सावित्रीबाई फुले जयंती फोटो

  1. Savitribai Phule Jayanti 2022: सावित्रीबाई फुले जयंती आज, भारत की पहली महिला शिक्षिका को दी लोगों ने श्रद्धांजलि
  2. Savitribai Phule Punyatithi 2023 Inspirational Quotes: सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर उनके ये प्रेरणादायक विचार शेयर कर उन्हें याद करें
  3. "क्रांतीज्योती सावित्रीबाई फुलेंची जयंती गावोगावी साजरी करा"
  4. Savitri Bai Phule Jayanti Status 2023 images Shayari Photo
  5. सावित्रीबाई फुले जयंती
  6. सावित्रीबाई फुले जयंती 2022: आज है भारत की पहली महिला शिक्षिका की जयंती


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Savitribai Phule Jayanti 2022: सावित्रीबाई फुले जयंती आज, भारत की पहली महिला शिक्षिका को दी लोगों ने श्रद्धांजलि

Savitribai Phule Jayanti 2022: सावित्रीबाई फुले जयंती आज, भारत की पहली महिला शिक्षिका को दी लोगों ने श्रद्धांजलि सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र स्थित सातारा के नायगांव में हुआ था. उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने और उनके अधिकारों के लिए लड़ने में मुख्य भूमिका निभाई थी. देश की पहली महिला शिक्षिका की जयंती के अवसर पर लोगों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है. Savitribai Phule Birth Anniversary 2022: आज देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती (Savitribai Phule Jayanti) मनाई जा रही है. सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) ही वो महिला थीं, जिन्होंने महिलाओं के प्रति समाज में फैली कुरीतियों के बीच उनमें शिक्षा का अलख जगाया था. समाज की रूढ़िवादी परंपराओं की बेड़ियों को तोड़कर सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं को सामाजिक शोषण से मुक्त कराने और उनके लिए समान शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए पुरजोर कोशिश की थी. सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र स्थित सातारा के नायगांव में हुआ था. उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने और उनके अधिकारों के लिए लड़ने में मुख्य भूमिका निभाई थी. भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक सावित्रीबाई फुले की जयंती के इस खास अवसर पर लोगों ने सोशल मीडिया पर न सिर्फ उन्हें याद किया है, बल्कि उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित की है. सावित्रीबाई फुले जयंती My homage to champion of women's rights, social reformer & educationist Smt Savitribai Phule Ji on her jayanti. Regarded as the mother of Indian feminism, she along with Mahatma Phule Ji founded India's first school for girl...

Savitribai Phule Punyatithi 2023 Inspirational Quotes: सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर उनके ये प्रेरणादायक विचार शेयर कर उन्हें याद करें

Savitribai Phule Punyatithi 2023 Inspirational Quotes: सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर उनके ये प्रेरणादायक विचार शेयर कर उन्हें याद करें 10 मार्च भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीख मानी जाती है. यह दिन समाज सुधारक, शिक्षाविद और कवियित्री सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है. फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को वर्तमान महाराष्ट्र में स्थित नायगांव में हुआ था. सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं... Savitribai Phule Punyatithi 2023: 10 मार्च भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीख मानी जाती है. यह दिन समाज सुधारक, शिक्षाविद और कवियित्री सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है. फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को वर्तमान महाराष्ट्र में स्थित नायगांव में हुआ था. सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं, जिन्होंने भारत और विशेष रूप से महाराष्ट्र में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई. फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने समाज में व्याप्त कई सामाजिक बुराइयों जैसे अस्पृश्यता और बाल विवाह के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी. इस साल सावित्रीबाई फुले की 126वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है. यह भी पढ़ें: सावित्री बाई फुले ने 1848 में अपने पति के साथ महिलाओं और युवा लड़कियों के लिए एक स्कूल की स्थापना की. महिलाओं के अधिकारों और लड़कियों को शिक्षित करने की आवश्यकता के लिए अपनी राय देने के अलावा, उन्होंने जातिवाद और पितृसत्ता सहित समाज की बुराइयों के खिलाफ भी बात की. सावित्री बाई ने देश भर में युवा लड़कियों की बेहतरी के लिए अपना जीवन समर्पित किया और लाखों लोगों को प्रेरित कि...

"क्रांतीज्योती सावित्रीबाई फुलेंची जयंती गावोगावी साजरी करा"

नाशिक : क्रांतीज्योती सावित्रीबाई फुले यांचे विचार समाजात अधिक रुजविण्यासाठी कोरोनाच्या नियमांचे पालन करत विविध सामाजिक कार्यक्रमातून प्रत्येक गावात सावित्रीबाई फुले यांची जयंती साजरी करावी, असे पालकमंत्री छगन भुजबळ यांनी सांगितले. क्रांतीज्योती सावित्रीबाई फुले यांच्या जयंतीच्या पार्श्वभूमीवर अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषदेच्या राज्य कार्यकारिणीची बैठक मुंबई झाली, यावेळी ते बोलत होते. भुजबळ म्हणाले, की देशातील महिलांसाठी महात्मा फुले यांनी पहिली शाळा सुरू केली. महिलांना शिकवण्यासाठी महात्मा फुले यांनी पत्नी सावित्रीबाईंना शिकवले आणि शिक्षिका केले. त्या काळात सामाजिक बहिष्कार स्वीकारून प्रसंगी शेण व दगडधोंड्यांचा मार सहन करत त्यांनी मुलींना शिकवण्याचे कार्य केले. शिक्षण मिळाल्याने चूल आणि मूल परंपरेत चार भिंतीत अडकलेली महिला घराबाहेर पडली. त्याचा परिणाम म्हणजे आज महिला अनेक महत्वाच्या पदांवर काम करताना आपण पाहत आहोत. त्यामुळे महिला मुक्तीच्या शिल्पकार सावित्रीबाईंप्रती कृतज्ञता व्यक्त करण्यासाठी ३ जानेवारी हा त्यांचा जन्मदिन देशभर महिला शिक्षण दिन म्हणून साजरा करण्यात यावा, अशी मागणी राज्य सरकारकडे केली आहे. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांनी त्याबाबत सकारात्मकता दर्शवली. तसेच महात्मा ज्योतिराव फुले व क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले यांच्या जीवनावर आधारीत सोनी मराठी वाहिनीवर सुरु असलेली ‘सावित्रीजोती’ मालिका बंद करण्यात येत आहे. महापुरुषांचा इतिहास आजच्या पिढीपर्यंत पोहोचण्यासाठी राज्य सरकारतर्फे अर्थसहाय्य देण्यात यावे अशी मागणी छगन भुजबळ यांनी राज्याचे सांस्कृतिक कार्यमंत्री अमित देशमुख यांच्याकडे केली आहे. तसेच उपमुख्यमंत्री अजितदादा पवार यांच्याशी त्यांनी चर्चा केली. मह...

Savitri Bai Phule Jayanti Status 2023 images Shayari Photo

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सावित्रीबाई फुले जयंती

सावित्रीबाई फुले या सात अक्षरात आहे शिक्षणाची महती...स्त्रीची प्रगती...शिकून काय करायचं, इथंपासून शिक्षणाशिवाय आयुष्य निरर्थक इतका विशाल प्रवास स्त्रियांनी साकारला, त्यामागं सावित्रीमाईंचे अतुल्य कार्य आहे. सर्वसामान्य कुटुंबातल्या वेगवेगळ्या वयोगटातल्या स्त्रीया सावित्रीबाईंच्या कार्याकडे कोणत्या दृष्टिकोनातून पाहतात, याचा धांडोळा... - छाया काविरे ‘‘माझ्या दृष्टिकोनातून शिक्षण हे एक शस्त्र आहे! या समाजातील अजूनही मागास असलेली विचारसरणी, अंधश्रद्धा, जातिव्यवस्था, अनिष्ठ रूढी-परंपरा यांविरुद्ध या ‘शस्त्रा’द्वारे आपण लढू शकतो. शिक्षणाशिवाय समाजाची प्रगती नाही. आजची स्त्री शिक्षणाच्या जोरावर बाहेर पडू शकते, पुरुषाच्या खांद्याला खांदा लावून काम करू शकते, शिक्षणामुळे ती आज प्रत्येक क्षेत्रात कार्यरत आहे,’’ हे मत आहे शिक्षणासाठी आणि नोकरीसाठी पुण्यात राहणाऱ्या (मूळ-उस्मानाबाद) तेवीस वर्षीय दिव्या संजय कांबळे हिचे. दिव्या म्हणते : ‘‘सावित्रीमाईंच्या अथक प्रयत्नांनंतरही आजसुद्धा समाजातल्या काही घटकांच्या सडक्या मानसिकतेमुळे मुलींना पंख असूनही भरारी घेता येत नाही, क्षमता असूनही ती दाखवण्याची संधी मिळत नाही. समाजातील विकृत घटकांमुळे मुलींवर बंधने लादली जातात. ग्रामीण भागातल्या अशा बऱ्याच मुली आहेत, ज्या शिक्षणासाठी आजही घरच्यांशी माझ्यासारख्याच लढत आहेत, तर काही जणी घरच्यांच्या मागास विचारसरणीला बळी पडून आपल्या स्वप्नांवर पाणी सोडत आहेत. शिक्षण हे सामाजिक परिवर्तनाचे शस्त्र आहे. आर्थिक परावलंबन व्यक्तीला दुबळे करून व्यक्तीचा कणाच पोकळ करून टाकते, त्यामुळे प्रत्येक महिलेने आर्थिकदृष्ट्या स्वावलंब होणे गरजेचे आहे. त्यात मीही स्वावलंबी होण्याचा प्रयत्न करत आहे. अशा वेळी अनेक समस्यांना ...

सावित्रीबाई फुले जयंती 2022: आज है भारत की पहली महिला शिक्षिका की जयंती

सावित्रीबाईफुलेजयंती 2022:- आजदेशकीपहलीमहिलाशिक्षिकासावित्रीबाईफुलेकीजयंती ( Savitribai Phule Jayanti) मनाईजारहीहै | महाराष्‍ट्रकेपुणेमेंएकदलितपरिवारमेंजन्‍मींसावित्रीबाईकेपिताकानामखण्डोजीनेवसेऔरमाताकानामलक्ष्मीबाईथा | उनकाजन्म 03 जनवरी 1831कोमहाराष्ट्रकेसताराजिलेमेंस्थितनायगांवनामकछोटेसेगांवमेंहुआथा | वहभारतकेपहलेबालिकाविद्यालयकीपहलीप्रिंसिपलऔरपहलेकिसानस्कूलकीसंस्थापिकाथीं | 1840 मेंमात्र 9 सालकीउम्रमेंसावित्रीबाईकाविवाह 13 सालकेज्योतिरावफुलेकेसाथहुआ | उससमयवोपूरीतरहअनपढ़थींऔरपतिमात्रतीसरीकक्षातकहीपढ़ेथे | पढ़ाईकरनेकाजोसपनासावित्रीबाईनेदेखाथाविवाहकेबादभीउन्‍होंनेउसपररोकनहींलगनेदी | इनकासंघर्षकितनाकठिनथा, इसेइनकेजीवनकेएककिस्‍सेसेसमझाजासकताहै | एकदिनवोकमरेमेंअंग्रेजीकीकिताबकेपन्‍नेपलटरहीथीं, इसपरइनकेपिताखण्डोजीकीनजरपड़ी | यहदेखतेवोभड़कउठेऔरहाथोंसेकिताबकोछीनकरघरकेबाहरफेंकदिया | उनकाकहनाथाकिशिक्षापरकेवलउच्‍चजातिकेपुरुषोंकाहीहकहै | दलितऔरमहिलाओंकेलिएशिक्षाग्रहणकरनापापहै | यहीवोपलथाजबसावित्रीबाईनेप्रणलियाकिवोएकनएकदिनजरूरपढ़नासीखेंगी | उनकीमेहनतरंगलाई | उन्‍होंनेसिर्फपढ़नाहीनहींसीखाबल्किनजानेकितनीलड़कियोंकोशिक्ष‍ितकरकेउनकाभविष्‍यसंवारा, लेकिनयहसफरआसाननहींरहा | 1848 मेंकीदेशकासबसेपहलेबालिकास्कूलकीस्थापना:- सावित्रीबाईऔरज्योतिरावनेवर्ष 1848 मात्रनौविद्यार्थियोंकोलेकरएकस्कूलकीशुरुआतकीथी | उससमयलड़कियोंकीशिक्षापरसामाजिकपाबंदीबनीहुई | वर्ष 1848 मेंमहाराष्ट्रकेपुणेमेंदेशकासबसेपहलेबालिकास्कूलकीस्थापनासावित्रीबाईफुलेनेकीथी | सावित्रीबाईफुलेमात्रइनस्कूलोंमेंकेवलपढ़ातीनहींथीबल्किलड़कियांस्कूलोंकोनाछोड़ेइसकेलिएवहमददभीप्रदानकरतीथी | गौरतलबहैकिसावित्रीबाईफुलेकोप्रथमशिक्षिकाहोनेकाश्रेयभीजाताह...