सांप्रदायिक गवळणी

  1. भगत सिंह: सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज
  2. sampradayik in English
  3. भारत में सांप्रदायिकता पर निबंध
  4. सांप्रदायिक निर्णय, पूनापैक्ट और गांधीजी का हरिजनोद्धार आंदोलन »
  5. सांप्रदायिकता : अर्थ और परिभाषा Communalism Meaning and Definition
  6. श्री राम जी के भजन लिरिक्स
  7. सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज


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भगत सिंह: सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज

भारत वर्ष की दशा इस समय बड़ी दयनीय है. एक धर्म के अनुयायी दूसरे धर्म के अनुयायियों के जानी दुश्मन हैं. अब तो एक धर्म का होना ही दूसरे धर्म का कट्टर शत्रु होना है. यदि इस बात का अभी यकीन न हो तो लाहौर के ताजा दंगे ही देख लें. किस प्रकार मुसलमानों ने निर्दोष सिखों, हिंदुओं को मारा है और किस प्रकार सिखों ने भी वश चलते कोई कसर नहीं छोड़ी है. यह मार-काट इसलिए नहीं की गई कि फलां आदमी दोषी है, वरन इसलिए कि फलां आदमी हिंदू है या सिख है या मुसलमान है. बस किसी व्यक्ति का सिख या हिंदू होना मुसलमानों द्वारा मारे जाने के लिए काफी था और इसी तरह किसी व्यक्ति का मुसलमान होना ही उसकी जान लेने के लिए पर्याप्त तर्क था. जब स्थिति ऐसी हो तो हिंदुस्तान का ईश्वर ही मालिक है. कोई विरला ही हिंदू, मुसलमान या सिख होता है, जो अपना दिमाग ठंडा रखता है, बाकी सब के सब अपने नामलेवा धर्म के रौब को कायम रखने के लिए डंडे लाठियां, तलवारें-छुरे हाथ में पकड़ लेते हैं और आपस में सिर फोड़-फोड़कर मर जाते हैं. बाकी कुछ तो फांसी चढ़ जाते हैं और कुछ जेलों में फेंक दिए जाते हैं. इतना रक्तपात होने पर इन ‘धर्मजनों’ पर अंग्रेजी सरकार का डंडा बरसता है और फिर इनके दिमाग का कीड़ा ठिकाने आ जाता है. यहां तक देखा गया है, इन दंगों के पीछे सांप्रदायिक नेताओं और अखबारों का हाथ है. इस समय हिंदुस्तान के नेताओं ने ऐसी लीद की है कि चुप ही भली. वही नेता जिन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने का बीड़ा अपने सिरों पर उठाया हुआ था और जो ‘समान राष्ट्रीयता’ और ‘स्वराज-स्वराज’ के दमगजे मारते नहीं थकते थे, वही या तो अपने सिर छिपाए चुपचाप बैठे हैं या इसी धर्मांधता के बहाव में बह चले हैं. सिर छिपाकर बैठने वालों की संख्या भी क्या कम है? लेकिन ऐसे नेता जो सांप...

sampradayik in English

1. Communal amity was , of course , not the only factor . वैसे , सांप्रदायिक सौहार्द ही इसकी वजह नहीं थी . 2. Communal amity was , of course , not the only factor . वैसे , सांप्रदायिक सौहार्द ही इसकी वजह नहीं थी . 3. Even the language question has become communal . यहां तक कि भाषा का सवाल भी सांप्रदायिक बन गया है . 4. IV Religion , Culture and Communal Politics 4 धर्म , संसऋ-ऊण्श्छ्ष्-ऋति और सांप्रदायिक राजनीइत 5. In 1926 , there was much of inter-communal tensions and strifes in India . वर्ष 1926 में भारत ने भारी सांप्रदायिक तनाव और कलह झेला था . 6. How do these ' communal demands meet the needs of the masses ? ये सांप्रदायिक मांगें कहां तक जनता की जरूरतों को पूरा करती हैं . 7. The leaders of these organizations are patently and intensely communal . इन संस्थाओं के नेता खुल्लमखुल्ला और कट्टर सांप्रदायिक हैं . 8. * I ask only one question from the leaders of communal organisations . मैं सांप्रदायिक संस्थाओं के लीडरों से सिर्फ एक सवाल पूछता हूं . 9. It is the fear complex that we have to deal with in these communal problems . सांप्रदायिक समस्याओं में हमें डरने की इसी मनोवृत्ति से निपटना है . 10. We have not even learnt to distinguish between a communal riot and a pogrom . हम अभी तक सांप्रदायिक दंगे और नरसंहार में अंतर करना नहीं सीख पाए हैं . More sentences:1

भारत में सांप्रदायिकता पर निबंध

Hindi Essay Writing भारत में सांप्रदायिकता (Communalism in India) इस लेख में हम भारत में सांप्रदायिकता पर निबंध लिखेंगे | सांप्रदायिकता क्या हैं , भारत में सांप्रदायिकता का इतिहास, सांप्रदायिकता के प्रकार , भारत में सांप्रदायिकता का कारण के बारे में विस्तार से जानेगे | सांप्रदायिकता दुनिया में भारत को सबसे ज्यादा संगठित और एकता वाला देश माना जाता है। भारत का संविधान ही एकता और अखंडता का संदेश देता है। अंग्रेजी शब्द “ unity in diversity” भारत की रूपरेखा को सही तरह व्यक्त करता है लेकिन आजादी के पहले से लेकर अभी तक कुछ विशेष कारणों से भारत की एकता को आघात हुआ है। इन कारणों में सबसे बड़ा और गंभीर कारण “ communalism अर्थात् सांप्रदायिकता ” है। वैसे अगर देखा जाए तो सांप्रदायिकता भारत की ही नही वरन् पूरे दक्षिण एशिया की सबसे गम्भीर समस्याओं में से एक है। इस लेख में हम भारत में सांप्रदायिकता का इतिहास, कारण और सरकार के दृष्टिकोण और प्रतिक्रियाओं की बात करेंगे। संकेत सूची (content) • • • • • • प्रस्तावना भारत एक धर्म कर्म प्रधान देश है और यहां धर्म, रीति-रिवाजों और संस्कार का बड़ा महत्व है। भारत जैसे धार्मिक देश में “धर्म” वास्तव में एक बहुत ही ज्यादा संवेदनशील मुद्दा बन जाता है। भारत में काफी लंबे समय से राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए धर्म की आड़ ली जा रही है। बड़े बड़े राजनेता धर्म की आग में अपनी सत्ता की रोटी सेकते हैं। भारत के एक जाने माने लेखक और विद्वान श्री राम अहूजा के अनुसार सांप्रदायिकता की निम्न परिभाषा है – “ एक समुदाय के सदस्यों द्वारा दूसरे समुदाय और धर्म के लोगों के खिलाफ किए गए विरोध को सांप्रदायिकता कहा जा सकता है” पश्चिमी देशों में सांप्रदायिकता को “सरकार ...

सांप्रदायिक निर्णय, पूनापैक्ट और गांधीजी का हरिजनोद्धार आंदोलन »

Table of Contents • • • सांप्रदायिक निर्णय (कम्युनल अवार्ड) सांप्रदायिक निर्णय’ (कम्युनल अवार्ड) की घोषणा की। इसके अनुसार प्रत्येक अल्पसंख्यक समुदाय के लिए विधानमंडलों में कुछ सीटें सुरक्षित की गई थीं, जिनके लिए सदस्यों का चुनाव पृथक् निर्वाचनमंडलों से होना था, अर्थात् मुसलमान सिर्फ मुसलमान को और सिख केवल सिख को ही वोट दे सकते थे। सांप्रदायिक निर्णय में अल्पसख्यकों के साथ-साथ अछूत वर्ग को भी अलग प्रतिनिधित्व देने की व्यवस्था की गई थी। अछूत वर्ग के मतदाताओं को सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों तथा विशेष निर्वाचन क्षेत्रों, दोनों जगह मतदान का अधिकार दिया गया था। यह व्यवस्था बीस वर्षों के लिए थी। बंबई प्रांत में सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में से सात स्थान मराठों के लिए आरक्षित किये गये थे। इस प्रकार ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने सांप्रदायिक निर्णय के द्वारा धर्म के आधार पर मुसलमानों के लिए और जाति के आधार पर अछूतों के लिए पृथक् निर्वाचन की व्यवस्था की। यह सांप्रदायिक निर्णय 1909 के भारतीय शासन-विधान में निहित सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत पर आधारित था। पूना समझौता सांप्रदायिक निर्णय (कम्युनल अवार्ड) के समय गांधीजी यरवदा जेल में थे। उन्होंने सांप्रदायिक निर्णय को राष्ट्रीय एकता एवं भारतीय राष्ट्रवाद पर हमला बताया। उनका कहना था कि यह हिंदुओं एवं अछूतों, दोनों के लिए खतरनाक है। गांधी का मानना था कि अछूतों की सामाजिक हालत सुधारने के लिए इसमें कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। एक बार यदि पिछड़े एवं अछूत वर्ग को पृथक् समुदाय का दर्जा प्रदान कर दिया गया, तो अस्पृश्यता को दूर करने का मुद्दा पीछे छूट जायेगा और हिंदू समाज में सुधार की प्रक्रिया अवरुद्ध हो जायेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पृथक् निर्व...

सांप्रदायिकता : अर्थ और परिभाषा Communalism Meaning and Definition

सांप्रदायिकता : अर्थ और परिभाषा : Communalism: Meaning and Definition सांप्रदायिकता शब्द आज जिस अर्थ में और संदर्भ में प्रयुक्त होता है उस अर्थ में ये प्रारंभ में प्रयुक्त नहीं होता था। विशेषतः भारत में ये शब्द आज जिस अर्थ का प्रतिनिधित्व करता है उस अर्थ में या संदर्भ में पहले प्रयुक्त नहीं था। सांप्रदायिकता यह शब्द अंग्रेजी शब्द Communalism का अनुवाद है। कम्युलनिज्म यह शब्द मूलतः Commune से बना है जिसका कोशगत अर्थ है यूरोप के किसी देश का सबसे छोटा जिला अथवा ऐसा जनसमूह जो समान कानून के अंतर्गत रहता हो। आगे चलकर इसी शब्द से Communalism और Communism ये शब्द बने। कम्युनिज्म का कोशगत अर्थ है“ऐसा समाज जो समान तत्वों के आधार पर एकत्र रहता है।“1 आधुनिक कोशों में इसका अर्थ ‘जाति विषयक भावना’ अथवा‘जातिवाद’ दिया है। वास्तव में इस प्रकार के समाज की कल्पना प्लेटों ने की थी। 16वीं शताब्दी के पश्चात विद्वान थामस मोरेस ने इसे Utpla कहा जिसके अंतर्गत ईसाई सभ्यवादी समाज के राज्य का उससे वर्णन किया है। किंतु आज के संदर्भ में सांप्रदायिकता अथवा जमातवाद का अर्थ देखना जरूरी है। इसकी कई परिभाषाएं विद्वानों ने प्रस्तुत की है। i. सांप्रदायिकता एक विचार प्रणाली है। ii. सांप्रदायिकता एक मिथ्या समझ या विचार है। iii. आज के सीमित संसाधनों में अधिक से अधिक हिस्सा पाने के लिए किया जाने वाला संघर्ष है। iv. सत्ताधारी पक्ष की वर्गीय राजनीति का यह एक हथियार है।“2 डॉ. विलफ्रेड स्मिथ के अनुसार “ सांप्रदायिकता अथवा जमातवाद एक ऐसी विचार प्रणाली है जिसमें अलग-अलग धर्म मानने वाले समाज समूह के स्वरूप को उनके धर्म के आधार पर ही स्वतंत्र-सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक गुट के रूप में प्रस्तुत करने का जोरों से प्रयास किय...

श्री राम जी के भजन लिरिक्स

• • मन में राम बसाले भजन लिरिक्स • नगरी हो अयोध्या सी रघुकुल सा घराना हो लिरिक्स • राम को देख कर के जनक नंदनी लिरिक्स • जिसके ह्रदय में राम नाम बंद है लिरिक्स • भजन बिना तन राख की ढेर है लिरिक्स • भरत चले चित्रकूट हो रामा राम को मनाने लिरिक्स • बजरंगी लाये खबरिया राम आये नगरिया लिरिक्स • मुझे पल पल हर पल याद प्रभु की आती है लिरिक्स • मै कहाँ बिठाऊ राम कुटिया छोटी छोटी सी लिरिक्स • मेरे राम लला का डेरा है लिरिक्स • जिसके ह्रदय में राम नाम बंद है उसको हर घडी आनंद ही आनद है लिरिक्स • राम नाम के हीरे मोती मै बिखराऊ गली गली लिरिक्स • सीता राम सीता राम कहिये जाहि विधि राखे राम लिरिक्स • कही राम लिख दिया कही श्याम लिख दिया है • ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो • राम नाम सुखदाई भजन कर भाई ये जीवन दो दिन का लिरिक्स • बोल पींजरे का तोता राम हरे राम राधेश्याम सियाराम रे लिरिक्स • तीन बार भोजन भजन इक बार राम तेरी माला जपी ना इक बार लिरिक्स • कोई राम का दीवाना तो बनो लिरिक्स • माँ अंजनी के लाल कलयुग कर दियो निहाल लिरिक्स • भाभी मांगे देवर लक्ष्मण की तरह लिरिक्स • राम नाम अति मीठा है लिरिक्स • श्री राम से कह देना इक बात अकेले में लिरिक्स • रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया लिरिक्स • हे रामचन्द्र कह गए सिया से लिरिक्स • राम जैसा नगीना नहीं सारे जग की बजरिया में लिरिक्स • प्रभु मुझ अनाथ पर दया कीजिये लिरिक्स • जन्मो से भटकी हुयी नाव को लिरिक्स • हर घर भगवा छाएगा लिरिक्स • मेरे भारत का बच्चा बच्चा जय जय श्री राम बोलेगा लिरिक्स • प्रभु मुझ अनाथ पर दया किजिये लिरिक्स • रामजी की निकली सवारी लिरिक्स • मेरे रामजी भगवान जी लिरिक्स • राम नाम के हीरे मोती मैं बिखराऊँ गली गली लिरिक...

सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज

सांप्रदायिक दंगों की जड़ खोजें तो हमें इसका कारण आर्थिक ही जान पड़ता है. विश्व में जो भी काम होता है, उसकी तह में पेट का सवाल ज़रूर होता है. ( जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) के बाद ब्रिटिश सरकार ने सांप्रदायिक दंगों का ख़ूब प्रचार शुरू किया. इसके परिणामस्वरूप 1924 में कोहाट (अब पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत का एक जिला है) में हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए. इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर सांप्रदायिक दंगों पर लंबी बहस चली. इन्हें समाप्त करने की ज़रूरत तो सबने महसूस की, लेकिन कांग्रेसी नेताओं ने हिंदू-मुस्लिम नेताओं में सुलहनामा लिखाकर दंगों को रोकने के यत्न किए. इस समस्या के निश्चित हल के लिए क्रांतिकारी आंदोलन ने अपने विचार प्रस्तुत किए. भगत सिंह का यह लेख जून, 1928 में ‘किरती’ नाम के अख़बार में छपा था.) भारतवर्ष की दशा इस समय बड़ी दयनीय है. एक धर्म के अनुयायी दूसरे धर्म के अनुयायियों के जानी दुश्मन हैं. अब तो एक धर्म का होना ही दूसरे धर्म का कट्टर शत्रु होना है. यदि इस बात का अभी यक़ीन न हो तो लाहौर के ताज़ा दंगे ही देख लें. किस प्रकार मुसलमानों ने निर्दोष सिखों, हिंदुओं को मारा है और किस प्रकार सिखों ने भी वश चलते कोई कसर नहीं छोड़ी है. यह मार-काट इसलिए नहीं की गई कि फलां आदमी दोषी है, वरन इसलिए कि फलां आदमी हिंदू है या सिख है या मुसलमान है. बस किसी व्यक्ति का सिख या हिंदू होना मुसलमानों द्वारा मारे जाने के लिए काफ़ी था और इसी तरह किसी व्यक्ति का मुसलमान होना ही उसकी जान लेने के लिए पर्याप्त तर्क था. जब स्थिति ऐसी हो तो हिंदुस्तान का ईश्वर ही मालिक है. ऐसी स्थिति में हिंदुस्तान का भविष्य बहुत अंधकारमय नजर आता है. इन ‘धर्मों’ ने हिंदुस्तान का बेड़ा गर्क़ कर दिया है. और अभी पता नहीं...