श्री महालक्ष्मी अष्टकम

  1. महालक्ष्मी अष्टकम हिंदी अर्थ सहित
  2. महालक्ष्मी अष्टकम
  3. [Lyrics & PDF] श्री महालक्ष्मी अष्टकम नमस्तेस्तु महामाये मंत्र
  4. श्री महालक्ष्मी अष्टक:Shri Mahalaxmi Ashtak
  5. श्री महालक्ष्मी अष्टकम : Free Download, Borrow, and Streaming : Internet Archive
  6. MAHA LAKSHMI ASHTAKAM
  7. महालक्ष्मी अष्टकाम


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महालक्ष्मी अष्टकम हिंदी अर्थ सहित

॥ महालक्ष्मी अष्टकम ( महालक्ष्म्यष्टक ) ॥ नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥1॥ अर्थ – श्रीपीठ पर स्थित और देवताओं से पूजित होनेवाली हे महामाये ! तुम्हें नमस्कार है। हाथ में शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाली हे महालक्ष्मी ! तुम्हें प्रणाम है। नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि । सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥2॥ अर्थ – गरुड़ पर आरूढ़ हो कोलासुर को भय देने वाली और समस्त पापों को हरने वाली हे भगवति महालक्ष्मी ! तुम्हें प्रणाम है। सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि । सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥3॥ अर्थ – सब कुछ जानने वाली, सबको वर देने वाली, समस्त दुष्टों को भय देने वाली और सबके दुःखों को दूर करने वाली हे देवि महालक्ष्मी ! तुम्हें नमस्कार है। सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि । मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥4॥ अर्थ – सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष देने वाली हे मन्त्रपूत भगवति महालक्ष्मी ! तुम्हें सदा प्रणाम है। आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि । योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥5॥ अर्थ – हे देवि ! हे आदि-अंतरहित आदिशक्ते ! हे महेश्वरि ! हे योग से प्रकट हुई भगवति महालक्ष्मी ! तुम्हें नमस्कार है। स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे । महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥6॥ अर्थ – हे देवि ! तुम स्थूल, सूक्ष्म एवं महारौद्ररूपिणी हो, महाशक्ति हो, महोदरा हो और बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली हो। हे देवि महालक्ष्मी ! तुम्हें नमस्कार है। पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि । परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥7॥ अर्थ – हे कमल के आसन पर विराजमान परब्रह्म स्वरूपिणी देवि ! हे परमेश्वरि...

महालक्ष्मी अष्टकम

महालक्ष्मि अष्टकं: नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥१॥ नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि । सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥२॥ सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरि । सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥३॥ सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि । मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥४॥ आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि । योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥५॥ स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे । महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥६॥ पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि । परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥७॥ श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते । जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥८॥ महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः । सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥९॥ एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् । द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ॥१०॥ त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् । महालक्ष्मिर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥११॥ निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर श्री महालक्ष्मी अष्टकम हिंदी मै PDF डाउनलोड करे Post navigation

[Lyrics & PDF] श्री महालक्ष्मी अष्टकम नमस्तेस्तु महामाये मंत्र

Namastestu Mahamaye Lyrics in Hindi : नमस्तेस्तु महामाये मंत्र का जाप करके प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त करे | अच्छा लगे तो कृपया शेयर करे | Namastestu Mahamaye Lyrics in Hindi नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तूते । १ । नमस्ते गरूडारूढे कोलासूर भयंकरी । सर्व पाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते । २ । सिद्धीबुद्धूीप्रदे देवी भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी । मंत्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते । ४ । आद्यंतरहिते देवी आद्यशक्ती महेश्वरी । योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमोस्तूते । ५ । स्थूल सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ती महोदरे । महापाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते । ६ । पद्मासनस्थिते देवी परब्रम्हस्वरूपिणी । परमेशि जगन्मातर्र महालक्ष्मी नमोस्तूते । ७ । महालक्ष्म्यष्टकस्तोत्रं यः पठेत् भक्तिमान्नरः । सर्वसिद्धीमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा । ९ । एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनं । द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्य समन्वितः । १० । त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रूविनाशनं । महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा । ११ । Read more – Read more – Namastestu Mahamaye Lyrics PDF in Hindi Namastestu Mahamaye Lyrics in English Namastestu Mahamaye Shri Pithe Sura Poojithe. Shankh Chakr Gada Haste Mahalakshmi Namostute । 1 । Namaste Garudarudhe Kolasur Bhayankari. Sarv Paap Hare Devi Mahalakshmi Namostute । 2 । Sarvangye Sarvavarade Sarvadusht Bhayankari. Sarv Duhkh Hare Devi Mahalakshmi Namostute । 3 । Siddhibuddhiprade Devi Bhuktimukti Pradayini. Mantramurte Sada Devi Mahalakshmi Namostute । 4 । Adyantrahithe Devi Adyashakti Maheshwari. Yogaje Yogsambhute...

श्री महालक्ष्मी अष्टक:Shri Mahalaxmi Ashtak

संस्कृतमधील श्री महालक्ष्मी अष्टक ही देवी लक्ष्मीला समर्पित प्रार्थना आहे. श्री महालक्ष्मी अष्टक हे पद्म पुराणातून घेतले आहे आणि ही भक्ती प्रार्थना भगवान इंद्रांनी देवी महालक्ष्मीच्या स्तुतीसाठी केली होती. ‘लक्ष्मी’ हा शब्द संस्कृत शब्द “लक्ष्य” वरून आला आहे, ज्याचा अर्थ ‘उद्दिष्ट’ किंवा ‘लक्ष्य’ आहे आणि ती भौतिक आणि आध्यात्मिक दोन्ही संपत्ती आणि समृद्धीची देवी आहे. हिंदू पौराणिक कथांमध्ये,देवी लक्ष्मी, ज्याला श्री देखील म्हणतात, ही भगवान विष्णूची दैवी जोडीदार आहे आणि सृष्टीच्या देखभाल आणि संरक्षणासाठी त्यांना संपत्ती प्रदान करते. स्तोत्राचे लाभ मिळण्यासाठी दररोज श्री महालक्ष्मी अष्टकमचा जप करावा. ॥ श्री महालक्ष्म्यष्टकम् ॥ श्री गणेशाय नमः नमस्तेस्तू महामाये श्रीपिठे सूरपुजिते । शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ १ ॥ नमस्ते गरूडारूढे कोलासूर भयंकरी । सर्व पाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ २ ॥ सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरी । सर्व दुःख हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥३ ॥ सिद्धीबुद्धूीप्रदे देवी भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी । मंत्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ४ ॥ आद्यंतरहिते देवी आद्यशक्ती महेश्वरी । योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ५ ॥ स्थूल सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ती महोदरे । महापाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ६ ॥ पद्मासनस्थिते देवी परब्रम्हस्वरूपिणी । परमेशि जगन्मातर्र महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ७ ॥ श्वेतांबरधरे देवी नानालंकार भूषिते । जगत्स्थिते जगन्मार्त महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ८ ॥ महालक्ष्म्यष्टकस्तोत्रं यः पठेत् भक्तिमान्नरः । सर्वसिद्धीमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥ ९ ॥ एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनं । द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्य समन्...

श्री महालक्ष्मी अष्टकम : Free Download, Borrow, and Streaming : Internet Archive

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MAHA LAKSHMI ASHTAKAM

Sri Mahalakshmi Ashtakam stotra (श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम्) (or Lakshmi Ashtakam महालक्ष्मी अष्टकाम ) is a devotional verse, an acknowledgement of faith and devotion to Goddess Mahalakshmi (महालक्ष्मी), the consort of Lord Vishnu. Sri Mahalakshmi Ashtakam stotra was first recited by God Indra in admiration of Goddess Shri Lakshmi originally appeared in पद्मपुरानाम (Padma Purana) to appease Goddess Mahalakshmi. This stotra was chanted when sage Durwasa offered sin to Lord Indra to become shree heen (श्री हीन) (Without prosperity), so to appease Goddess Laxmi (श्रीमहालक्ष्मी) he recited this stotra. It is written in eight verse and is an octet hence got the name ashtakam/अष्टकाम in Sanskrit. This is a prayer to Goddess Maha Lakshmi who is also called श्री and represents wealth as well as auspiciousness. Reciting or listening to Sri Mahalakshmi Ashtakam every day will benefit a lot, the person will be bestowed with success and material benefits. It is mentioned at the end of this Ashtakam indicating the same, that if daily read once a day, great sins will be shattered. If read twice a day daily, wealth and prosperity will be accomplished. If read three a day, the great enemy will be wrecked. Goddess Mahalakshmi will be ever pleased with that pious one. Story behind the scene : Once upon a time Lord Indra riding his mount Arawat! Suddenly saw sage Durwasa in front of him, so he bowed to him, with due respect sage Durvasa put out his flower garland to Indra. Indra offered the sam...

महालक्ष्मी अष्टकाम

श्री महालक्ष्मी हिन्दू धर्म में धन की देवी है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में लक्ष्मी का वास हो। श्री महालक्ष्मी अष्टकम स्तोत्रम एक भक्ति भजन है जो कि देवी लक्ष्मी, आदि शक्ति और भगवान विष्णु की पत्नी को समर्पित है। ऐसा कहा माना जाता है कि श्री महालक्ष्मी अष्टकम को पद्म पुराण से लिया गया है। श्री महालक्ष्मी अष्टकम स्तोत्रम का पाठ सबसे पहले भगवान इंद्र ने किया था। नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते। शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्षि्म नमोस्तु ते॥1॥ नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि । सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥२॥ सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि । सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥३॥ सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि । मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥४॥ आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि । योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥५॥ स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्ति महोदरे । महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥६॥ पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि । परमेशि जगन्माता महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥७॥ श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते । जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥८॥ फलश्रुति महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः । सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥९॥ एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् । द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ॥१०॥ त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् । महालक्ष्मिर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥११॥ महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते । ॥ इतीन्द्रकृतं महालक्ष्म्यष्टकं सम्पूर्णम् ॥