो बाजीराव पेशवे के साथ रहने लगे थे। रानी लक्ष्मी बाई का बचपन जिस बचपन में सभी...