संकटमोचन हनुमानाष्टक पाठ

  1. संकटमोचन हनुमानाष्टक Sankat Mochan Hanuman Ashtak Hindi Lyrics
  2. [PDF] हनुमान अष्टक
  3. हनुमान चालीसा संकट मोचन बजरंग बाण PDF Hindi – InstaPDF
  4. हनुमान अष्टक हिंदी अर्थ सहित
  5. Sankatmochan Hanuman Ashtak: संकटमोचन हनुमानाष्टक, हर विपत्ति और संकट दूर करेंगे बजरंगबली
  6. हनुमान अष्टक का पाठ करें
  7. संकटमोचन पाठ श्री हनुमानाष्टक स्तोत्र


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संकटमोचन हनुमानाष्टक Sankat Mochan Hanuman Ashtak Hindi Lyrics

Sankat Mochan Hanuman Ashtak Hindi Lyrics. संकटमोचन हनुमानाष्टक is the prayer of Lord Anjaneya written by Tulsidas. संकटमोचन हनुमानाष्टक मत्तगयन्द छन्द बाल समय रबि भक्षि लियो तब तीनहुँ लोक भयो अँधियारो। ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो। देवन आनि करी बिनती तब छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो। को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥१॥ बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो। चौंकि महा मुनि साप दियो तब चाहिय कौन बिचार बिचारो। कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो। को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥२॥ अंगद के सँग लेन गये सिय खोज कपीस यह बैन उचारो। जीवत ना बचिहौ हम सो जु बिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो। हेरि थके तट सिंधु सबै तब लाय सिया-सुधि प्रान उबारो। को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥३॥ रावन त्रास दई सिय को सब राक्षसि सों कहि सोक निवारो। ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाय महा रजनीचर मारो। चाहत सीय असोक सों आगि सु दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो। को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥४॥ बान लग्यो उर लछिमन के तब प्रान तजे सुत रावन मारो। लै गृह बैद्य सुषेन समेत तबै गिरि द्रोन सु बीर उपारो। आनि सजीवन हाथ दई तब लछिमन के तुम प्रान उबारो। को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥५॥ रावन जुद्ध अजान कियो तब नाग कि फाँस सबै सिर डारो। श्रीरघुनाथ समेत सबै दल मोह भयो यह संकट भारो। आनि खगेस तबै हनुमान जु बंधन काटि सुत्रास निवारो। को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥६॥ बंधु समेत जबै अहिरावन लै रघुनाथ पताल सिधारो। देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो। जाय सहाय भयो तब ही अहिरावन सैन्य...

[PDF] हनुमान अष्टक

हनुमान अष्टक लिरिक्स अर्थ सहित बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारो । ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ॥ देवन आन करि बिनती तब, छांड़ि दियो रबि कष्ट निवारो । को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 1 ॥ अर्थ —हे हनुमान जी आपने अपने बाल्यावस्था मेंसूर्यको निगल लिया था जिससे तीनों लोक में अंधकार फ़ैल गया और सारे संसार में भय व्याप्त हो गया। इस संकट का किसी के पास कोई समाधान नहीं था। तब देवताओं ने आपसे प्रार्थना की और आपने सूर्य को छोड़ दिया और इस प्रकार सबके प्राणों की रक्षा हुई। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता। बालि की त्रास कपीस बसै गिरि,जात महाप्रभु पंथ निहारो । चौंकि महा मुनि शाप दिया तब,चाहिय कौन बिचार बिचारो ॥ के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु,सो तुम दास के शोक निवारो । को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥2॥ अर्थ —बालि के डर से सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहते थे। एक दिन सुग्रीव ने जब राम लक्ष्मण को वहां से जाते देखा तो उन्हें बालि का भेजा हुआ योद्धा समझ कर भयभीत हो गए। तब हे हनुमान जी आपने ही ब्राह्मण का वेश बनाकर प्रभु श्रीराम का भेद जाना और सुग्रीव से उनकी मित्रता कराई। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता। अंगद के संग लेन गये सिय,खोज कपीस यह बैन उचारो । जीवत ना बचिहौ हम सो जु,बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो ॥ हेरि थके तट सिंधु सबै तब,लाय सिया-सुधि प्राण उबारो । को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥3॥ अर्थ —जब सुग्रीव ने आपको अंगद, जामवंत आदि के साथ सीता की खोज में भेजा तब उन्होंने कहा कि जो भी बिना सीता का पता लगाए यहाँ आएगा उसे मैं प्राणदंड दूंगा। जब सारे वानर सीता को ढ...

हनुमान चालीसा संकट मोचन बजरंग बाण PDF Hindi – InstaPDF

हनुमान चालीसा संकट मोचन बजरंग बाण PDF Hindi हनुमान चालीसा संकट मोचन बजरंग बाण Hindi PDF Download Download PDF of हनुमान चालीसा संकट मोचन बजरंग बाण in Hindi from the link available below in the article, Hindi हनुमान चालीसा संकट मोचन बजरंग बाण PDF free or read online using the direct link given at the bottom of content. हनुमान चालीसा संकट मोचन बजरंग बाण Hindi हनुमान चालीसा संकट मोचन बजरंग बाण हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप हनुमान चालीसा संकट मोचन बजरंग बाण हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं हनुमान चालीसा संकट मोचन बजरंग बाण के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक। हनुमान चालीसा भगवान हनुमान जी की स्तुति में एक हिंदू भक्ति भजन है। यह तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में लिखा गया था, और रामचरितमानस के अलावा उनका सबसे प्रसिद्ध पाठ है। अवधी के अलावा, हनुमान चालीसा संस्कृत, कन्नड़, तेलुगु, तमिल और गुजराती सहित विभिन्न भाषाओं में भी उपलब्ध है। हनुमान चालीसा का जाप करके, भगवान राम का आशीर्वाद भी लिया जा सकता है, जो हनुमान को अपना सबसे करीबी दोस्त मानते हैं । जो हनुमान चालीसा गाता है वह ज्ञान प्राप्त कर सकता है क्योंकि भगवान हनुमान उच्च विद्वान हैं। चालीस श्लोकों का जाप करके भगवान हनुमान की भलाई को आत्मसात किया जा सकता है। हनुमान चालीसा में 40 श्लोक हैं (शुरुआत में और अंत में दोहे को छोड़कर)। वैसे तो शास्त्रों में हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए नियम का वर्णन किया गया है। इसके अनुसार हनुमान चालीसा को मंगलवार या शनिवार के दिन शुरू करना चाहिए और अगले 40 दिन तक इसका नियमित पाठ करना च...

हनुमान अष्टक हिंदी अर्थ सहित

संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ बजरंगबली के भक्तों में अत्यंत लोकप्रिय होने के साथ साथ उतना ही प्रभावशाली भी है। हनुमान जी भगवान माता अंजनी के प्रार्थना करने पर ऋषि ने कहा कि मेरा शाप तो विफल नहीं हो सकता पर जब भी बजरंगबली को कोई उनकी शक्तियों की याद दिलाएगा, तो वे अपने वास्तविक स्वरूप और शक्ति के साथ कठिन से कठिन कार्य को भी सिद्ध कर देंगे। संकटमोचन हनुमान अष्टक ( Sankat Mochan Hanuman Ashtak ) में हनुमान जी के ही किये हुए कार्यों का वर्णन है जिसे सुनकर वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर प्रकार के संकटों से रक्षा करते हैं। Hanuman Ashtak In Hindi || संकटमोचन हनुमान अष्टक || बाल समय रबि भक्षि लियो तब तीनहूँ लोक भयो अँधियारो | ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो || देवन आनि करी बिनती तब छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो | को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो || 1 || अर्थ – हे हनुमान जी आपने अपने बाल्यावस्था में सूर्य को निगल लिया था जिससे तीनों लोक में अंधकार फ़ैल गया और सारे संसार में भय व्याप्त हो गया। इस संकट का किसी के पास कोई समाधान नहीं था। तब देवताओं ने आपसे प्रार्थना की और आपने सूर्य को छोड़ दिया और इस प्रकार सबके प्राणों की रक्षा हुई। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता। बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो | चौंकि महा मुनि साप दियो तब चाहिय कौन बिचार बिचारो || कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो | को० – 2 || अर्थ – बालि के डर से सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहते थे। एक दिन सुग्रीव ने जब राम लक्ष्मण को वहां से जाते देखा तो उन्हें बालि का भेजा हुआ योद्धा समझ कर भयभीत हो गए। तब हे हनुमान जी आपने ही ...

Sankatmochan Hanuman Ashtak: संकटमोचन हनुमानाष्टक, हर विपत्ति और संकट दूर करेंगे बजरंगबली

Sankatmochan Hanuman Ashtak: संकटमोचन हनुमानाष्टक का प्रारंभ बाल समय रबि भक्षि लियो तब…से होता है. संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं, वे अपने भक्त की सभी संकटों से रक्षा करते हैं. पंडित वशिष्ठ उपाध्याय कहते हैं कि आपके जीवन में कोई बड़ा संकट आ गया है, जिससे आप पार नहीं पा रहे हैं. उससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है, तो फिर आप संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करें. संकटमोचन पवनपुत्र हनुमान जी आपके उस संकट को दूर कर देंगे, जीवन की हर विपत्ति एवं बाधा दूर हो जाएगी. अपने प्रभु श्रीराम के सभी संकटों को पल में दूर कर देने वाले रुद्रावतार बजरंगबली अपने भक्तों को कैसे निराश कर सकते हैं. संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ मंगलवार को केसरीनंदन की पूजा करने के बाद करें. संकटमोचन हनुमानाष्टक इसे भी जानें: संकटमोचन हनुमानाष्टक बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारो। ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो॥ देवन आन करि बिनती तब, छांड़ि दियो रबि कष्ट निवारो। को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो॥ बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो। कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो। को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो॥ अंगद के संग लेन गये सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो। जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाय इहां पगु धारो॥ हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सिया-सुधि प्राण उबारो। को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो॥ रावन त्रास दई सिय को सब, राक्षसि सों कहि शोक निवारो। ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो॥ चाहत सीय अशोक सो आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो। को नहिं जानत है जग मे...

हनुमान अष्टक का पाठ करें

हनुमान अष्टक का पाठ प्रतिदिन नियम से करना अवश्य ही श्री हनुमान का अनुग्रह दिलाता है। पढ़ें यह मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला अद्भुत स्तोत्र– बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तीनहुँ लोक भयो अँधियारो। ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सो जात न टारो॥ देवन आनि करी विनती तब, छांड़ि दियो रवि कष्ट निवारो। को नहिं जानत है जगमें, कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥१॥ बालि की त्रास कपीस बसै, गिरिजात महाप्रभु पंथ निहारो। चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिए कौन विचार विचारो। कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारों को नहिं जानत है जगमें, कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥२॥ खोज कपीस यह बैन उचारो। जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो। हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सिया-सुधि प्राण उबारो। को नहिं जानत है जगमें, कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥३॥ रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसि सों कहि सोक निवारो। ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रंजनीचर मारो। चाहत सीय अशोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो। को नहिं जानत है जगमें, कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥४॥ बाण लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावण मारो। लै गृह वैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोन सुबीर उपारो। आनि संजीवनि हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्राण उबारो। को नहिं जानत है जगमें, कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥५॥ रावण युद्ध अजान कियो तब, नाग की फांस सबै सिर डारो। श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो। आनि खगेस तबै हनुमान जु, बन्धन काटि सुत्रास निवारो। को नहिं जानत है जगमें, कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥६॥ बंधु समेत जबै अहिरावण, लै रघुनाथ पाताल सिधारो। देवहिं पूजि भली विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो। जाय सहाय भयो तबही, अहिरावण सैन्य समे...

संकटमोचन पाठ श्री हनुमानाष्टक स्तोत्र

को नाहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।। को 01 ।। बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो। चौंकि महा मुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो । कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो ।। को 02 ।। अगंद के संग लेन गये सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो । जीवत ना बचि हौ हम सो जु, बिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो । हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सिया-सुधि प्रान उबरो ।। को03 ।। रावन त्रास दई सिय को सब, राक्षस सों कहि सोक निवारो। ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जय महा रजनीचर मारो । चाहत सीय अशोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो ।। को04 ।। बाण लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावन मारो। लै गृह वैद्य सुषेण समेत, तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो । आनि सजीवन हाथ दई तब, लक्ष्मण के तुम प्रान उबारो ।। को 05 ।। रावन जुद्ध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर डारो । श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो। आनि खगेंस तबै हनुमान जु, बन्धन काटि सुत्रास निवारो। बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो ।। को 06 ।। देविहिं पूज भली विधि सों, बलि देव सबै मिलि मंत्र बिचारो। जाय सहाय भयें तब ही, बीर महाप्रभु देखि बिचारो। कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसों नहिं जात है टारो। बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कहु संकट होय हमारो ।। को 07 ।। ।। दोहा ।। कहते है गोस्वामी तुलती दास जी जब रामायण लिख रहे थे तभी उन्होंने इस संकटमोचन हनुमानाष्टक की संरचना की थी| और यह भी माना जाता है यदि हनुमान जयंती शुभ अवसर में संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ किया जाए तो व्यक्ति को अपनी हर बाधा एवं पीड़ा से मुक्ति मिलती है | अन्य पढने योग्य – अन्य पढने योग्य – प्रसिद्द श्री हनुमान अष्टक लिरिक्स – Sankat...