शरद यादव

  1. Sharad Yadav Profile: शरद यादव: मंडल आयोग की सिफारिश लागू कराने से राजीव,लालू नीतीश से भिड़नेवाले नेता
  2. कौन हैं सुभाषिनी यादव जो कांग्रेस में रहकर शरद यादव की राजनीतिक विरासत को बढ़ा रहीं आगे
  3. Manoranjan Bhartis Blog On Socialist Leader Sharad Yadav
  4. Sharad Yadav dead पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का निधन
  5. Sharad Yadav Family Tree शरद यादव के परिवार में कौन
  6. Sharad Yadav Death First Politician To Win Loksabha Election 3 States
  7. शरद यादव का जीवन परिचय
  8. जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन, राष्ट्रपति और पीएम ने जताया दुख
  9. Sharad Pawar Decides His Successor, Give Command To Supriya Sule


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Sharad Yadav Profile: शरद यादव: मंडल आयोग की सिफारिश लागू कराने से राजीव,लालू नीतीश से भिड़नेवाले नेता

27 साल की उम्र में पहली बार बने थे सांसद मध्यप्रदेश में जन्मे शरद यादव ने राजनीति की शुरुआत जबलपुर से तो की, लेकिन उत्तर प्रदेश के रास्ते वो बिहार ऐसा पहुंचे कि फिर वहीं के होकर रह गए. चार बार बिहार के मधेपुरा से सांसद चुनकर आए. 27 साल की उम्र में शरद यादव पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़े. तब जयप्रकाश नारायण का आंदोलन अपनी उंचाई पर था. शरद यादव मीसा कानून के तहत जेल में बंद थे. इसी दौरान ही शरद यादव सर्वोदय विचारधारा के नेता दादा धर्माधिकारी के संपर्क में आए. धर्माधिकारी और जयप्रकाश नारायण अच्छे मित्र थे. दरअसल, इसी दौरान कांग्रेस नेता और सांसद सेठ गोविंद दास के निधन से जबलपुर की सीट खाली हुई थी, तब जयप्रकाश नारायण ने शरद यादव को जबलपुर सीट से पीपुल्स पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया था. छात्र राजनीति से संसद की राजनीति में शरद यादव की एंट्री होती है. शरद यादव को जेपी आंदोलन का फ़ायदा मिलता है और वो उपचुनाव जीत जाते हैं. जबलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष शरद यादव इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट थे. जब राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव में उतरे शरद यादव इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और फिर राहुल गांधी के दौर में राजनीति में अपनी पैठ रखने वाले शरद यादव एक बार राजीव गांधी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर गए थे. संजय गांधी की मौत के बाद अमेठी लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए. तब अमेठी से राजीव गांधी चुनाव मैदान में थे. मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने में शरद यादव का अहम रोल शरद यादव के राजनीतिक जीवन में दूसरा अहम मोड़ आया 1989 में, जब वे जनता दल के टिकट पर बदायूं से लोकसभा में पहुंचे. वीपी सिंह की सरकार में वे कपड़ा मंत्री बने. लेकिन जब देवीलाल और वीपी सिंह में नहीं बनी तब...

कौन हैं सुभाषिनी यादव जो कांग्रेस में रहकर शरद यादव की राजनीतिक विरासत को बढ़ा रहीं आगे

कौन हैं सुभाषिनी यादव, जो कांग्रेस में रहकर शरद यादव की राजनीतिक विरासत को बढ़ा रहीं आगे Subhashini Sharad Yadav Daughter जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव का गुरुवार रात निधन हो गया। उनके निधन के बाद यह सवाल पैदा हो गया है कि उनकी राजनीतिक विरासत को अब कौन आगे बढ़ाएगा। आइए इस सवाल का जवाब जानते हैं... कांग्रेस पार्टी से जुड़ी हुई हैं सुभाषिनी यादव शरद यादव की दो संतान हैं। बेटा शांतनु और बेटी सुभाषिनी। इनमें से सुभाषिनी ही उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। सुभाषिनी कांग्रेस पार्टी से जुड़ी हुई हैं। उन्हें मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में भी देखा गया था। सुभाषिनी ने 2020 में ज्वाइन की कांग्रेस सुभाषिनी ने 2020 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की। उन्होंने बिहारीगंज सीट से विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गईं। उनके पिता शरद यादव चाहते थे कि मधेपुरा से उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़े। सुभाषिनी को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है। उनकी शादी हरियाणा में एक राजनीतिक परिवार में हुई है। शरद यादव पहली बार जबलपुर से बने सांसद शरद यादव तीन राज्यों से सात बार लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वे बिहार की मधेपुरा सीट से चार बार, मध्य प्रदेश के जबलपुर से दो बार और उत्तर प्रदेश के बदायू से एक बार लोकसभा पहुंचे। शरद यादव सबसे पहले 1974 में जबलपुर से लोकसभा सांसद चुने गए थे। यह भी पढ़ें:

Manoranjan Bhartis Blog On Socialist Leader Sharad Yadav

शरद यादव का जाना भारतीय राजनीति के लिए बड़ी क्षति मानी जाएगी. आजादी से डेढ़ माह पहले, मध्‍य प्रदेश में उनका जन्‍म हुआ था. वे पढ़ने-लिखने में काफी तेज़ थे. साइंस के छात्र रहे और इंजीनियरिंग की. कॉलेज में उनको गोल्ड मेडल मिला था. सियासत की शुरुआत उन्‍होंने विद्यार्थी जीवन में की और छात्र संघ के अध्यक्ष रहे. वे 1974 में ही सांसद चुने गए थे. जेपी क्रांति के बाद कई नेता उभरकर सामने आए थे लेकिन जयप्रकाश नारायण ने शरद यादव को पहले टिकट दिया था. छात्र नेता के रूप में उस समय वे जेल में थे. जेल में रहते हुए ही उन्होंने चुनाव लड़ा और इस दौरान उनको 'हलधर किसान' का चुनाव चिन्ह मिला था. 27 साल के कच्‍ची उम्र में वो संसद में चुनकर पहुंचे थे. वर्ष 1976 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी प्रस्ताव लेकर आई थीं कि लोकसभा के कार्यकाल को 6 साल किया जाए तब दो सांसदों ने इस्तीफा दिया था उसमें शरद यादव शामिल थे. उन्‍होंने वर्ष 1984 में अमेठी में राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था जबकि शरद यादव की बेटी सुहासनी आज कांग्रेस में हैं और बिहारीगंज सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं. सियासी करियर की बात करें तो लालू यादव, मुलायम सिंह यादव और नीतीश कुमार से शरद यादव थोड़ा सीनियर थे. वे एकमात्र ऐसे नेता रहे जो मध्य प्रदेश, बिहार और यूपी से सांसद रहे. तीन राज्यों सेवे लोकसभा में चुनकर आए. मंडल आयोग को लागू कराने में शरद यादव का नाम खासतौर पर लिखा जाएगा. शरद यादव ने इसके लिए तत्‍कालीन पीएम वीपी सिंह पर दबाव डाला था. इस मामले में दूसरे नंबर पर आप राम विलास पासवान को रख सकते हैं. मंडल की राजनीति को तोड़ने के लिए शरद यादव ने वंचितों-पिछड़ों के लिए आवाज़ उठाई, इसके बाद ये लागू किया गया. ...

Sharad Yadav dead पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का निधन

• • • Sharad Yadav passes away at 75; PM Modi, Nitish Kumar and others condole death Sharad Yadav passes away at 75; PM Modi, Nitish Kumar and others condole death Sharad Yadav, the former union minister, held various portfolios in the Vajpayee government between 1999 and 2004. He was one of the founders of the JD(U), and later the LJD. Former union minister and prominent socialist leader Sharad Yadav passed away on Thursday night at a private hospital in Gurugram, his family informed. He was 75. Yadav, who was ailing for a while, was brought to the Fortis Memorial Research Institute in an unconscious and unresponsive state and did not have a pulse or recordable blood pressure, the hospital said in a statement. Yadav held various portfolios in the Atal Bihari Vajpayee government between 1999 and 2004. He recently merged Loktrantik After Yadav’s daughter Subhashini Yadav confirmed the news on social media, condolence messages poured in. “Pained by the passing away of Shri Sharad Yadav Ji. In his long years in public life, he distinguished himself as MP and Minister. He was greatly inspired by Dr. Lohia’s ideals. I will always cherish our interactions. Condolences to his family and admirers. Om Shanti,” Prime Minister Pained by the passing away of Shri Sharad Yadav Ji. In his long years in public life, he distinguished himself as MP and Minister. He was greatly inspired by Dr. Lohia’s ideals. I will always cherish our interactions. Condolences to his family and admirers. Om ...

Sharad Yadav Family Tree शरद यादव के परिवार में कौन

Sharad Yadav Family Tree: शरद यादव के परिवार में कौन-कौन हैं, यहां जानें सबकुछ जनता दल यूनाइटेड(JDU) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का कल गुरुवार रात निधन हो गया है। उन्होंने साल 1974 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा था। उनके परिवार में उनकी पत्नी समेत एक बेटा और बेटी हैं।( फाइल फोटो) बिहार, ऑनलाइन डेस्क। जनता दल यूनाइटेड(JDU) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का गुरुवार रात निधन हो गया है। गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली है। शरद यादव की उम्र 75 साल थी। हालांकि वह काफी समय से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे। गुरुवार की रात उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई थी । जिसके बाद तुरंत उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन इलाज के दौरान कुछ घंटे बाद ही उनका निधन हो गया। शरद यादव के निधन की जानकारी उनकी बेटी सुभाषिनी यादव ने फेसबुक पेज के माध्यम से दी थी। उन्होंने लिखा-पापा नहीं रहे। शरद यादव राजनीति में जाने माने नेता और सक्रिय नेता थे। शरद यादव के निधन से बिहार में शोक की लहर है। शरद यादव के परिवार में कितने हैं सदस्य शरद यादव का जन्म साल 1947 में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था। उन्होंने 15 फरवरी 1989 को शादी की थी। शरद यादव की पत्नी का नाम सुभाषिनी राज राव हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है। उनके बेटे का नाम शांतनु बुंदेला और बेटी का नाम सुभाषिनी राजा राव हैं। उनके बेटे शांतनु ने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से की है। शरद यादव की बेटी राजनीति का भी हिस्सा रह चुकी हैं। उन्होंने साल 2020 में बिहार के विधानसभा के चुनाव होने से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्...

Sharad Yadav Death First Politician To Win Loksabha Election 3 States

Sharad Yadav passes away : माजी केंद्रीय मंत्री या तीन राज्यातून शरद यादव यांनी लढवली होती निवडणूक शरद यादव हे तीन राज्यातून लोकसभा निवडणूक जिंकून आले होते. तीन राज्यात निवडणूक लढवून जिंकून येणारे शरद यादव हे ऐकमेव नेते आहेत. शरद यादव यांनी मध्य प्रदेशातील जबलपूर मतदारसंघातून लोकसभा निवडणूक लढवली होती. या जागेवर ते खासदार झाले होते. यानंतर त्यांनी उत्तर प्रदेशातील बदायू लोकसभा मतदारसंघातूनही निवडणूक लढवली होती. या ठिकाणाहून ते निवडून आले होते. तसेच बिहारमधील मधेपुरा मतदारसंघातूनही निवडणूक लढवत त्यांनी विजय मिळवला होता. शरद यादव यांनी लालूप्रसाद यादव यांचाही केला होता पराभव शरद यादव हे लोकसभेचेच खासदार राहिलेले नाहीत, तर ते राज्यसभेचे खासदारही राहिले आहेत. ते एकूण 7 वेळा लोकसभेला निवडून आले आहेत. याशिवाय त्यांनी केंद्रीय मंत्रीमंडळात विविध खात्यांचा पदभार देखील सांभाळला होता. शरद यादव यांनी लालूप्रसाद यादव यांचाही निवडणुकीत पराभव केला होता. 1999 च्या लोकसभा निवडणुकीत लालू प्रसाद यादव आणि शरद यादव मधेपुरा मतदारसंघात आमनेसामने होते. त्यावेळी लालूप्रसाद यादव यांची लोकप्रियता खूप जास्त होती. अशा स्थितीतही शरद यादव यांनी त्यांचा पराभव केला होता. 1974 मध्ये शरद यादव पहिल्यांदा खासदार शरद यादव यांनी 1974 साली पहिली निवडणूक लढवली होती. दिंवगत जयप्रकाश नारायण यांच्या सांगण्यावरून ते जबलपूर लोकसभा मतदारसंघातून उभे राहिले होते. त्यांनी पहिलीच निवडणूक जिंकली होती. यानंतर 1977 मध्येही त्यांनी याच जागेवरून निवडणूक लढवली आणि संसदेत पोहोचले होते. शरद यादव यांनी 1989 मध्ये तिसरी लोकसभा निवडणूक उत्तर प्रदेशातील बदाऊनमधून लढवली होती, येथेही ते विजयी झाले. 1991 मध्ये त्यांनी बिहारमधील मधेपुरा ...

शरद यादव का जीवन परिचय

नाम शरद यादव जन्म तिथि 1, जुलाई 1947 जन्म स्थान होसंगाबाद, मध्य प्रदेश माता का नाम सुमित्रा यादव पिता का नाम नंदकिशोर यादव शिक्षा रॉबर्टसन कॉलेज जबलपुर(BSC) जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग बेटे का नाम शांतनु बुंदेला बेटी का नाम सुभाषिनी राजा राव व्यवसाय राजनीतिज्ञ उम्र (2023) 77 वर्ष Table of Contents • • • • • • • • • • • शरद यादव का जीवन शरद यादव राष्ट्रीय जनता दल पार्टी से जुड़े हुए एक राजनेता है। वो सात बार लोकसभा और तीन बार JDU पार्टी की ओर से राज्यसभा के लिए चुने जा चुके हैं। वो साल 2003 से 2016 तक जनता दल के गठन के बाद पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण राज्यसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया और पार्टी नेतृत्व के पदों से हटा दिया गया। शरद यादव का जन्म और शिक्षा शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई नामक गांव में हुआ। उन्होंने रॉबर्टसन कॉलेज जबलपुर से अपनी बीएससी की डिग्री प्राप्त की ओर जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की। वे पेशे से किसान और इंजीनियर है। शरद यादव का परिवार उनकी माता का नाम सुमित्रा यादव और उनके पिता का नाम नंदकिशोर यादव था। उन्होंने 15 फरवरी, 1989 को रेखा यादव से शादी की जिनसे उन्हें एक बेटा और एक बेटी है। उनकी बेटी सुभाषिनी राजा राव बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से जुड़ गई और उन्होंने बिहारीगंज में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। उन्होंने RJD पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ा और हार गई। शरद यादव के बेटे शांतनु बुंदेला लंदन विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर हैं। शरद यादव का राजनितिक करियर शरद यादव को पहली बार 1974 में मध्यप्रदेश के ...

जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन, राष्ट्रपति और पीएम ने जताया दुख

सारांश • भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा है कि देश की उत्तरी सीमाओं पर स्थिति सामान्य है लेकिन लेकिन उसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है. • पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री और मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर से तृणमूल कांग्रेस विधायक जाकिर हुसैन के बीड़ी कारखानों और दफ्तरों पर आयकर विभाग की छापेमारी के दौरान करोड़ों रुपये की रकम बरामद हुई है. • दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को कहा है कि भारतीय जनता पार्टी सरकारी अधिकारियों के ज़रिये दिल्ली सरकार पर 'असंवैधानिक' नियंत्रण रखना चाहती है. • भारत और श्रीलंका के बीच आज खेले जाने वाले दूसरे वनडे मैच में मेहमान टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फ़ैसला किया है. • भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से फ़ोन पर बातचीत की. उन्होंने बिन्यामिन नेतन्याहू को भारत आने का न्योता भी दिया. • लियोनेल मेसी ने फ़ुटबॉल विश्व कप के बाद पहली बार मैच खेला और उन्होंने फ्रांस में हुए लीग1 मैचों में पेरि सन जर्मा (पीएसजी) क्लब से खेलते हुए एंगर्स एससीओ क्लब को हराने में अहम भूमिका निभाई. • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादास्पद टिप्पणी करने वाले कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री राजा पटेरिया की जमानत याचिका मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है. ANI Copyright: ANI शरद यादव (फ़ाइल फ़ोटो) Image caption: शरद यादव (फ़ाइल फ़ोटो) जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का गुरुग्राम के फ़ोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया. वो 75 साल के थे. शरद यादव की बेटी और कांग्रेस नेता सुभाषिनी शरद यादव ने ट्वीट कर के उनके निधन की जानकारी दी. View more on twitte...

Sharad Pawar Decides His Successor, Give Command To Supriya Sule

नई दिल्‍ली : एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अपनी पार्टी को लेकर शनिवार को महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसमें सबसे अहम है सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बनाना. हालांकि प्रफुल्ल पटेल को भी कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है, मगर सुप्रिया सुले को यह जिम्मेदारी देकर शरद पवार ने साफ कर दिया है कि एनसीपी का भविष्य कौन है और पार्टी किसके पास रहेगी. शरद पवार के मराठी में अपनी आत्मकथा के विमोचन के वक्त जब जो एनसीपी के अध्यक्ष का पद छोड़ने की बात कही थी और उसके बाद पार्टी में जो भूचाल आया था उसके बाद आज एनसीपी के स्थापना दिवस पर यह घोषणा कर उस बहस पर हमेशा के लिए पर्दा डाल दिया कि सुप्रिया सुले और अजित पवार में एनसीपी की बागडोर किसके हाथ में जाएगी. अजित पवार को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है. मगर माना जाता है कि महाराष्ट्र एनसीपी पर उनका दबदबा कायम रहेगा. हालांकि महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष अभी भी जयंत पाटिल हैं जो शरद पवार के बहुत ही करीबी हैं. शरद पवार ने आज जो घोषणा की है उसमें सुप्रिया सुले को पंजाब और हरियाणा के साथ महाराष्ट्र का प्रभारी भी बनाया गया है यानि प्रभारी के तौर पर सुप्रिया सुले की एक नजर हमेशा अजित पवार पर रहेगी. यही नहीं सुप्रिया सुले को केन्द्रीय चुनाव समिति का भी अध्यक्ष बनाया गया है. इसका मतलब हुआ कि जब भी टिकट बांटे जाएंगे सुप्रिया की चलेगी और जब महाराष्ट्र में टिकट बांटने के लिए समिति बनाई जाएगी, उसका गठन भी वही करेगी यानि हर स्तर पर कार्यकारी अध्यक्ष का हाथ रहना जरूरी है. ठाकरे ने बनाया था बीजेपी पर दबाव सुप्रिया सुले के लिए राजनीति नई नहीं है. 2006 में उप चुनाव में निर्विरोध चुने जाने के बाद वो राज्यसभा में आई थी तब बाला साहब ठाकरे ने उनके लिए बीजेपी को अपना उम्मीदवार...