सेंगोल क्या है

  1. What is Sengol know its history Sengol to be placed in the new parliament building
  2. सेंगोल (राजदंड)
  3. सेंगोल क्या है? कैसे हुई थी इसकी शुरुआत और क्या है इतिहास
  4. What is sengol? What is the story behind this?
  5. सेंगोल क्या है? नई संसद में क्यों रखी गई?


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What is Sengol know its history Sengol to be placed in the new parliament building

What is Sengol and its history? 28 मई को भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन होने वाला है और इसके मद्देनज़र गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि नया संसद भवन भारत के लिए इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का प्रयास है. इस दौरान एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित की जा रही है यानी कि नए संसद भवन में सेंगोल स्थापित किया जाएगा. क्या है सेंगोल के चर्चा में आने का कारण? केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 'सेंगोल' (राजदंड) की प्रथा को फिर से शुरू करने की घोषणा की और कहा कि यह अंग्रेजों से भारतीयों को मिली सत्ता का प्रतीक था. अमित शाह ने यह कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी इस नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले तमिलनाडु से सेंगोल प्राप्त करेंगे. Hot Water Side Effects: क्या आप भी पीते है हर समय गर्म पानी? अगर हां, तो ये खबर जरूर पढ़ें! प्रधानमंत्री इसके बाद इसे नए संसद भवन के अंदर रखेगें. इसे सेंगोल स्पीकर की सीट के पास रखा जाएगा. सोर्सेज के अनुसार , भारत को स्वर्ण राजदंड मिलने के बाद कलाकृति को एक जुलूस के रूप में संविधान सभा हॉल में भी ले जाया गया था. गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि इस सेंगोल का बहुत बड़ा महत्व है. उन्होंने आगे कहा, "इस पवित्र सेंगोल को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है. सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई हो ही नहीं सकता. " तमिल भाषा के 'सेम्मई' शब्द से निकला हुए इस शब्द का अर्थ; धर्म, सच्चाई और निष्ठा है. सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक हुआ करता था. जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 को 10:45 बजे के करीब तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल को स्वीकार किया था. एक तरह कहा जा...

सेंगोल (राजदंड)

आंध्र पत्रिका में जवाहरलाल नेहरू को प्रस्तुत किए जा रहे 'सेंगोल' का उल्लेख, 17 अगस्त 1947 (अनुवाद: प्राचीन काल में भारत में जब राजा का राज्याभिषेक होता था, तो विधिपूर्वक अदण्ड्योऽस्मि, अदण्ड्योस्मि, अदण्ड्योऽ (मैं अदण्ड्य हूँ, मैं अदण्ड्य हूँ); अर्थात मुझे कोई दण्ड नहीं दे सकता। तो पुरानी विधि ऐसी थी कि उनके पास एक अदण्ड्योऽस्मि अदण्ड्योऽस्मि गलत है। दण्ड्योऽसि दण्ड्योऽसि दण्ड्योऽसि अर्थात तुझे भी दण्डित किया जा सकता है। कुछ इतिहासकार ऐसा कहा जाता है कि वुम्मिदी बंगारू चेट्टी ने सेंगोल तैयार करके अधीनम के प्रतिनिधि को दे दिया। अधीनम के नेता ने वह सैंगोल पहले लॉर्ड माउंटबेटन को दे दिया। फिर उनसे वापस लेकर 15 अगस्त की तारीख 1947 के शुरू होने से ठीक 15 मिनट पहले स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दे दिया। • ↑ Anandabazar (Bengali में). New Delhi: Anandabazar Patrika. 24 May 2023 . अभिगमन तिथि 25 May 2023. • • ↑ Rediff (अंग्रेज़ी में) . अभिगमन तिथि 25 मई 2023. • ta.wiktionary.org (तमिल में) . अभिगमन तिथि 28 मई 2023. • • • Mathrubhumi (मलयालम में). 2023-05-25 . अभिगमन तिथि 2023-05-26. • The Hindu (अंग्रेज़ी में). 2023-05-24. . अभिगमन तिथि 2023-05-25. • அகஸ்டஸ் (2023-05-25). www.vikatan.com (तमिल में) . अभिगमन तिथि 2023-05-25. • ↑ MSN . अभिगमन तिथि 28 मई 2023. • • ↑ Jansatta. 24 मई 2023 . अभिगमन तिथि 25 मई 2023.

सेंगोल क्या है? कैसे हुई थी इसकी शुरुआत और क्या है इतिहास

1/10 • • सेंगोल: भारत की संप्रभुता का राजदंड विपक्षी दलों के विरोध के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज जब बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा आगामी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन किया जाएगा तो उन्होंने यह भी कहा कि एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में पीएम मोदी नए संसद भवन में सेनगोल राजदंड स्थापित करेंगे. आइए जानते हैं सेनगोल राजदंड क्या है. इस राजदंड का क्या इतिहास और महत्व है 2/10 • • संप्रभुता का प्रतीक ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को हस्तांतरित की गई सत्ता के प्रतीक ऐतिहासिक सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा. सेंगोल एक सजावटी छड़ी है, जो शासकों द्वारा औपचारिक अवसरों पर संप्रभुता के प्रतीक के रूप में किया जाता है. इसे तमिल में सेंगोल कहते हैं, इस शब्द का अर्थ है धन से भरा हुआ.

What is sengol? What is the story behind this?

हिन्दी में पढ़ें India's new Parliament House is going to be inaugurated on 28 May. In view of this, Home Minister Amit Shah said during the press conference on Wednesday that the new Parliament building is an attempt to connect India's history, cultural heritage, tradition and civilization with modernity. During this time a historical tradition is being revived i.e. Sengol will be installed in the new parliament building. What is sengol? The word Sengol is derived from the Tamil language word 'semmai' which means religion, truth and loyalty. Sengol was accepted by the people of Tamil Nadu on 14 August 1947 by Jawaharlal Nehru. Sengol is a scepter, which was used in the Chola Empire to transfer power to the new successor. In the Chola Empire, when a king declared his new successor, he handed over the Sengol scepter as a symbol to that new successor. What is the reason for Sengol coming in the limelight? Union Home Minister Amit Shah announced the resumption of the practice of 'sengol' (scepter) and said it is a symbol of the power Indians got from the British. Amit Shah said that before the inauguration of this new Parliament House, PM Narendra Modi will receive Sengol from Tamil Nadu. Sengol should be part of the new parliament, how was it decided? Indian classical Bharatanatyam dancer After this the Prime Minister will place it inside the new Parliament House. It will be kept near the seat of Sengol Speaker. Home Minister Amit Shah told that this Sengol has great importa...

सेंगोल क्या है? नई संसद में क्यों रखी गई?

New Parliament 2023 : भारत की नई संसद में सेंगोल को रखा गया है। पहले विधिवत लाकर पुरोहितों ने इसे नई संसद में समारोह स्थान पर रखा और पूजा पाठ की। इसके बाद में इसे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर मोदी जी ने दंडवत प्रमाण किया। प्रणाम करने के बाद इसे उन्होंने अपने हाथों से मुख्‍य स्थान पर रखा। आखिर या सेंगोल क्या है? क्यों नई संसद में रखी गई है? सेंगोल क्या है | What is sengol? • दक्षिण भारत में सेंगोल को राजदंड कहते हैं। • यह एक प्रकार की सुनहरी छड़ी होती है। • सेंगोल शब्द की उत्पत्ति तमिल के सेम्मई से मानी गई है जिसका अर्थ है 'नीतिपरायणता।' • सेंगोल का इतिहास चोल राजवंश से जुड़ा हुआ है। • चोल वंश के राजाओं ने 1600 से अधिक वर्षों तक राज किया था। • चोल राजाओं का शासन क्षेत्र बहुत ही बृहत रहा है। • बंगला से लेकर संपूर्ण दक्षिण के क्षेत्रों के साथ ही समुद्री द्वीपों पर उनका राज रहा है। • सेंगोल को चोल राजाओं ने 2600 वर्ष पूर्व सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बनाया था। • एक राजा अपने वंश के दूसरे राजा या उत्तराधिकारी को यह राजदंड सौंपता था। • यह दंड राजा को सजा देने का अधिकार देता है, परंतु राजपुरोहित राजा को पलाश दंड से मारता हुआ कहता है कि धर्मदंडयो: असि। यानि राजा को भी धर्म दंडित कर सकता है। • सेंगोल के ऊपरी सिरे पर बैठे हुए नंदी की प्रतिमा बनी हुई है। • समर्पण के प्रतीक नंदी की प्रतिमा इसका शैव परंपरा से संबंध प्रदर्शित करती है। • नंदी भगवान शिव के आगे इसी तरह स्थिर मुद्रा में रहते हैं, जिस तरह उनकी यह स्थिरता शासन के प्रति अडिग होने का प्रतीक मानी जाती है। • इस तरह के राजदंड को राजा को सौंपे जाने का प्रमाण महाभारत में भी मिलता है। युधिष्ठिर के राज्याभिषेक के दौरान उन्हें...