सब सुख लहै तुम्हारी सरना

  1. Hanuman Chalisa in Hindi
  2. हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित
  3. Bada Mangal 2023:ज्येष्ठ माह का पहला बड़ा मंगलवार आज, हनुमान जी की कृपा पाने के लिए करें ये काम
  4. ▷ Hanuman Chalisa written Text in Hindi Lyrics PDF Download
  5. श्री हनुमान चालीसा


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Hanuman Chalisa in Hindi

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हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित

तुलसीदास जी रचित श्री हनुमान चालीसा का पाठ बजरंगबली के भक्तों में अत्यंत लोकप्रिय है। पाठकों की सुविधा के लिए सम्पूर्ण हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित उपलब्ध है। सृष्टि के संहारक भगवान हनुमान चालीसा के नियमित पाठ से श्री हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। हनुमान जी की कृपा से समस्त व्याधियों से छुटकारा प्राप्त होता है एवं असंभव कार्य भी सुगम होते देखे जाते हैं। भयंकर से भयंकर तन्त्र, मन्त्र, यन्त्र और भूत-प्रेत भी हनुमान जी के सम्मुख टिक नहीं पाते। अपने भक्तों के रक्षक हनुमान जी की शरण प्राप्त कर लेने पर भक्तजन स्वतंत्र एवं निर्भीक रहते हैं। || ॐ श्री हनुमते नमः || श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि | बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि || अर्थ – श्री गुरु के चरण कमल के धूल से अपने मन रुपी दर्पण को निर्मल करके प्रभु श्रीराम के गुणों का वर्णन करता हूँ जो चारों प्रकार के फल (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) देने वाला है। बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार | बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार || अर्थ – हे पवन कुमार, मुझे बुद्धिहीन जानकार सुनिए और बल, बुद्धि, विद्या दीजिये और मेरे क्लेश और विकार हर लीजिये। जय हनुमान ज्ञान गुन सागर | जय कपीस तिहुँ लोक उजागर || अर्थ – ज्ञान गुण के सागर हनुमान जी की जय। तीनों लोकों को अपनी कीर्ति से प्रकाशित करने वाले कपीश की जय। राम दूत अतुलित बल धामा | अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा || अर्थ – हे अतुलित बल के धाम रामदूत हनुमान आप अंजनिपुत्र और पवनसुत के नाम से संसार में जाने जाते हैं। महाबीर बिक्रम बजरंगी | कुमति निवार सुमति के संगी || अर्थ – हे महावीर आप वज्र के समान अंगों वाले हैं और अपने भक्तों की कुमति दूर करके उन्हें सुमति प्रदान करते ...

Bada Mangal 2023:ज्येष्ठ माह का पहला बड़ा मंगलवार आज, हनुमान जी की कृपा पाने के लिए करें ये काम

Bada Mangal 2023: ज्येष्ठ माह का पहला बड़ा मंगलवार आज, हनुमान जी की कृपा पाने के लिए करें ये काम विस्तार Bada Mangal 2023: ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है। कल यानी 9 मई 2023 को ज्येष्ठ माह का पहला बड़ा मंगलवार है। वहीं आखिरी और चौथा मंगलवार मंगलवार 30 मई 2023 को है। वैसे तो हिंदू धर्म में हर मंगलवार का खास महत्व होता है, लेकिन ज्येष्ठ माह में इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। संकटमोचन भगवान हनुमान को समर्पित होने की वजह से ये दिन पूजा अर्चना के लिए बेहद उत्तम माना गया है। ज्येष्ठ माह में प्रत्येक मंगलवार के दिन हनुमत भक्तों द्वारा पूरे श्रद्धा भाव से महाबली हनुमान की पूजा की जाती है। कहते हैं जो भक्त सच्चे मन से इस दौरान भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना करते हैं, उनके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा हनुमान जी की कृपा पाने के लिए ज्येष्ठ माह में प्रत्येक मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। हनुमान चालीसा दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। चौपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।। महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। कंचन वरन विराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।। हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै। शंकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग वन्दन।। विद्यावान गुणी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।। सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। ...

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दोहा : श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। चौपाई : जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। १।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।। २।। महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। ३।। कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।। ४।। हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै।। ५।। संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन।। ६।। विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।। ७।। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।। ८।। सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।। ९।। भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।। १०।। लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। ११।। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।। १२।। सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। १३।। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।। १४।। जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।। १५।। तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।। १६।। तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना।। १७।। जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।। १८।। प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। १९।। दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।। २०।। राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। २१।। सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डर ना।। २२।। आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।। २३।। भूत पिसाच निकट नहिं आवै।...

श्री हनुमान चालीसा

• हनुमान चालीसा में प्रभु श्री राम के महान भक्त हनुमान के गुणों का वर्णन चौपाइयों द्वारा किया गया है। हनुमान चालीसा पूरे भारत में प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय है। और लगभग सभी हिंदू हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करते हैं। श्री हनुमान चालीसा | Shri Hanuman Chalisa ॥ दोहा ॥ श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमनु मुकुरु सुधारि बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥ चौपाई ॥ जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर राम दूत अतुलित बल धामा, अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा महाबीर बिक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुँचित केसा हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे, काँधे मूँज जनेउ साजे शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन बिद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा भीम रूप धरि असुर सँहारे, रामचन्द्र के काज सँवारे लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुबीर हरषि उर लाये रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद सारद सहित अहीसा जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते, कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा, राम मिलाय राज पद दीन्हा तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना, लंकेश्वर भए सब जग जाना जुग सहस्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं, जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे सब सुख लहै तुम्हार...