साइकिल किस राजनीतिक दल का चुनाव चिन्ह

  1. जब्त हो सकता है सपा का चुनाव चिन्ह ‘साइकिल', EC करेगा
  2. चुनाव चिन्ह साइकिल की ताज़ा ख़बर, ब्रेकिंग न्यूज़ In Hindi
  3. साइकिल चुनाव चिन्ह है 'अपशगुन', बार
  4. भारत की राजनीतिक पार्टियों के चुनाव चिन्ह की जानकारी
  5. UP Nagar Nikay Chunav 2022 : State Election Commission allots election Party symbol to unrecognised Party ATUP
  6. क्यों एक राजनीतिक दल का चुनाव चिन्ह महज़ प्रतीकात्मक होने से कुछ ज़्यादा है


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जब्त हो सकता है सपा का चुनाव चिन्ह ‘साइकिल', EC करेगा

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चुनाव चिन्ह साइकिल की ताज़ा ख़बर, ब्रेकिंग न्यूज़ In Hindi

UP Assembly Elections 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाजवादी पार्टी पर परोक्ष हमला करते हुए रविवार को कहा कि 2014-2017 के बीच 'परिवारवादियों' ने उन्हें उत्तर प्रदेश की जनता के लिए काम नहीं करने दिया. हरदोई में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हरदोई के लोग 10 मार्च को भाजपा की बंपर जीत के साथ पहली होली मनाएंगे. • क्या ‘साइकिल’ चुनाव चिन्ह मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव फिर से चुनावी रेस में आगे आ सकते हैं? क्या उनके ऊपर अपने पिता मुलायम सिंह यादव की पार्टी और उनके चुनाव चिन्ह पर कब्जा कर लेने का आरोप उन्हें नुकसान पहुंचाएगा? और क्या अब अखिलेश एक भावनात्मक अपील करते हुए अपने पिता से यह कहेंगे कि पार्टी तो मुलायम की ही है, और तीन महीने बाद – फिर से सत्ता हासिल करके – वे (मुलायम) ही फिर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे? • आने वाले दिनों ने यदि प्रतिद्वंद्वी खेमों ने सपा के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ पर अपना-अपना दावा किया तो विधानसभा चुनाव से पहले उस पर रोक लगने की पूरी आशंका है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले एक समूह ने जरूरत के मुताबिक उन्हें पहले ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और विभिन्न प्रादेशिक ईकाइयों के गठन का अधिकार दे दिया है और इनकी सूचना शीघ्र चुनाव आयोग को भी देनी है. •

साइकिल चुनाव चिन्ह है 'अपशगुन', बार

लखनऊ से हैदराबाद की दूरी करीब 1400 किलोमीटर है. सड़क रूट से जाएं तो 20 घंटे का वक्त लगता है. इस दूरी को समय में आंके तो यह दो दशक कहलाएगा. संयोग देखिए रविवार को लखनऊ में राजनीति का वही रंग दिखा जो दो दशक पहले हैदराबाद में दिखा था. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिस तरह से रविवार को पिता मुलायम सिंह यादव का तख्तापलट कर समाजवादी पार्टी पर एकाधिकार कर लिया, कुछ इसी तरह चंद्रबाबू नायडू ने 1995 में अपने ससुर एनटी रामाराव से पार्टी की कमान छीनी थी. इन दोनोंं राजनीतिक घटनाओंं में सबसे दिलचस्प समानता यह है कि एनटी रामाराव जिस तेलुगू देशम पार्टी के सर्वेसर्वा थे, उसका चुनाव चिन्ह भी साइकिल ही है और समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह भी साइकिल ही है. सपा-तेलुगू देशम में कलह की वजह पारिवारिक झगड़ा इमरजेंसी और उसके बाद के दौर में युवा कांग्रेस के तेज-तर्रार नेता चंद्रबाबू में संभावनाएं देखकर ही रामराव ने उनसे बेटी का विवाह किया था. उस दौर में चंद्रबाबू नायडू और राजशेखर रेड्डी दोनों दोस्त हुआ करते थे. (2004 में नायडू को हराकर राजशेखर रेड्डी कांग्रेस के मुख्यमंत्री बन और फिर 2009 भी जीते, जिनकी हेलिकॉप्टर हादसे में असमय मौत के बाद आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के सितारे भी डूब गए). रामराव ने 1980 के दशक में तेलुगु गरिमा को भुनाने के लिए पार्टी बनाई तो नायडू ही उसके असली सांगठनिक सूत्रधार बने. इस वजह से रामराव की सेहत बिगड़ने के बाद नायडू उन्हें अलग करके भी पार्टी को अपने साथ लेकर चल पाए. एनटी रामाराव का फिल्मी कैरियर समाप्त हो गया था और वे पूरी तरह से राजनीति में आने के बाद 1983 में पहली बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. वे तीन बार मुख्यमंत्री रहे. 1985 में उनकी पहली पत्नी का कैंसर से देहावसा...

भारत की राजनीतिक पार्टियों के चुनाव चिन्ह की जानकारी

FILE भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) : कमल का फूल डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी द्वारा 1951 में स्थापित भारतीय जनसंघ ही वर्तमान की भाजपा है। उस समय भारतीय जनसंघ का चुनाव चिह्न 'दीपक' हुआ करता था। 1977 में भारतीय जनसंघ को जनता पार्टी कहा जाने लगा और उसका चुनाव चिह्न 'हलधर किसान' हो गया। इसी पार्टी का स्वरूप 1980 में भाजपा हो गया, जिसका चुनाव चिह्न कमल का फूल निर्धारित किया गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (भाराकां) : पंजा 1885 में कांग्रेस का निशान था, हल के साथ दो बैल, उसके बाद चुनाव चिह्न बदल कर गाय-बछड़ा हुआ। वर्तमान में कांग्रेस के चुनाव चिह्न 'पंजा' का सबसे पहले इंदिरा गांधी ने इस्तेमाल किया था। इंदिरा जी ने पार्टी को नई शक्ति का संचार किया और नई कांग्रेस बनाई। उनका मानना था कि हाथ का पंजा शक्ति, ऊर्जा और एकता का प्रतीक है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) : हाथी चुनाव आयोग द्वारा स्वीकृत, बाईं ओर देखता हुआ हाथी बसपा का चुनाव चिह्न है। पार्टी, असम और सिक्किम के अलावा देशभर में इसी चुनाव चिह्न से चुनाव लड़ती है। हालाँकि वर्तमान में इन दोनों राज्यों में बसपा का कोई दखल नहीं है इसलिए असम और सिक्किम के लिए पार्टी का चुनाव चिह्न अभी निर्धारित नहीं किए गए हैं। बसपा का चुनाव चिह्न 'हाथी', शारीरिक शक्ति और इच्छाशक्ति का द्योतक है। यह एक विशालकाय पशु है और आमतौर पर शांत रहता है। इस चुनाव चिह्न के विषय में मानना है कि 'बहुजन समाज' या समाज के दलित वर्गों की विशाल जनसंख्या। यह न केवल समाज का बड़ा हिस्सा है, बल्कि इसका यह भी संकेत है कि निचली जातियाँ और अप्लसंख्यक वर्ग शारीरिक व मानसिक रूप से सुदृढ़ होते हैं और मुश्किल से मुश्किल स्थितियों में संषर्घ कर सकते हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ...

UP Nagar Nikay Chunav 2022 : State Election Commission allots election Party symbol to unrecognised Party ATUP

UP Nagar Nikay Chunav 2022 : State Election Commission allots election Party symbol to unrecognised Party ATUP | यूपी नगर निकाय चुनाव में दलों और निर्दलीयों को बंटे चुनाव चिन्ह, जानें किसको क्या सिंबल मिला | Hindi News, उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव यूपी नगर निकाय चुनाव में दलों और निर्दलीयों को बंटे चुनाव चिन्ह, जानें किसको क्या सिंबल मिला उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव 2022 के लिए शंखनाद शुरू हो गया है. राज्य निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश की ओर से गैर मान्यता प्राप्त और निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए चुनाव चिन्ह जारी कर दिए गए हैं. गैर मान्यता प्राप्त दलों के लिए स्टेट इलेक्शन कमीशन की ओर से 197 चुनाव चिन्ह जारी किए गए हैं.जबकि निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए 42 इलेक्शन सिंबल बांटे गए हैं. मान्यता प्राप्त दलों में ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा, शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी और अपना दल शामिल नहीं हैं. Election News: शादी-ब्याह की खरीदारी कर रहें तो सावधान, कैश कहीं मुसीबत में न डाल दे अगर ये पार्टियां चुनाव मैदान में उतरती भी हैं, तो उन्हें अलग-अळग चुनाव चिन्ह दिया जाएगा. उत्तर प्रदेश में 18 मान्यताप्राप्त राजनीतिक दल हैं, उनका सिंबल वही रहेगा. बीजेपी (कमल), कांग्रेस (हाथ का पंजा), समाजवादी पार्टी(साइकिल), बसपा (हाथी) जैसे दलों का चुनाव चिन्ह वही रहेगा. बीजेपी, सपा समेत बड़े दलों ने इस बार नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत चुनाव अपने पार्टी सिंबल पर लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं. नगर निगम-नगर पालिका चुनाव में नोटा का इस्तेमाल होगा, नगर निकाय चुनाव की तैयारी तेज गैर मान्यता प्राप्त दलों के लिए कैरम बोट, सीसीटी, कंप्यूटर, डिश एंटीना, अदरक, ग्रामोफोन, कटहल, टेलीफोन, चप...

क्यों एक राजनीतिक दल का चुनाव चिन्ह महज़ प्रतीकात्मक होने से कुछ ज़्यादा है

किसी भी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल का चुनाव चिन्ह, हालांकि सार में बहुत प्रतीकात्मक लग सकता है, लेकिन या तब महत्वपूर्ण हो गया जब हाल के दिनों में शिवसेना समूह के एक गुट को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने अपने आदेश के तहत चुनाव चिन्ह दे दिया। महाराष्ट्र के पूर्व-मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग केंद्र का "गुलाम" है और उन "चोरों" को खत्म करने की कसम खाई है जिन्हें मूल शिवसेना का नाम और धनुष और तीर का चिन्ह दिया गया है। इससे पहले, 2012 में, उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के फैसले की तीखी आलोचना हुई थी, जब उसने सार्वजनिक पार्कों में हाथियों की मूर्तियों को ढंकने का आदेश दिया था- हाथी बहुजन समाज पार्टी का चुनाव चिन्ह है। चिन्हों ने बड़े हिस्से की आलोचना और व्यंग्य को आकर्षित किया और अक्सर उन्हे राजनीतिक मुद्दों को नाटकीय बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में 1820 के दशक में, डेमोक्रेटिक पार्टी के चिन्ह गधे का इस्तेमाल, राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार एंड्रयू जैक्सन को संयुक्त राज्य अमेरिका के बैंक से फेडरल डीपोजिट को हटाने के लिए उनकी नीतियों पर व्यंग कसने के लिए "जैक-एस" के रूप में किया गया था। हालांकि राजनीतिक दल संसदीय लोकतंत्र का एक अभिन्न हिस्सा हैं, भारत के संविधान में दसवीं अनुसूची को छोड़कर उन राजनीतिक दलों के गठन और कामकाज के बारे में कुछ नहीं बताया गया है, जो पार्टियों के दल-बदल से संबंधित है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए) 1951 का भाग IV ए, ईसीआई द्वारा किसी पार्टी के पंजीकरण, धन उगाहने और खातों की रिपोर्टिंग से संबंधित है। संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपनी पूर्ण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, ईसीआई ने चुना...