सारे जहाँ से अच्छा किसने लिखा

  1. [PDF] सारे जहाँ से अच्छा
  2. [Solved] प्रसिद्ध गीत 'सारे जहाँ से अच्छा' की रचना कि
  3. सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा
  4. सारे जहाँ से अच्छा
  5. LyricsIndia: सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोसतां हमारा
  6. सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा’ गीत किसने लिखा? Doubt Answers
  7. सारे जहाँ से अच्छा
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  10. [Solved] प्रसिद्ध गीत 'सारे जहाँ से अच्छा' की रचना कि


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[PDF] सारे जहाँ से अच्छा

सारे जहाँ से अच्छा Hindi Lyrics सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा। हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा ।। ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में। समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।। सारे… परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का। वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा।। सारे… गोदी में खेलती हैं, उसकी हज़ारों नदियाँ। गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा।। सारे…. ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको। उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।। सारे… मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना। हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे… यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से। अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।। सारे… कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे… ‘इक़बाल’ कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में। मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा।। सारे… टिप्पणी सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा। यह हमारा चमन है और हम इसमें रहने वाली बुलबुल हैं।। अगर हम परदेस (ग़ुरबत) में हों, हमारा दिल वतन में ही होता है। समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।। हमारे हिमालय का परबत आसमान का पड़ोसी (हमसाया) है। वो हमारा संतरी और पहरेदार (पासबाँ) है।। इसकी गोदी में हज़ारों नदियाँ खेलती हैं। उनके सींचे इस चमन से स्वर्ग (जिनाँ) भी ईर्ष्या (रश्क) करता है।। ऐ गंगा की नदी (रूद) के पानी (आब)! वो दिन है याद तुझको। उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।। धर्म आपस में द्वेष रखना नहीं सिखाता। हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। यूनान और मिस्र और रोम, सब मिट गए हैं। अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।। कुछ बात है कि हमारा अस्तित्व (हस्ती) नहीं मिटता। हालांकि ज...

[Solved] प्रसिद्ध गीत 'सारे जहाँ से अच्छा' की रचना कि

सही उत्तर है मोहम्मदइकबाल। • मोहम्मदइकबाल ने मशहूर गीत सारे जहाँ से अच्छा की रचना की।​ Key Points • कविता 16 अगस्त 1904 को साप्ताहिक पत्रिका इत्तेहाद में प्रकाशित हुई थी। • इस गीत मूल शीर्षक 'तराना-ए-हिंद’ था। • इस गीत में, कवि अपने देश के लिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है और वह अपने देश भारत का हिंद और हिंदुस्तान के रूप में वर्णन करता है। Additional Information • मोहम्मदइकबाल एक कवि, दार्शनिक, वकील और अकादमिक विद्वान थे, जिन्हें ' अल्लामा' की उपाधि से सम्मानित किया गया था, जो कि एक विद्वान, ज्ञानी पुरुष थे। • उन्हें पाकिस्तान के आध्यात्मिक पिता के रूप में माना जाता है क्योंकि दो-राष्ट्र सिद्धांत उनके भाषण के आधार पर तैयार किया गया था।

सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा

आज़ाद हो या भगत सबने दिया एक ही नारा है। सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है।। बिछ गए जो नींव में, दीवार के नीचे गड़े हैं, महल अपने शहीदों की छातियों पर ही खड़े हैं। नींव के पत्थर तुम्हें सौगंध अपनी दे रहे हैं, महके चमन गुलजार हो ,बस यही प्रण हमारा है। सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है।। वाद पर प्रतिवाद की संघर्ष पुकार गढ़ रहे हैं, जननी जन्म भूमिश्च का प्रमाण दे रहे हैं । हर कदम बस एक प्रण, प्राण को दे रहे हैं हम बनेंगे औरों को बनाएँगे, अब यही सदा हमें फ़िज़ाओं में महकना है। सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है।। जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान का नारा, विश्व के कोने-कोने में,कर्मप्रधान हो पहुँचाना है। त्याग,बलिदान और शांति के आभूषण से तिरंगे को लहराना है.... सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है।। हम ही हैं इक्कीसवीं सदी के, ध्रुव या बलराम हों , हमें ही माँ भारती के चरणों को पखारना है। सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है।। सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है।। रवि शुक्ल ‘प्रहृष्ट’ - हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है। आपकी रचनात्मकता को अमर उजाला काव्य देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए

सारे जहाँ से अच्छा

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा। हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा।। ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में। समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।। सारे... परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का। वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा।। सारे... गोदी में खेलती हैं, उसकी हज़ारों नदियाँ। गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा।। सारे.... ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको। उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।। सारे... मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना। हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे... यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से। अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।। सारे... कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे... 'इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में। मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा।। सारे... पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ बाहरी कड़ियाँ संबंधित लेख

LyricsIndia: सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोसतां हमारा

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा हम बुलबुले हैं इसकी, वो गुलसितां हमारा गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा, सारे ... पर्वत हो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का वो संतरी हमारा, वो पासवां हमारा, सारे ... गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियां गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनां हमारा सारे ... ऐ आब-ए-रौंद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको उतरा तेरे किनारे, जब कारवां हमारा, सारे ... मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्तां हमारा, सारे ... यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गए जहाँ से अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशां हमारा, सारे ... कुछ बात है की हस्ती, मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा, सारे ... 'इक़बाल' कोई मरहूम, अपना नहीं जहाँ में मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहां हमारा, सारे ... Lyrics: saare jahaa.N se achchhaa, hindostaa.n hamaaraa ham bulabule hai.n isakii, vo gulasitaa.n hamaaraa gurabat me.n ho.n agar ham, rahataa hai dil vatan me.n samajho vahii.n hame.n bhii, dil ho jahaa.N hamaaraa, saare ... parvat ho sabase uu.Nchaa, hamasaayaa aasamaa.N kaa vo sa.ntarii hamaaraa, vo paasavaa.n hamaaraa, saare ... godii me.n khelatii hai.n, jisakii hazaaro.n nadiyaa.n gulashan hai jisake dam se, rashk-e-jinaa.n hamaaraa saare ... ai aab-e-rau.nd-e-ga.ngaa! vo din hai yaad tujhako utaraa tere kinaare, jab kaaravaa.n hamaaraa, saare ... majahab nahii.n sikhaataa, aapas me.n bair rakhanaa hindii hai.n ham vatan hai.n, hindostaa.n hamaaraa, saare ... yuunaan, misr, romaa.n, sab miT gae jahaa.N se ab tak magar...

सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा’ गीत किसने लिखा? Doubt Answers

1 year ago सारे जहाँ से अच्छा या तराना-ए-हिन्दी उर्दू भाषा में लिखी गई देशप्रेम की एक ग़ज़ल है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश राज के विरोध का प्रतीक बनी और जिसे आज भी देश-भक्ति के गीत के रूप में भारत में गाया जाता है। इसे अनौपचारिक रूप से भारत के राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्राप्त है। इस गीत को प्रसिद्ध शायर मुहम्मद इक़बाल ने १९०५ में लिखा था और सबसे पहले सरकारी कालेज, लाहौर में पढ़कर सुनाया था। यह इक़बाल की रचना बंग-ए-दारा में शामिल है। उस समय इक़बाल लाहौर के सरकारी कालेज में व्याख्याता थे। उन्हें लाला हरदयाल ने एक सम्मेलन की अध्यक्षता करने का निमंत्रण दिया। Disclaimer अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी

सारे जहाँ से अच्छा

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा। हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा।। ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में। समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।। सारे... परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का। वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा।। सारे... गोदी में खेलती हैं, उसकी हज़ारों नदियाँ। गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा।। सारे.... ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको। उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।। सारे... मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना। हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे... यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से। अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।। सारे... कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे... 'इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में। मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा।। सारे... पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ बाहरी कड़ियाँ संबंधित लेख

सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा’ गीत किसने लिखा? Doubt Answers

1 year ago सारे जहाँ से अच्छा या तराना-ए-हिन्दी उर्दू भाषा में लिखी गई देशप्रेम की एक ग़ज़ल है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश राज के विरोध का प्रतीक बनी और जिसे आज भी देश-भक्ति के गीत के रूप में भारत में गाया जाता है। इसे अनौपचारिक रूप से भारत के राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्राप्त है। इस गीत को प्रसिद्ध शायर मुहम्मद इक़बाल ने १९०५ में लिखा था और सबसे पहले सरकारी कालेज, लाहौर में पढ़कर सुनाया था। यह इक़बाल की रचना बंग-ए-दारा में शामिल है। उस समय इक़बाल लाहौर के सरकारी कालेज में व्याख्याता थे। उन्हें लाला हरदयाल ने एक सम्मेलन की अध्यक्षता करने का निमंत्रण दिया। Disclaimer अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी

[PDF] सारे जहाँ से अच्छा

सारे जहाँ से अच्छा Hindi Lyrics सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा। हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा ।। ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में। समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।। सारे… परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का। वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा।। सारे… गोदी में खेलती हैं, उसकी हज़ारों नदियाँ। गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा।। सारे…. ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको। उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।। सारे… मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना। हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे… यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से। अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।। सारे… कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे… ‘इक़बाल’ कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में। मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा।। सारे… टिप्पणी सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा। यह हमारा चमन है और हम इसमें रहने वाली बुलबुल हैं।। अगर हम परदेस (ग़ुरबत) में हों, हमारा दिल वतन में ही होता है। समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।। हमारे हिमालय का परबत आसमान का पड़ोसी (हमसाया) है। वो हमारा संतरी और पहरेदार (पासबाँ) है।। इसकी गोदी में हज़ारों नदियाँ खेलती हैं। उनके सींचे इस चमन से स्वर्ग (जिनाँ) भी ईर्ष्या (रश्क) करता है।। ऐ गंगा की नदी (रूद) के पानी (आब)! वो दिन है याद तुझको। उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।। धर्म आपस में द्वेष रखना नहीं सिखाता। हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। यूनान और मिस्र और रोम, सब मिट गए हैं। अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।। कुछ बात है कि हमारा अस्तित्व (हस्ती) नहीं मिटता। हालांकि ज...

[Solved] प्रसिद्ध गीत 'सारे जहाँ से अच्छा' की रचना कि

सही उत्तर है मोहम्मदइकबाल। • मोहम्मदइकबाल ने मशहूर गीत सारे जहाँ से अच्छा की रचना की।​ Key Points • कविता 16 अगस्त 1904 को साप्ताहिक पत्रिका इत्तेहाद में प्रकाशित हुई थी। • इस गीत मूल शीर्षक 'तराना-ए-हिंद’ था। • इस गीत में, कवि अपने देश के लिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है और वह अपने देश भारत का हिंद और हिंदुस्तान के रूप में वर्णन करता है। Additional Information • मोहम्मदइकबाल एक कवि, दार्शनिक, वकील और अकादमिक विद्वान थे, जिन्हें ' अल्लामा' की उपाधि से सम्मानित किया गया था, जो कि एक विद्वान, ज्ञानी पुरुष थे। • उन्हें पाकिस्तान के आध्यात्मिक पिता के रूप में माना जाता है क्योंकि दो-राष्ट्र सिद्धांत उनके भाषण के आधार पर तैयार किया गया था।