सावित्रीबाई फुले का जन्म

  1. सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय कैसे लिखें
  2. महिला शिक्षा में सावित्रीबाई फुले का योगदान


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सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय कैसे लिखें

संक्षिप्त जीवन परिचय - सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियित्री थी। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। बिंदु जानकारी नाम सावित्रीबाई फुले जन्म 3 जनवरी, 1831 मृत्यु 10 मार्च, 1897 जन्म स्थान सातारा जिला कार्यक्षेत्र समाज सेवक पिता का नाम खंदोजी नैवेसे पति का नाम ज्योतिराव फुले जन्म एवं सामान्य परिचय - सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खंदोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिराव फुले से हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रधानाचार्य और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिराव को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिला और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए। सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जिया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवयित्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियित्री के रूप में भी जाना जाता था। उनकी राह में सामाजिक मुश्किलें - सावित्रीबाई फुले जब स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग उन पर पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 191 साल पहले बा...

महिला शिक्षा में सावित्रीबाई फुले का योगदान

प्रीलिम्स के लिये: सावित्रीबाई फुले, ज्योतिराव फुले, सत्यशोधक समाज, महिला अधिकार, बाल गंगाधर तिलक, भारत का सामाजिक और शैक्षणिक इतिहास मेन्स के लिये: महिला अधिकारों से संबंधित मुद्दे, भारतीय इतिहास में महिला सुधारों की दिशा में उठाए गए कदम, महिला शिक्षा में सावित्रीबाई फुले का योगदान चर्चा में क्यों? 3 जनवरी, 2020 को सावित्रीबाई फुले की 189वीं जयंती मनाई गई। सावित्रीबाई फुले को भारत की प्रथम आधुनिक नारीवादियों में से एक माना जाता है। महत्त्वपूर्ण बिंदु • • उनकी उपलब्धियों के कारण उन्हें विशेष रूप से भारत की पहली महिला शिक्षक के रूप में याद किया जाता है। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्राचार्या बनी थीं। • उन्होंने सदैव शिक्षा और साक्षरता के क्षेत्र में महिलाओं और अछूतों उत्थान के लिये काम किया। • महिला अधिकारों के लिये जीवन समर्पित करने वाली सावित्रीबाई ने वर्ष 1848 में पुणे में देश का पहला कन्या विद्यालय खोला था। सावित्रीबाई फुले के बारे में • फुले का जन्म 1831 में महाराष्ट्र के नायगांव में हुआ था। उनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। वर्ष 1840 में 9 वर्ष की आयु में उनका विवाह एक्टिविस्ट और समाज-सुधारक ज्योतिराव फुले से कर दिया गया था। • विवाह के बाद अपने पति के सहयोग से सावित्रीबाई फुले ने लिखना-पढ़ना सीखा और अंततः दोनों ने मिलकर वर्ष 1848 में पुणे में भिडेवाड़ा नामक स्थान पर लड़कियों के लिये भारत का पहला विद्यालय खोला। • उस समय लड़कियों को पढ़ाना एक कट्टरपंथी विचार माना जाता था। जब वह स्कूल जाती थीं तो लोग अक्सर उन पर गोबर और पत्थर फेंकते थे लेकिन फिर भी वह अपने कर्त्तव्य पथ से विमुख नहीं हुईं। • गौरतलब है कि सावित्रीबाई फुले के ...