सप्तर्षि का समास विग्रह

  1. सप्तर्षि में कौन सा समास है ! Saptarshi mein kaun sa samas hai
  2. समास किसे कहते हैं, परिभाषा उदाहरण सहित, भेद, समास विग्रह, samas in Hindi
  3. सप्तर्षि में कौन सा समास है? सप्तर्षि का समास
  4. समास Samas
  5. 'सप्तर्षि' में समास है


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सप्तर्षि में कौन सा समास है ! Saptarshi mein kaun sa samas hai

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समास किसे कहते हैं, परिभाषा उदाहरण सहित, भेद, समास विग्रह, samas in Hindi

समास दो शब्दों से बना है – ‘सम’ + ‘आस’ जिसका अर्थ होता है संक्षिप्त कथन। अर्थात समास प्रक्रिया में शब्दों का संक्षिप्तीकरण किया जाता है। समास की परिभाषा दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो एक नवीन सार्थक शब्द बनता है। उसे समास (samas in Hindi) कहते हैं। समास में किसी भी प्रकार का अर्थ परिवर्तन नहीं होता है। तथा समास में संक्षिप्त किए गए शब्द को सामसिक पद या समस्त पद कहते हैं। पढ़ें… रस – परिभाषा, उदाहरण, स्थायी भाव, भेद, प्रकार, Ras in Hindi all class pdf पढ़ें… छंद : परिभाषा, उदाहरण, भेद और प्रकार, Chhand kise kahate hain PDF समास विग्रह समास के अर्थबोधक वाक्य को समास विग्रह (samas ka vigrah) कहते हैं। अर्थात समास विग्रह करते समय हटाए गए ‘सर्ग’ पुनः लगा दिये जाते हैं। जैसे – नीलकमल का समास विग्रह है – नीला है जो कमल। चौराहा का समास विग्रह है – चार राहों का समूह। Note – समास की रचना में दो पद होते हैं पहले पद को पूर्व पद तथा दूसरे पद को उत्तर पद कहते हैं। समास के भेद सामान्यतः समास के निम्नलिखित छह भेद होते हैं। 1. अव्ययीभाव समास 2. तत्पुरुष समास 3. कर्मधारय समास 4. द्विगु समास 5. द्वन्द समास 6. बहुव्रीहि समास 1. अव्ययीभाव समास जिस समास में प्रथम पद (पूर्व पद) अव्यय हो एवं उसी के अर्थ की प्रधानता हो, तब उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। पहचान – अव्ययीभाव समास का पहला पद अनु, आ, प्रति, भर, यथा, यावत आदि होते हैं। अव्ययीभाव समास के उदाहरण Note – इन सभी उदाहरणों में वही प्रथम पद है। जो ऊपर पहचान में दिए गए हैं। प्रत्येक का प्रथम पद – प्रति यथाशक्ति का प्रथम पद – यथा है। पढ़ें… संधि – परिभाषा, भेद, उदाहरण और प्रकार, संधि विच्छेद, sandhi in Hindi PDF पढ़ें… अलंकार – परिभाषा, उदाहरण,...

सप्तर्षि में कौन सा समास है? सप्तर्षि का समास

Saptrishi mein kaun sa samas hai? Saptrishi ka samas-vigrah kya hota hai? सप्तर्षि में कौन सा समास है? द्विगु समास – सप्तर्षि शब्द में द्विगु समास है। सप्तर्षि में समास का उपभेद द्विगु समास है Saptrishi mein kaun sa Samas hota hai? Dvigu Samas – Saptrishi shabd mein Dvigu Samas hai. सप्तर्षि का समास-विग्रह क्या है? Saptrishi ka Samas-Vigrah kya hai? सप्तर्षि शब्द का समास-विग्रह निम्नानुसार होगा : Advertisement समास (समस्त पद) समास-विग्रह सप्तर्षि : सात ऋषियों का समूह Saptrishi : Saath rishiyon ka samuh क्योंकि सप्तर्षि में द्विगु समास है इसलिए हमने विद्यार्थियों की सहायता के लिए द्विगु समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण को यहाँ पर संक्षेप में समझाया है। अगर विद्यार्थी द्विगु समास को विस्तार से पढ़ना चाहें तो नीचे दिये गए लिंक (द्विगु समास की परिभाषा – ) पर जा कर पढ़ सकते हैं। Advertisement द्विगु समास-[ सूत्र-संख्यापूर्वो द्विगु : ]-जिस समास का पूर्व पद संख्या वाचक हो और उत्तरपद संज्ञा हो तो उस समास को द्विगु समास कहते है। समास का विग्रह करने पर समाहार ( समूह ) का बोध होता है। द्विगु समास के उदाहरण – द्विगु समास के उदाहरण नीचे दिये गए हैं। विद्यार्थियों को इनका लिख लिख कर अभ्यास करना चाहिए। Advertisement समास (समस्त पद) – समास-विग्रह त्रिभुवन – तीन भुवनों का समूह ( समाहार ) पंचवटी – पाँच वटों का समूह दोपहर – दो पहरों का समूह अठन्नी – आठ आनोंका समूह द्विरात्र – दो रातों का समूह त्रिलोक – तीन लोकों का समूह सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह त्रिकोण – तीनों कोणों का समाहार पंचमेवा – पांच फलों का समाहार सप्ताह – सात दिनों का समूह समास की परिभाषा : समास का तात्पर्य होता है-‘संक्षिप्तीकरण’...

समास Samas

समास Samas समास विग्रह | समास के प्रश्न | परिभाषा समास शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है छोटा-रूप। अतः जब दो या दो से अधिक पद अपने बीच की विभक्तियों का लोप कर जो छोटा रूप बनाते हैं, उसे समास, सामासिक पद या समस्त पद कहते हैं। जैसे- रसोई के लिए घर शब्दों में से ‘के लिए’ विभक्ति का लोप करने पर नया पद बना रसोई घर, जो एक सामासिक पद है। किसी समस्त पद या सामासिक पद को उसके विभिन्न पदों एवं विभक्ति सहित पृथक करने की क्रिया को समास का विग्रह कहते हैं, जैसे- विद्यालय – विद्या के लिए आलय माता-पिता – माता और पिता Samas समास Samas के भेद bhed | प्रकार prakar समास मुख्य रूप से छह प्रकार के होते हैं परंतु पदों की प्रधानता के आधार पर समास चार प्रकार के माने गए हैं- पदों की प्रधानता के आधार पर समास- 1 प्रथम पद की प्रधानता – अव्ययीभाव समास 2 उत्तर प्रद की प्रधानता – तत्पुरुष समास 3 दोनों पदों की प्रधानता – द्वंद्व समास 4 किसी भी पद की प्रधानता नहीं – बहुव्रीहि समास समास Samas के मुख्य छः प्रकार 1. अव्ययीभाव समास 2. तत्पुरूष समास 3. द्वन्द्व समास 4. कर्मधारय समास 5. द्विगु समास 6. बहुव्रीहि समास 1. अव्ययीभाव समास Samas अव्ययीभाव समास में प्रायः (i) पहला पद प्रधान होता है। (ii) पहला पद या संपूर्ण पद अव्यय होता है। इसमें मुख्यतः निम्नलिखित अव्यय आते हैं- आ, उप, अति, यथा, यावत्, निर्, बा, बे, भर जैसे – आमरण = मरण तक उपस्थिति = समीप उपस्थित आबालवृद्ध = बाल से लेकर वृद्ध तक अनुबंध = बंधन के साथ अनुहरि = हरि के समीप अनुशासन = शासन के साथ अनुगंग = गंगा के समीप नियंत्रण = पूर्णतः यंत्रण भरपेट = पेट भर कर निकम्मा = काम रहित निपूता = पूत रहित भरसक = सक भर भरमार = पूरी मार भरपाई = पूरी पाई भरपूर = पूरा पूर ...

'सप्तर्षि' में समास है

Correct Answer - Option 4 : द्विगु ‘सप्तर्षि’ में 'द्विगु' समास है। इसका समास विग्रह होगा- सात ऋषियों का समाहार। अन्य विकल्प गलत हैं । अतः उत्तर सही विकल्प 4 'द्विगु​' है। • 'सप्तर्षि' का समास विग्रह करने पर 'सात ऋषियों का समाहार' होगा। • इसमें 'सप्त' संख्यावाचक विशेषण का प्रयोग होने के कारण द्विगु समास है। द्विगु समास जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो। दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक। समास - समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें दो शब्द मिलाकर उनके बीच के संबंधसूचक आदि का लोप करके नया शब्द बनाया जाता है। समास से तात्पर्य 'संक्षिप्तीकरण' से है। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है। जैसे - राजा का पुत्र – राजपुत्र, समास के छःप्रकार हैं - समास का नाम परिभाषा उदाहरण तत्पुरुष समास जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो। धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत। बहुव्रीहि समास जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं। जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव। कर्मधारय समास जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो, पहचान : विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में 'है जो', 'के समान' आदि आते हैं। कमल के समान नयन = कमलनयन, महान है जो देव = महादेव। द्विगु समास जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो। दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक। अव्यययीभाव समास जिस समास में पहला पद प्रधान ह...