रुद्राभिषेक कब करना चाहिए

  1. रुद्राभिषेक कब करना चाहिए 2022? – Expert
  2. जाने ओर समझें रुद्राभिषेक क्या हैं??
  3. रुद्राभिषेक कब करें । कब न करें ..
  4. रुद्राभिषेक पूजा क्या होता है? – ElegantAnswer.com
  5. रुद्राभिषेक से करें शिव को प्रसन्न
  6. सावन में रुद्राभिषेक करने के 18 लाभ
  7. रुद्राभिषेक कब कब करना चाहिए? – Expert


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रुद्राभिषेक कब करना चाहिए 2022? – Expert

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • रुद्राभिषेक कब करना चाहिए 2022? Rudrabhishek in Sawan 2022: 14 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत हो गई है। ये महीना धार्मिक दृष्टि से काफी खास माना जाता है। कहते हैं जो व्यक्ति इस माह में भगवान शिव की सच्चे मन से भक्ति करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। घर में रुद्राभिषेक कैसे किया जाता है? घर पर शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखें और भक्त पूर्व की तरफ मुख करके बैठें। अभिषेक श्रृंगी में गंगाजल से शुरू करें और फिर उसी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध आदि जितने भी तरल पदार्थ हैं उनसे अभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव का चंदन से लेप लगाएं और फिर उनके पान का पत्ता, सुपारी आदि सभी चीजें अर्पित करें। रुद्राभिषेक में कितना समय लगता है? रुद्राभिषेक में तीन से चार घंटे का वक्त लगता है। रुद्राभिषेक करने से क्या लाभ होता है? रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारी कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है। इस महीने में शिव वास कब कब है? प्रत्येक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी को शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं। महादेव जी प्रत्येक मास में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और अमावस्या को भी शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं। भगवान शिव प्रत्येक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और एकादशी को महादेव कैलाश पर वास करते हैं। क्या रुद्राभिषेक में हवन का विधान है? कर्म कांड के विद्वान अशोक उपाध्याय ने बताया कि र...

जाने ओर समझें रुद्राभिषेक क्या हैं??

देवाधिदेव भगवान् महादेव सर्वशक्तिमान हैं। भगवान भोलेनाथ ऐसे देव हैं जो थोड़ी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं | संहारक के तौर पर पूज्य भगवान शंकर बड़े दयालु हैं. उनके अभिषेक से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं| इसी प्रकार विभिन्न राशि के व्यक्तियों के लिए शास्त्र अलग-अलग ज्योर्तिलिंगों की पूजा का महत्व बताया गया है| भगवान शंकर के पृथ्वी पर 12 ज्योर्तिलिंग हैं. भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों को अपना अलग महत्व है| शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर के ये सभी ज्योजिर्लिंग प्राणियों को मृत्युलोक के दु:खों से मुक्ति दिलाने में मददगार है| इन सभी ज्योर्तिलिंगों को 12 राशियों से भी जोड़कर देखा जाता है | ज्योतिषी पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि हर राशि के मुताबिक भगवान की पूजा से जुड़ी एक खास वस्तु होती है. इससे ईश्वर जल्दी प्रसन्न होते हैं |जीवन में हर कोई किसी न किसी कारण से कभी न कभी, कोई न कोई पूजा-पाठ या अनुष्ठान अवश्य ही करता है। कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो सामान्य पूजा-पाठ के माध्यम से ही अपने अभीष्ट को प्राप्त कर लेते हैं किंतु कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो कठिन से कठिन अनुष्ठान करने के बाद भी मनोनुकूल सिद्धि को प्राप्त नहीं कर पाते। इसका कारण क्या है? कई बार यह भी होता है कि व्यक्ति किसी की सलाह पर उसे जो भी जिस देवता की पूजा करने के लिए कहता है, करना प्रारंभ कर देता है किंतु हमें अपने उद्देश्य की प्राप्ति नहीं होती। हताश व्यक्ति पूजा-पाठ अनुष्ठान आदि को ही ढकोसला बताने लगता है जबकि ऐसा कतई नहीं होता। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अपनी राशि के अनुसार ही देवी-देवताओं की पूजा करने से वांछित फल की प्राप्ति हो सकती है। कौन-सा व्यक्ति किस देवता की ...

रुद्राभिषेक कब करें । कब न करें ..

।। रुद्राभिषेक विषयक ज्ञातव्य सूचना ।। ( रुद्राभिषेक कब करें । कब न करें । ) रुद्राभिषेक के लिए भी कुछ उत्तम योग बनते हैं. ⚘आइए जानते हैं कि कौन सा समय रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे उत्तम होता है… – रुद्राभिषेक के लिए शिव जी की उपस्थिति देखना बहुत जरूरी है. – शिव जी का निवास देखे बिना कभी भी रुद्राभिषेक न करें, बुरा प्रभाव होता है. – शिव जी का निवास तभी देखें जब मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक करना हो. 🌲शिव जी का निवास कब मंगलकारी होता है? देवों के देव महादेव ब्रह्माण्ड में घूमते रहते हैं. महादेव कभी मां गौरी के साथ होते हैं तो कभी-कभी कैलाश पर विराजते हैं. ज्योतिषाचार्याओं की मानें तो रुद्राभिषेक तभी करना चाहिए जब शिव जी का निवास मंगलकारी हो… – हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी को शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं. – हर महीने कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और अमावस्या को भी शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं. – कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और एकादशी को महादेव कैलाश पर वास करते हैं. – शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि को भी महादेव कैलाश पर ही रहते हैं. – कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी को शिव जी नंदी पर सवार होकर पूरा विश्व भ्रमण करते हैं. – शुक्ल पक्ष की षष्ठी और तिथि को भी शिव जी विश्व भ्रमण पर होते हैं. – रुद्राभिषेक के लिए इन तिथियों में महादेव का निवास मंगलकारी होता है. शिव जी का निवास कब “”””अनिष्टकारी””” होता है? शिव आराधना का सबसे उत्तम तरीका है रुद्राभिषेक लेकिन रुद्राभिषेक करने से पहले शिव के अनिष्‍टकारी निवास का ध्यान रखना बहुत जरूरी है… – कृष्णपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भगवान शिव””” श्मशान “””में समाधि में रहते हैं. – शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और पूर्णिमा को ...

रुद्राभिषेक पूजा क्या होता है? – ElegantAnswer.com

रुद्राभिषेक पूजा क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंरूद्र और शिव पर्यायवाची शब्द हैं, रूद्र शिव का प्रचंड रूप है. शिव कि कृपा से समस्त ग्रह बाधाओं का, समस्त समस्याओं का नाश होता है. शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए शिवलिंग पर मन्त्रों के साथ विशेष वस्तुएं अर्पित की जाती हैं , इस पद्धति को रुद्राभिषेक कहा जाता है. मंदिर में रुद्राभिषेक कैसे करें? इसे सुनेंरोकेंअभिषेक के लिए श्रृंगी में सबसे पहले गंगाजल डालें और अभिषेक शुरू करें फिर उसी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध अर्थात पंचामृत समेत जितने भी तरल पदार्थ हैं, उनसे शिवलिंग का अभिषेक करें। – ध्यान रखें कि भगवान शिव का अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र, ओम नम: शिवाय या फिर रुद्रामंत्र का जप करते रहें। शिवलिंग पर क्या चढ़ाने से क्या फल मिलता है? इसे सुनेंरोकेंघी- शिवलिंग पर घी चढ़ाने से हमें तेज की प्राप्ति होती है। शक्कर- शिवलिंग पर शक्कर चढ़ाने से सुख – समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। ईत्र- शिवलिंग पर ईत्र चढ़ाने से धर्म की प्राप्ति होती हैं। सुगंधित तेल- शिवलिंग पर सुगंधित तेल चढ़ाने से धन धान्य की वृद्धि होती है। शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कैसे करें? इसे सुनेंरोकेंशिवलिंग पर प्राण-प्रतिष्ठा करना हमेशा से ही वर्जित माना गया है। शिव स्थापना में नंदी जी की मूर्ति शिव की और मुख किये हुए स्थापित करना अत्यावश्यक है तथा शिव के दाहनी और त्रिशूल का स्थापित करें। उसके साथ साथ अन्य शिवप्रिय वस्तुओं का समावेश अवश्य करें। रुद्राभिषेक करने से क्या क्या लाभ होते हैं? तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है।• पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान ...

रुद्राभिषेक से करें शिव को प्रसन्न

शिव और रुद्र एक ही हैं, शिव को ही रुद्र की संज्ञा दी गयी है। भगवान शिव कल्याणकारी देवता हैं उनकी पूजा से सारे मनोरथ पूरे होते हैं भारतीय वैदिक शास्त्रों में भगवान शिव पूजन के अनेक विधान बताए गए है, उसमें से अभिषेक भी एक विधान है। और पढ़ें: रुद्राभिषेक के फायदें (Benefits of Rudrabhishek in Hindi) रूद्र का अर्थ है- ‘शिव’ और अभिषेक का अर्थ है ‘स्नान’ (Bath) करना अथवा कराना। अतः रूद्राभिषेक का शाब्दिक अर्थ हुआ शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल व प्रभावी तरीका है। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद में रुद्र अभिषेक की महिमा बताई गयी है। “रुद्राभिषेक से समस्त पाप धुल जाते है”- वेद कहते हैं कि हमारे दुखों का कारण हमारे पाप हैं और रुद्र अभिषेक से वो सारे पाप धुल जाते हैं और शिव का आशीर्वाद मिल जाता है। और पढ़ें: यजुर्वेद में बताये गये विधि से रुद्राभिषेक करना अत्यन्त लाभकारी है परंतु जो लोग विधि विधान से शिव अभिषेक नहीं कर सकते वे लोग ‘ॐ नमः शिवाय’का जाप करते हुए भी शिव अभिषेक का पूरा लाभ ले सकते हैं। किस वस्तु के अभिषेक से क्या फल मिलता है? (Rudrabhishek Pooja vidhi in Hindi) हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिये रुद्राभिषेक के पूजन के निमित अनेक द्रव्यों व अनेक पूजन सामग्री को बताया गया है। जैसी कामना और जैसा प्रयोग करना अभीष्ट हो, तदनुसार ही इनको काम में लिया जाता है- जल- वर्षा कुशा- असाध्य रोगों से शांति गन्ने का रस- धन लाभ शहद- धन लाभ घी- धन लाभ, वंश विस्तार इत्र- रोग शान्ति दूध- आरोग्य, संतान सुख, दीर्घायु गंगाजल– मनोवांछित, मोक्ष शहद- शत्रु विजय, रोग शांत शक्कर- पुत्र प्राप्ति साधरणतः अभिषेक जल (गंगाजल मिश्रि...

सावन में रुद्राभिषेक करने के 18 लाभ

rudrabhishek ke fayde in hindi : 14 जुलाई 2022 से श्रावण मास प्रारंभ हो गया है। सावन माह में सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि या मासिक शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करना चाहिए। रुद्राभिषेक 18 प्रकार का होता है और इससे 18 तरह के ही लाभ मिलते हैं। विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है। आओ जानते हैं इस संबंध में विशेष जानकारी। श्रावण मास में मंत्र, गोदुग्ध या अन्य दूध मिलाकर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सबको मिलाकर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। रुद्राभिषेक का फल बहुत ही शीघ्र प्राप्त होता है। कालसर्प योग, गृहक्लेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यों की बाधाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है।

रुद्राभिषेक कब कब करना चाहिए? – Expert

Table of Contents • • • • • • • • • • • • रुद्राभिषेक कब कब करना चाहिए? प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, अमावस्या तथा शुक्लपक्ष की द्वितीया व नवमी के दिन भगवान शिव माता गौरी के साथ होते हैं, इस तिथिमें रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि उपलब्ध होती है। रुद्राभिषेक में कितना समय लगता है? रुद्राभिषेक में तीन से चार घंटे का वक्त लगता है। रुद्राभिषेक क्यों किया जाता है? रूद्राभिषेक द्वारा भक्त भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हुए उन्हें प्रसन्न करते है। भगवान शिव को भोलेभंडारी के नाम से भी जाना जाता है और ये अपने भक्तो से जल्दी प्रसन्न हो जाते है। मनुष्य जिस भी उद्देश्य से रूद्राभिषेक करता है, वह पूर्ण होता है। रूद्राभिषेक करने से आपको सुख-शांति, खुशी, धन और सफलता मिलती है। घर में रुद्राभिषेक कैसे करें? घर पर शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखें और भक्त पूर्व की तरफ मुख करके बैठें। अभिषेक श्रृंगी में गंगाजल से शुरू करें और फिर उसी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध आदि जितने भी तरल पदार्थ हैं उनसे अभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव का चंदन से लेप लगाएं और फिर उनके पान का पत्ता, सुपारी आदि सभी चीजें अर्पित करें। क्या रुद्राभिषेक में हवन का विधान है? कर्म कांड के विद्वान अशोक उपाध्याय ने बताया कि रुद्राभिषेक के एक पाठ से बाल ग्रहों की शांति, तीन पाठ से उपद्रव की शांति, पांच से ग्रह शांति तथा सात से महा भय की शांति, नौ से सर्वविध शांति मिलती है। इसी प्रकार हवन करने से विभिन्न कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। READ: अप्रैल 2022 में छठ पूजा कब है? रुद्राभिषेक किस चीज से करने से क्या फल मिलता है? तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीम...