Rupak alankar ke udaharan

  1. रूपक अलंकार किसे कहते हैं? » Rupak Alankar Kise Kehte Hain
  2. अनुप्रास अलंकार के 50 उदाहरण विवरण सहित हिंदी में
  3. अलंकार व त्याचे प्रकार आणि उदाहरण
  4. अलंकार उदाहरण
  5. यमक अलंकार के उदाहरण 30 उदाहरण समजुती के साथ


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रूपक अलंकार किसे कहते हैं? » Rupak Alankar Kise Kehte Hain

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। रूपक अलंकार रूपक अलंकार हम उसे कहेंगे जिसमें आपका उप में उपमान की दो चीज होती है जिसकी तुलना की जा रही है और जिस से तुलना की जा रही है तू यदि दोनों में अंतर ना रहे दोनों को समतुल्य कह दिया जाए दोनों को बराबर ही काहे दिया जाए कहां पर हो अलंकार होता है rupak alankar rupak alankar hum use kahenge jisme aapka up mein upaman ki do cheez hoti hai jiski tulna ki ja rahi hai aur jis se tulna ki ja rahi hai tu yadi dono mein antar na rahe dono ko samatulya keh diya jaaye dono ko barabar hi kaahe diya jaaye kahaan par ho alankar hota hai रूपक अलंकार रूपक अलंकार हम उसे कहेंगे जिसमें आपका उप में उपमान की दो चीज होती है जिसकी तुल

अनुप्रास अलंकार के 50 उदाहरण विवरण सहित हिंदी में

Contents • • • • • • • • • • • • • • • • अनुप्रास अलंकार के उदाहरण Anupras alankar ke udaharan निचे मुजब हैं उदाहरण 1 कालिंदी कूल कदम्ब की डरनी जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की क वर्ण की आवृति हो रही है, मतलब की हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन का एक से अधिक बार प्रयोग होता है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। उदाहरण 2 कर कानन कुंडल मोर पखा, उर पे बनमाल बिराजति है। इस काव्य पंक्ति में “क” वर्ण की 3 बार और “व” वर्ण की दो बार आवृति होने से यह अनुप्रास अलंकार का उदाहरण हैं। उदाहरण 3 मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज वेश का उजियाला। ऊपर दिए गए उदाहरण में म वर्ण का बार बार प्रयोग होने की वजह से यह अनुप्रास अलंकार का उदाहरण हैं। उदाहण 4 कल कानन कुंडल मोरपखा उर पा बनमाल बिराजती है। ऊपर दिए गए उदहारण में सुरु के तीन शब्दों की शुरुआत क वर्ण से हो रही है मतलब की यह अनुप्रास अलंकार का उदाहर है। • उदाहरण 5 सुरभित सुंदर सुखद सुमन तुम पर खिलते हैं। ऊपर दिए गए उदाहरण में स शब्द का प्रयोग बार बार किया गया है मतलब यह अनुप्रास अलंकार हैं। उदाहरण 6 कायर क्रूर कपूत कुचली यूँ ही मर जाते हैं। ऊपर दिए गए उदाहरण में शुरू के चार शब्दों में क वर्ण की आवृति हो रही है, मतलब की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। उदाहरण 7 चारु चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल-थल में। ऊपर दिए गए उदाहरण में च वर्ण का बार बार उपयोग हो रहा है और इससे वाक्य सुनने में और सुन्दर लग रहा है। उदाहरण 8 तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये यहां पर त वर्ण की आवृत्ति बार-बार आ रही है इसलिए यहां पर अनुप्रास अलंकार का उपयोग हुआ है। उदा...

अलंकार व त्याचे प्रकार आणि उदाहरण

1. शब्दालंकार | Shabdalankar in Marathi शब्दालंकारात शब्दांतील अक्षर रचनेमुळे नाद निर्माण होऊन भाषेला शोभायेते. शब्दालंकाराचे प्रकार (तीन) - (अ) अनुप्रास (ब) यमक (क) श्लेषे (अ) अनुप्रास अंलकार | Anupras Alankar In Marathi एखाद्या वाक्यात किंवा कवितेच्या चरणात एकाच अक्षराची पुनरावृत्ती होऊन त्यातील नादामुळे जेव्हा त्याला सौंदर्य प्राप्त होते तेव्हा ' अनुप्रास' हा अंलकार होतो. उदा (1) वालिश, बहु, बायकांत, बुड बडला (2) आज गोकुळात रंग खेळतो हरी। राधिके जरा जपुन जा तुझ्या घरी। (3) गडद निळे गडद निळे जलत भरुनी आले. शितल अन्‌ चपल चरण अनिल गण निघाले. (4) पेटविले पाषाण पठारवरती शिवंबांनी। गळ्यामध्ये गरीबाच्या गाजे संतांची वाणी। (5) मन मोहिनी तुझा मोहक मोहरा मनातून माझ्या मावळेना। Read (ब) यमक अंलकार | Yamak Alankar In Marathi कवितेच्या चरणाच्या शेवटी मध्ये अथवा ठराविक ठिकाणी एक किंवा अनेक अक्षरे वेगळ्या अर्थाने पुन्हा आल्यास यमक हा अलंकार होतो. उदा. (1) सुसंगती सदा घ डो , सुजन वाक्‍य कानी प डो। कंलक मतिचा झ डो, विषय सर्वता नाव डो।। (2) जाणावा तो ज्ञानी। पुर्ण समाधानी। निःसंदेह मनी। सर्वकाळ ।। (क) श्लेष अंलकार | Shlesh Alankar In Marathi एकच शब्द वाक्यात किंवा काव्य पंक्तीस दोन अर्थांनी वापरल्या गेल्यास जी शब्द चिमत्कृती साधली जाते तेव्हा श्लेष अंलकार होतो. उदा. (1) मित्राच्या उदयाने कोणला आनंद होत नाही? येथे मित्र या शब्दाचे दोन अर्थ (मित्र सूर्य) (2) जरी वास नसे तिळ यांस, तरी तुम्हांस अर्पिली सुमने। (फुले, चांगली मने,) 2. अर्थालंकार | Arthalankar In Marathi वापरलेल्या शब्दाच्या अर्थामुळे जेव्हा भाषेला सौंदर्य प्राप्त होते, त्यावेळी अर्थांलकार होतो. 1. उपमा अंलकार | Upma Alankar In ...

अलंकार उदाहरण

• शब्दालंकार • अर्थालंकार • उभयालंकार 1. शब्दालंकार– जहाँ काव्य में चमत्कार का आधार केवल शब्द हो वहाँ शब्दालंकार होता है। इसके अंतर्गत अनुप्रास, श्लेष,यमक, वक्रोक्ति आदि अलंकार आते हैं। 2. अर्थालंकार– जहाँ पर अर्थ के माध्यम से काव्य में सुन्दरता का होना पाया जाय, वहाँ अर्थालंकार होता है। इसके अंतर्गत उपमा,रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिश्योक्ति आदि अलंकार आते हैं। 3. उभयालंकार– जहाँ शब्द और अर्थ दोनों में चमत्कार निहित होता है, वहाँ उभयालंकार होता है। उदा. “मेखलाकार पर्वत अपार, अपने सहस्त्र दृग सुमन फाड़।।” इन पंक्तियों में मानवीकरण और रूपक दोनों अलंकार होने से यह उभयालंकार उदाहरण है। अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar) जहाँ एक ही वर्ण बार – बार दोहराया जाए, अर्थात वर्णों की आवृति हो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। उदा. ” चारु- चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल- थल में”। • अनुप्रास अलंकार के कितने भेद होते है ? • अनुप्रास अलंकार के पांच भेद हैं 1. छेकानुप्रास अलंकार:- जहाँ स्वरूप और क्रम से अनेक व्यंजनों की आवृति एक बार हो, वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है। उदा. “बगरे बीथिन में भ्रमर, भरे अजब अनुराग। कुसुमित कुंजन में भ्रमर, भरे अजब अनुराग।।” 2. वृत्यानुप्रास अलंकार:- जहाँ एक व्यंजन की आवृति अनेक बार हो वहाँ वृत्यानुप्रास अलंकार होता है। उदा. “चामर- सी ,चन्दन – सी, चंद – सी, चाँदनी चमेली चारु चंद- सुघर है।” 3. लाटानुप्रास अलंकार:- जब एक शब्द या वाक्य खंड की आवृति उसी अर्थ में हो वहाँ लाटानुप्रास अलंकार होता है। उदा. “रामभजन जो करत नहिं, भव- बंधन- भय ताहि। रामभजन जो करत नहिं, भव-बंधन-भय ताहि।।” 4. अन्त्यानुप्रास अलंकार:- जहाँ अंत में तुक मिलती हो, वहाँ अन्त्यानुप्तास अलंकार होता है। उद...

यमक अलंकार के उदाहरण 30 उदाहरण समजुती के साथ

yamak alankar ke udaharan जहां एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आये। लेकिन हर बार अर्थ अलग अलग हों। वहां यमक अलंकार होता है। तो चलो यमक अलंकार के उदाहरण जानते हैं। यमक अलंकार के उदाहरण उदाहरण 1 कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पाए बौराय।। ऊपर दिए गए उदाहरण में, कनक शब्द दो बार आ रहा है। और अर्थ अलग अलग है। उदाहरण 2 भजन कह्यौ ताते भज्यौ, भज्यौ न एको बार। दूरि भजन जाते कह्यौ,सो तू भज्यौ गँवार। । इस यमक अलंकार उदाहरण में भज्यौ शब्द दो बार है। उदहारण 3 जिसकी समानता किसी ने कभी पाई नहीं। पाई के नहीं हैं अब वे ही लाल माई के। इस उदाहरण में पाई शब्द दो बार आया है इसलिए यह यमक अलंकार का उदाहरण है। जिसके अर्थ अलग अलग है। उदाहरण 4 किसी सोच में हो विभोर साँसें कुछ ठंडी खिंची। फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों आँखें मिंची।। यहां पे दिया शब्द दो बार आया हुआ है। पढ़े : उदाहरण 5 माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डारि दै मन का मनका फेर।। उदाहरण 5 में मनका शब्द दो बार आया हुआ है इसलिए यह यमक अलंकार का उदाहरण है। उदहारण 6 ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहन वारी। ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाती है।। ऊपर दिए गए उदाहरण में मंदर और अंदर शब्द दो दो बार है। उदाहरण 7 तोपर वारौं उर बसी, सुन राधिके सुजान। तू मोहन के उर बसी वै उरबसी समान। ऊपर दिए गए उदाहरण में उरबसी शब्द तीन बार आया हुआ है। उदाहरण 8 बरजीते सर मैन के, ऐसे देखे मैं न हरिनी के नैनान ते हरिनी के ये नैन। इस उदाहरण में हरिनी शब्द दो बार आया हुआ है। जिसके अलग अलग अर्थ है। उदाहरण 9 केकी रव की नुपुर ध्वनि सुन, जगती जगती की मूक प्यास। ऊपर के उदाहरण में जगती शब्द दो बार है। उदाहरण 10 भर गया जी हनीफ़ जी जी कर, थक गए दिल के चाक सी ...