श्री सूक्त पाठ इन हिंदी

  1. Shri Suktam श्री सूक्त पाठ से मिलेगी माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा
  2. [PDF] : श्री सूक्त का संपूर्ण पाठ इन हिंदी संस्कृत pdf, Shri suktam path pdf lyrics in Sanskrit with Hindi
  3. श्री सूक्त हिन्दी अर्थ सहित Sri suktam hindi meaning


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Shri Suktam श्री सूक्त पाठ से मिलेगी माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा

मां लक्ष्मी अपने भक्तों की धन से जुड़ी हर तरह की समस्याएं दूर करती हैं। इतना ही नहीं, देवी साधकों को यश और कीर्ति भी देती हैं। इनकी पूजा से धन की प्राप्ति होती है, साथ ही वैभव भी मिलता है। धन यह वह वस्तु जिसके लिए व्यक्ति दिन रात मेहनत करता है। धन की देवी लक्ष्मी माँ को माना जाता है। लक्ष्मी माँ (Laxmi maa) को स्मरण करने हेतु एक साधारण मंत्र को श्री सूक्तम् (Shri Suktam) कहते हैं, जिसका अन्य नाम‘लक्ष्मी सूक्तम्’ भी है।यह सूक्त ऋग्वेद से लिया गया है। इस सूक्त का पाठ धन-धान्य की अधिष्ठात्री, देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है। श्रीसूक्त में सोलह मंत्र हैं। यदि इन मंत्रो का जप पूर्ण श्रद्धा से किया जाये तो लक्ष्मी धन के मार्ग खोल देती है। जो जातक जीवन में हर तरह से सुख भोगना चाहते है – जीवन से गरीबी दूर करना चाहते है। एश्वर्य प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें लक्ष्मी जी का यह श्री सूक्तम मंत्र Shri Suktam mantr अवश्य ही करना चाहिए। यह सूक्त संस्कृत में होने के कारण बहुत से लोगों के लिए इसका उच्चारण करना थोड़ा कठिन हो जाता है जो जातक थोड़ा -बहुत भी संस्कृत नहीं जानते हैं वे लक्ष्मी जी की फोटो के सामने बैठकर इस सूक्त / श्री सुक्तम पथ विधान को केवल अपने कानों से सुने और माँ लक्ष्मी का मनन करें। श्री सूक्त Shri Suktam ka path कैसे करें कहा जाता है कि श्री सूक्त का पाठ भक्तों को हर दिवस करना चाहिए, परन्तु समय का अभाव में व्यक्ति इस पाठ को करने में असमर्थ रहता है, हर शुक्रवार को भी श्रीसूक्त का पाठ कर सकते हैं। शुक्रवार माँ लक्ष्मी का दिन होता है। लक्ष्मी जी का प्रिय वार शुक्रवार को बताया गया है अत: इस श्रीसूक्त का पाठ आप इस वार से शुरू कर सकते है। यदि शुक्रवार से पाठ शु...

[PDF] : श्री सूक्त का संपूर्ण पाठ इन हिंदी संस्कृत pdf, Shri suktam path pdf lyrics in Sanskrit with Hindi

श्री सूक्तं मूलतः ऋग्वेद के दूसरे अध्याय के छठे छन्द में आनंदकर्दम ऋषि द्वारा श्री देवता को समर्पित काव्यांश है, श्री सूक्त देवी लक्ष्मी का आह्वान करने के लिए सुनाया जाने वाला एक बहुत ही लोकप्रिय वैदिक भजन है जिसे धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। श्री सूक्तम का पाठ कई हिंदू घरों में नियमित रूप से किया जाता है। Download: श्री सूक्त पाठ विधि जो चन्द्रमा के समान प्रकाशमान,सुखद,स्नेह,कृपा से भरपूर वैभवशाली,श्रेष्ठ कान्तिवाली और निर्मल कान्तिवाली जो सर्व देवोसे युक्त है( देवो ने जिनका आश्रय लिया हुआ है ),कमल के जैसी अनासक्त लक्ष्मी के कारण शरण में में जा रहां हु,जिस दुर्गा की कृपा द्वारा मेरी दरिद्रता का विनाश हो इसलिए में माँ लक्ष्मी का वरण करता हु |

श्री सूक्त हिन्दी अर्थ सहित Sri suktam hindi meaning

श्री सूक्त हिन्दी अर्थ Sri suktam hindi meaning किसी भी स्तोत्र या मन्त्र का अर्थ जाने बिना, उसका पठन पूर्णरूपेण फलदायी नहीं होता। श्रीसूक्त लक्ष्मी प्राप्ति का अमोघ साधन है। इस स्तोत्र में अग्निदेव, कर्दम ऋषि, चिक्लीत से माता लक्ष्मी को अपने यहाँ आह्वान करने की विनती है। लक्ष्मी की कामना रखनेवाले को श्रीसूक्त के प्रत्येक ऋचाओं का नित्य पाठ करते हुए हवन करना चाहिये। आइये, www.sugamgyaansangam.com सुगम ज्ञान संगम के अध्यात्म + स्तोत्र संग्रह स्तम्भ (Category) में इसके प्रत्येक ऋचाओं का हिन्दी में अर्थ जानें। ❀ श्रीसूक्त ❀ (❑➧मूलपाठ ❑➠अर्थ) ❑➧ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह।।१।। ❑अर्थ➠ हे जातवेदा (सर्वज्ञ) अग्निदेव! आप सुवर्ण के समान रंगवाली, किंचित् हरितवर्णविशिष्टा, सोने और चाँदी के हार पहननेवाली, चन्द्रवत् प्रसन्नकान्ति, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी का मेरे लिये आह्वान करें। ❑➧तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम्।।२।। ❑अर्थ➠ हे अग्ने! उन लक्ष्मीदेवी का, जिनका कभी विनाश नहीं होता तथा जिनके आगमन से मैं स्वर्ण, गौ, घोड़े तथा पुत्रादि प्राप्त करूँगा, मेरे लिये आह्वान करें। ❑➧अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम्। श्रियं देवीमुप ह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम्।।३।। ❑अर्थ➠ जिनके आगे घोड़े और रथ के मध्य में वे स्वयं विराजमान रहती हैं। जो हस्तिनाद सुनकर प्रमुदित (प्रसन्न) होती हैं, उन्हीं श्रीदेवी का मैं आह्वान करता हूँ। लक्ष्मीदेवी मुझे प्राप्त हों। ❑➧कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्। पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम्।।४।। ❑अर्थ➠ जो साक्षात् ब्रह...