Samajshastra ki paribhasha

  1. समाजशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है?
  2. # समाजशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषा (समाजशास्त्र क्या है?)
  3. नगरीय समाजशास्त्र की परिभाषा
  4. हास्य रस : परिभाषा, पहचान, उदाहरण, स्थायी भाव
  5. समाजशास्त्र एक परिचय
  6. Samajshastra kya hai समाजशास्त्र क्या है, उदेश्‍य व 5+प्रकार


Download: Samajshastra ki paribhasha
Size: 26.66 MB

समाजशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है?

नमस्कार दोस्तो, आपने अक्सर अपने जीवन के अंतर्गत समाजशास्त्र के बारे में तो जरूर सुना होगा, या फिर कहीं ना कहीं तो इसके बारे में जरूर पढ़ा होगा। दोस्तों क्या आप जानते है, कि समाजशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है। (samajshastra ke janak kaun the), यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि समाजशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है,(samajshastra ke janak kaun hai), हम आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट के अंतर्गत शेयर करने वाले हैं। तो ऐसे में आज का की यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है, तो इसको अंत जरूर पढ़िए। समाजशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है? (samajshastra ke janak kaun hai) अगर दोस्तों इस विषय के बारे में बात की जाए कि समाजशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है, तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि समाजशास्त्र का जनक “ऑगस्त कोमत” को कहा जाता है। ऑगस्त कोमत का जन्म 19 जनवरी सन 1798 को हुआ था। यह फ्रांस के समाज सुधारक तथा एक विचारक थे, जिन्होंने समाजशास्त्र की नींव रखी थी क्योंकि इनका मानना था, कि दोस्तों समाजशास्त्र वह विषय होता है, जो एक समाज को एक साथ चल कर जीवन यापन करने का ज्ञान देता है। आपने अक्सर देखा होगा कि कोई भी मनुष्य पृथ्वी पर अकेला जीवन यापन नहीं करता है, वह अपने रिश्तेदारों, अपने समाज, अपने दोस्तों के बीच रहकर अपने जीवन का ज्ञापन करता है, इसी को समाजशास्त्र कहा जाता है। भारतीय समाजशास्त्र के पिता कौन है? “गोविंद सदाशिव घुर्ये” को भारतीय समाजशास्त्र का आज आ...

# समाजशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषा (समाजशास्त्र क्या है?)

We and our partners use cookies to Store and/or access information on a device. We and our partners use data for Personalised ads and content, ad and content measurement, audience insights and product development. An example of data being processed may be a unique identifier stored in a cookie. Some of our partners may process your data as a part of their legitimate business interest without asking for consent. To view the purposes they believe they have legitimate interest for, or to object to this data processing use the vendor list link below. The consent submitted will only be used for data processing originating from this website. If you would like to change your settings or withdraw consent at any time, the link to do so is in our privacy policy accessible from our home page.. Table of Contents • • • • • • • • • समाजशास्त्र का अर्थ : लैटिन भाषा के “सोशियस” (Socius) और ग्रीक भाषा के “लोगस” (Logos) शब्द से मिलकर बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ “ समाज का विज्ञान” या “ समाज का अध्ययन” है। यद्यपि विभिन्न समाजशास्त्रियों द्वारा इसकी व्याख्या सम्पूर्ण समाज का अध्ययन करने वाला विज्ञान, सामाजिक संबंधों का अध्ययन करने वाला विज्ञान, सामाजिक अंतःसंबंधों या सामाजिक समूहों का अध्ययन करने वाले विज्ञान के रूप में किया गया है। # समाजशास्त्र के अर्थ को वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें ‘ समाज’ और ‘विज्ञान‘ इन दोनों शब्दों के अर्थ को भली-भाँति समझ लेना होगा। समाज का अर्थ – > आर. टी. लैपियर के अनुसार – “ > र्यूटर के अनुसार – “समाज एक अमूर्त शब्द है जो कि एक समूह के सदस्यों में तथा उन सदस्यो...

नगरीय समाजशास्त्र की परिभाषा

मानव जीवन की तीन मूलभूत आवश्यकताएं हैं – भोजन, वस्त्र और आवास ।पौष्टिक भोजन, स्वच्छ वस्त्र तथा साफ-सुथरा आवास मानव की कार्यक्षमता एवं जीवन को सुचारू रूप से सक्रिय रखने के लिए न्यूनतम एवं वांछनीय आवश्यकताएं हैं ।वर्त्तमान युग में मशीनीकरण का युग है ।औधोगिकीकरण के जिनते भी आयाम है, सब मशीन पर निर्भर हैं, लेकिन इन मशीनों की कार्यक्षमता को बनाये रखने अथवा अनुकूल दशाओं के विकास के लिए श्रमिकों का संतुलित एवं पौष्टिक आहार शरीर ढूंढनें को पर्याप्त मात्रा वस्त्र और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्यकर आवास की उपलब्धि नितान्त आवशयक है ।लेकिन औद्योगिकप्रगति के बाद आज श्रमिकों के आवास की व्यवस्था अच्छी नहीं है ।उन्हें गंदी बस्तियों में ही रहना पडत है ।अत: वर्त्तमान युग में गंदी बस्तियों की समस्या बनती जा रही है ।इसी कारण हाउस ने नगर को “जीवन और समस्याओं का विशिष्ट केंद्र” माना है । जहाँ तक भारत जैसे विकासशील देश का प्रश्न है, गंदी बस्ती की समस्या यहां अत्यधिक गंभीर है ।लोगों को बुरी आर्थिक दशा के कारण यह बढ़ती हुई जनसंख्या, उन्नत तकनीकी और धीमी प्रगति से होने वाले औधोगिकीकरण का ही परिणाम है ।भारत में गंदी बस्ती का उदय कब हुआ, इसका निश्चित समय नहीं बतलाया जा सकता है ।लेकिन जैसे-जैसे समय बिताता जा रहा है नई-नई गंदी बस्तीयों का विस्तार हो रहा है ।इस प्रकार गन्दी बस्तियाँ प्राय: सभी बड़े नगरों में विकसित हुई है । दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है जहाँ गन्दी बस्ती की समस्या का निराकरण कर दिया गया हो ।यधपि संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत रूस आर्थिक और तकनीकी रूप में उन्नत देश हैं, फिर ही सस्ते और स्वस्थ आवास व्यवस्था की समस्या विभिन्न उपायों को अपनाकर भी नहीं सुलझाया जा सका है...

हास्य रस : परिभाषा, पहचान, उदाहरण, स्थायी भाव

इस लेख में हास्य रस की परिभाषा, पहचान, उदाहरण, स्थायी भाव, आलम्बन, उद्दीपन, अनुभाव तथा संचारी भाव आदि विस्तृत रूप से लिखा गया है। इस लेख के अध्ययन उपरांत आप रस के विषय में गहन जानकारी हासिल करेंगे। यह लेख विद्यालय , विश्वविद्यालय तथा प्रतियोगी परीक्षाओं के अनुरूप तैयार किया गया है। इसके अध्ययन से आप हास्य रस के विषय में सर्वाधिक अंक प्राप्त करेंगे। Table of Contents • • • • • • • हास्य रस की परिभाषा परिभाषा :- हास्य रस को मनोरंजक रस माना गया है। हास नामक स्थाई भाव अपने अनुकूल विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आस्वाद का रूप धारण करता है , तब उसे हास्य रस कहा जाता है। सामान्यतः विकृति , आकार , प्रकार , वेशभूषा , वाणी तथा चेस्टायें आदि को देखने से हास्य रस की निष्पत्ति होती है। यह हास्य दो प्रकार का होता है :- 1 आत्मस्थ 2 परस्थ आत्मस्थ हास्य केवल हास्य का विषय को देखने मात्र से उत्पन्न होता है। जबकि परस्थ हास्य दूसरों को हंसते हुए देखने से प्रकट होता है। विकृत आकृति वाला व्यक्ति किसी की अनोखी और विचित्र वेशभूषा हंसाने वाली या मूर्खता युक्त चेष्टा करने वाला व्यक्ति हास्य रस का आलंबन होता है। हास्य रस : स्थायी भाव, आलम्बन, उद्दीपन, अनुभाव तथा संचारी भाव रस का नाम हास्य रस स्थाई भाव हास आलम्बन विकृत आकृति वाला व्यक्ति , किसी की अनोखी और विचित्र वेशभूषा , हंसाने वाली या मूर्खतापूर्ण चेष्टा करने वाला व्यक्ति उद्दीपन आलम्बन द्वारा की गई अनोखी एवं विचित्र चेष्टाएं। अनुभाव आंखों को मीचना , हंसते-हंसते पेट पर बल पड़ना , आंखों में पानी आना , मुस्कुराहट , हंसी ताली पीटना। संचारी भाव हर्ष , चपलता , अश्रु , उत्सुकता , स्नेह , आवेग , स्मृति आदि। रस के अन्य लेख हास्य ...

समाजशास्त्र एक परिचय

• • • • • • • • • Menu Toggle • B.Ed • B. Com • Sociology • Ancient History • Constitution of India • Environmental Law • Human Rights • Indian Penal Code • LLB LAW • medieval history • Political Science • Menu Toggle • SSC • Railway • Banking • Computer • English • Force • Hindi • Maths • Practice Paper • Previous Papers • Solved Papers • Reasoning समाजशास्त्र एक परिचय-Hello Readers आशा करते हैं की आप सभी छात्रों के प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी अच्छे से सुचारू रूप से चल रही होगी| जो छात्र प्रतियोगी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तयारी कर रहे हैं उन सभी छात्रों के लिए आज हम ‘समाजशास्त्र: एक परिचय, की PDF eBook share कर रहे हैं | ‘समाजशास्त्र एक परिचयय’की यह PDF eBook Manish Singh Sir (EG Classes) के द्वारा share किया जा रहा हैं| Competitive exams की तैयारी करने वाले छात्र इस PDF eBook को नीचे दिए गये Button के माध्यम से Download कर लें | About: समाजशास्त्र एक परिचय PDF eBook • Book Name: समाजशास्त्र एक परिचय • Language: Hindi • Pages: 414 • Format: PDF • Size:7 MB • Quality: Excellent [su_button url=”https://drive.google.com/file/d/1q39l4vCkNx6x_RYiuejgy5NqBeUWGegB/view” target=”blank” background=”#e6e9ec” color=”#000000″ size=”7″ wide=”yes” center=”yes” radius=”round” icon=”icon: file-pdf-o” icon_color=”#000000″ text_shadow=”0px 0px 0px #000000″ title=”Download Now”]PDF Download[/su_button] You May Also Like This • • • • • • • • • • • • Friends, if you need an eBook related to any topic. Or if you want any information about any exam, please comment on it. Share this post...

Samajshastra kya hai समाजशास्त्र क्या है, उदेश्‍य व 5+प्रकार

Samajshastra kya hai समाज शब्द का प्रयोग आदिकाल से ही होता रहा है हिंदू धर्म के कई ग्रंथ वेद या मनुस्मृति में मनुष्य के जीवन के हर समाजिक जीवन के बारे में वर्णन किया गया है। जिसमें समाज में हर व्यक्ति एक दूसरे के साथ किस तरह से रहता है। किस तरह से अपना कार्य करता है। समाज का हर एक महत्व, समाज के नियम, संस्कार, संस्कृति को समझने के लिए समाजशास्त्र का अध्ययन किया जाता है. समाजशास्त्र का परिभाषा क्या है Samajshastra ki paribhasha समाजशास्त्र क्या है इसका अर्थ क्या है के बारे में इस लेख में जानेंगें. विज्ञान का कई शाखा है जिसमें समाजशास्त्र को एक माना जाता है। समाज के हर एक पहलुओं को जानने के लिए समाज के बारे में विस्तृत रूप से अध्ययन करने के लिए पूरी तरह से जानने के लिए समाजशास्त्र का अध्ययन किया जाता है. Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • Samajshastra Kya Hai समाज के हर एक संबंधों का व्यावहारिक रूप से व्यवस्थित रूप से संगठित रूप से अध्ययन करने वाला एक आधुनिक विज्ञान Samajshastra को कहा गया है समाजशास्त्र विज्ञान का एक ऐसा शाखा है जिसमें कि समाज के हर विभिन्न पहलुओं के बारे में अध्ययन करने को मिलता है। समाज का अर्थ लोगों का वह समूह जहां कि कई व्यक्ति एक साथ रहते हैं और शास्त्र का मतलब विज्ञान होता है. क्योंकि बिना समाज का किसी भी व्यक्ति के जीवन का कोई भी अस्तित्व नहीं है। मनुष्य के सामाजिक संबंधों का रहन-सहन का मनुष्य के जीवन में जन्म से लेकर मृत्यु तक कौन-कौन से संस्कार होते हैं किस समाज में किस तरह का नियम सभ्यता संस्कृति बनाया गया है. ये सारे सामाजिक संबंधों का वर्णन समाजशास्त्र में किया गया है. समाजशास्त्र का विकास, समाज के हर एक सामाजिक संबंधों को जानने के लि...