रेशम मार्ग क्यों महत्वपूर्ण है

  1. निश्चल तत्वं
  2. रेशम मार्ग क्यों प्रसिद्ध है? Resham marg kyon prasiddh hai?
  3. भारतीय धर्म को एशियाई देशों तक पहुंचाने में सहायक है रेशम मार्ग
  4. रेशम मार्ग पर किसका अधिकार था? – ElegantAnswer.com
  5. उत्तरी रेशम मार्ग
  6. रेशमकीट पालन
  7. रेशमकीट पालन
  8. निश्चल तत्वं
  9. रेशम मार्ग क्यों प्रसिद्ध है? Resham marg kyon prasiddh hai?
  10. रेशम मार्ग पर किसका अधिकार था? – ElegantAnswer.com


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निश्चल तत्वं

एक आध्यात्मिक प्रक्रिया आपके भीतर से सारी पाशविक प्रवृत्तियों को नष्ट करने के लिए होती है, ताकि आपके भीतर दिव्यता के खिलने के लायक परिस्थितियां बन सकें। हो सकता है कि किसी इंसान को आध्यात्मिक प्रक्रिया की बीज का और उसकी अपनी कोशिशों का फल तत्काल दिखाई न दे। आपने देखा होगा कि बिना किसी कोशिश के उगे एक खर-पतवार में तो कुछ ही दिनों में फूल खिल जाता है, लेकिन यदि आप एक नारियल का पेड़ लगाते हैं तो आपको फल के लिए छह वर्षों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। हो सकता है किसी परेशानी के कारण आप अपने पथ से कुछ घंटे दूर हो जाएं, और फिर वापस उस पथ पर आ जाएं – तो उन चंद घंटों में ही आप अपने भाग्य के प्रवाह को असंतुलित कर देंगे। केवल एक मूर्ख व्यक्ति ही, जो जीवन के तौर-तरीकों से अनजान हो, चौथे साल में ही नारियल के पेड़ को उखाड़ फेंकेगा, यह सोच कर कि अब इस पेड़ पर कभी फल नहीं आने वाला। अगर आप सचमुच कुछ अर्थपूर्ण और महत्वपूर्ण पैदा करना चाहते हैं तो समय तो लगेगा। अगर बीज सही होगा और हमारी ओर से उसे उचित पोषण मिलेगा, तो फल निश्चित रूप से आएगा - इसमें कोई संदेह नहीं है। आध्यात्मिकता क्या है? ‘आध्यात्मिकता’ शब्द का अर्थ बहुत ही ज्यादा विकृत या कहें भ्रष्ट हो चुका है। इसका लाखों तरह से उपयोग व दुरुप्रयोग किया गया है, जो कि अधिकतर अज्ञानता तथा कई बार अनैतिकता के कारण होता है। इसी दुरुपयोग के चलते, लोगों के मन में इसे ले कर इतनी उलझन और शंका पैदा हो गई है कि लोग अब यहां तक सोचने लगे हैं कि आध्यात्मिकता वास्तव में किसी काम की है भी या नहीं? इसने अनिश्चितता का अजीब सा माहौल बना दिया है। अनेक सालों तक इस पथ पर चलने के बाद भी लोगों के मन में संदेह बने रहते हैं क्योंकि इससे बहुत सी भ्रांतियां और गलतफ़हमियां जुड़ ...

रेशम मार्ग क्यों प्रसिद्ध है? Resham marg kyon prasiddh hai?

सवाल: रेशम मार्ग क्यों प्रसिद्ध है? (1) सड़क परियोजना के कारण। (2) व्यापारिक और सांस्कृतिक मार्ग के कारण। (3) वायुयान मार्ग के कारण (4) इसमें से कोई नहीं उत्तर (2) एकदम सही उत्तर है क्योंकि हम जानते हैं रेशम मार्ग व्यापारिक और सांस्कृतिक आवाजाही के लिए सुगम मार्ग में से एक था जो कि एशिया यूरोप तथा अफ्रिका तक फैला हुआ था और उसका कुछ एक किस्सा भारत तक भी आता था।

भारतीय धर्म को एशियाई देशों तक पहुंचाने में सहायक है रेशम मार्ग

• • • 1495 • समयसीमा 153 • शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक 16 • जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक 2 • सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व 13 • ठहरावः 2000 ईसापूर्व से 600 ईसापूर्व तक 4 • धर्म का उदयः 600 ईसापूर्व से 300 ईस्वी तक 7 • छोटे राज्य 300 ईस्वी से 1000 ईस्वी तक 3 • मघ्यकाल के पहले : 1000 ईस्वी से 1450 ईस्वी तक 5 • मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक 11 • उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक 65 • आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक 27 • मानव व उनकी इन्द्रियाँ 757 • ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि 62 • ध्वनि 2- भाषायें 53 • गंध- ख़ुशबू व इत्र 14 • स्पर्शः रचना व कपड़े 39 • स्वाद- खाद्य का इतिहास 65 • द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना 36 • द्रिश्य 2- अभिनय कला 49 • द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य 85 • विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान) 206 • विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा 148 • मानव व उसके आविष्कार 585 • म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण 24 • हथियार व खिलौने 51 • य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला 54 • संचार एवं संचार यन्त्र 59 • घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ 12 • वास्तुकला 1 वाह्य भवन 96 • वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली 21 • नगरीकरण- शहर व शक्ति 171 • सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी) 41 • सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान 56 • 538 • भूगोल 162 • पर्वत, चोटी व पठार 12 • मरुस्थल 4 • नदियाँ 17 • समुद्र 19 • समुद्री संसाधन 7 • जंगल 17 • भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर) 26 • खनिज 19 • खदान 8 • जलवायु व ऋतु 33 • जीव-जंतु 233 • शारीरिक 17 • व्यवहारिक 27 • निवास स्थान 15 • कोशिका के आधार पर 10 • डीएनए 13 • स्तनधारी 41 • पंछीयाँ 45 • तितलियाँ व कीड़े 25 • ...

रेशम मार्ग पर किसका अधिकार था? – ElegantAnswer.com

रेशम मार्ग पर किसका अधिकार था? इसे सुनेंरोकेंकेंद्रीय एशिया और उत्तर-पश्चिमी भारत पर कुषाण राजवंश का शासन करीब 2000 वर्ष पहले था। उस जमाने के अन्य राजाओं की तुलना में कुषाण राजाओं का रेशम मार्ग पर सबसे अच्छा नियंत्रण था। पेशावर और मथुरा उनकी सत्ता के दो अहम केंद्र थे। तक्षशिला भी इन्हीं के अधीन था। मंगोलों ने रेशम मार्ग से व्यापार आरंभ कब किया? इसे सुनेंरोकेंदो सौ साल ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी के बीच हन राजवंश के शासन काल में रेशम का व्यापार बढ़ा. प्राचीन काल में रेशम का मार्ग कौन था? इसे सुनेंरोकेंरेशम मार्ग प्राचीन काल और मध्यकाल में ऐतिहासिक व्यापारिक – सांस्कृतिक मर्गों का एक समूह था जिसके माध्यम से एशिया, यूरोप और अफ्रीका जुड़े हुए थे । इसका सबसे जाना – माना हिस्सा उत्तरी रेशम मार्ग है जो चीन से होकर पश्चिम की ओर पहले मध्य एशिया में और फिर यूरोप में जाता था और जिससे निकलती एक शाखा भारत की ओर जाती थी । २००० साल पहले रेशम मार्ग पर किसका नियंत्रण था? इसे सुनेंरोकेंकरीब 2000 साल पहले रोम के शासकों और धनी लोगों के बीच रेशमी कपड़े पहनना एक फ़ैशन बन गया। इसकी कीमत बहुत ही ज़्यादा होती थी। क्योंकि चीन से इसे लाने में दुर्गम पहाड़ी और रेगिस्तानी रास्तों से होकर जाना पड़ता था। यही नहीं, रास्ते के आस-पास रहने वाले लोग व्यापारियों से यात्रा-शुल्क भी माँगते थे। मंगोलों के लिए व्यापार इतना महत्वपूर्ण क्यों था? इसे सुनेंरोकेंमंगोलों के लिए व्यापार इतना महत्त्वपूर्ण क्यों था? उत्तर स्टेपी क्षेत्रों में संसाधनों की कमी के कारण मंगोलों और मध्य-एशियाई यायावरों को व्यापार और वस्तु-विनिमय के लिए उनके पड़ोसी चीनवासियों के पास जाना पड़ता था। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभकारी थी। प्रा...

उत्तरी रेशम मार्ग

टकलामकान रेगिस्तान उत्तरी रेशम मार्ग (Northern Silk Road) वर्तमान जनवादी गणतंत्र चीन के उत्तरी क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक मार्ग है जो चीन की प्राचीन राजधानी शिआन से पश्चिम की ओर जाते हुए टकलामकान रेगिस्तान से उत्तर निकलकर मध्य एशिया के प्राचीन बैक्ट्रिया और पार्थिया राज्य और फिर और भी आगे ईरान और प्राचीन रोम पहुँचता था। यह मशहूर रेशम मार्ग की उत्तरतम शाखा है और इसपर हज़ारों सालों से चीन और मध्य एशिया के बीच व्यापारिक, फ़ौजी और सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती रहीं हैं। पहली सहस्राब्दी (यानि हज़ार साल) ईसापूर्व में चीन के हान राजवंश ने इस मार्ग को चीनी व्यापारियों और सैनिकों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए यहाँ पर सक्रीय जातियों के खिलाफ़ बहुत अभियान चलाए जिस से इस मार्ग का प्रयोग और विस्तृत हुआ। चीनी सम्राटों ने विशेषकर शियोंगनु लोगों के प्रभाव को कम करने के बहुत प्रयास किये।, Frances Wood, University of California Press, 2004, ISBN 978-0-520-24340-8,... 7 संबंधों: सुल्तान साओदात का महल तिरमिज़ (उज़बेक: Термиз, तेरमिज़; अंग्रेज़ी: Termez) मध्य एशिया के उज़बेकिस्तान देश के दक्षिणी भाग में स्थित सुरख़ानदरिया प्रान्त की राजधानी है। यह उज़बेकिस्तान की अफ़्ग़ानिस्तान के साथ सरहद के पास प्रसिद्ध आमू दरिया के किनारे बसा हुआ है। इसकी आबादी सन् २००५ में १,४०,४०४ थी। . नई!!: १४४ फ़ुट ऊंची एमीन मीनार अंगूर की लताओं से ढकी चलने की एक सड़क तुरफ़ान (अंग्रेज़ी: Turfan) या तुरपान (उईग़ुर:, अंग्रेज़ी: Turpan, चीनी: 吐魯番) चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रान्त के तुरफ़ान विभाग में स्थित एक ज़िले-स्तर का शहर है जो मध्य एशिया की प्रसिद्ध तुरफ़ान द्रोणी में स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) भी है। सन् २००३...

रेशमकीट पालन

अनुक्रम • 1 रेशम उद्योग की विशेषताएँ • 2 भारत में रेशम उत्पादन • 3 इन्हें भी देखें • 4 बाहरी कड़ियाँ रेशम उद्योग की विशेषताएँ [ ] • कृषि पर आधारित कुटीर उद्योग है। • ग्रामीण क्षेत्र में ही कम लागत में इस उद्योग में शीघ्र उत्पादन प्रारम्भ किया जा सकता है। • कृषि कार्य एवं अन्य घरेलू कार्यों के साथ-साथ इस उद्योग को अपनाया जा सकता है। • श्रम जनित होने के कारण इस उद्योग में विभिन्न स्तरों पर रोजगार सृजन की भरपूर संभावनायें निहित है, विशेषकर महिलाओं के खाली समय के सदुप्रयोग के साथ-साथ उन्हें स्वावलम्बी बनाने में सहायक है। • इस उद्योग को सुखोनमुख क्षेत्रों में भी सफलतापूर्व स्थापित करते हुए नियमत आय प्राप्त की जा सकती है। • पर्यावरण मित्र भारत में रेशम उत्पादन [ ] रेशम भारत के जीवन में रच बस गया है। हजारों वर्षों से यह भारतीय संस्‍कृति और परम्‍परा का अभिन्‍न अंग बन गया है। कोई भी अनुष्‍ठान रेशम के उपयोग के बिना पूरा नहीं होता है। रेशम उत्पादन में पिछले तीन दशकों से, भारत का रेशम उत्पादन धीरे-धीरे बढ़कर इन्हें भी देखें [ ] • बाहरी कड़ियाँ [ ] • • • • • • • • • • العربية • Asturianu • Azərbaycanca • Български • বাংলা • Català • Čeština • Deutsch • English • Esperanto • Español • Euskara • فارسی • Suomi • Français • Հայերեն • Bahasa Indonesia • Italiano • 日本語 • ქართული • Қазақша • 한국어 • Latina • മലയാളം • नेपाली • Polski • پنجابی • Português • Română • Русский • Srpskohrvatski / српскохрватски • Simple English • Slovenčina • Српски / srpski • தமிழ் • ไทย • Türkmençe • Türkçe • Татарча / tatarça • Українська • اردو • Oʻzbekcha / ўзбекча • Tiếng Việt • 中文 • 粵語

रेशमकीट पालन

अनुक्रम • 1 रेशम उद्योग की विशेषताएँ • 2 भारत में रेशम उत्पादन • 3 इन्हें भी देखें • 4 बाहरी कड़ियाँ रेशम उद्योग की विशेषताएँ [ ] • कृषि पर आधारित कुटीर उद्योग है। • ग्रामीण क्षेत्र में ही कम लागत में इस उद्योग में शीघ्र उत्पादन प्रारम्भ किया जा सकता है। • कृषि कार्य एवं अन्य घरेलू कार्यों के साथ-साथ इस उद्योग को अपनाया जा सकता है। • श्रम जनित होने के कारण इस उद्योग में विभिन्न स्तरों पर रोजगार सृजन की भरपूर संभावनायें निहित है, विशेषकर महिलाओं के खाली समय के सदुप्रयोग के साथ-साथ उन्हें स्वावलम्बी बनाने में सहायक है। • इस उद्योग को सुखोनमुख क्षेत्रों में भी सफलतापूर्व स्थापित करते हुए नियमत आय प्राप्त की जा सकती है। • पर्यावरण मित्र भारत में रेशम उत्पादन [ ] रेशम भारत के जीवन में रच बस गया है। हजारों वर्षों से यह भारतीय संस्‍कृति और परम्‍परा का अभिन्‍न अंग बन गया है। कोई भी अनुष्‍ठान रेशम के उपयोग के बिना पूरा नहीं होता है। रेशम उत्पादन में पिछले तीन दशकों से, भारत का रेशम उत्पादन धीरे-धीरे बढ़कर इन्हें भी देखें [ ] • बाहरी कड़ियाँ [ ] • • • • • • • • • • العربية • Asturianu • Azərbaycanca • Български • বাংলা • Català • Čeština • Deutsch • English • Esperanto • Español • Euskara • فارسی • Suomi • Français • Հայերեն • Bahasa Indonesia • Italiano • 日本語 • ქართული • Қазақша • 한국어 • Latina • മലയാളം • नेपाली • Polski • پنجابی • Português • Română • Русский • Srpskohrvatski / српскохрватски • Simple English • Slovenčina • Српски / srpski • தமிழ் • ไทย • Türkmençe • Türkçe • Татарча / tatarça • Українська • اردو • Oʻzbekcha / ўзбекча • Tiếng Việt • 中文 • 粵語

निश्चल तत्वं

एक आध्यात्मिक प्रक्रिया आपके भीतर से सारी पाशविक प्रवृत्तियों को नष्ट करने के लिए होती है, ताकि आपके भीतर दिव्यता के खिलने के लायक परिस्थितियां बन सकें। हो सकता है कि किसी इंसान को आध्यात्मिक प्रक्रिया की बीज का और उसकी अपनी कोशिशों का फल तत्काल दिखाई न दे। आपने देखा होगा कि बिना किसी कोशिश के उगे एक खर-पतवार में तो कुछ ही दिनों में फूल खिल जाता है, लेकिन यदि आप एक नारियल का पेड़ लगाते हैं तो आपको फल के लिए छह वर्षों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। हो सकता है किसी परेशानी के कारण आप अपने पथ से कुछ घंटे दूर हो जाएं, और फिर वापस उस पथ पर आ जाएं – तो उन चंद घंटों में ही आप अपने भाग्य के प्रवाह को असंतुलित कर देंगे। केवल एक मूर्ख व्यक्ति ही, जो जीवन के तौर-तरीकों से अनजान हो, चौथे साल में ही नारियल के पेड़ को उखाड़ फेंकेगा, यह सोच कर कि अब इस पेड़ पर कभी फल नहीं आने वाला। अगर आप सचमुच कुछ अर्थपूर्ण और महत्वपूर्ण पैदा करना चाहते हैं तो समय तो लगेगा। अगर बीज सही होगा और हमारी ओर से उसे उचित पोषण मिलेगा, तो फल निश्चित रूप से आएगा - इसमें कोई संदेह नहीं है। आध्यात्मिकता क्या है? ‘आध्यात्मिकता’ शब्द का अर्थ बहुत ही ज्यादा विकृत या कहें भ्रष्ट हो चुका है। इसका लाखों तरह से उपयोग व दुरुप्रयोग किया गया है, जो कि अधिकतर अज्ञानता तथा कई बार अनैतिकता के कारण होता है। इसी दुरुपयोग के चलते, लोगों के मन में इसे ले कर इतनी उलझन और शंका पैदा हो गई है कि लोग अब यहां तक सोचने लगे हैं कि आध्यात्मिकता वास्तव में किसी काम की है भी या नहीं? इसने अनिश्चितता का अजीब सा माहौल बना दिया है। अनेक सालों तक इस पथ पर चलने के बाद भी लोगों के मन में संदेह बने रहते हैं क्योंकि इससे बहुत सी भ्रांतियां और गलतफ़हमियां जुड़ ...

रेशम मार्ग क्यों प्रसिद्ध है? Resham marg kyon prasiddh hai?

सवाल: रेशम मार्ग क्यों प्रसिद्ध है? (1) सड़क परियोजना के कारण। (2) व्यापारिक और सांस्कृतिक मार्ग के कारण। (3) वायुयान मार्ग के कारण (4) इसमें से कोई नहीं उत्तर (2) एकदम सही उत्तर है क्योंकि हम जानते हैं रेशम मार्ग व्यापारिक और सांस्कृतिक आवाजाही के लिए सुगम मार्ग में से एक था जो कि एशिया यूरोप तथा अफ्रिका तक फैला हुआ था और उसका कुछ एक किस्सा भारत तक भी आता था।

रेशम मार्ग पर किसका अधिकार था? – ElegantAnswer.com

रेशम मार्ग पर किसका अधिकार था? इसे सुनेंरोकेंकेंद्रीय एशिया और उत्तर-पश्चिमी भारत पर कुषाण राजवंश का शासन करीब 2000 वर्ष पहले था। उस जमाने के अन्य राजाओं की तुलना में कुषाण राजाओं का रेशम मार्ग पर सबसे अच्छा नियंत्रण था। पेशावर और मथुरा उनकी सत्ता के दो अहम केंद्र थे। तक्षशिला भी इन्हीं के अधीन था। मंगोलों ने रेशम मार्ग से व्यापार आरंभ कब किया? इसे सुनेंरोकेंदो सौ साल ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी के बीच हन राजवंश के शासन काल में रेशम का व्यापार बढ़ा. प्राचीन काल में रेशम का मार्ग कौन था? इसे सुनेंरोकेंरेशम मार्ग प्राचीन काल और मध्यकाल में ऐतिहासिक व्यापारिक – सांस्कृतिक मर्गों का एक समूह था जिसके माध्यम से एशिया, यूरोप और अफ्रीका जुड़े हुए थे । इसका सबसे जाना – माना हिस्सा उत्तरी रेशम मार्ग है जो चीन से होकर पश्चिम की ओर पहले मध्य एशिया में और फिर यूरोप में जाता था और जिससे निकलती एक शाखा भारत की ओर जाती थी । २००० साल पहले रेशम मार्ग पर किसका नियंत्रण था? इसे सुनेंरोकेंकरीब 2000 साल पहले रोम के शासकों और धनी लोगों के बीच रेशमी कपड़े पहनना एक फ़ैशन बन गया। इसकी कीमत बहुत ही ज़्यादा होती थी। क्योंकि चीन से इसे लाने में दुर्गम पहाड़ी और रेगिस्तानी रास्तों से होकर जाना पड़ता था। यही नहीं, रास्ते के आस-पास रहने वाले लोग व्यापारियों से यात्रा-शुल्क भी माँगते थे। मंगोलों के लिए व्यापार इतना महत्वपूर्ण क्यों था? इसे सुनेंरोकेंमंगोलों के लिए व्यापार इतना महत्त्वपूर्ण क्यों था? उत्तर स्टेपी क्षेत्रों में संसाधनों की कमी के कारण मंगोलों और मध्य-एशियाई यायावरों को व्यापार और वस्तु-विनिमय के लिए उनके पड़ोसी चीनवासियों के पास जाना पड़ता था। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभकारी थी। प्रा...